मृदु शक्ति (सॉफ्ट पॉवर) : भारत की विदेश नीति
दृष्टिकोण
- उत्तर के आरम्भ में सॉफ्ट पावर को परिभाषित करने के साथ-साथ भारत की सॉफ्ट पावर को रेखांकित कीजिए।
- चर्चा कीजिए कि कैसे भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु केवल सॉफ्ट पॉवर पर्याप्त नहीं हो सकती है।
- कूटनीति के वैकल्पिक तरीकों पर चर्चा कीजिए जिसका उपयोग सॉफ्ट पावर को अनुपूरित करने हेतु किया जा सकता है।
- आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
सॉफ्ट पावर एक देश की किसी दबाव या बल का प्रयोग किए बिना अन्य देशों को अपने अनुसार कार्य करने हेतु सहमत करने की क्षमता को संदर्भित करती है। यह संस्कृति, विचारधारा, प्रतिष्ठा और संस्थानों जैसे अमूर्त शक्ति संसाधनों से संबद्ध होती।
भारत की सॉफ्ट पावर
- स्वतंत्रता के पश्चात् से ही, सॉफ्ट पावर भारत की विदेश नीति में अंतर्भूत रहा है। भारत में सॉफ्ट पावर की विशिष्ट विविधता और समृद्धता विद्यमान है।
- भारत के अध्यात्मवाद, योग, फिल्म और धारावाहिक, शास्त्रीय एवं लोकप्रिय नृत्य और संगीत, व्यंजन के साथ-साथ इसके सिद्धांत जैसे कि विश्व बंधुत्व, अहिंसा, लोकतांत्रिक संस्थाएं, बहुलवादी समाज आदि ने विश्व भर के लोगों को आकर्षित किया है।
- हाल ही में, भारत के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का संकल्प पारित किया है। इसे 170 देशों का समर्थन प्राप्त हुआ था।
- इसकी सुदृढ़ नैतिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक परंपराओं ने भारत की अन्य देशों के साथ संलग्नता में सहायता की है। उदाहरण के लिए- दलाई लामा का भारत में शरण लेना और बांग्लादेश व अन्य देशों द्वारा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने, संविधान के निर्माण व कल्याणकारी योजनाओं के विकास हेतु भारत से सहायता प्राप्त करना।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में घोषित किए जाने को भारत की महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जाता है जो भारत की बढ़ती हुई सॉफ्ट पावर क्षमता का एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण सिद्ध हो सकता है।
सॉफ्ट पावर की अपर्याप्तता
- अपने गुणों और सफलताओं के बावजूद, सॉफ्ट पॉवर अकेले ही विदेश नीति के इच्छित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु पर्याप्त नहीं है। एक सैन्यीकृत विश्व में, सॉफ्ट पॉवर पर बल देने को कई लोगों द्वारा दुर्बलता के रूप में माना गया है।
- बस कूटनीति या सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से सॉफ्ट पावर की नीति पाकिस्तान के व्यवहार को परिवर्तित करने में प्रभावी सिद्ध नहीं हुई है। पड़ोसी राज्यों द्वारा राज्य की नीति के साधन के रूप में आतंकवाद के प्रयोग से केवल सॉफ्ट पॉवर के माध्यम से नहीं निपटा जा सकता है।
- इसी प्रकार, 1962 के भारत-चीन युद्ध के पश्चात् भारत की बढती आर्थिक और सैन्य क्षमता के बावजूद भारत द्वारा शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम भारत-चीन सीमा विवाद को हल करने के प्रयास असफल सिद्ध हुए है।
- प्रभावी रूप से शासन करने और अपने लोगों को गुणवत्तायुक्त जीवन प्रदान करने की क्षमता के सन्दर्भ में नकारात्मक धारणा के साथ भारत की गैर-आक्रामक छवि सह-अस्तित्व रूप में विद्यमान है।
कूटनीति के वैकल्पिक साधन
- सॉफ्ट पावर से संबंधित स्पष्ट बाधाओं को देखते हुए, इसे हार्ड पावर के साथ अनुपूरित करने की तत्काल आवश्यकता है। हार्ड पावर मुख्यतः सैन्य विकल्पों, सुदृढ़ कूटनीति और आर्थिक प्रतिबंधों के प्रयोग पर आधारित होती है।
- हाल के दिनों में, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति के संकटों से निपटने हेतु उपर्युक्त दोनों विधियों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।
- भारत ने डोकलाम संकट पर बिना किसी सशस्त्र संघर्ष के अपनी स्थिति को बनाए रखा, जिससे चीनी सैनिकों को पीछे हटने के लिए बाध्य होना पड़ा। हाल ही में, भारत द्वारा पुलवामा आतंकी हमले के बाद सफलतापूर्वक जवाबी कार्रवाई (retaliated) की गई। भारतीय वायु सेना द्वारा बालाकोट में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार करके कार्यवाही करने के बावजूद भारत ने पाकिस्तान द्वारा अपने कब्जे में लिए गए वायु सेना के पायलट की सुरक्षित और सफलतापूर्वक वापसी भी सुनिश्चित की।
इस प्रकार, उपर्युक्त दोनों शक्तियों को एक-दूसरे के पूरक के रूप में स्वीकृत करने की आवश्यकता है। हार्ड पॉवर से आज्ञाकारिता (obedience) प्राप्त होती है, जबकि सॉफ्ट पॉवर से स्वीकृति (acceptance) प्राप्त होती है। हार्ड पावर देश की शक्ति की नींव होती है, किन्तु सॉफ्ट पॉवर उस शक्ति को सुदृढ़ करने में सहायता करती है। इतिहास यह प्रस्तावित करता है कि शक्ति के दोनों रूपों का सामंजस्यपूर्ण उपयोग (जिसे स्मार्ट पावर कहा जाता है) एक देश को वैश्विक प्रभुत्व प्राप्त करने में सहायता करता है।
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