कुशल परिवहन व्यवस्था (इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम: ITS) की व्याख्या : भारत जैसे विकासशील देशों में ITS के परिनियोजन में आने वाली चुनौतियां
प्रश्न: कुशल परिवहन व्यवस्था (इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम: ITS) क्या है? भारत में ITS की आवश्यकता की व्याख्या करते हुए, इसके परिनियोजन में आने वाली चुनौतियों की पहचान कीजिए। (250 शब्द)
दृष्टिकोण
- कुशल परिवहन व्यवस्था (इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम: ITS) की व्याख्या कीजिए और बताइए कि यह जीवन की गुणवत्ता में सुधार कैसे करता है।
- ITS के परिनियोजन की आवश्यकता को रेखांकित कीजिए।
- भारत जैसे विकासशील देशों में ITS के परिनियोजन में आने वाली चुनौतियों की पहचान कीजिए।
- निष्कर्ष के रूप में आगे की राह सुझाइए।
उत्तर
कुशल परिवहन व्यवस्था (ITS) के अंतर्गत अत्याधुनिक सूचना और दूरसंचार प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके परिवहन सम्बन्धी समाधान प्रदान किया जाता है। यह स्थलीय परिवहन के लिए संवेदन (सेंसिंग), विश्लेषण, नियंत्रण और संचार प्रौद्योगिकियों को लागू करता है। यह लोगों, सड़कों और वाहनों की एक एकीकृत प्रणाली है जिसे सड़क सुरक्षा, दक्षता और सुविधा में सुधार हेतु महत्वपूर्ण योगदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके साथ ही यातायात संकुलन में कमी करके यातायात को बेहतर तरीके से सुव्यवस्थित किया जाना है जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
तीव्र जनसंख्या वृद्धि और बढ़ती आर्थिक गतिविधियों से प्रेरित भारत में तेजी से बढ़ती वाहनों की संख्या ने शहरी क्षेत्रों में यातायात प्रबंधन पर एक महत्वपूर्ण दबाव उत्पन्न किया है। इस प्रकार, निम्नलिखित चुनौतियों के समाधान हेतु ITS के परिनियोजन की आवश्यकता है:
- सभी उपयोगकर्ताओं के लिए सड़क सुरक्षा और बचाव में सुधार करना। उदाहरण के लिए यातायात और घटना प्रबंधन के लिए सूचना प्रदान करने हेतु CCTV का उपयोग कर वीडियो यातायात प्रबंधन।
- बढ़ते संकुलन (अधिक भीड़) का समाधान, जो यात्रा की समयावधि और उद्योग लागत दोनों में वृद्धि कर रहा है। उदाहरण के लिए बसों हेतु ट्रैफिक सिग्नल की प्राथमिकता होती है और आटोमेटिक वेहिकल ट्रैकिंग सिस्टम के द्वारा पारगमन (ट्रांजिट) संबंधी कार्यक्रमों के लिए डेटा विश्लेषण किया जाता है।
- यात्रियों और एजेंसियों को वास्तविक समय (रियल टाइम) में सूचना उपलब्ध कराना, यह बेहतर यात्रा नियोजन और यातायात प्रबंधन में सहायता करता है,कार्य के घंटों और ऊर्जा की बचत करता है और इस प्रकार एक टिकाऊ समाधान प्रस्तुत करता है।
- सार्वजनिक परिवहन के प्रति आकर्षण में वृद्धि करना।
- यातायात के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना।
- माल ढुलाई प्रणाली (फ्रेट लॉजिस्टिक्स सिस्टम) की प्रतिस्पर्धात्मकता और प्रदर्शन में सुधार करना।
भारत जैसे विकासशील देशों में ITS के परिनियोजन में आने वाली चुनौतियां निम्नलिखित हैं:
- प्रौद्योगिकी: सेंसर, डिटेक्टर और संचार युक्ति जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को विकसित किए जाने की आवश्यकता है। एक व्यापक डेटा संग्रहण प्रणाली विकसित करना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
- भारतीय यातायात प्रणाली का प्रारूप तैयार करना – एक विश्वसनीय ITS निर्मित करने के लिए यातायात प्रणाली की उचित समझ होना आवश्यक है।
- आपूर्ति श्रृंखला: वस्तुओं और सेवाओं के प्रभावी, कुशल और सुरक्षित आवागमन के लिए परिवहन क्षेत्र से संबंधित विभिन्न शाखाओं की निर्बाध अंतर क्रियाशीलता।
- ऊर्जा और वहनीयता: ईंधन कुशल परिवहन नीतियों और प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए इसे ऊर्जा क्षेत्र के साथ संयुक्त रूप से कार्य करना चाहिए।
- मानव पूंजी विकास: एक ऐसा कार्यबल जो मौजूदा और उभरती प्रौद्योगिकियों को विकसित, प्रबंधित और सुरक्षित रूप से कार्यान्वित कर सकता है।
- मानक: भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों पर लागू होने वाले ITS मानक स्थापित करना।
- वाहनों की विविधता (हेटरोजेनिटी) का प्रबंधन: एक ITS डिजाइन करना जिसके अंतर्गत विविध प्रकार के वाहनों की संख्या सम्मिलित हों।
- सहभागिता: अकादमिक जगत, उद्योग और सरकारी एजेंसियों के मध्य सक्रिय अंतःक्रिया की प्रक्रिया स्थापित करना।
- विनियमन: यातायात से संबंधित नियमों और विनियमों की स्थापना करना जो ITS के कार्यान्वयन में सहायक सिद्ध होंगे।
यद्यपि भारत द्वारा यातायात को व्यवस्थित करने के लिए एक कुशल परिवहन प्रणाली में प्रवेश हेतु पहले ही सशक्त प्रयास किया जा चुका है। तथापि मुख्यधारा के यातायात प्रबंधन में उन्नत प्रौद्योगिकी और अवधारणाओं का अधिक व्यापक एवं तत्काल एकीकरण समय की मांग है। इसके लिए यातायात प्रणाली हेतु अधिक सक्रिय, प्राप्त करने योग्य, लघु और दीर्घकालिक प्रदर्शन लक्ष्यों को स्थापित करने की आवश्यकता है।
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