भारत में पेट्रोलियम, रसायन और पेट्रोरसायन निवेश क्षेत्रों (PCPIRs) की अवधारणा

प्रश्न: भारत में पेट्रोलियम, रसायन और पेट्रोरसायन निवेश क्षेत्रों (PCPIRs) की अवधारणा, उद्देश्यों एवं वितरण का सविस्तार वर्णन कीजिए। साथ ही, परीक्षण कीजिए कि PCPIRs वांछित सफलता प्राप्त करने में क्यों विफल रहे हैं।

दृष्टिकोण

  • PCPIRs को परिभाषित करते हुए उत्तर आरम्भ कीजिए।
  • PCPIRs के उद्देश्यों एवं वितरण का उल्लेख कीजिए।
  • उनकी वांछित प्रगति के अभाव हेतु उत्तरदायी कारणों की चर्चा कीजिए।

उत्तर

वर्ष 2007 में PCPIR नीति प्रस्तुत की गई। यह नीति पेट्रोलियम, रसायनों और पेट्रोरसायनों से संबंधित सेवाओं और अवसंरचना के साथ इसके घरेलू और निर्यात आधारित उत्पादन हेतु विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना के लिए योजनाबद्ध निवेश क्षेत्र का प्रावधान करती है। यह क्षेत्र लगभग 250 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है।

ये अवसंरचना चालित और क्लस्टर आधारित परियोजनाएं हैं जिनमें भारत सरकार व्यवहार्यता अंतराल वित्तपोषण (VGF) के माध्यम से रेल, सड़क, बंदरगाह, विमानपत्तन, दूरसंचार जैसे बाह्य भौतिक अवसंरचनात्मक संपर्कों के विकास में सहायता प्रदान करेगी।

PCPIRs नीति के उद्देश्य 

  • निवेश को प्रोत्साहित करना तथा देश को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाना।
  • विनिर्माण में वृद्धि करने हेतु निर्यातों में वृद्धि और रोजगार का सृजन करना। 
  • क्षेत्र में साझा अवसंरचना और सहायक सेवाओं के प्रयोग के माध्यम से सह-स्थल चयन, नेटवर्किंग तथा अत्यधिक कुशलता संबंधी लाभ प्रदान करना।
  • व्यवसायों की स्थापना हेतु अनुकूल एक प्रतिस्पर्धी परिवेश का सृजन करना।

PCPIRS का वितरण

  • दाहेज PCPIR: यह गुजरात में खम्भात की खाड़ी के निकट भरूच के दाहेज में स्थित है। यह रेल, सड़क, सागर और वायु कनेक्टिविटी की रणनीतिक अवस्थिति पर स्थित है। इसे दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (DMIC) हेतु एक केंद्र के रूप में भी स्वीकार किया गया है।
  • आंध्रप्रदेश PCPIR-विशाखापत्तनम: आंध्रप्रदेश PCPIR एक विशेष रूप से निरुपित निवेश क्षेत्र है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 603 वर्ग किलोमीटर है। यह निवेश क्षेत्र निर्यात आधारित उत्पादन हेतु स्थापित किया गया है।
  • पारादीप PCPIR: यह ओडिशा में स्थित है तथा इसका क्षेत्रफल 284.15 वर्ग किलोमीटर है। यह भी रणनीतिक अवस्थिति पर स्थित है।
  • तमिलनाडु PCPIR: इसके तहत तटीय कुड्डलोर – नागपट्टिनम पट्टी के साथ 318 वर्ग किलोमीटर का विकसित क्षेत्र है।

नीति का मूल्यांकन 

  • उद्योग यह अनुभव करते हैं कि PCPIR में एंकर टेनन्ट डाउनस्ट्रीम इकाइयों हेतु फीडस्टॉक को त्याग नहीं रहे हैं तथा वे उपलब्ध बहुलकों को व्यापक बहुलकों में परिवर्तित कर रहे हैं।
  • भू-अधिग्रहण भी एक बाधा बनी हुई है, क्योंकि इस संदर्भ में न्यूनतम भूमि आकार अधिग्रहण मानदंड 250 वर्ग किलोमीटर है, परन्तु सरकार इसे 50 वर्ग किलोमीटर तक कम करने की योजना बना रही है।
  • केंद्र और राज्य सरकारों के मध्य समन्वय सुनिश्चित करने संबंधी मुद्दे भी विद्यमान हैं।
  • अंततः इस क्षेत्र में अनुमानित निवेश से कम निवेश हुआ हैं। PCPIRs में अवसंरचनात्मक सुविधाओं में विदेशी और साथ ही साथ घरेलू अभिकर्ताओं से अधिक निवेश आकर्षित करने की आवश्यकता है।

भारत की लम्बी तटरेखा और वृहद् परिष्करण क्षमता PCPIRs की वृद्धि में अनुपूरक हो सकती है। उपर्युक्त दोषों का निवारण पेट्रोलियम क्षेत्रक हेतु निर्णायक कारक सिद्ध हो सकता है।

Read More

 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.