वाटरशेड प्रबंधन की अवधारणा
प्रश्न: जल संभर (वाटरशेड)की व्याख्या कीजिए। जल संभर प्रबंधन से आप क्या समझते है? उपयुक्त उदाहरण देते हुए, भारत में जल संसाधन प्रबंधन में इसके महत्व की चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण:
- जल संभर (वाटरशेड) को संक्षेप में परिभाषित करते हुए, वाटरशेड प्रबंधन की अवधारणा पर चर्चा कीजिए।
- तत्पश्चात उदाहरण के रूप में कुछ प्रमुख पहलों को उद्धृत करते हुए भारत में जल संसाधन प्रबंधन में जल संभर प्रबंधन के महत्व पर चर्चा कीजिए।
- उपयुक्त निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
जल संभर एक ऐसा भौगोलिक क्षेत्र है जिससे प्रवाहित होकर जल एक सार्वभौम निकाय – जलधारा, नदी, झील, या सागर में अपवाहित होता है। जल संभर सीमा, जल प्रवाह को पृथक करने वाले जलधारा चैनलों के चारों ओर विद्यमान सर्वोच्च कटकीय रेखा (ridgeline) का अनुसरण करती है। ये जल प्रवाह मूल रूप से वर्षा जल, भूजल और हिम के पिघलने से निर्मित जल के रूप में हो सकते हैं और भूमि के उस निचले या निम्नतम बिंदु पर मिलते हैं जहां जल संभर से बाहर की ओर जल प्रवाहित होता है। तालाब के संदर्भ में जलसंभर कुछ हेक्टेयर तक सीमित हो सकता है जबकि नदियों के संदर्भ में यह सैकड़ों वर्ग किलोमीटर तक विस्तृत हो सकता है।
जल संभर प्रबंधन
- जलसंभर प्रबंधन पृष्ठीय जल और भूजल संसाधनों के कुशल प्रबंधन एवं संरक्षण को संदर्भित करता है।
- इसके अंतर्गत प्रवाहित जल को रोकना और विभिन्न विधियों जैसे अन्त:स्रवण टैंकों (percolation tanks), पुनर्भरण (रिचार्ज) कुओं आदि के माध्यम से भूजल का संचयन एवं पुनर्भरण सम्मिलित है।
- तथापि, व्यापक अर्थों में जल संभर प्रबंधन के अंतर्गत, सभी संसाधनों- प्राकृतिक (जैसे भूमि, जल, पौधे और प्राणियों) एवं मानवीय (जल संभर एवं अन्य) का संरक्षण, पुनरुत्पादन और विवेकपूर्ण उपयोग सम्मिलित है।
- यह सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों और समाज के मध्य संतुलन स्थापित करता है।
भारत में जल संसाधन प्रबंधन में जल संभर प्रबंधन का महत्व:
- वर्षा सिंचित कृषि क्षेत्र भारत के फसल क्षेत्र का 68% है। शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क क्षेत्र के अंतर्गत शामिल विशाल क्षेत्र के साथ, देश के वर्षा सिंचित क्षेत्रों में जल संभर प्रबंधन सबसे व्यवहार्य विकल्प है।
- जल संभर प्रबंधन सूखे एवं बाढ़ दोनों समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है, भूजल पुनर्भरण सुनिश्चित करता है, जल की कमी को नियंत्रित एवं खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
- जल संभर प्रबंधन जल संसाधनों के प्रदूषण को नियंत्रित करने में सहायता कर सकता है, क्योंकि वर्षा के जल एवं पिघलने वाली हिम से उत्पन्न अपवाह का झील या नदी को प्रदूषित करने में अत्यधिक योगदान होता है।
- चूंकि जल संभर सीमा राजनीतिक सीमाओं के अनुरूप नहीं होती है, इसलिए इसका प्रबंधन इसके निचले क्षेत्रों में जल संसाधन के संकट को कम करने में प्रत्यक्ष रूप से सहायक होगा।
महाराष्ट्र के रालेगन सिद्धि गांव में जल संभर प्रबंधन की सफलता उल्लेखनीय रही है। जल संभर प्रबंधन के माध्यम से निरन्तर सूखे से ग्रसित गांव को वर्तमान में जल की अधिशेष की स्थिति में ला दिया गया है। इसने आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ महत्वपूर्ण पर्यावरणीय एवं सामाजिक परिवर्तन करके गांव और ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाया है। एक संसाधन के रूप में जल सीमित मात्रा में विद्यमान है, लेकिन यह जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए अपरिहार्य है। भारत में इसकी मांग और आपूर्ति के मध्य भारी अंतराल विद्यमान है। वर्ष 2015-16 में भारत सरकार द्वारा आरम्भ किए गए जल क्रांति अभियान में देश में प्रति व्यक्ति उपलब्धता के माध्यम से जल सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु जल संभर प्रबंधन मुख्य घटक है।