मध्य महासागरीय कटक : निर्माण एवम महत्व

प्रश्न: विश्व के विभिन्न महासागरीय नितलों में मध्य महासागरीय कटकों के निर्माण की व्याख्या कीजिए।

दृष्टिकोण

  • मध्य महासागरीय कटक की अति संक्षिप्त परिभाषा के साथ उत्तर आरंभ कीजिए।
  • समझाइए कि इनका निर्माण कैसे होता है और इनका महत्व क्या है।

उत्तर

मध्य-महासागरीय कटक

मध्य महासागरीय कटक महासागर के भीतर पर्वत प्रणालियों की परस्पर संबद्ध शृंखला का निर्माण करते हैं। इनकी विशेषता शृंग (crest) पर केंद्रीय रिफ्ट प्रणाली, इसकी पूरी लंबाई के साथ-साथ प्रभाजित पठार और पार्श्व क्षेत्र (flank zone) होता है।

ये कुल सागरीय नितल क्षेत्र के लगभग 33% भाग में फैले हैं और सभी प्रमुख महासागरीय बेसिनों में पाए जाते हैं। कटकों की प्रणाली अनिवार्य रूप से महासागरीय परिघटना है, लेकिन कुछ स्थानों पर यह महाद्वीपीय भ्रंश क्षेत्रों के पार्श्व से भी गुजरते हैं।

कटकों का निर्माण

मध्य महासागरीय कटकों का निर्माण प्लेट विवर्तनिकी से हुआ है। मध्य महासागरीय कटक अपसारी प्लेट सीमाओं का सबसे अच्छा उदाहरण हैं। महासागरीय नितल का यह उत्थान तब होता है जब संवहनीय धाराएँ महासागरीय पर्पटी के नीचे स्थित मैंटल में ऊपर की ओर उठती हैं और महासागरीय प्लेटों की अपसारी सीमा पर बेसाल्टी मैग्मा (इसे मध्य महासागरीय कटक बेसाल्ट भी कहा जाता है) एकत्र कर देती हैं।

मध्य महासागरीय कटकों पर दिखने वाले प्रसरण (spreading) के लिए दो प्रक्रियाओं, रिज-पुश (ridge-push) और स्लैबपुल (slab-pull) को उत्तरदायी माना जाता है:

  • रिज-पुश तब होता है जब कटक का भार शेष विवर्तनिक प्लेटों को कटक से दूर, प्राय: सब्डक्शन जोन (subduction zone) की ओर धकेलता है।
  • “स्लैब-पुल” सब्डक्शन जोन में प्रभावी होता है। इसमें ऊपरी प्लेट के नीचे प्रविष्ट होती विवर्तनिक प्लेट अपने भार के कारण शेष प्लेट को अपने पीछे नीचे की ओर खींचती है।

 

स्थलाकृतिक दृष्टि से, मध्य महासागरीय कटक अत्यधिक भिन्नतापूर्ण होते हैं और प्रसरण की दर से सह संबंधित होते हैं- तेजी से विस्तारशील कटकों (जैसे मध्य अटलांटिक कटक) की संरचना समतल होती है, जबकि धीमी गति से विस्तारशील कटकों (जैसे कि पूर्वी प्रशांत उत्थान और गेलापागोस रिफ्ट) की संरचना दाँतेदार (jagged) होती है और इनमे एक अक्षीय रिफ्ट घाटी होती

महत्व

  • पुराजलवायविक अध्ययन: ये समय के साथ परिवर्तनशील पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के रिकॉर्ड के रूप में कार्य करते हैं।
  • खनिज संसाधनों के आरक्षित भंडार: इन क्षेत्रों में प्राय: सल्फाइड के भारी निक्षेप पाए जाते हैं और इसलिए ये खनन हेतु संभावित लक्ष्य हो सकते हैं।
  • तापीय स्रोत– मध्य महासागरीय कटकों से होने वाला ऊष्मा प्रवाह महासागरीय नितल के माध्यम से होने वाले ऊष्मा प्रवाह से कई गुना अधिक होता है।

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