जैव-आवर्धन और जैव-संचयन की अवधारणाओं की व्याख्या

प्रश्न: जैव-आवर्धन और जैव-संचयन की अवधारणाओं की व्याख्या कीजिए। साथ ही, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर इन दोनों प्रक्रियाओं के हानिकारक प्रभावों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।

दृष्टिकोण

  • उत्तर का प्रारंभ खाद्य श्रृंखला में प्रदूषकों की प्रविष्टि की प्रक्रिया के साथ कीजिए।
  • जैव-आवर्धन और जैव-संचयन की अवधारणाओं की व्याख्या कीजिए।
  • इन दोनों प्रक्रियाओं के पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभावों को रेखांकित कीजिए। साथ ही उदाहरण भी दीजिए।

उत्तर

ऐसे गैर-निम्नीकृत प्रदूषक, जिनका जीवों द्वारा उपापचय नहीं किया जा सकता है, खाद्य श्रृंखला में सम्मिलित होने के उपरांत निम्नीकृत नहीं हो पाते हैं। एक प्रदूषक किसी पारिस्थितिक तंत्र में विभिन्न पोषण स्तरों के माध्यम से आगे बढ़ता है। इसमें मुख्यतः दो प्रकार की प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं:

जैव-संचयन (Bio-accumulation)

सामान्यतः ‘जैव-संचयन’ शब्द का प्रयोग एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने हेतु किया जाता है जिसमें एक जीव अपने पर्यावरण से आहार के रूप में पदार्थ को ग्रहण करता है और अपने शरीर में संगृहीत करता है। यद्यपि यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, परंतु फिर भी स्थायी रसायनों/प्रदूषकों के संबंध में जैव-संचयन को एक अवांछित परिघटना के रूप में देखा जाता है क्योंकि इस प्रक्रिया के माध्यम से इन प्रदूषकों की मात्रा में हानिकारक स्तरों तक वृद्धि हो सकती है। यह तब घटित होती है जब किसी जीव द्वारा किसी विषाक्त पदार्थ के अवशोषण की दर उस पदार्थ के क्षय होने की दर की तुलना में अधिक होती है।

जैव-आवर्धन (Biomagnification)

जैव-आवर्धन उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसके अंतर्गत पोषण स्तरों में ऊपर की ओर जाने पर परभक्षी जीवों में अपने शिकार की तुलना में उच्च मात्रा में पदार्थों का सांद्रण होता जाता है। इस प्रक्रिया में पर्यावरण में न्यून मात्रा में मौजूद प्रदूषक (जैसे- कीटनाशकों में पाए जाने वाली कुछ भारी धातुएं एवं कार्बनिक एजेंट) खाद्य श्रृंखला के सर्वोच्च स्तर के जीवों में उच्च मात्रा में संकेंद्रित हो जाते हैं। यह तब घटित होता है जब कोई प्रदूषक निम्नीकरण, गतिशीलता तथा वसा में घुलनशीलता के प्रति प्रतिरोधी होता है, जल प्रतिरोधकता प्रदर्शित करता है तथा जैविक रूप से सक्रिय होता है।

जैव-आवर्धन खाद्य श्रृंखला में विभिन्न पोषण स्तरों पर घटित होता है जबकि जैव-संचयन केवल एक पोषण स्तर में घटित होता है।

जैव-संचयन और जैव-आवर्धन के उदाहरण

पोषक तत्वों के संग्रहण की प्रक्रिया में पादक प्लवक (phytoplankton) कुछ मानव निर्मित रसायनों, विशेषकर DDT जैसे स्थायी रसायनों को संग्रहीत कर लेते हैं। ये रसायन जैविक रूप से जीव में संचयित होते रहते हैं (जैव-संचयन) और खुले जल (उनके परिवेश) की तुलना में जीवित कोशिकाओं के अंदर इनका सांद्रण उच्च होता है।

छोटी मछली और प्राणी प्लवक विशाल मात्रा में पादक प्लवकों का सेवन करते हैं। इससे पादक प्लवकों द्वारा एकत्रित विषाक्त रसायन इनका सेवन करने वाले पशुओं के शरीर में संकेंद्रित हो जाते हैं। यह खाद्य श्रृंखला में प्रत्येक चरण में दोहराया जाता है और इसे जैव-आवर्धन कहा जाता है।

किसी दीर्घ खाद्य श्रृंखला में शीर्ष स्तर के परभक्षी, जैसे- लेक ट्राउट, बड़े सेल्मन एवं मछली खाने वाले मुर्गाबी (gull), खुले जल में रसायन की सांद्रता के न्यूनतम होने के बावजूद विषाक्त रसायन की पर्याप्त सांद्रता को संचित करके गंभीर विकृतियों से ग्रस्त हो जाते हैं या उनकी मृत्यु तक हो सकती है।

पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव

  • जलीय जीवों के प्रजनन एवं विकास पर प्रभाव: जलीय जीवों में DDT, पारे जैसे विषाक्त तत्वों का संचयन उनके प्रजनन एवं विकास को प्रभावित कर सकता है।
  • प्रवाल भित्तियों को नुकसान: सोने के निक्षालन के दौरान साइनाइड का उपयोग तथा मछली पकड़ने के कारण प्रवाल भित्तियां (जो समुद्री जीवों हेतु भोजन एवं आश्रय प्रदान करती हैं) क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
  • खाद्य श्रृंखला में व्यवधान: जब रसायन और अन्य विषाक्त तत्व मृदाओं, नदियों, झीलों या समुद्र में सम्मिलित हो जाते हैं और विभिन्न जीवों द्वारा इनको ग्रहण किया जाता है, तब ये खाद्य श्रृंखला के अंतर्गत विभिन्न संबंधों में व्यवधान उत्पन्न करते हैं।

मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव

पारे और पॉलीसाइक्लिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बनों (PAHs) से विषाक्त समुद्री खाद्य पदार्थों (सीफूड) को ग्रहण करना हेपेटाइटिस और कैंसर जैसे रोगों का प्रमुख कारण बन सकता है तथा अन्य जीवों की उत्तरजीविता, विकास एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इसके अतिरिक्त कैडमियम, क्रोमियम जैसी भारी धातुओं से संपर्क और आयरन एवं जिंक जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का अत्यधिक संग्रहण तंत्रिका तंत्र, यकृत एवं गुर्दो पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

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