नीतिपरक आचार संहिता और सिविल सेवा के मूल्य
प्रश्न : भर्ती प्रक्रिया के दौरान सिविल सेवा के मूल्यों को प्राथमिकता दिया जाना और नियुक्ति के उपरांत नीतिपरक आचार संहिता के माध्यम से उन्हें सुनिश्चित करना, सिविल सेवाओं को नागरिक केंद्रित शासन का एक प्रभावी साधन बनाने हेतु एक आवश्यक शर्त है। टिप्पणी कीजिए।
दृष्टिकोण
- नीतिपरक आचार संहिता और सिविल सेवा के मूल्यों को संक्षेप में परिभाषित कीजिए।
- सिविल सेवकों की भर्ती प्रक्रिया के दौरान सिविल सेवा के मूल्यों को प्राथमिकता दिये जाने और नियुक्ति के उपरांत नीतिपरक आचार संहिता के माध्यम से उन्हें सुनिश्चित किये जाने के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- मूल्यांकन कीजिए कि क्या यह नागरिक केंद्रित शासन का एक प्रभावी साधन है।
उत्तर
सिविल सेवक राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं क्योंकि वे दूरगामी प्रभाव डालने में सक्षम नीतियों एवं कार्यक्रमों पर परामर्श देते हैं और उनका कार्यान्वयन करते हैं। चूंकि वे निर्णयकर्ता की भूमिका में होते हैं, इसलिए यह आवश्यक है कि वे जिस शक्ति का प्रयोग करें वह उचित और न्यायसंगत हो। इसे आंतरिक एवं बाह्य, दोनों स्तरों पर सुनिश्चित किया जाना चाहिए। सामान्य तौर पर किसी भी व्यक्ति के आंतरिक मूल्यों का 20 से 30 वर्ष की आयु के मध्य पूर्ण विकास हो जाता है, अतः यह आवश्यक हो जाता है कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान इनकी जांच की जाए और इन्हें प्राथमिकता दी जाये। इस प्रकार यह सुनिश्चित करने हेतु प्रयास किए जाने चाहिए कि सिविल सेवाओं में शामिल होने वाला अभ्यर्थी न केवल सबसे बुद्धिमान और कड़ी मेहनत करने वाला बल्कि सर्वाधिक नैतिक भी हो।
हालांकि, दूरगामी प्रभाव डालने वाले निर्णय लेने हेतु मात्र आंतरिक स्तर पर नैतिक होना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः सुशासन सुनिश्चित करने हेतु नौकरशाही की संस्था पर बाह्य स्तर पर आरोपित आचार संहिता तथा सामान्य नीतिपरक आचार संहिता की भी आवश्यकता होती है।
नीतिपरक आचार संहिता का आशय किसी संगठन द्वारा अपने कर्मचारियों एवं प्रबंधन को जारी किए गए दिशा-निर्देशों की एक श्रृंखला से है, जोकि उन्हें संगठन के प्राथमिक मूल्यों और नैतिक मानकों के अनुसार कार्यों के संचालन में सहायता प्रदान करती है। सिविल सेवाओं के लिए नीतिपरक आचार संहिता एवं मूल्यों के मूलभूत सिद्धांतों के अंतर्गत सत्यनिष्ठा, सहानुभूति, निष्पक्षता, पारदर्शिता, पेशेवर योग्यता इत्यादि सम्मिलित हैं।
लाल फीताशाही, भ्रष्टाचार, अनम्य दृष्टिकोण, विवेकाधीन निर्णयों में आने-वाले तनाव और दबाव से सम्बंधित मुद्दे आदि किसी सिविल सेवक के नियोजन के दौरान उसकी दक्षता को प्रभावित करते हैं और इसलिए नैतिक आचार संहिता की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
सिविल सेवा का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य नागरिक केंद्रित शासन के स्तर तक पहुँचना है जिसके अंतर्गत शिकायत निवारण तंत्र, नागरिकों की सक्रिय भागीदारी, उत्तरदायित्व और नागरिकों का अधिकतम कल्याण इत्यादि सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त, सेवाओं को सभी नागरिकों को प्रभावशाली ढंग से, कुशलतापूर्वक तथा समान रूप से प्रदान किया जाना चाहिए। निःसंदेह इसे सिविल सेवा मूल्यों के अनुपालन के बगैर प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
इस संदर्भ में, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत में सिविल सेवकों के लिए कोई नीतिपरक आचार संहिता उपलब्ध नहीं है। हालांकि, केन्द्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम इत्यादि जैसे कुछ आचरण सम्बन्धी नियम विद्यमान हैं, जो संविधान के प्रति निष्ठा, राजनीतिक रूप से तटस्थ रहकर कार्य करने और वस्तुनिष्ठ निर्णय लेने के प्रति निष्ठा को सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं। ध्यातव्य है कि विभिन्न समितियों यथा संथानम समिति, होता कमेटी, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2nd ARC) इत्यादि ने भारत में सिविल सेवाओं हेतु एक नीतिपरक आचार संहिता की अनुशंसा की है।
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