उत्तर प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा की संभावना एवं उपलब्धता पर चर्चा करें।
उत्तर की संरचनाः
भूमिका:
- उत्तर प्रदेश में ऊर्जा की बढ़ती माँग तथा स्वच्छ पर्यावरण की माँग को पूरा करने में नवीकरणीय ऊर्जा के योगदान के संदर्भ में भूमिका लिखें।
मुख्य भाग:
- संक्षेप में नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत (सौर ऊर्जा, लघु जलविद्यत ऊर्जा जैव ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि) को बताएँ।
- उत्तर प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता तथा संभावना का उल्लेख करें।
- संबंधित चुनौतियों को बताएँ।
निष्कर्ष:
- चौबीस घंटे विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित करने में नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका के संदर्भ में निष्कर्ष लिखें।
उत्तर
भूमिकाः
राज्य के विकास के साथ-साथ ऊर्जा की माँग में निरंतर वद्धि हो रही है। ऊर्जा को परम्परागत स्रोतों के सीमित एवं प्रदषणकारी होने के कारण नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को उच्च प्राथमिकता प्रदान का जा रहा है।
मुख्य भाग:
उत्तर प्रदेश की ग्लोब पर स्थिति 23°32′ से 30°24′ उत्तरी अक्षांश तथा 77°05′ से 84°38′ पूर्वी देशांतर के मध्य है। जिससे राज्य वर्ष भर सूर्य की रोशनी प्राप्त करता है। यह स्थिति सौर ऊर्जा के विकास के अनुकूल है।
राज्य में बड़ी नदियों की सहायक छोटी नदियों एवं नहरों से लघु स्तर पर जलविद्युत प्राप्त किया जा सकता है। राज्य में हिमालय से सटे तराई क्षेत्रों में 80 मीटर से ऊँचे स्थानों पर पवन ऊर्जा की विकास की पर्याप्त संभावना है।
राज्य का पशुधन तथा गन्ना उत्पादन में देश में प्रथम स्थान है जो बायोमास ऊर्जा उत्पादन को बल प्रदान करता है।
सौर ऊर्जाः उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा की संभावित क्षमता 22.3 गीगावॉट है। इस क्षमता को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति, 2017’ घोषित की है। इस नीति का उद्देश्य निजी क्षेत्र के सहयोग से 10.7 गीगावॉट (इसमें 4300 मेगावॉट सोलर रूफटॉप परियोजनाओं हेतु निर्धारित) सौर ऊर्जा का उत्पादन का लक्ष्य 2022 तक प्राप्त करना है।
सौर ऊर्जा विकास के लिए निम्नलिखित परियोजनायें संचालित की जा रही हैं-
- मिर्जापुर में राज्य के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की गयी है जिसकी उत्पादन क्षमता 75 मेगावॉट है।
- सोलर मिशन के तहत राज्य में निजी क्षेत्र द्वारा बांदा, झांसी व बदायूं में कुल 100 मेगावॉट की ग्रिड कनेक्टेड परियोजनायें स्थापित की गयी हैं।
- केन्द्र एवं राज्य सरकार के अनुदान पर राज्य के नेडा कार्यालयों (प्रत्येक जनपद) से सोलर घरेलु लाइट, सोलर लालटेन, सोलर स्ट्रीट लाइट, सोलर फोटो-वोल्टोइक पम्प आदि का वितरण किया जा रहा है।
पवन ऊर्जाः केन्द्रीय संस्था एम.एन.आर.ई. की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 80 मी. की ऊँचाई पर पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन का 1260 मेगावॉट की क्षमता उपलब्ध है। __वर्तमान में टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड द्वारा दो विण्ड मॉनीटरिंग मास्ट शाहजहाँपुर व खीरी जिले में स्थापित किये गये हैं। यूपीनेडा द्वारा ऐसे मास्ट गोण्डा, बलरामपुर व सिद्धार्थ नगर में स्थापित कराये गये हैं।
बायोमास ऊर्जाः राज्य में बायोमास ऊर्जा प्राप्ति हेतु विभिन्न परियोजनायें संचालित की जा रही हैं
- कम्बस्शचन बेस्ड बायोमास पॉवर प्रोजेक्ट- राज्य में निजी क्षेत्र के सहयोग से ग्रिड संयोजित इस तरह के तीन विद्युत प्लांट गाजीपुर, मथुरा व कानपुर में स्थापित किये गये हैं। इन प्लाटों की कुल क्षमता 38 मेगावॉट है।
- बायोमास गैसीफायर संयंत्र- प्रदेश की 171 से अधिक औद्योगिक इकाइयों द्वारा विभिन्न क्षमता के गैसीफायर संयंत्रों की स्थापना से 41.65 मेगावाट विद्युत क्षमता सृजित हुई है।
- लखनऊ में कूड़े-कचरे पर आधारित 5 मेगावॉट की एक विद्युत प्लांट की स्थापना की गयी है।
- 6 चीनी मिलों में उपलब्ध खोई (बगाज) से राज्य के विभिन्न जिलों में 65 निजी क्षेत्र के चीनी मिलों द्वारा कुल 1900 मेगावॉट की परियोजनाएँ स्थापित की गयी हैं।
लघु जलविद्युतः राज्य सरकार द्वारा 2009 में लघु जलविद्युत नीति की घोषणा की गयी। इसके अनुसार 15 मेगावॉट तक की जल विद्युत परियोजनाओं का नोडल एजेंसी यूनीनेडा को बनाया गया है। केन्द्र सरकार की एमएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य की नहरों में 460 मेगावॉट विद्युत की क्षमता उपलब्ध है। जिनमें से अभी तक मात्र 25 मेगावॉट क्षमता की ही लघु परियोजनायें स्थापित की गयी हैं। यूपीनेडा राज्य में 10 से अधिक परियोजनाओं को चिन्हित कर उन्हें लगाने का प्रयास कर रही है।
चुनौतियाँ:
पूँजी एवं तकनीक की कमी तथा भूमि अधिग्रहण में आने वाली समस्याओं से परियोजनाओं के विकास की गति धीमी हुई है।
निष्कर्षः
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार के सहयोग एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी निरतर प्रयास कर रही है। जिससे राज्य को स्वच्छ एवं पर्यावरण अनुकूल चौबीस घंटे विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।