माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थेरेपी(MRT) : प्रजनन चिकित्सा में इसके उपयोग से जुड़े विभिन्न मुद्दे

प्रश्न: माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थेरेपी क्या है? आनुवांशिक विकारों को कम करने में इसकी क्षमता पर चर्चा कीजिए। साथ ही, फर्टिलिटी मेडीसिन (प्रजनन चिकित्सा) में इसके उपयोग से जुड़े विभिन्न मुद्दों को सूचीबद्ध कीजिए।

दृष्टिकोण

  • MRT और इसकी प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए। आरेख भी बनाया जा सकता है।
  • उल्लेख कीजिए कि यह अनुवांशिक विकारों के समाधान में कैसे सहायक हो सकती है।
  • प्रजनन चिकित्सा में इसके उपयोग से जुड़े विभिन्न मुद्दों का विस्तृत विवरण दीजिए।
  • उचित निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थेरेपी (MRT) इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन का एक विशेष रूप है। इस विधि में भावी बच्चे के दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रियल DNA (जो माइटोकॉन्ड्रियल रोग से ग्रसित माता से प्राप्त होता है) को एक दाता महिला के स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रियल DNA से प्रतिस्थापित किया जाता है। इस तकनीक में माइटोकॉन्ड्रिया (जिसका अपना स्वयं का जीनोम है) से आनुवंशिक रोगों को रोकने के क्रम में तीन व्यक्तियों के DNA का प्रयोग होता है जिसके कारण, इस तकनीक से उत्पन्न बच्चे को ‘श्री-पैरेंट बेबी’ के रूप में जाना जाता है।

यह प्रक्रिया आरेख के रूप में नीचे प्रदर्शित की गई है:

 

MRT की संभावनाएं

माइटोकॉन्ड्रियल रोग शरीर के उन अंगों को प्रभावित करते हैं जिन्हें अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है जैसे मस्तिष्क, मांसपेशियां, हृदय और यकृत। दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रिया सामान्य चिकित्सीय समस्याओं से संबद्ध होता है जिसमें पार्किंसन्स रोग, बहरापन, कमजोर दृष्टि, मिर्गी और मधुमेह सम्मिलित हैं। इस तकनीक के माध्यम से इन सभी रोगों को रोका जा सकता है। इसके अतिरिक्त, इसमें वैज्ञानिकों को केवल संक्रामक माइटोकॉन्ड्रिया को चुनकर उसे प्रतिस्थापित करने का जटिल कार्य नही करना पड़ता है। यह प्रक्रिया को सरल बनाता है क्योंकि इससे सम्पूर्ण माइटोकॉन्ड्रिया समूह को ही प्रतिस्थापित किया जा सकता है। MRT बच्चों को लेह सिंड्रोम और बर्थ सिंड्रोम नामक तंत्रिका संबंधी (त्यूरोलॉजिकल) विकारों से बचाने में भी सहायता कर सकता है।

मुद्दे और चुनौतियां

  • माइटोकॉन्ड्रियल ट्रांसफर एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में कुछ अनुवांशिक परिवर्तनों को हस्तांतरित कर देता है। यह नैतिक चिंताओं को भी उत्पन्न करता है- क्योंकि प्रक्रिया जनित कोई भी, अप्रत्याशित समस्या उन अजन्मे बच्चों को प्रभावित कर सकती है जो उपचार करने हेतु अपनी सहमति प्रदान करने में भी सक्षम नहीं है।
  • माइटोकॉन्ड्रिया को पूर्ण रूप से नहीं समझा जा सका है और उनमें विद्यमान DNA लोगों के लक्षणों को अज्ञात तरीकों से प्रभावित कर सकते हैं।
  • MRT, एक जर्म लाइन तकनीक होने के कारण नैतिक सीमाओं का उल्लंघन करती है। यह लोगों को ‘डिज़ाइनर बेबी’ को जन्म देने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
  • विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ‘थ्री पैरेंट बेबी‘ में कैंसर और समय से पूर्व वृद्ध होने का अत्यधिक जोखिम हो सकता है एवं उनकी जीवनभर देखभाल करने की आवश्यकता होगी।
  • माता के केन्द्रक जीन और दाता के माइटोकॉन्ड्रियल जीन के मध्य सुसंगतता की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
  • इस प्रक्रिया की लिए दाता और माता से अत्यधिक संख्या में अंडाणु एकत्रित किए जायेंगे। अतः अतिरिक्त भ्रूणों को नष्ट करना, नैतिकता सम्बन्धी मुद्दा भी है।
  • यह आक्रामक प्रकिया महिलाओं के लिए जोखिमपूर्ण हो सकती है।

इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि इस प्रक्रिया को वैधता प्रदान करने से पूर्व इसके प्रभावों को समझने के लिए उचित अनुसंधान किया जाना चाहिए।

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