भीड़ प्रबंधन हेतु NDMA के दिशा-निर्देश

प्रश्न: यद्यपि भारत में सार्वजनिक स्थलों पर अत्यधिक भीड़भाड़ को कम नहीं किया जा सकता है, तथापि हमें बेहतर अवसंरचना और अधिक प्रभावी भीड़-नियंत्रण उपायों की आवश्यकता है। टिप्पणी कीजिए। साथ ही, भीड़ प्रबंधन के लिए NDMA के दिशानिर्देशों को संक्षेप में सूचीबद्ध कीजिए।

दृष्टिकोण

  • विभिन्न भीड़ संबंधित दुर्घटनाओं का उल्लेख करते हुए इन दुर्घटनाओं के प्रति भारत की सुभेद्यता पर प्रकाश डालिए।
  • अवसंरचना को विकसित करने और भीड़-नियंत्रण उपायों की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
  • निष्कर्ष में, भीड़ प्रबंधन हेतु NDMA के दिशा-निर्देशों का वर्णन कीजिए।

उत्तर

अत्यधिक भीड़ वाले स्थानों पर बार-बार होने वाली भगदड़ गंभीर चिंता का विषय है और इसके परिणामस्वरूप अनेक लोगों की मृत्यु तथा आर्थिक नुकसान हुए हैं। सर्वाधिक क्षतिकारक भीड़-आपदाओं में 1997 की उपहार सिनेमा, 1999 की सबरीमाला भगदड़ तथा 2013 में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई आपदाएं सम्मिलित हैं। हाल ही में, मुंबई के एलफिंस्टन ब्रिज पर हुई भगदड़ की घटना से भारत में ऐसी भीड़ आपदाओं को रोकने और इनके शमन की आवश्यकताओं को बल मिला है।

भगदड़, प्रायः किसी कथित खतरे से बचने के प्रयास में, लोगों के अंदर उत्पन्न आवेग के प्रदर्शन के रूप में एक साथ होने वाली अनियंत्रित दौड़ है।

संरचनात्मक कारक और अप्रभावी भीड़ नियंत्रण उपाय, भगदड़ का कारण बनते हैं। संरचनात्मक कारकों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं: 

  • गैर-कानूनी निर्माण के कारण अस्थायी संरचनाओं का गिरना, खड़ी सीढ़ियां और सुरक्षित निकलने के लिए संकीर्ण रास्ते इत्यादि।
  • अस्थायी शिविरों, अनाधिकृत पटाखों, बिजली की खराबी इत्यादि से लगने वाली आग।

अप्रभावी भीड़ नियंत्रण उपाय निम्नलिखित में देखे जा सकते हैं:

  • भीड़ नियंत्रण: दर्शकों/कर्मचारियों की संख्या को कम आँकना, प्रवेश द्वार के सामने सीमित स्थान।
  • भीड़ व्यवहार: बड़ी संख्या में आने और जाने वालों के मध्य टकराव।
  • सुरक्षाः सुरक्षा-कर्मियों की कम संख्या में तैनाती, प्रशिक्षण और वैज्ञानिक योजनाओं का अभाव।
  • हितधारकों के मध्य समन्वय का अभाव: पुलिस, अग्निशमन सेवाओं, PWD इत्यादि एजेंसियों के मध्य समन्वय की कमी।

इस प्रकार संपूर्ण भारत में, सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा दृष्टिकोण हेतु बेहतर अवसंरचना और प्रभावी भीड़-नियंत्रण उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

जनसंख्या विस्फोट और तीव्र शहरीकरण के कारण, भारतीय नगरों में भीड़ संबंधी दुर्घटनाओं की संभावनाएं अधिक हैं। NDMA ने भीड़ प्रबंध करने हेतु अनेक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनके अंतर्गत विस्तृत विषय सम्मिलित हैं। यथा:

  • चिकित्सा सेवाएँ
  • सामान्य सुरक्षा और रक्षा दिशा-निर्देश
  • अग्नि, विद्युत् और संरचनात्मक सुरक्षा दिशा-निर्देश
  • ट्रैफिक प्रबंधन दिशा-निर्देश तथा 
  • घटना की रिपोर्ट प्रणाली पर दिशा-निर्देश

इसके अतिरिक्त, NDMA ने निम्न पर ध्यान केन्द्रित किया है: 

  • क्षमता नियोजन: भीड़ प्रबंधन हेतु अवसंरचनात्मक विकास के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक नियोजन। इसमें आगंतुकों के लिए स्टेजिंग पॉइंट, आगंतुकों की गिनती/निगरानी, भीड़ वाले स्थानों पर अनेक मार्गों का निर्माण इत्यादि सम्मिलित हैं।
  • भीड़ के व्यवहार को समझना: भीड़ का व्यवहार, व्यक्तिगत व्यवहार को प्रभावित कर सकता है। बल आधारित भीड़ नियंत्रण प्रणाली को समुदाय आधारित भीड़ नियंत्रण से प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए। अराजक तत्वों की त्वरित पहचान कर उन्हें अलग कर देना चाहिए।
  • भीड़ नियंत्रण: पूर्व में आये लोगों की संख्या संख्या, अधिकांश लोगों के आगमन के समय और अग्रिम बुकिंग जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए भीड़ के आगमन के संदर्भ में मांग और आपूर्ति के अंतर को बनाए रखा जाना चाहिए।

सभी हितधारकों, जैसे आयोजकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भीड़ प्रबंधन पर पुनर्विचार करना चाहिए और सामुदायिक हित धारकों को कार्यक्रम की ज़िम्मेदारी लेने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे बेहतर समन्वय और तीव्र निर्णय एवं प्रतिक्रिया में सहायता मिल सकेगी।

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