‘गठबंधन की राजनीति’ से आप क्या समझते हैं? उत्तर प्रदेश में गठबधन का राजनातिक उद्भव पर चर्चा करें।

उत्तर की संरचनाः

भूमिका:

  • संक्षेप में ‘गठबंधन की राजनीति’ के उद्भव अथवा महत्व के संदर्भ में भूमिका दें।

मुख्य भाग:

  • ‘गठबंधन की राजनीति’ को परिभाषित करते हुए उसकी विशेषताओं को बताएं।
  • उत्तर प्रदेश में ‘गठबंधन की राजनीति’ के उद्भव एवं विकास को उदाहरण सहित बताएं।

निष्कर्ष:

  • बताएं कि किस तरह गठबंधन राजनीति की नकारात्मक प्रभाव को नियंत्रित करते हुए इससे लाभ उठाया जाए।

उत्तर

भूमिकाः

भारत में ‘गठबंधन की राजनीति’ का उद्भव एवं विकास मुख्यतः 1967 से हुआ। जिसने सरकार में एक पार्टी के वर्चस्व को कम किया।

मुख्य भागः

जब किसी संसदीय व्यवस्था में एक से अधिक दल मिलकर सरकार बनाते हैं जिससे किसी सरकार में किसी एक दल का एकाधिकार नहीं होता है अर्थात् विभिन्न विचारधारा वाले दल एक साथ मिलकर शासन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय राजनीति का दरवाजा है जबकि उत्तर प्रदेश भी गठबंधन की राजनीति से बहुत अधि क प्रभावित है।

  • गठबंधन राजनीति का मुख्य कारण किसी एक दल द्वारा बहुमत प्राप्त नहीं कर पाना होता है।
  • गठबंधन की सरकार क्षेत्रीय विषमता को दूर करने में एक दलीय सरकार से अधिक प्रभावी होती है।
  • यह अधिक गतिशील और लोकतांत्रिक होती है।
  • गठबंधन की राजनीति सदैव नकारात्मक नहीं होती है बल्कि देश की विविधता की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में भी सकारात्मक भूमिका निभाता है।
  • गठबंधन सरकार में विभिन्न विचारधाराओं तथा लोगों का प्रतिनिधित्व होता है जिससे सभी का विकास संभव हो पाता है।
  • गठबंधन सरकार में सबसे अधिक सीट वाले दल के पास तुलनात्मक रूप से अन्य दलों की अपेक्षा अधिक शक्ति होती है।
  • गठबंधन सरकार अस्थायी होती है जिससे दीर्घकालिक नीतियों के निर्माण तथा क्रियान्वयन नहीं हो पाता है। जिससे स्थिर विकास नहीं हो पाता है।
  • गठबंधन सरकार में अपारदर्शिता अधिक होती है तथा त्वरित निर्णय लेना अत्यंत कठिन होता है।

उत्तर प्रदेश में गठबंधन की राजनीति

  • स्वतंत्रता पश्चात् से लेकर 1967 तक उत्तर प्रदेश में एक ही दल (कांग्रेस) का वर्चस्व एवं एकाधिकार था। लेकिन 1967 में कांग्रेस की स्थिति उत्तर प्रदेश में कमजोर हुई जिससे उत्तर प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रीय दलों का उद्भव हुआ। फलस्वरूप उत्तर प्रदेश में गठबंधन सरकार की उत्पत्ति हुई।
  • 1989 में विभिन्न क्षेत्रीय दलों यथा- बीएसपी, एसपी और बीजेपी आदि की स्थिति उत्तर प्रदेश में मजबूत हुई जिससे गठबंधन की राजनीति के विकास को बल मिला।
  • उत्तर प्रदेश जैसे विविधतापूर्ण राज्य में किसी एक पार्टी द्वारा समाज के सभी वर्गों की आवश्यकताओं को पूर्ण कर पाना अत्यंत कठिन है। अतः यहाँ गठबंधन सरकार की भूमिका बढ़ जाती है।
  • गठबंधन सरकार में किसी एक सरकारी योजना पर दलों के बीच असहमति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे न सरकार के गिरने की संभावना बढ़ जाती है। जैसे- एस.पी., बी.एस.पी., बी.जे.पी. आदि दलों में गठन जा अपने कार्यकाल को पर्ण नहीं कर पाया तथा भ्रष्टाचार जैसी समस्याओ को जन्म दिया
  • उत्तर प्रदेश में गठबंधन राजनीति की तीव्रता अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है।
  • उत्तर प्रदेश में अवसरवादी ‘गठबंधन राजनीति’ का प्रारूप विद्यमान है।

निष्कर्षः

अवसरवादी गठबंधन राजनीति को नियंत्रित करते हुए स्वस्थ गठबंधन राजनीति को प्रोत्साहित किया जाना चाहि देश या प्रदेश की विविधता में एकता की भावना को मजबूत करने में सहायक हो।

 

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