भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की वर्तमान स्थिति

प्रश्न: भारत में स्टार्ट-अप्स के लिए असीमित अवसर हैं, लेकिन चुनौतियां भी उतनी ही हैं। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की वर्तमान स्थिति के बारे में संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  • भारत में स्टार्टअप्स के लिए उपलब्ध अवसरों पर चर्चा कीजिए।
  • भारत में स्टार्टअप्स के समक्ष व्यापारिक चुनौतियों पर चर्चा कीजिए और आगे की राह सुझाइए।

उत्तर

विगत कुछ वर्षों में, भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में अत्यधिक वृद्धि देखी गई है। नैसकॉम (NASSCOM) के अनुसार, भारत में स्टार्टअप्स का कुल फंड 108 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वर्ष 2017 के 2 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2018 में 4.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। वर्ष 2018 में 1,200 से अधिक स्टार्टअप स्थापित हुए, जिनमें आठ यूनिकॉर्न (1 बिलियन US $ से अधिक के मूल्य का निजी स्वामित्व वाला स्टार्टअप) सहित, स्टार्टअप्स की कुल संख्या 7,200 तक हो गई।

भारत में स्टार्टअप्स के लिए अवसर:

  • भारत की जनसंख्या भारत को एक बड़ा उपभोक्ता बाज़ार बनाती है, जिसमें देश में स्टार्टअप्स की वृद्धि को बनाए रखने की क्षमता है।
  • भारत में युवाओं की सर्वाधिक जनसंख्या है जो नवाचार, कार्यबल, प्रतिभा और भावी नेतृत्वकर्ताओं के लिए सबसे बड़ा उत्प्रेरक है।
  • भारत के समक्ष शिक्षा, स्वास्थ्य, अवसंरचना और असमानता जैसी चुनौतियां विद्यमान हैं। यह विभिन्न समस्याओं का समाधान करने हेतु स्टार्ट-अप्स के लिए एक व्यापक अवसर प्रस्तुत करता है।
  • इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में तीव्र वृद्धि और इंटरनेट की कीमतों में कमी ने स्टार्टअप इकोसिस्टम के विस्तार में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है, वर्तमान में लगभग 500 मिलियन भारतीय संपूर्ण देश में इंटरनेट सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं।
  • भारत में तीसरी सबसे बड़ी यूनिकॉर्न कम्युनिटी मौजूद है, जिसमें 16 उच्च मूल्यवान स्टार्टअप हैं। ये यूनिकॉर्न स्टार्टअप उभरते भारतीय उपभोक्ता बाजार द्वारा प्रस्तुत वृहद अवसरों के प्रति वैश्विक निवेशकों, वेंचर कैपिटल (VC) एवं प्राइवेट इक्विटी (PE) फर्मों और वैश्विक कॉर्पोरेटों के दृष्टिकोण को परिवर्तित कर एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सफल रहे हैं।

स्टार्टअप की व्यापारिक चुनौतियां

  • बाजार संरचना: भारतीय बाजार अत्यधिक असंगठित और विखंडित हैं जो एक स्टार्टअप की सफलता में बाधक तत्त्व है।
  • वित्तीय मुद्दे: दोषपूर्ण बिजनेस मॉडल और अभिनव राजस्व रणनीतियों के अभाव के कारण कई स्टार्टअप असफल हो गए हैं और वे परिचालन बंद करने के लिए बाध्य हैं। परिचालन के प्रारंभिक चरण में, स्टार्टअप को बैंकों से धन प्राप्त नहीं होता है, क्योंकि उनकी उससे पूर्व कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती है।
  • विनियामक मुद्दे: उभरते उद्यमियों को पंजीकरण तथा क्लियरेंस के लिए कई बार सरकारी कार्यालयों में जाना पड़ता हैं।
  • कराधान: कराधान संरचना आरंभिक वर्षों में विशेष रूप से स्टार्टअप्स के विकास के लिए अनुकूल नहीं है, जिन्हें अपनी वृद्धि और अन्य व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूंजी की अत्यधिक आवश्यकता होती है।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौती: भारत में असफलता को तिरस्कारपूर्ण दृष्टि से देखा जाता है। किन्तु उद्यमिता वास्तव में विफलताओं और उन विफलताओं से सीखने और नए सिरे से शुरुआत करने से सम्बद्ध होती है।
  • साइबर सुरक्षा: व्यावसायिक अंतर्दृष्टि का संचालन करने के लिए उपयोगकर्ता की जानकारियाँ एकत्र करने वाले टेक स्टार्टअप विशेष रूप से साइबर खतरों के प्रति संवेदनशील होते हैं।

अवसरों की पहचान करते हुए, सरकार ने उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और भारत में इको-सिस्टम को विकसित करने के लिए स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप एक्सचेंज आदि जैसे कई सक्रिय कदम उठाए हैं।

आज, भारतीय अर्थव्यवस्था बाजार में संचालित नई रणनीतियों के साथ एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है, जो स्टार्टअप की भूमिका और योगदान को बढ़ाने पर बल प्रदान कर रही है। विभिन्न व्यावसायिक प्रक्रियाओं और नियमों को सुव्यवस्थित करने के अतिरिक्त, नए उद्यमियों के लिए एक एकल ऑनलाइन क्लियरेंस सिस्टम विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है, जो उन्हें ऑनलाइन आवेदन/लाइसेंस परमिट के लिए आवेदन करने और उनकी स्थिति ट्रैक करने की सुविधा प्रदान करेगा।

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