लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS)

प्रश्न: लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के समुचित कार्यकरण को प्रभावित करने वाली विकृतियों की पहचान कीजिए। TPDS के लिए उपलब्ध विकल्पों की व्यवहार्यता पर टिप्पणी कीजिए।

दृष्टिकोण

  • परिचय में TPDS का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  • लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के समुचित कार्यकरण को प्रभावित करने वाले मुद्दों का उल्लेख कीजिए। 
  • TPDS हेतु उपलब्ध विकल्पों की व्यवहार्यता पर चर्चा कीजिए।
  • आगे की राह सुझाईये।

उत्तर

वर्ष 1997 में प्रारम्भ, TPDS का उद्देश्य राशन की दुकानों के नेटवर्क के माध्यम से निर्धनों को सब्सिडीकृत खाद्य और ईंधन उपलब्ध करना है। गेहूं और चावल जैसे खाद्यानों को किसानों से खरीदा जाता है और राज्यों को आबंटित किया जाता है तथा तत्पश्चात राशन की दुकानों को इनकी आपूर्ति की जाती है जहाँ लाभार्थियों द्वारा पात्रतानुसार इनका क्रय किया जाता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 निर्धन परिवारों हेतु विधिक पात्रता के रूप में खाद्यान्नों की आपूर्ति हेतु विद्यमान TPDS पर निर्भर करता है।

TPDS को प्रभावित करने वाली विकृतियां

  •  लाभार्थियों की पहचान: TDPS में, किसी लाभार्थी को इसमें शामिल करने और किसी लाभार्थी को इससे बाहर रखने जैसे दोष विद्यमान हैं। इसके परिणामस्वरूप पात्र लाभार्थियों को खाद्यान्नों की प्राप्ति नहीं हो रही है तथा वे जो अपात्र हैं इसका अनुचित लाभ उठा रहे हैं।
  • जो लोगों मौजूद ही नहीं है उनके भी फर्जी कार्ड्स बनाए गए हैं। यह इस तथ्य की ओर संकेत करता है कि खाद्यानों को पात्र परिवारों उपलब्ध न कराकर खुले बाजार में विक्रय किया जा रहा है।
  • व्यापक खरीद: चूँकि इसके लिए 75% आबादी पात्र है, इसलिए सरकार अत्यधिक मात्रा में खाद्यान्नों की खरीद करनी होती है। सूखा और घरेलू अभाव के वर्षों के दौरान खाद्यान्नों का आयात किया जाता है, जिसके खाद्यान्न मूल्यों में वृद्धि हो सकती है।
  • रिसाव: खाद्यान्नों की कुल खरीद में वृद्धि हुई है, परन्तु कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) के आंकड़े दर्शाते हैं कि कुल खरीद का केवल 60% का ही उपभोग किया जाता है और शेष 40% को खुले बाजार में विक्रय कर दिया जाता है।
  • खाद्यान्नों का राशन की दुकानों तक परिवहन के दौरान रिसाव होता है तथा साथ ही स्वयं राशन की दुकानों द्वारा खुले बाजार में बेच दिया जाता है।
  • खरीद, भंडारण और आपूर्ति तंत्रों सहित आपूर्ति श्रृंखला में विद्यमान असक्षमताएं।
  • खाद्य सब्सिडी: खाद्यान्नों की खरीद और आपूर्ति लागत उनके विक्रय मूल्य से लगभग छह गुना अधिक होती है। यह संपूर्ण कार्यवाही की वित्तीय व्यवहार्यता के समक्ष प्रश्न उत्पन्न करती है।
  • भण्डारण क्षमता: सभी राज्यों में भंडारण क्षमता में असंतुलन विद्यमान है। इससे खाद्यान्नों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वर्ष 2010 में, अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं के कारण सड़ रहे खाद्यान्नों के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी अवलोकन किया गया था।

TPDS के विकल्प:

  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): नकद, प्रशासनिक लागत को कम करता है, अनेक विकल्प उपलब्ध कराता है और ग्रोसरी स्टोर्स (किराने की दुकान) के मध्य प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य निर्धारण को प्रोत्साहित भी करता है। हालांकि, प्रत्यक्ष मौद्रिक लाभ के परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिल सकता है। वित्तीय समावेशन, वित्तीय साक्षरता और खाद्यान्नों की भौतिक पहुँच आदि अन्य प्रमुख बाधाएं हैं।
  • सार्वभौमिक PDS: पात्र और सुभेद्य परिवार, जिन्हें इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है, इसके अंतर्गत इस प्रकार के दोषों का निवारण किया गया है। हालाँकि, इसकी वित्तीय व्यवहार्यता अन्ततोगत्वा संदेहास्पद है। समृद्ध वर्ग द्वारा सरकार हेतु अत्यधिक सब्सिडी की लागत पर आय अंतरण का लाभ प्राप्त किया जा रहा है। सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (UPDS) निर्धनों की हकदारी में भी कमी करती है। साथ ही, निर्धनों की प्रति-व्यक्ति हकदारी भी निम्न है, क्योंकि प्रति परिवार हकदारी के लिए ऊपरी सीमा निर्धारित की गई है और निर्धन परिवारों का औसत आकार अपेक्षाकृत बड़ा है।
  • फूड कूपन: यह भ्रष्टाचार में कमी करता है, अधिक विकल्पों को उपलब्ध कराता है तथा लाभार्थियों को निम्न गुणवत्तायुक्त खाद्यान्नों की खरीद से संरक्षण प्रदान कर सकता है। हालांकि, जाली कूपन भी बनवाए जा सकते हैं।

आगे की राह:

  • उपर्युक्त वर्णित दोषों के बावजूद, TPDS खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, निर्धनता का उन्मूलन करने तथा समाज के कमजोर वर्गों का सशक्तिकरण करने हेतु एक प्रभावी साधन है।
  • TPDS की प्रभावकारिता में सुधार करने हेतु, सरकार द्वारा अनेक उपाय किए गए हैं जैसे कि खाद्यान्नों कीडोर-स्टेप डिलीवरी, लाभार्थियों की सही पहचान करना, खाद्यान्नों की कुल खरीद में सुधार करना, व्यापक निगरानी एवं सतर्कता, उचित मूल्य की दुकान के परिचालन की व्यवहार्यता में सुधार करना आदि।

TPDS परिचालनों के एंड-टू-एंड कम्प्यूटरीकरण के लिए योजना निर्माण, राशन कार्ड/लाभार्थियों और अन्य डाटाबेसों के डिजिटलीकरण को सुविधाजनक बनाना, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन का कम्प्यूटरीकरण करना, पारदर्शिता पोर्टल्स एवं शिकायत निवारण तंत्रों की स्थापना करना आदि सही दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम हैं।

Read More

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.