अतिचालकता की अवधारणा : इनके व्यावहारिक उपयोग से संबंधित बाधाओं की विवेचना

प्रश्न: अतिचालकों के गुणों और अनुप्रयोगों पर प्रकाश डालते हुए, इनके व्यावहारिक उपयोग से संबंधित बाधाओं की विवेचना कीजिए।

दृष्टिकोण

  • अतिचालकता की अवधारणा को समझाइए।
  • अतिचालक के प्रमुख गुणों का उल्लेख कीजिए।
  • इनके महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • इनके व्यावहारिक उपयोग से संबंधित बाधाओं की विवेचना कीजिए।

उत्तर

अतिचालकता (Superconductivity) एक परिघटना है, जिसमें कोई पदार्थ एक निश्चित “क्रांतिक तापमान” के नीचे विद्यत प्रवाह का प्रतिरोध नहीं करता है और विद्युत धारा बिना किसी स्पष्ट ऊर्जा हानि के मुक्त रूप से प्रवाहित होती है। यह संक्रमण आकस्मिक और तीव्र होता है। उदाहरण के लिए, पारा (मरकरी) – 269 डिग्री सेल्सियस के नीचे अतिचालकता का गुण प्रदर्शित करता है।

अतिचालक (superconductors) के प्रमुख गुण:

  • सुपरकंडक्टर सर्किट में विद्युत धारा तब तक प्रवाहित होती है जब तक वह अपनी अतिचालक अवस्था को बनाए रखने के लिए निम्न तापमान पर बना रहता है।
  • जब इसे क्रांतिक तापमान से कम पर ठंडा किया जाता है, तो यह कमजोर बाह्य चुंबकीय क्षेत्रों को प्रतिकर्षित करता है और उन्हें गुजरने नहीं देता है। इसे मेसनर प्रभाव (Meissner Effect) कहा जाता है।
  • इसमें विद्युत धारा प्रवाह घनत्व अत्यधिक उच्च होता है और यह चुंबकीय क्षेत्र के प्रति उच्च संवेदनशीलता दर्शाता है।

अतिचालक के अनुप्रयोग:

  • अतिचालक चुंबक (Superconducting magnets) सबसे शक्तिशाली विद्युत चुंबकों (electromagnets) में से कुछ हैं। इनका उपयोग MRI/NMR मशीनों, कण त्वरकों (उदाहरण के लिए सर्न) और नाभिकीय संलयन के लिए कुछ टोकामाकों में प्लाज्मा कॉन्फाइनिंग मैग्नेट में किया जाता है।
  • इनका उपयोग दक्ष इलेक्ट्रिक मोटरों और जनरेटरों को डिजाइन करने में किया जाता है। अतिचालक का उपयोग करते हुए, सीमा पार पारेषण सहित लंबी दूरी तक विद्युत पारेषण बिना किसी स्पष्ट ऊर्जा हानि के हो सकता है।
  • SQUID (सुपरकंडक्टिंग क्वांटम इंटरफेरेंस डिवाइस) अत्यंत संवेदनशील मैग्नेटोमीटर होता है जिसका उपयोग अत्यंत छोटे चुंबकीय क्षेत्रों का मापन करने के लिए किया जाता है।
  • इनके भविष्य के अनुप्रयोगों में उच्च निष्पादन वाले स्मार्ट ग्रिड, विद्युत भंडारण उपकरण, चुंबकीय उत्तोलन उपकरण, जहाज प्रणोदन प्रणाली आदि शामिल हो सकते हैं।

इसके व्यावहारिक उपयोग में विद्यमान चुनौतियां:

  • अतिचालक का उपयोग सामग्री की लागत और निम्न तापमान बनाए रखने के संदर्भ में महंगा है। निम्न तापमान बनाए रखना कठिन, महंगा और ऊर्जा गहन होता है।
  • अतिचालक पदार्थ सामान्यतः भंगुर होते हैं, न कि तन्य। इन्हें कोई आकृति प्रदान करना कठिन होता है।
  • ये कुछ वातावरणों में रासायनिक रूप से अस्थाई भी हैं।
  • अतिचालकता गतिशील चुंबकीय क्षेत्रों के लिए संवेदनशील है। इसलिए ऐसे उपकरण जो प्रत्यावर्ती धारा (जैसे- ट्रांसफार्मर) का उपयोग करते हैं, उन्हें विकसित करना अधिक कठिन होगा।
  • अतिचालकता समाप्त होने से पूर्व पदार्थ के माध्यम से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा की एक सीमा होती है।

इन चुनौतियों के कारण उच्च तापमान अतिचालकता (high-temperature superconductivity) भौतिकी में अनुसंधान के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। उदाहरण के लिए, IISc के वैज्ञानिकों के एक दल ने गोल्ड मैट्रिक्स में एम्बेडेड सिल्वर नैनोकणों से बने छरों से 13 डिग्री सेल्सियस पर अतिचालकता प्राप्त करने का दावा किया है। यदि इसकी पुष्टि की जाती है तो यह अतिचालकता के क्षेत्र में एक युगांतकारी विकास साबित होगा।

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