प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISSAN) : प्रत्यक्ष आय सहायता
प्रश्न: कृषि के निमित्त व्यापक सरकारी सहायता के बावजूद ऐसा क्यों है कि भारत में खेती अलाभकारी बनी हुई है? क्या आप इस बात से सहमत है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISSAN) के अंतर्गत प्रत्यक्ष आय सहायता कृषि को आजीविका का एक व्यवहार्य स्रोत बनाने हेतु एक अति आवश्यक उपाय है?
दृष्टिकोण
- भारत में कृषि के लिए व्यापक सरकारी सहायता के संबंध में संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- कृषि को लाभकारी बनाने में इनकी विफलता पर चर्चा कीजिए।
- किसानों के मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) के तहत किए जाने वाले उपाय सुझाइए।
- KISAN योजना से संबंधित कुछ मुद्दों को रेखांकित करते हुए संक्षिप्त रूप में निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
भारतीय किसानों को उत्पादन से भंडारण तक विपणन के लिए व्यापक सरकारी सहायता निम्नलिखित रूप में प्रदान की गई है:
- विद्युत्, जल, बीज एवं उर्वरक, ऋण छूट, ऋण सब्सिडी, मृदा स्वास्थ्य कार्ड आदि पर अत्यधिक इनपुट सब्सिडी के कारण अत्यधिक उत्पादन को बढ़ावा प्राप्त हआ है।
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत बेहतर सिंचाई सहायता।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद, ग्रामीण हाट का उन्नयन, e -NAM पहल का शुभारंभ, एगमार्कनेट (AGMARKNET) आदि जैसे विपणन सहायता और सुधार।
- जैविक कृषि के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना, नाममात्र प्रीमियम के साथ किसानों का बीमा करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से सहायता।
हालांकि, दलवई समिति की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015-16 में एक लघु और सीमांत किसान परिवार की औसत वार्षिक आय 79,779 रुपये थी। भारत में खेती का यह अलाभकारी स्वरूप निम्नलिखित कारणों से है:
- किसान एवं अंतिम उपभोक्ता के मध्य बड़ी संख्या में मध्यस्थों की उपस्थिति।
- किसान अत्यधिक फसल उत्पादन के बावजूद, अकुशल कृषि उपज मंडियों, निम्न भंडारण सुविधाओं और फसल बीमा के निम्न वितरण के कारण उपज को उचित मूल्य पर विक्रय नहीं कर पाते हैं।
- फसल प्रतिरूप को लघु/कम होते खेत के आकार के साथ युग्मित किया जाता है जिसके अंतर्गत लघु और सीमांत किसान कम मूल्य, कम उपज, भूमि-गहन फसलों का उत्पादन करते हैं तथा उन्हें अपर्याप्त न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त होता हैं।
- कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा पर ध्यान दिए जाने का अभाव जिसका कृषि विकास और निर्धनता को कम करने पर सर्वाधिक विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) जिसके तहत सभी लघु और सीमांत खेतिहर किसान परिवारों (जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की खेती योग्य भूमि है) को 6000 रूपये की वार्षिक आय सहायता प्रदान की जाती है।
- यह स्थिर एवं अनिश्चित कृषि आय को सहायता प्रदान करेगा तथा इसके माध्यम से आजीविका के लिए संघर्षरत् किसानों को जीवन निर्वाह हेतु सहायता प्राप्त होगी, साथ ही यह उनकी समृद्धि के लिए प्रोत्साहन भी प्रदान करेगा।
- चूंकि लाभ किसी भी फसल के उत्पादन से संबद्ध नहीं हैं, MSP के मामले के विपरीत, परिणामी आपूर्ति-मांग असंतुलन न्यूनतम होगा।
- यह उन किसानों को सहायता प्रदान करेगा जो अभी भी क्रय केंद्रों द्वारा भुगतान में विलंब के समय में ऋण के लि अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हैं। सुनिश्चित पूरक आय कम मूल्य पर विक्रय न किए जाने को बढ़ावा प्रदान करेगा।
- नकद हस्तांतरण से ऋण छूट और सब्सिडी की तुलना में अधिक कुशलता आई है, निर्धन परिवारों को आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को प्रत्यक्ष रूप से खरीदने तथा उनके बाजार विकल्पों को बढ़ाने में सक्षम बनाता है।
- न्यूनतम आय सहायता के साथ, कृषक परिवारों के युवाओं को उद्यम आरंभ करने अथवा उच्च प्रशिक्षण हेतु समय निकालने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
हालाँकि, अभी भी कुछ चिंताएँ विद्यमान हैं:
- 6000 रुपये, उनके मौजूदा आय स्तर का केवल 5-8% हैं, जो उच्च स्तर की ऋणग्रस्तता से निपटने के लिए अपर्याप्त है।
- यह लघु एवं सीमांत किसानों के मध्य अस्थिर ऋण संस्कृति को दूर करने के लिए अपर्याप्त है।
- इससे विद्यमान भू-जोत प्रतिरूपों को और भी अधिक विखंडित होने का जोखिम उत्पन्न होता है।
- प्रचलित योजना के दायरे में काश्तकार और बटाईदार को शामिल नहीं किया गया है।
- यह अकर्मण्यता तथा संपूर्ण धन को निजी आवश्यकताओं के लिए व्यय किए जाने को बढ़ावा प्रदान कर सकती है।
- भू-अभिलेखों के निम्नस्तरीय रखरखाव स्वामित्व के दावे को कठिन बनाएगा आदि।
चूंकि इस योजना से लगभग 12 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान परिवार लाभान्वित हैं, अतः लंबे समय में यह न केवल सर्वाधिक कमजोर किसान परिवारों को सुनिश्चित पूरक आय प्रदान करेगी, बल्कि फसल कटाई से पूर्व उनकी आवश्यकताओं को भी पूरा करेगी।
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