भारत में रक्षा तैयारियों की बढ़ती आवश्यकताओं के संदर्भ में संक्षिप्त विवरण

प्रश्न: भारत में रक्षा बलों के क्षमता निर्माण, आधुनिकीकरण और सामरिक तैयारियों पर अपर्याप्त निधि आवंटन के निहितार्थों की चर्चा कीजिए। साथ ही भारत में रक्षा क्षमताएं बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम सुझाइए।

दृष्टिकोण

  • भारत में रक्षा तैयारियों की बढ़ती आवश्यकताओं के संदर्भ में संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  • क्षमता निर्माण, आधुनिकीकरण और सामरिक तैयारियों पर अपर्याप्त निधि आवंटन के निहितार्थों की चर्चा कीजिए।
  • रक्षा क्षमताओं को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम सुझाइए।

उत्तर

निरंतर विकसित होते भू-राजनीतिक परिवेश तथा पाकिस्तान और चीन के मध्य भारत की भौगोलिक अवस्थति ने क्षमता निर्माण, आधुनिकीकरण और सामरिक तैयारियों में भारत की अग्रसक्रियता (pro-activeness) को आवश्यक बना दिया है। संभावित खतरों का मुकाबला करने और रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए यथोचित और समय पर बजट आवंटन आवश्यक है। इस संदर्भ में, सशस्त्र बलों के उच्चतम पदाधिकारियों सहित अनेक लोगों ने क्षमता निर्माण, आधुनिकीकरण और सामरिक तैयारियों के लिए आवंटित की जाने वाली बजट की राशि को अपर्याप्त बताया है।

अपर्याप्त निधि आवंटन के प्रभाव (Implications of inadequate allocation of funds)

रक्षा क्षमता निर्माण कार्यक्रम (Defence capability building program) के अंतर्गत, मंत्रालय को नई हथियार प्रणालियों से सम्बंधित प्रशिक्षण तथा हथियार प्रणालियों के अधिग्रहण (acquisition) और रख-रखाव के लिए निधि की आवश्यकता होती है।

  • पर्याप्त निधि प्राप्त करने में असमर्थता के कारण सभी तीन सेवाओं की आधुनिकीकरण योजनाओं में असफलता (non Afructification) प्राप्त हो सकती है, जिसका अंततः राष्ट्र की सुरक्षा के साथ समझौते जैसे नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
  • भविष्य की अनिश्चितताओं से निपटने के लिए मंत्रालय की हथियार खरीद योजना (weapon procurement plan) समयबद्ध रूप से पूरी नहीं की जा सकती है। यह विलम्ब हथियार प्रणाली की मांग और आपूर्ति में असंतुलन उत्पन्न कर सकता है।
  • इसके अतिरिक्त, सुरक्षा बलों को नए अधिग्रहित हथियारों और रक्षा प्लेटफार्मों जैसे- विमान, पनडुब्बियों आदि के संचालन में दक्षता प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
  • हथियार प्रणालियों जैसे- विमान, जहाजों और टैंक का जीवन चक्र 40 वर्ष का होता है। हथियारों का संचालन सुनिश्चित करने के लिए जीवन चक्र रख-रखाव समर्थन प्रणाली (life cycle maintenance support system) प्रदान करना महत्वपूर्ण होता है।
  • अधिकांश राशि का उपयोग सशस्त्र बलों की दैनिक कार्यप्रणालियों के लिए हो जाता है जिससे आधुनिकीकरण और नई खरीदों पर व्यय में कटौती करनी पड़ती है।
  • इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में आधारभूत संरचना और आसूचना संग्रहण क्षमताओं का विकास प्रभावित होता है।

सामरिक तैयारियों के अंतर्गत प्रशिक्षण, सुरक्षात्मक और प्रतिक्रियाशील रख-रखाव, ईंधन, भंडार तथा मनुष्य और सामग्री का परिवहन महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। 

  • अंतर-सेवा (inter-service) और अंतः सेवा (intra service), दोनों सन्दर्भो में निरंतर व कठोर प्रशिक्षण के लिए निधि का अभाव किसी एक रक्षा बल के भीतर या तीनों बलों के मध्य निम्न स्तरीय आपसी समन्वय का कारण बन सकता है। इससे, अन्तः क्रियाशीलता (interoperability) से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
  • प्रशिक्षण, सैन्य बलों की निपुणता और टीमवर्क को दक्ष एवं तीव्र बनाने में सहायक है। निधि की अपर्याप्तता से सैनिकों में तैयारी का अभाव रह सकता है। इसका सैन्य बलों के मनोबल पर प्रभाव पड़ता है। राजस्व बजट का सबसे बड़ा घटक वेतन और भत्ते हैं। वेतन और भत्तों की अदायगी में विलम्ब बलों में असंतोष की भावना  उत्पन्न कर सकता है।
  • निम्न स्तरीय गुणवत्ता वाले हथियार, सुरक्षात्मक गियर, बंकर, देख-भाल सुविधाएँ और भोजन भी बलों के मध्य असंतोष को बढ़ाता है।

रक्षा क्षमताओं को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम:

  • सेवाओं के लिए ‘गैर-व्यपगत पूंजीगत निधि खातों (Non-Lapsable Capital fund Account)’ का सृजन, ताकि अप्रयुक्त (underutilized) निधि का बाद में उपयोग किया जा सके।
  • पूंजीगत और राजस्व व्यय के लिए निधि का समय पर और पर्याप्त आवंटन।
  • आवंटित निधि का उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए रक्षा खरीद में उत्तरदायित्व और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
  • रक्षा क्षेत्रक में स्वदेशीकरण तथा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के माध्यम से विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है।
  • FDI नीति और औद्योगिक नीति का उदारीकरण तथा भारतीय निजी और सार्वजनिक क्षेत्रक की कंपनियों को समान अवसर प्रदान करना।
  • स्वदेशी खरीद को प्राथमिकता देने के साथ ही रक्षा खरीद की प्रक्रिया को तीव्र बनाना।
  • भारतीय योजनाओं के लिए अप्रचलित हो चुके हथियारों को अफगानिस्तान जैसे देशों को (जहां इन हथियारों की अभी भी आवश्यकता हो सकती है) बेच कर राजस्व प्राप्त करना।
  • मांग और खरीद के मामलों में सैन्य बलों के मध्य एकजुटता और सहयोग स्थापित करने हेतु स्थायी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति।

Read More

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.