लोक विश्वास, वस्तुनिष्ठता, चरित्र की दृढ़ता, समानुभूति ,निस्वार्थता आदि सिविल सेवा के संदर्भ में इन गुणों के महत्व
प्रश्न: सिविल सेवा के संदर्भ में निम्नलिखित के महत्व की व्याख्या कीजिए :
- लोक विश्वास
- वस्तुनिष्ठता
- चरित्र की दृढ़ता
- समानुभूति
- निस्वार्थता
दृष्टिकोण
- शब्दों को संक्षेप में परिभाषित कीजिए।
- सिविल सेवाओं में उदाहरणों का उपयोग करके अथवा अन्य प्रकार से प्रत्येक के महत्व को रेखांकित कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त शब्द वे गुण हैं जो अपने कर्तव्यों के प्रति सत्यनिष्ठ होने के लिए एक लोक सेवक को धारण करने चाहिए। इन गुणों के महत्व निम्नलिखित हैं:
(i) लोक विश्वास: यह सार्वजनिक कार्यालयों, संस्थानों और अधिकारियों में लोगों की विश्वसनीयता, सत्यता अथवा क्षमता में दृढ़ विश्वास है अर्थात किसी अधिकारी या संस्था अथवा प्रणाली द्वारा आदेशित सार्वजनिक विश्वास और विश्वास के मापदंड। उच्च लोक विश्वास एक सिविल कर्मचारी को साहसी निर्णय लेने में सक्षम बनाता है, जबकि कम लोक विश्वास हर गतिविधि पर प्रश्न उठाता है। यह अपेक्षित सेवाओं के निरंतर प्रदर्शन और कुशल वितरण द्वारा निर्मित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, चुनाव आयोग पर लोगों का अत्यधिक विश्वास है और इससे विधानमंडल के समर्थन के बिना भी ‘आचार संहिता’ को लागू करने में सहायता मिली है। रिश्वत को कुख्यात बुराई के रूप में माने जाने का कारण यह है कि यह राजनीतिक भ्रष्टाचार की संस्कृति में योगदान देता है जिसमें लोक विश्वास नष्ट हो जाता है।
(ii) वस्तुनिष्ठता: यह सत्यनिष्ठता, निष्पक्षता, तटस्थता और किसी की भावनाओं एवं पूर्वाग्रहों के प्रभाव से परे तथ्यों के आधार पर विश्लेषण करने का गुण है। वस्तुनिष्ठता एक लोक सेवक को अपने पूर्वाग्रहों और धारणाओं से ऊपर उठने और व्यापक हित में कार्रवाई करने में सहायता करती है। उदाहरण के लिए, वस्तुनिष्ठता से युक्त एक न्यायिक मजिस्ट्रेट अपराधी के बारे में सार्वजनिक धारणा से प्रभावित होने के बजाय चोरी के उस विशेष मामले के आधार पर निर्णय देगा।
(iii) चरित्र की दृढ़ता: यह एक मापक है कि कोई व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों में कितना दृढ़ रह सकता है और गलत कार्यों/कर्मों का विरोधे किस स्तर तक कर सकता है.. यह इस बात से निर्धारित होता है कि कोई कितनी दढ़ता से या कमजोर रूप से विश्वास करता है और कुछ मूल्यों का पालन करता है। कठिन परिस्थितियों में ही इसका परीक्षण होता है। यदि किसी व्यक्ति की चरित्र की दृढ़ता उच्च होती है तो चाहे वह सामाजिक, आर्थिक अथवा राजनीतिक हो, वह अपने सिद्धांतों पर दृढ़ रहता है। यह शक्ति एक लोक सेवक को किसी भी अनुचित मांग के लिए दृढ़ता से ना कहने में सहायता करती है, उदाहरणार्थ- दंगों के दौरान, निविदाओं के पारित होते समय, आपदाओं के दौरान काम करते समय आदि।
(iv) समानुभूति: यह किसी और की स्थिति में खुद को रखने और उनकी भावनाओं को समझने तथा उनकी भावनाओं का अनुभव करने की क्षमता है। सिविल सेवाओं के संदर्भ में, जब तक कि सार्वजनिक अधिकारी आम आदमी के साथ सहानुभूति नहीं रखते हैं, वे उनके द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं को समझने में सक्षम नहीं होंगे और इसके परिणामस्वरूप, सार्वजनिक सेवाओं में सुधार नहीं होगा। एक सहानुभूतिपूर्ण अधिकारी दिव्यांगो की सुगम्यता में सहायता के लिए अपने कार्यालय परिसर में रैंप इत्यादि सुनिश्चित करेगा।
(v) निस्वार्थता: इसका अर्थ है कि स्वयं के जीवन,धन, स्थिति आदि हितों की तुलना में अन्यों के हितों को प्राथमिकता देना। सिविल सेवकों द्वारा सार्वजनिक चिंताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऐसी स्थितियां हो सकती हैं जहां पेशेवर जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए एक अधिकारी को परिवार को दिए जाने वाले समय का त्याग करना पड़े। इसके अतिरिक्त, निःस्वार्थता सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से युक्त संगठन के निर्माण में सहायता करता है।
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