भारत में शहरी विकास : नगरपालिका बंधपत्र (म्युनिसिपल बॉण्ड)

प्रश्न:  भारत में शहरी विकास का वित्त पोषण करने के लिए सरकार द्वारा आरम्भ की गई नीतियां और संकेतक वर्तमान चुनौतियों से निपटने हेतु महत्वपूर्ण हैं। नगरपालिका बंधपत्रो (म्युनिसिपल बॉण्ड) के विशेष संदर्भ के साथ चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • शहरी जनसंख्या की बढ़ती प्रवृत्ति का उल्लेख करते हुए शहरी विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को रेखांकित कीजिए।
  • शहरी वित्त पोषण के समक्ष विद्यमान चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
  • इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार द्वारा आरम्भ की गई कुछ नीतियों का आकलन कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि किस प्रकार नगरपालिका बंधपत्र (म्युनिसिपल बॉण्ड), भारत में शहरी वित्त पोषण से संबंधित चुनौतियों से निपटने में सहायक हो सकते हैं।
  • कुछ उपाय सुझाइए जो समग्र वित्तीय स्थिति में सुधार हेतु उपर्युक्त चुनौतियों से निपटने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

उत्तर

2001 से 2011 के मध्य भारत की कुल जनसंख्या में 18% की वृद्धि हुई, वहीं इसकी तुलना में शहरी जनसंख्या में 32% की वृद्धि हुई है। भविष्य में, इसके 2031 तक बढकर 600 मिलियन होने की उम्मीद है। अतः शहरी आबादी में वृद्धि के साथ, शहरों में बेहतर अवसंरचना और सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता में वृद्धि हो रही है।

परिणामतः, सरकार द्वारा अमृत (AMRUT), स्मार्ट सिटी मिशन, हृदय (HRIDAY), प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) जैसी अनेक योजनाओं का शुभारंभ किया गया है।

इनके लिए शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies: ULB) द्वारा महत्वपूर्ण पूंजीगत व्यय किए जाने की आवश्यकता होती है, लेकिन इनके द्वारा वित्तीयन में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे कि: 

  • अत्यधिक वित्त जटाने हेत स्थानीय निकायों में राजकोषीय और तकनीकी क्षमता का अभाव।
  • बाजार से वित्त पोषण के लिए परिचालित परियोजनाओं से प्रतिफल के संबंध में निश्चितता की आवश्यकता होती है।
  • परिभाषित और स्थिर उपयोगकर्ता शुल्कों की स्पष्ट नीति की अनुपस्थिति में, बाजार ऋण प्रदान करने के इच्छुक नहीं होते
  • निम्नस्तरीय शासन और वित्तीय परिस्थिति बाह्य वित्त पोषण तक पहुंच को अधिक कठिन बनाती है। 
  • देश में अधिकांश नगरपालिकाएं अपने राजस्व का अधिकतम व्यय परिचालनात्मक व्ययों जैसे वेतन, बिल इत्यादि के लिए करती हैं, जिससे विकास संबंधी कार्यों के लिए कम वित्त उपलब्धता हो पाता है।

इस प्रकार, सरकार द्वारा शहरों की वित्तीय स्थिति में सुधार लाने हेतु सहायता करने के लिए कुछ नीतियां और संकेतक लागू किए गए हैं। उदाहरण के लिए:

  • वैल्यू कैप्चर फाइनेंसिंग (VCF): यह एक सिद्धांत है जिसके अनुसार अवसंरचना में सार्वजनिक निवेश से लाभ प्राप्त करने वाले लोगों को इसके लिए भुगतान किया जाना चाहिए। इस प्रकार के निवेशों के कारण यह भूमि के मूल्य में वृद्धि के एक भाग को बनाए रखने में सहायता करता है और नई अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं का वित्त पोषण करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, भूमि मूल्य कर, भूमि उपयोग परिवर्तन के लिए शुल्क, सुधार संबंधी करारोपण (betterment levy) आदि।
  • शहरों की क्रेडिट रेटिंग: शहरों की संपत्तियों और देयताओं, राजस्व स्रोतों, पूंजीगत निवेश के लिए उपलब्ध संसाधनों, लेखांकन कार्यप्रणाली और अन्य प्रशासनिक कार्यप्रणालियों के आधार पर शहरों की क्रेडिट रेटिंग की जाती है। यह उन्हें बाजार से धन जुटाने हेतु सक्षम बनाता है।
  • स्वच्छ भारत रैंकिंग और सिटी लाइबिलिटी इंडेक्स आदि जैसे अन्य डेटा संकेतक शहरों के मध्य प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं और प्रत्येक वर्ष उनके प्रदर्शन संबंधी मानचित्रण में भी सहायता करते हैं।
  • नगरपालिका बंधपत्र : ये अवसंरचना परियोजनाओं जैसी विशिष्ट परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए धन संग्रह हेतु शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिका निगमों या नगर पालिकाओं के स्वामित्व वाली संस्थाओं) द्वारा जारी बंधपत्र हैं।
  • विगत दो दशकों से भारत में नगरपालिका बंधपत्र प्रचलित हैं, लेकिन निम्नस्तरीय प्रशासन के कारण शहरों में इसका वृहद पैमाने पर उपयोग नहीं किया जा सका है।

नगरपालिका बंधपत्र नगर निगमों को सरकारी एजेंसियों या अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की बाह्य सहायता पर निर्भर हुए बिना, प्रत्यक्ष रूप से धन संग्रह में सहायता करते हैं। यह निवेशकों के लिए पूर्ण देयता के रूप में कर मुक्त दर्जे का बेहतर निवेश विकल्प भी प्रदान करता है। हालांकि, नगरपालिका बंधपत्र के माध्यम से शहरी वित्त पोषण से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है:

  • ULB द्वारा नियमित अंतराल पर उनके वित्तीय प्रदर्शन पर सूचना का प्रकटीकरण।
  • पारदर्शिता बढ़ाने हेतु खातों की लेखा परीक्षा।
  • परियोजना निष्पादन में ULB को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करना और शहरी शासन में समग्र सुधार करना।
  • समय के साथ सुस्पष्ट योजना के साथ विकेंद्रीकृत योजना।

ULB में निवेश के समय सभी वित्तीय प्रतिफलों के संबंध में लोकप्रिय विश्वास को बढ़ाने हेतु उपर्युक्त सभी प्रयास सहायक सिद्ध होंगे, जिससे नगर निगम के बंधपत्र जारी करने की संभावनाओं में सुधार होगा।

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