ओजोन छिद्र निर्माण की परिघटना : बसंत ऋतु के प्रारंभ में अंटार्कटिक क्षेत्र के ऊपर ओजोन छिद्र के निर्माण के कारण

प्रश्न: उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में CFCs के प्रमुख उत्सर्जक होने के बावजूद, ओजोन छिद्र निर्माण की परिघटना मुख्य रूप से ध्रुवीय क्षेत्रों तक ही सीमित है और वह भी बसंत ऋतू के प्रारंभ में अंटार्कटिक के ऊपर। सविस्तार वर्णन कीजिए।

दृष्टिकोण

  • ओजोन छिद्र निर्माण की परिघटना को संक्षिप्त में समझाइए।
  • वर्णन कीजिए कि क्यों ओजोन छिद्र निर्माण की परिघटना मुख्य रूप से ध्रुवीय क्षेत्रों तक ही सीमित है।
  • बसंत ऋतु के प्रारंभ में अंटार्कटिक क्षेत्र के ऊपर ओजोन छिद्र के निर्माण के कारणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर

ओजोन छिद्र निर्माण पृथ्वी के वायुमंडल के समतापमंडल में स्थित ओजोन परत के क्षरण की परिघटना है जिसके कारण सूर्य से आने वाले पराबैंगनी विकिरण की अत्यधिक मात्रा पृथ्वी की सतह तक पहुंच जाती है।

ओजोन छिद्र के निर्माण का प्रमुख कारण मानव निर्मित रसायनों जैसे CFCs और ओजोन अवक्षयकारी पदार्थों (ODS) यथा क्लोरीन और ब्रोमाइन का अत्यधिक उपयोग है। पृथ्वी की सतह से उत्सर्जित होने के पश्चात, ये यौगिक तीव्र पवनों के ऊर्ध्वाधर संचरण के माध्यम से समतापमंडल में पहुंच जाते हैं। इसके पश्चात, समतापमंडलीय पवनें इन गैसों को ऊपरी परतों और दोनों गोलार्डों में ध्रुवों की ओर प्रवाहित करती हैं। यहाँ ये पदार्थ प्रकाशिक वियोजन (फोटोडिसोसिएशन) के माध्यम से हेलोजन परमाणुओं को विमुक्त करते हैं, जो ओजोन (O3) के ऑक्सीजन (O2) में विघटन को उत्प्रेरित करते हैं।

ODS पदार्थ समतापमंडल में पायी जाने वाली सम्पूर्ण ओजोन परत में उपस्थित होते हैं। हालांकि, अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन परत के अत्यधिक अवक्षय को “ओजोन छिद्र” के रूप में जाना जाता है। अंटार्कटिक क्षेत्र में ओजोन छिद्र के निर्माण का प्रमुख कारण यहाँ मौजूद विशिष्ट वायुमंडलीय और रासायनिक परिस्थितियां हैं जो पृथ्वी पर कहीं और विद्यमान नहीं हैं।

ध्रुवीय क्षेत्रों में प्रवाहित समतापमंडलीय वायु, शीत ऋतु में दीर्घ अवधि तक अन्य समतापमंडल क्षेत्रों से पृथक रहती है। पृथकता की यह स्थिति ध्रुवीय भंवर के कारण उत्पन्न होती है जो वायु के ध्रुवीय समतापमंडल के अन्दर और बाहर पवनों के पर्याप्त प्रवाह को प्रतिबंधित करते हैं। ध्रुवीय भंवर, ध्रुवों पर तीव्र वृताकार पवनों के परिसंचरण कारण उत्पन्न होते हैं।

शीत ऋतु में, विशेषतः अंटार्कटिका क्षेत्र में, समतापमंडलीय तापमान के कम होने के कारण यह परिसंचरण प्रबल हो जाता है। शीत ऋतु में बेहद कम तापमान के कारण अंटार्कटिक समतापमंडल में ध्रुवीय समतापमंडलीय बादलों (PSCs) का निर्माण होता है। PSCs पर होने वाली अभिक्रियाएं, सापेक्षिक रूप से पृथक ध्रुवीय समतापमंडलीय वायु के साथ संयुक्त होकर, बसंत ऋतु के प्रारंभ में अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन छिद्र का निर्माण करने के लिए क्लोरीन और ब्रोमाइन अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करती हैं।

शीत ऋतु में तापमान के -78 डिग्री सेल्सियस से कम होने की स्थिति में, ध्रुवीय समतापमंडलीय बादल (PSCs) आर्कटिक की तुलना में अंटार्कटिक में वृहद क्षेत्रों में और दीर्घ अवधि तक विद्यमान रहते हैं, इस प्रकार ये ओजोन परत को क्षति पहुंचाने वाले उत्तरदायी प्रदूषकों का अधिक संकेन्द्रण करते हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु (सितंबर से नवंबर) के दौरान, उच्च सूर्यातप की लंबी अवधि के कारण यह प्रक्रिया तीव्र हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप अंटार्कटिक क्षेत्र में ओजोन परत (60% तक) का तीव्र अवक्षय होता है।

हालाँकि उत्तरी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु (मार्च-मई) के दौरान आर्कटिक क्षेत्र में भी ओजोन परत का अवक्षय होता है परन्तु यह अंटार्कटिक की तुलना में कम है। इस कमी का कारण आर्कटिक में शीत ऋतु के न्यूनतम तापमान का अंटार्कटिक से अधिक होना है। इस प्रकार, आर्कटिक में PSCs के निर्माण के लिए आदर्श तापमान उपलब्ध नहीं होता है, जिससे यहां ओजोन परत का अधिक अवक्षय नहीं होता है। अंटार्कटिक में, PSCs कई माह तक विद्यमान रहते हैं और ओजोन परत के अवक्षय का कारण बनते हैं।

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