भारत में धर्मनिरपेक्षता

प्रश्न: भारत के संदर्भ में आप धर्मनिरपेक्षता शब्द से क्या समझते हैं? संवैधानिक प्रावधानों में यह कैसे परिलक्षित होता है?

दृष्टिकोण

  • व्याख्या कीजिए कि भारतीय संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता शब्द से आप क्या समझते हैं।
  • भारत में धर्मनिरपेक्षता को परिलक्षित करने वाले कुछ संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  • उन समकालीन मुद्दों का उल्लेख कीजिए जो भारत में धर्मनिरपेक्षता पर होने वाली चर्चा के केंद्र में हैं।

उत्तर

धर्मनिरपेक्षता एक सिद्धांत है जो राज्य एवं सरकार को धर्म से पृथक करने का समर्थन करता है। धर्मनिरपेक्षता के पश्चिमी मॉडल के अनुसार, राज्य (राष्ट्र) और धर्म अपने संचालन के क्षेत्र में परस्पर अनन्य हैं अर्थात् राज्य किसी भी धर्म को प्रोत्साहन प्रदान नहीं करता है या किसी भी धार्मिक गतिविधि में सम्मिलित नहीं होता है।

भारतीय संविधान में यह अधिदेशित है कि भारत एक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र होगा। संविधान के अनुसार, केवल एक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र ही निम्नलिखित व्यवस्था को सुनिश्चित करने हेतु अपने उद्देश्यों को परिलक्षित कर सकता है:

  • किसी एक धार्मिक समुदाय का अन्य समुदायों पर प्रभुत्व नहीं है;
  • एक ही धार्मिक समुदाय के कुछ सदस्यों का अन्य सदस्यों पर प्रभुत्व नहीं हैं;
  • राज्य किसी भी विशेष धर्म को आरोपित नहीं करता है और न ही व्यक्तियों की धार्मिक स्वतंत्रता को समाप्त करता है।

उपर्युक्त प्रभुत्व को प्रतिबंधित करने हेतु भारत विभिन्न तरीकों से कार्य करता है। यह धर्म से स्वयं को पृथक करने की रणनीति का प्रयोग करता है। यह न तो किसी धार्मिक समूह द्वारा शासित होता है और न ही किसी एक धर्म का समर्थन करता है।

इसके अतिरिक्त भारतीय धर्मनिरपेक्षता (भारतीय परिप्रेक्ष्य में पंथनिरपेक्षता) के सिद्धांत के अंतर्गत राज्य यद्यपि धर्म से पूर्ण रूप से पृथक नहीं है तथापि यह धर्म के साथ एक सैद्धांतिक दूरी बनाए रखता है। इसका अर्थ यह है कि राज्य द्वारा धर्म में किया जाने वाला किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप संविधान द्वारा निर्धारित आदर्शों पर ही आधारित होना चाहिए।

भारत में धर्मनिरपेक्षता को परिलक्षित करने वाले संवैधानिक प्रावधानों में निम्नलिखित प्रावधान सम्मिलित हैं:

  • अनुच्छेद 25: यह अंतःकरण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी प्रदान करता है।
  • अनुच्छेद 26: प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय को अपने धार्मिक कार्यो के प्रबंधन की स्वतंत्रता प्राप्त है।
  • अनुच्छेद 27: किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतंत्रता।
  • अनुच्छेद 28: कुछ शिक्षा संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता।
  • अनुच्छेद 15: धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध।
  • अनुच्छेद 16: लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता।
  • अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता की प्रथा का अंत।
  • अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यक वर्गों की विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति का संरक्षण।
  • अनुच्छेद 30: धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक-वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार।
  • संविधान की प्रस्तावना में यह उल्लिखित है कि भारत एक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र है। “
  • पंथनिरपेक्षता को ‘संविधान के आधारभूत ढाँचे’ का भाग माना जाता है।

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