धनशोधन, संगठित अपराध और आतंकवाद

धन शोधन निवारण (Prevention of Money Laundering)

हाल ही में, सरकार के द्वारा वित्त अधिनियम, 2018 के माध्यम से धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 में संशोधन किया गया

धन शोधन (मनी लॉन्डरिंग) क्या होता है?

  • इसका तात्पर्य किसी भी आपराधिक अथवा अवैध गतिविधियों से प्राप्त आय को वैध संपत्ति के रूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया से है। साथ ही, इस प्रक्रिया में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल प्रत्येक व्यक्ति को धन शोधन के अपराध का दोषी माना जाएगा।
  • धनशोधन के कुछ सामान्य तरीकों में वृहत मात्रा में नकद की तस्करी, शेल कंपनियां (Shell company) एवं संगठन, राउंडट्रिपिंग, हवाला और फर्जी चालान इत्यादि शामिल हैं।

हवाला तथा धनशोधन

हवाला धन को वास्तविक रूप में स्थानांतरित किए बिना उसे अन्यत्र हस्तांतरित करने की एक प्रक्रिया है। हवाला लेनदेन में नकदी का भौतिक संचालन नहीं होता है। यह एक वैकल्पिक या समानांतर प्रेषण प्रणाली है, जो बैंक तथा औपचारिक वित्तीय प्रणालियों के बाहर कार्य करती है।

हवाला लेन-देन बैंकों के माध्यम से नहीं किए जाने के कारण सरकारी एजेंसियों द्वारा इसे विनियमित नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में यह चिंता के एक प्रमुख कारण के रूप में उभरा है क्योंकि प्रायः इसका उपयोग अपराधियों द्वारा गैर-क़ानूनी गतिविधियों के लिए धन जुटाने हेतु किया जाता है। इस नेटवर्क का व्यापक रूप से उपयोग समस्त विश्व में काले धन का विस्तार करने और आतंकवाद, ड्रग की तस्करी तथा अन्य अवैध गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने हेतु किया जा रहा है

  • भारत में, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 2000 और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 दो प्रमुख कानून हैं, जो ऐसे लेन-देन को अवैध बनाते हैं तथा इन्हें प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
    लोग हवाला को वरीयता क्यों देते हैं?
  • हवाला के माध्यम से धन हस्तांतरित करने के लिए कमीशन की दरें काफी कम हैं।
  •  इसके लिए किसी भी पहचान पत्र तथा आय के स्रोत के प्रकटीकरण की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
  •  चूंकि इसमें नकदी का कोई भौतिक संचालन नहीं होता है, इसलिए हवाला ऑपरेटर आधिकारिक विनिमय दर की तुलना में बेहतर विनिमय दर प्रदान करते हैं।
  •  बैंकों द्वारा किए जाने वाले व्यापक दस्तावेज़ीकरण की तुलना में यह एक सरल और परेशानी रहित प्रक्रिया है।
  •  यह अप्रमाणित आय को स्थानांतरित करने का एकमात्र तरीका है।

भारत में धन शोधन की रोकथाम हेतु संरचना

सांविधिक संरचना

  • इसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 का अधिनियमन शामिल है।

संस्थागत संरचना

इसमें मुख्यतः दो निकाय सम्मिलित हैं:

  • प्रवर्तन निदेशालय धन शोधन निवारण के अंतर्गत आने वाले मामलों का अन्वेषण करने तथा अभियोजन के लिए
    उत्तरदायी है।
  • वित्तीय आसूचना इकाई -भारत (FIU-IND) संदिग्ध वित्तीय लेन-देन से संबंधित सूचना प्राप्त करने, उनके प्रसंस्करण, विश्लेषण और प्रसार के साथ-साथ धन शोधन के विरुद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आसूचना, जांच और प्रवर्तन एजेंसियों के प्रयासों का समन्वय तथा सुदृढ़ीकरण।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

  • फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF): यह एक अंतर-सरकारी निकाय है, जो धन शोधन एवं आतंकवादी ।
    वित्तपोषण से निपटने के लिए मानकों को निर्धारित करता है तथा नीतियों को विकसित एवं प्रोत्साहित करता है।
  • एशिया/पैसिफ़िक ग्रुप ऑन मनी लॉन्डरिंग (APG) की सदस्यता : यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत धन शोधन विरोधी और FATF द्वारा निर्धारित आतंकवाद विरोधी वित्त पोषण मानकों को अपनाने, कार्यान्वयन और प्रवर्तन को सुविधाजनक बनाती है।

फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)

फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के एक प्रभावी निकाय के रूप में उभरने के कारण:

  • यह निर्णयन के सर्वसम्मति पर आधारित मॉडल का पालन करता है, जिसमें इसके किसी भी सदस्य को अधिभावी मतदान का अधिकार प्राप्त नहीं है। इस प्रकार, ये देश वित्त को अवरुद्ध करने से रोक नहीं सकते हैं जैसा कि संयुक्त राष्ट्र में है।
  •  इसके द्वारा सुधार पर केंद्रित “नेमिंग एंड शेमिंग” की नीति अपनाई गयी है। किसी भी देश को निर्धारित सूची (ग्रे लिस्ट) में शामिल किया जा सकता है और आवश्यक दिशा-निर्देशों को लागू करने की प्रगति को देखते हुए किसी देश को इस सूची से हटाया जा सकता है। यह आतंकवादी वित्तपोषण और धन शोधन का सामना करने के लिए किये गये प्रयासों में सुधार सुनिश्चित करता है।
  • FATF द्वारा देशों को उनके द्वारा पारदर्शी दिशा-निर्देशों के अनुपालन तथा इनके प्रभावी कार्यान्वयन के आधार पर सूचीबद्ध किया जाता है।
  • इसके कार्य वस्तुनिष्ठ और पेशेवर विश्लेषण के बाद निर्धारित तकनीकी मानकों पर अधिक और भू-राजनीतिक विचारों पर कम आधारित हैं।
  • यह किसी भी देश के आर्थिक कल्याण को नुकसान पहुँचाने की अपनी क्षमता से विश्वसनीयता प्राप्त करता है क्योंकि किसी देश द्वारा इसके दिशानिर्देशों का अनुपालन न करने के संकेत उस देश की रेटिंग को बैंकों, वित्तीय संस्थानों और अन्य देशों के संदर्भ में नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
  •  यह न केवल देश के कानूनों की बल्कि उनके कार्यान्वयन की भी जांच करता है।

PMLA से संबंधित तथ्य

यह धन शोधन से निपटने के लिए भारत द्वारा गठित विधिक संरचना के प्रमुख भाग का निर्माण करता है। इसकी मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:

  • विभिन्न कानूनों के तहत सम्मिलित कई अन्य अपराधों को इसमें शामिल करके अधिनियम की पहुंच का विस्तार करना: यह IPC, नारकोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस अधिनियम, शस्त्र अधिनियम, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, अनैतिक दुर्व्यापार (निवारण) अधिनियम और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत ऐसे कुछ विशिष्ट अपराधों की पहचान करता है, जिन्हें इस अधिनियम के तहत कवर किया जाएगा।
  • सीमा-पार धन शोधन के मामलों में यह केंद्र सरकार को संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन के प्रावधानों को लागू करने के लिए अधिग्रहित संपत्ति को प्रार्थी देश को वापस करने में सक्षम बनाता है।
  • यह संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक, धन स्थानांतरण सेवा और मास्टर कार्ड जैसे कुछ वित्तीय संस्थानों को अधिनियम के दायरे में लाने की मांग करता है। |
  • यह अधिनियम के तहत संपत्ति की कुर्की या जब्ती से संबंधित मामलों से निपटने के लिए तीन सदस्यीय अभियोजन
    प्राधिकरण के गठन हेतु निर्दिष्ट करता है।
  • इसके तहत, प्रशासक के रूप में कार्य करने हेतु एक अधिकारी को जब्त संपत्तियों के प्रबंधन के लिए नियुक्त किया जाएगा। यह अधिकारी संयुक्त सचिव से नीचे के पद का नहीं होना चाहिए।
  • अभियोजन प्राधिकरण और अधिनियम के अंतर्गत आने वाले अधिकारियों के आदेशों के विरुद्ध अपील की सुनवाई हेतु एक अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
  • केंद्र सरकार धन शोधन अपराध के मुकदमे की सुनवाई हेतु उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, एक अधिसूचना द्वारा, निर्दिष्ट क्षेत्र के लिए एक या एक से अधिक न्यायालयों अथवा सत्र को विशेष न्यायालय के रूप में निर्दिष्ट कर सकती है। PMLA तथा इसके तहत अधिसूचित नियमों द्वारा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यवर्ती संस्थाओं पर ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने, रिकॉर्ड बनाए रखने और FIU-IND को सूचना प्रस्तुत करने का दायित्व सौंपा गया है।

PMLA में प्रस्तावित संशोधन

PMLA में संशोधन का लक्ष्य अधिनियम की प्रभावशीलता में वृद्धि करना, इसके दायरे को विस्तारित करना और PMLA से संबंधित मामलों के अभियोजन में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सामना की जाने वाली कुछ प्रक्रियात्मक कठिनाइयों का ध्यान रखना है। यह एजेंसियों के मध्य सूचना के आदान-प्रदान को भी सक्षम बनाएगा और काले धन के विरुद्ध प्रयासों की प्रभावशीलता में वृद्धि करेगा। प्रस्तावित महत्वपूर्ण संशोधनों में शामिल हैं:

  • “आपराधिक गतिविधियों से अर्जित आय” की परिभाषा में संशोधन ताकि प्रवर्तन निदेशालय देश के बाहर आपराधिक
    गतिविधियों से अर्जित आय के माध्यम से प्राप्त संपत्ति की कुर्की और जब्ती हेतु प्रयास कर सके।
  • जमानत संबंधी प्रावधानों में संशोधन: PMLA के तहत सभी अपराधों के लिए जमानत की शर्तों को एक समान बनाया
    जाएगा, न कि केवल उन अपराधों के लिए जिनमें 3 वर्ष से अधिक के कारावास का प्रावधान है।
  •  कॉर्पोरेट धोखाधड़ी को अपराधों की सूची में : कंपनी अधिनियम की धारा 447 (कॉर्पोरेट संबंधी धोखाधड़ी) को PMLA केतहत निर्धारित अपराधों की सूची में शामिल किया गया है ताकि उपर्युक्त मामलों में कंपनियों के रजिस्ट्रार को PMLA प्रावधानों के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कार्रवाई के लिए ऐसे मामलों की रिपोर्ट की जा सके।
  • जाँच की प्रभावशीलता बढ़ाने हेतु उपायः ED को अभियोजन फाइल करने और एक अस्थायी जब्ती आदेश पास करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान करना।
  •  सूचना का प्रकटीकरण: इस अधिनियम के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा जांच के दौरान सामने आए अन्य किसी कानून के उल्लंघन की सूचना संबंधित प्राधिकरण को देने हेतु स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

मनी लॉन्डरिंग की रोकथाम से संबंधित चुनौतियां

  • डिजिटल तकनीक में तीव्र गति से उन्नयन: प्रवर्तन एजेंसियां प्रगतिशील तकनीकी गति से स्वयं को समन्वित नहीं कर पाई हैं। साइबर वित्तीय तकनीक मनी लॉन्डरर्स को आपराधिक गतिविधियों से अर्जित आय के स्रोत को प्रवर्तन एजेंसियों से गुप्त रखने में समर्थ बनाती हैं।
  • धन शोधन संबंधी अपराधों की गंभीरता के विषय में जागरूकता की कमी: गरीब और अशिक्षित लोग, बैंकों में लंबे कागजी कार्य से होने वाले लेनदेन की अपेक्षा, हवाला प्रणाली को अधिक पसंद करते हैं जहां औपचारिकताएं बहुत कम होती हैं, या दस्तावेज़ भी कम या बिलकुल नहीं लगते, निम्न दर और अनामिकता की सुविधा होती है।
  •  KYC मानदंडों के उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पाना: बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने बैंकों को सुरक्षा मानकों को कम करने के लिए बाध्य किया है इससे धन शोधकों को अपने अपराध के संबंध में इस व्यवस्था का अनुचित लाभ मिल जाता है।
    वित्तीय संस्थानों के कर्मचारियों की भागीदारी: वित्तीय संस्थानों का कार्य धन के स्रोतों की जांच, खातों से संबंधित गतिविधियों की जांच करना और अनियमित लेनदेन को ट्रैक करना है। परन्तु सामान्य तौर पर वित्तीय संस्थानों के कर्मचारियों की संलिप्ता के कारण धन शोधकों का काम आसान हो जाता है।
  • समग्र प्रवर्तन एजेंसियों की कमी: धन शोधन का अपराध सीमारहित है और इसका विस्तार विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। भारत में, कई अलग -अलग कानून प्रवर्तन एजेंसियां है जो धन शोधन, आतंकवादी गतिविधि, आर्थिक अपराध इत्यादि से निपटने हेतु कार्यरत हैं। परन्तु उनके बीच तालमेल का अभाव है।
  • टैक्स हेवन देश: ये लंबे समय से मनी लॉन्डरिंग से जुड़े हुए हैं क्योंकि उनके कठोर वित्तीय गोपनीयता कानून वित्तीय जानकारी के खुलासे को प्रतिबंधित करने के साथ -साथ बेनामी खाते खोलने की अनुमति देते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ ठोस साक्ष्य इस ओर संकेत करते हैं कि इन फंडों का एक बड़ा हिस्सा अल-कायदा जैसे आतंकवादी समूहों को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया गया है।

मनी लॉन्डरिंग को पृथक अपराध की श्रेणी में रखना

केंद्र सरकार मनी लॉन्डरिंग को एक पृथक अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इसकी जाँच प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जाएगी, भले ही कोई अन्य एजेंसी भी इसके संबंध में कोई जाँच कर रही हो।

सन्दर्भ

  • मनी लॉन्डरिंग को आपराधिक गतिविधियों में वृद्धि करने वाले कारक के रूप में माना जाता है, क्योंकि यह अपराधियों
    को आर्थिक शक्ति प्रदान करता है।
  • भारत में विद्यमान व्यवस्था के तहत मनी लॉन्डरिंग संबंधी मामलों का निर्णयन विभिन्न एजेंसियों की जांच और अभियोजन पर निर्भर करता है क्योंकि “आपराधिक गतिविधियों से अर्जित आय” की परिभाषा PMLA अधिनियम की
    अनुसूची के तहत सूचीबद्ध निर्दिष्ट अपराधों पर निर्भर है।
  •  इस प्रकार, संगठित अपराध से निपटे बगैर मनी लॉन्डरिंग से निपटना समय और प्रयासों की बर्बादी मात्र है।
    मनी लॉन्डरिंग एक पृथक अपराध के रूप तब प्रारंभ होता है जब व्यक्ति अनुचित धन को छिपा कर रखने का विचार त्याग दे।
  • मनी लॉन्डरिंग और संगठित अपराध के बीच संपर्क तोड़ने और जांच में तेज़ी लाने के लिए मनी लॉन्डरिंग को
    एक पृथक अपराध के रूप में देखे जाने की आवश्यकता है।

पृथक अपराध की श्रेणी में रखने का महत्व

  •  2010 में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) ने अपनी समीक्षा में और काले धन पर भारत के विशेष जांच दल (SIT) ने भी इसकी सिफारिश की थी। इससे मनी लॉन्डरिंग गतिविधि में संलिप्त व्यक्तियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सकेगी।
  • इससे भारत का कानून अन्य देशों जैसे UK आदि में प्रचलित व्यवस्था के अनुरूप हो जाएगा, जहां मनी लॉन्डरिंग को अलग से एक अपराध माना जाता है और दोषसिद्धि के लिए परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर मात्र यह सिद्ध करना होता है कि आय का स्रोत कोई आपराधिक गतिविधि है।

आगे की राह

  •  एक उपभोक्ता के रूप में: निष्क्रिय खातों (dormant account ) को जल्द से जल्द बंद कर दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्हें आसानी से मनी लॉन्डरिंग गतिविधियों के संचालन के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  • जोखिम मूल्यांकन: वित्तीय संस्थानों द्वारा नए उत्पादों, व्यावसायिक गतिविधियों या नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग से पहले इससे संबंधित जोखिमों का मूल्यांकन कर लेना चाहिए।
  • PMLA 2002 के तहत प्रस्तावित ‘क्लाइंट ड्यू डिलिजेंस प्रोसेस’ का अनुपालन: यह ग्राहकों की स्वीकृति पर आधारित एक समग्र नीति से संबंधित विशिष्ट मानक है, इस प्रक्रिया के द्वारा ग्राहकों की पहचान और लेनदेन की निगरानी और रिपोर्टिग की जा सकती है।
  • टैक्स हेवन देशों का सामना: कुछ देशों में वित्तीय गोपनीयता के नियमों का स्पष्ट निर्धारण करने की आवश्यकता है क्योंकि इनकी वर्तमान कमियों के माध्यम वित्तीय संस्थान मनी लॉन्डरिंग हेवन बन रहे हैं।
  • विकेंद्रीकरण: केंद्र और राज्य के बीच एक उचित समन्वय आवश्यक है, क्योंकि अधिक विकेंद्रीकृत कानून अधिक बेहतर पहुंच को संभव बनाएगी।

वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की सिफारिशों को लागू करना जो एक व्यापक और सुसंगत संरचना को निर्धारित करता है। इसकी कुछ सिफारिशें निम्नलिखित हैं: ।

  •  जोखिमों की पहचान, नीतियों का निर्माण और स्थानीय स्तर पर समन्वय स्थापित कर मनी लॉन्डरिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण जोखिमों में कमी लाना।
  • वियना कन्वेंशन और पालेर्मो कन्वेंशन के आधार पर मनी लॉन्डरिंग को गैर-कानूनी घोषित करना। पलेर्मो कन्वेंशन जो यह सुनिश्चित करता है कि वित्तीय संस्थानों के गोपनीयता कानून FATF सिफारिशों के कार्यान्वयन को बाधित न कर सकें।
  • निर्दिष्ट अपराधों की विस्तृत श्रेणी को शामिल करने के दृष्टिकोण से मनी लॉन्डरिंग के अपराध को सभी गंभीर अपराधों पर लागू करना।
  • आतंकवाद और आतंकवादी वित्तपोषण की रोकथाम और शमन से संबंधित UNSC संकल्प के अनुपालन में लक्षित
    वित्तीय प्रतिबंधों की व्यवस्था लागू करना।
  • गैर लाभकारी संगठनों से संबंधित कानूनों और नियमों की उपयुक्तता की समीक्षा करने की आवश्यकता है। इससे ऐसे
    संगठनों पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकेगा जिनकी आतंकवादी संगठनों के वित्तपोषण के प्रति सुभेद्य होने की
    पहचान की गयी है।
  • वित्तीय क्षेत्र और अन्य निर्दिष्ट क्षेत्रों के लिए पूर्व -सतर्कता संबंधी उपायों को लागू करना।
  • वित्तीय संस्थानों को कम से कम पांच वर्ष तक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन से संबंधित सभी आवश्यक सूचनाओं को बनाए रखना चाहिए, जिससे वह सक्षम प्राधिकरण द्वारा मांगे गए सूचना अनुरोध को पूरा करने में समर्थ होंगे।
  • सक्षम प्राधिकरणों (उदाहरण के लिए, जांचकर्ता, कानून प्रवर्तन और पर्यवेक्षी प्राधिकरण) और अन्य संस्थागत उपायों के लिए शक्तियों और उत्तरदायित्व का निर्धारण करना।
  • देश में एंटी-मनी लॉन्डरिंग नीति होनी चाहिए और ऐसी नीतियों के लिए एक प्राधिकरण को नामित करना चाहिए जो इन नीतियों के प्रति उत्तरदायी हों।
  • मनी लॉन्डरिंग के संबंध में पारस्परिक कानूनी सहायता प्रदान करना और मनी लॉन्डरिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के संबंध में प्रत्यर्पण अनुरोधों को प्रभावी ढंग से निष्पादित करना।

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