राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (National Urban Health Mission:NUHM)

वर्तमान स्थिति

  • योजना एवं मानचित्रण (मैपिंग): अधिकांश राज्यों की GIS मैपिंग प्रगति पर है। अधिकांश राज्यों ने मलिन बस्तियों तथा सुविधा केन्द्रों का मानचित्रण (मैपिंग) किया है जबकि लगभग सभी राज्यों के द्वारा सुभेद्यता मूल्यांकन (वल्नरेबिलिटी असेसमेंट) की शुरुआत नहीं की गई है।
  • संस्थागत व्यवस्था और कार्यक्रम प्रबंधन: अधिकांश राज्यों ने राज्य, जिला एवं शहरी स्तर की कार्यक्रम प्रबंधन (PM) इकाइयों, जैसी संस्थागत प्रबंधन प्रणालियों को सुदृढ़ बनाया है। महत्वपूर्ण पदों को भी बहुत हद तक भर लिया गया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (WCD) के साथ अभिसरण संतोषजनक है परंतु राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM) में शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) की भागीदारी शून्य है।
  • अवसंरचना: शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (UPHCs) और शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (UCHCs) की स्थापना के लिए भीड़-भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों में भूमि का अधिग्रहण राज्यों के लिए एक प्रमुख चुनौती के रूप में विद्यमान है। इसे नए UPHCs के निर्माण हेतु साइटों की पहचान करने में होने वाले विलंब का मुख्य कारण बताया गया है।
  • मानव संसाधन: -शहरी क्षेत्रों में कम पारिश्रमिक एवं नैदानिक पदों के लिए अधिक प्रतिस्पर्धा के कारण, लगभग सभी राज्यों में विशेष
    तौर पर नैदानिक कर्मचारियों के संदर्भ में उच्च संघर्षण दर (high attrition rates) देखी गयी है, और उनकी उपलब्धता
    एक चुनौती बनी हुई है।
  • सेवा वितरण: आश्वासित जनसंख्या-आधारित NCD स्क्रीनिंग अभी तक प्रारंभ नहीं की गई है, जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ एकीकरण सभी राज्यों में अनुपस्थित पाया गया।
  • आउटरीच सेवाएं: विशेषज्ञों की अनुपलब्धता तथा इच्छाशक्ति में कमी के कारण आउटरीच सेवाओं का अभाव है।

वित्त:

  • विभिन्न कारणों यथा HR की नियुक्ति न होना, लंबित अवसंरचनात्मक कार्यों, गैर-निष्पादन, गलत बुकिंग इत्यादि
    करणों के चलते NUHM के तहत फंड का उपयोग बहुत कम किया गया है।
  • कई राज्य अभी भी रोगी कल्याण समिति (RKS) के गठन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, जिन
    राज्यों में रोगी कल्याण समिति (RKS) का गठन किया जा चुका है, उन्होंने या तो अपना खाता नहीं खोला है अथवा
    अपने खातों में किसी शर्त-रहित धनराशि को स्थानांतरित नहीं किया है।

अनुशंसाएं

  • सभी प्रकार की मैपिंग (जिसमें स्थानिक GIS, सुविधा केंद्र तथा मलिन बस्तियों की मैपिंग शामिल है) और चिह्नित मलिन
    बस्तियों के वल्नरेबिलिटी असेसमेंट को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाना चाहिए।
  • राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य, जिला तथा शहरों के स्तर पर कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयों के अंतर्गत सभी महत्वपूर्ण पद भरे हुए हों एवं ये ईकाइयाँ कार्यरत हों।
  • शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) तथा अन्य संबंधित विभागों के साथ अभिसरण को सुदृढ़ करने हेतु नियमित रूप से राज्य स्तरीय बैठकें आयोजित की जानी चाहिए। साथ ही NUHM के अंतर्गत विभिन्न विभागों की भूमिकाओं एवं उत्तरदायित्वों को
    स्पष्ट रूप से निर्धारण करके सभी हित धारकों को सूचित किया जाना चाहिए।
  • प्रबंधन तथा सेवा प्रदाताओं के सभी रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए और राज्य को सभी श्रेणियों के तहत मानव संसाधन
    (HR) की तर्कसंगत तैनाती पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • राज्यों में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने हेतु प्रमुख केंद्रों (हब) के रूप में
    स्थापित किया जाना चाहिए, जो न केवल RCH सेवाओं तक ही सीमित हों, बल्कि इसमें गैर संचारी रोगों (NCDs) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम सहित विभिन्न सेवाएं शामिल हों।
  • सभी UPCHs में दवा की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए दवा खरीद की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाना
    चाहिए। 
  • ANMs की अपने कार्य क्षेत्रों की सभी ASHAs और MAS के साथ नियमित बैठकों के माध्यम से ANM, ASHA और MAS के मध्य समन्वय को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। उनके कार्य क्षेत्रों, कार्य प्रोफाइल एवं स्तरवार निगरानी पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) व्यवस्था के तहत समझौता ज्ञापन (MoU)में निजी भागीदार के उत्तरदायित्व को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए और परिभाषित समयबद्ध प्रदेय सेवाओं तथा मापन योग्य परिणामों के संदर्भ में PPP के कार्यनिष्पादन की निगरानी हेतु फ्रेमवर्क विकसित किया जाना चाहिए।

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