सार्वजनिक पदधारकों के लिए नैतिक मानक : नोलन समिति

प्रश्न: सार्वजनिक पदधारकों के लिए नैतिक मानक क्या हैं, नोलन समिति इसका एक सर्वाधिक विशद विवरण प्रदान करती है। सविस्तार वर्णन कीजिए।

दृष्टिकोण

  • सार्वजनिक जीवन में नैतिक सिद्धांतों की आवश्यकता एवं जिस आधार पर इन्हें सर्वाधिक व्यापक माना जा सकता है, को रेखांकित करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • नोलन समिति द्वारा प्रस्तावित मूल्यों के समूह एवं सुदृढ़ नैतिक संरचना के सृजन में इनकी भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  • निष्कर्ष में इनको क्रियान्वित करने हेतु कुछ उपाय सुझाइए।

उत्तर

जब विधि, नियमों एवं प्रक्रियाओं के अंतर्गत प्रत्येक कार्यवाही स्पष्ट एवं परिभाषित होती है, तो कार्यों के निष्पादन की पद्धति सामान्यतः उत्तरदायी व्यक्ति के निर्णय पर निर्भर करती है। एक सिविल सेवक को तथ्यों के आधार पर निर्णयन करना होता है, परंतु उसके द्वारा किन तथ्यों का चयन और उपेक्षा की जाती है, या उनके एकत्रण में कितना समय व्यतीत किया है, इसी से यह गणना की जाती है कि उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य का निर्वहन पूर्ण एवं नैतिक रूप से किया गया है अथवा नहीं।

लोक सेवकों को निर्णय तक पहुंचने के लिए एक निश्चित स्तर तक विवेक का उपयोग करना होता है, क्योंकि कानून, नियमों एवं विनियमों द्वारा उनके कार्य के प्रत्येक पहलू को परिभाषित नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार के मामलों में लोक सेवकों को उनके कर्तव्यों की पूर्ति करने में मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए नैतिक मानदंड महत्वपूर्ण हो जाते हैं। यूनाइटेड किंगडम में कमेटी ऑन स्टैंडर्ड्स इन पब्लिक लाइफ (नोलन समिति) द्वारा सात सर्वाधिक व्यापक नैतिक सिद्धांतों को निर्धारित किया गया है। इनका अनुप्रयोग सभी लोकतांत्रिक देशों में तथा सार्वजनिक जीवन की अधिकांश जटिल दुविधाओं हेतु प्रासंगिक है।

  • निःस्वार्थता- निःस्वार्थता द्वारा इस विचार को आत्मसात करने का प्रयास किया जाता है कि एक लोक सेवक द्वारा सदैव जन सामान्य के हितों को अपने हितों की तुलना में अधिक वरीयता प्रदान की जानी चाहिए। यह सिद्धांत हितों के टकराव की स्थिति से निपटने में सहायता प्रदान करता है।
  • सत्यनिष्ठा- सत्यनिष्ठा लोक अधिकारियों से उनके कथन एवं कार्यों में किसी बाह्य प्रभाव से अप्रभावित रहने की मांग करती है। यह सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा उनके कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण ईमानदारी से करने हेतु महत्वपूर्ण होती है।
  • वस्तुनिष्ठता- एक वस्तुनिष्ठ सिविल सेवक मौजूदा तथ्यों के आधार पर कार्यवाही करता है। यह जन सामान्य में विश्वास का सृजन करने एवं दक्षता में वृद्धि करने हेतु सहायता करती है।
  • उत्तरदायिता- उत्तरदायिता का सिद्धांत लोक सेवकों को जन सामान्य एवं कानून व्यवस्था के प्रति उनकी कार्यवाही हेतु उत्तरदायी बनाता है। यह सुशासन को सुनिश्चित करता है।
  • स्पष्टता/पारदर्शिता- यह सिद्धांत जन सामान्य को सूचनाएं (जब तक की सूचना को गोपनीय बनाए रखना आवश्यक न हो) प्रदान करने की आवश्यकता पर बल देता है।
  • ईमानदारी- एक ईमानदार अधिकारी किसी संघर्ष के मामले संबंधी सभी महत्वपूर्ण तथ्यों की घोषणा करता है और स्वेच्छा से इस प्रकार के संघर्षों का समाधान करने का प्रयास करता है।
  • नेतृत्व- नेतृत्व का सिद्धांत लोक सेवकों द्वारा उदाहरणों तथा व्यापक दृष्टिकोण के साथ विभिन्न संगठनों एवं जन सामान्य का नेतृत्व करने की मांग करता है।

उपर्युक्त सभी मानक लोक अधिकारियों को न केवल कठिन स्थिति का समाधान करने हेतु प्रेरित करते हैं, बल्कि समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने में भी सहायता करते हैं। इन मानकों को नैतिक संहिता, आचार संहिता और प्रशिक्षण के माध्यम से क्रियान्वित किया जाना चाहिए।

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