भारत में मुग़ल साम्राज्य के पतन के लिए उत्तरदायी कारक

प्रश्न: भारत में मुग़ल साम्राज्य के पतन के लिए उत्तरदायी कारकों को सूचीबद्ध कीजिए। इसने ब्रिटिश शक्ति के विस्तार और सुदृढ़ीकरण में किस प्रकार सहायता प्रदान की?

दृष्टिकोण

  • मुगल साम्राज्य के पतन के लिए उत्तरदायी विभिन्न कारकों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि मुगल साम्राज्य के पतन ने भारत में ब्रिटिश शक्ति के विस्तार और सुदृढ़ीकरण में किस प्रकार सहायता प्रदान की।

उत्तर

मुग़ल साम्राज्य की स्थापना 1526 में बाबर के सिंहासनारूढ़ होने के साथ हुई और 1857 में बहादुर शाह द्वितीय के शासनकाल की समाप्ति के साथ यह समाप्त हो गया। हालांकि 1707 में औरंगजेब की मृत्यु को मुगल साम्राज्य के पतन के आरंभ के रूप में चिह्नित किया जा सकता है।

मुगल साम्राज्य के पतन के लिए उत्तरदायी विभिन्न कारक निम्नलिखित थे:

  • औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् मुगल साम्राज्य में उत्तराधिकार के लिए अनेक युद्ध लड़े गए जिनके कारण साम्राज्य कमज़ोर हो गया।
  • औरंगज़ेब की धार्मिक नीति के कारण राजपूतों, सिखों, जाटों और मराठों द्वारा अनेक विद्रोह किए गए। इसके अतिरिक्त उसकी दक्कन नीति पूर्णतः विफल सिद्ध हुई।
  • जागीरदारी और पैबाकी प्रणाली ने जमींदार वर्ग को जागीरदारों के अधीन कर दिया। इससे दोनों के मध्य हितों का टकराव उत्पन्न हुआ, फलस्वरूप कानून व्यवस्था कमजोर हुई।
  • ईरानी और दुर्रानी साम्राज्य के आक्रमणों ने साम्राज्य को और अधिक जर्जर बना दिया। 
  • शाहजहाँ द्वारा किए गए निर्माण कार्यों और औरंगज़ेब के दक्षिण अभियान के कारण मुग़ल कोष रिक्त हो गया था।
  • परवर्ती मुगल शासकों ने इस विशाल साम्राज्य के प्रशासन की उपेक्षा की। इससे गुटबाजी तथा षड्यंत्रों को प्रोत्साहन मिला तथा अभिजात वर्ग की अवनति हुई।
  • सैन्य व्यवस्था में आयी विकृतियां भी साम्राज्य के लिए विनाशकारी सिद्ध हुईं।
  • मुगल साम्राज्य के अंतिम चरण में उत्तराधिकारी राज्यों के रूप में क्षेत्रीय शक्तियों का भी उदय हुआ।

मुगल साम्राज्य के पतन ने भारत में ब्रिटिश शक्ति के विस्तार और सुदृढ़ीकरण में निम्न प्रकार से महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया:

  • मुगल साम्राज्य का पतन एक केंद्रीय शक्ति का अंत था, जिसके कारण कई स्थानीय शासकों के मध्य संघर्ष प्रारंभ हो गया। इसने ब्रिटिश सरकार को ‘बाँटों और राज करो’ की नीति के माध्यम से अपनी विस्तारवादी नीति को लागू करने में सहायता प्रदान की।
  • परवर्ती मुगल शासक कमजोर थे साथ ही उनमें दूरदर्शिता का भी अभाव था। उन्होंने अंग्रेजों को आर्थिक वर्चस्व प्रदान किया जिससे उन्हें धन संचय करने में सहायता मिली, जबकि कानून व्यवस्था के रख-रखाव का उत्तरदायित्त्व स्थानीय शासकों के पास रहा जिसने उनको और अधिक कमजोर बना दिया।
  • मुगलों के पतन के साथ ही एक ऐसी सुदृढ़ केंद्रीय शक्ति की समाप्ति हो गयी जो ब्रिटिश विस्तार का विरोध कर सकती थी।

इनके अतिरिक्त, सैन्य श्रेष्ठता, सैन्य अनुशासन, क्लाइव तथा मुनरो आदि के उत्कृष्ट नेतृत्व जैसे कारकों ने अंग्रेज़ों को मुगलों के पतन से अधिकतम लाभ प्राप्त करने तथा भारत में उनकी शक्ति को सुदृढ़ करने में सहायता प्रदान की।

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