पारं-राष्ट्रीय संगठित अपराधों (TOCs) और इसकी अभिव्यक्ति के विभिन्न रूपों के संबंध में संक्षिप्त चर्चा

प्रश्न: पार-राष्ट्रीय संगठित अपराधों (ट्रांसनेशनल ऑर्गेनाइज्ड क्राइम्स: TOCs) को रोकने, पता लगाने, जाँच करने और अभियोजित करने में आने वाली कठिनाइयों से निपटने के लिए UNODC (यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग एंड क्राइम्स) ने एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया है। इन कठिनाइयों का सविस्तार वर्णन करते हुए, चर्चा कीजिए कि किस तरह एक एकीकृत दृष्टिकोण से TOCs से निपटने में सहायता मिल सकती है।

दृष्टिकोण

  • पारं-राष्ट्रीय संगठित अपराधों (TOCs) और इसकी अभिव्यक्ति के विभिन्न रूपों के संबंध में संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  • TOCs को रोकने, पहचानने, जाँच करने तथा अभियोग चलाने जैसी विशेष कठिनाइयों पर चर्चा कीजिए।
  • TOCs से निपटने हेतु एक एकीकृत दृष्टिकोण को रेखांकित कीजिए।

उत्तर

पार-राष्ट्रीय संगठित अपराध (TOC) सुनियोजित अपराध है जिसका संचालन राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार होता है। इसमें अवैध व्यावसायिक उपक्रमों की योजना और निष्पादन हेतु एक से अधिक देशों में कार्यरत व्यक्तियों का नेटवर्क या समूह शामिल होता है।

आतंकवाद के साथ इसके नजदीकी संबंधों के कारण यह राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय, दोनों प्रकार की सुरक्षा के लिए एक गम्भीर चिंता का कारण बना हुआ है। आतंकवादी समूह TOC के द्वारा हथियारों, व्यक्तियों एवं ड्रग्स की तस्करी, प्राकृतिक संसाधनों के अवैध व्यापार, फिरौती के लिए अपहरण और बैंक डकैती के माध्यम से लाभ उठाते हैं। राष्ट्रीय सीमाओं के परे फैले होने के कारण TOC को रोकने, पहचानने, जाँच करने तथा इससे सम्बंधित मामलों में अभियोग चलाने जैसी कठिनाइयां उत्पन्न होती हैं। इसे निम्नलिखित कारकों के द्वारा समझा जा सकता है:

रोकथाम

  • हथियारों के अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के लिए कमजोर निवारक, विनियामक तथा सुरक्षा उपाय।
  • राज्य समर्थित आतंकवाद के कारण छिद्रिल सीमाओं से संलग्न क्षेत्रों में अपराधों की रोकथाम कठिन हो जाती है।
  • हथियारों के गैर-लाइसेंसी विनिर्माण में वृद्धि।

पहचान

  • जटिल और गतिशील गुप्त गतिविधियाँ तथा नियमित सूचना प्रवाह का अभाव, कमज़ोर आसूचना नेटवर्क।
  • छिद्रिल सीमाएं तथा दुर्बल सीमा नियंत्रण क्षमता।
  • तस्करी की आधुनिक तकनीकों तथा नवीन प्रवृतियों एवं साधनों का प्रयोग, उदाहरण के लिए 3D बंदूकें, कई भागों में बाँटकर तस्करी करना इत्यादि।

जांच 

  • आग्नेयास्त्रों (firearms) की तस्करी के जटिल मामलों तथा आतंकवाद से इसके सम्पर्कों की जाँच करने हेतु विशेषीकृत कौशल का अभाव। ।
  • कानून प्रवर्तन एजेंसियों तथा अभियोजकों के मध्य अपर्याप्त सूचना विनिमय एवं समन्वय।
  • सक्रिय जाँच दृष्टिकोणों का अभाव।

अभियोजन

  • कमज़ोर और पुराने हो चुके विधायी और संस्थागत फ्रेमवर्क्स।
  • अभियोजन और प्रत्यर्पण हेतु अपर्याप्त न्यायिक सहयोग तथा द्विपक्षीय समझौते।

संगठित अपराधों का सामना करने हेतु प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा सूचना विनिमय को प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता है। इसके लिए निम्नलिखित पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ एक एकीकृत दृष्टिकोण को अपनाए जाने की आवश्यकता है:

विधायी और नीतिगत विकास

  • विधायी व्यवस्था और अंतर विश्लेषण के व्यापक आकलन के साथ UNTOC और प्रोटोकॉल का समर्थन, अनुमोदन और कार्यान्वयन।
  • अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय साधनों के मध्य तालमेल को प्रोत्साहन और विधिक साधनों का विकास।

निवारक और सुरक्षात्मक उपायों का क्रियान्वयन:

  • आग्नेयास्त्रों के चिह्नांकन को समर्थन प्रदान करना तथा उनका प्रभावी रिकॉर्ड रखना।
  • आग्नेयास्त्रों और गोली बारूदों एवं आयुध भंडारों की सुरक्षा एवं संरक्षा।
  • संदिग्ध लेन-देन की पहचान हेतु क्रिप्टोकरेंसी जांच प्रशिक्षण।

आपराधिक न्याय प्रतिक्रिया का सुदृढीकरण: 

  • तस्करी के विभिन्न रूपों तथा इसके आतंकवाद और संगठित अपराध से सम्पर्क की पहचान, जाँच और अभियोजन हेतु राष्ट्रीय क्षमता को सशक्त बनाना।
  • कानून के प्रवर्तन और न्यायिक स्तर पर अधिक सक्रिय जाँच उपागमों, विशेष जांच तकनीकों के वृहत प्रयोग, अधिक संचालनात्मक सहयोग तथा अंतर-अनुशासनात्मक कार्यवाहियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
  • व्यापक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम।

अंतराष्ट्रीय सहयोग तथा सूचना विनिमय

  • विशिष्ट तस्करी मार्गों से संलग्न क्षेत्रों के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा सूचना विनिमय, क्षेत्रीय और पार क्षेत्रीय बैठकों के माध्यम से सहयोग को समर्थन।
  • ट्रेसिंग (tracing) और आपराधिक जांचों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन।
  • बेहतर जाँच / सहयोग प्रथाओं (cooperation practices) के मामलों का संग्रहण और विकास।

TOC एक निरंतर परिवर्तनशील उद्योग है जो बाजार से अनुकूलन कर रहा है तथा अपराधों के नए रूपों का सृजन कर रहा है। संक्षेप में यह एक अवैध व्यापार है जो सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई तथा भौगोलिक सीसाओं का अतिक्रमण करता है तथा सीमाओं और नियमों को स्वीकार नहीं करता। अत: UNODC द्वारा समर्थित एक एकीकृत दृष्टिकोण इस संदर्भ में एक आवश्यक कदम है।

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