1.जैन धर्म के संस्थापक हैं-
(a) आर्य सुधर्मा
(b) महावीर स्वामी
(c) पार्श्वनाथ
(d) ऋषभदेव
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर- (d) ऋषभदेव
- ऋषभदेव या आदिनाथ जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे।
- महावीर स्वामी 24वें तीर्थंकर थे जिन्होंने छठी शताब्दी ईसा पूर्व में जैन मान्यताओं का प्रसार किया था।
|
2.जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ निम्नलिखित स्थानों में से मुख्यतः किससे संबंधित थे?
(a) वाराणसी
(c) गिरिब्रज
(b) कौशाम्बी
(d) चम्पा
[U.P.P.C.S (Mains) 2016]
उत्तर- (a) वाराणसी
- भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे।
- उनका जन्म वाराणसी शहर में राजा अश्वसेन और रानी वामा के यहाँ हुआ था।
- उन्हें वाराणसी के निकट आश्रमपद उद्यान में कैवल्य (संपूर्ण ज्ञान) प्राप्त हुआ और सम्मेद शिखर या सम्मेत पर्वत पर उनका निधन हुआ।
|
3.सूची-I को सूची -II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
सूची-I |
सूची-II |
(तीर्थंकर) |
( प्रतिमा लक्षण ) |
A. आदिनाथ |
1. वृषभ |
B. मल्लिनाथ |
2. अश्व |
C. पार्श्वनाथ |
3. सर्प |
D. संभवनाथ |
4. जल कलश |
कूट:
A B C D
(a) 1 4 3 2
(b) 1 3 2 4
(c) 2 4 3 1
(d) 3 1 4 2
[U.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उतर- (a) 1 4 3 2
सूची-I एवं सूची-IIका सुमेलन निम्नवत है-
सूची-I |
सूची-II |
(तीर्थंकर) |
(प्रतिमा लक्षण) |
आदिनाथ |
वृषभ |
मल्लिनाथ |
सर्प |
संभवनाथ |
अश्व |
|
4.सूची एवं सूची-I को सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
सूची-I |
सूची-II |
(तीर्थंकर) |
(उनके संज्ञान) |
(A) पार्श्वनाथ |
(i) वृषभ |
(B) आदिनाथ |
(ii) सिंह |
(C) महावीर |
(iii) सर्प |
(D) शांतिनाथ |
(iv) हिरण |
कूट:
(a) A-((ii), B-(iii), C- (iv), D- (i)
(b) A-(iv), B-(i), C- (i), D- (i)
(e) A-(1), B-(n), C- (m) D (iv)
(d) A-(iii), B-(i), C-(ii). D-(iv)
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (d) A-(iii), B-(i), C-(ii). D-(iv)
सही सुमेलन इस प्रकार है-
सूची-I |
सूची-II |
(तीर्थंकर) |
(उनके संज्ञान) |
पार्श्वनाथ |
सर्प |
आदिनाथ |
वृषभ |
महावीर |
सिंह |
शांतिनाथ |
हिरण |
|
5.निम्नलिखित में से कौन-सा एक युग्म सही सुमेलित नहीं-
(तीर्थंकर) |
(निर्वाण स्थल) |
(a) ऋषमनाथ |
अष्टापद |
(b) वासुपूज्य |
सम्मेदशिखर |
(c) नेमिनाथ |
ऊर्जयंत |
(d) महावीर |
पावापुरी |
[U.P.P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) वासुपूज्य – सम्मेदशिखर
- वासुपूज्य के पिता चंपा के राजा थे।
- उनकी माता जया देवी थीं।
- जया देवी गर्भवती थीं, देवताओं के राजा ने अजन्मे बच्चे का सम्मान करने के लिए दौरा किया।
- इसलिए, बच्चे का नाम वासुपूज्य (वासु द्वारा पूजनीय) रखा गया।
- केवल एक महीने के ध्यान के बाद वह प्रबुद्ध हो गए और आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष के 14वें दिन, भारत के चंपापुरी में मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त की।
|
6.निम्नलिखित तीर्थकरों पर विचार कीजिए तथा उनको सही कालक्रमानुसार व्यवस्थित कीजिए-
I. अभिनंदन
11. विमल नाथ
III. मुनिसुव्रतनाथ
IV. पद्मप्रभ
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए।
कूट:
(a) I, IV. II और III
(b) III, III और IV
(d) IV. I, III और II
(c) IV. III. I और II
[U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2016]
उत्तर- (a) I, IV. II और III
क्रमांक |
तीर्थंकर नाम |
प्रतीक |
जन्मस्थल |
रंग |
1 |
ऋषभनाथ (आदिनाथ) |
साँड़ |
अयोध्या |
स्वर्ण |
2 |
अजितानाथ |
हाथी |
अयोध्या |
स्वर्ण |
3 |
संभवनाथ |
घोड़ा |
श्रावस्ती |
स्वर्ण |
4 |
अभिनंदननाथ |
बंदर |
समेट सिखर |
स्वर्ण |
5 |
सुमतिनाथ |
बगला |
अयोध्या |
स्वर्ण |
6 |
पद्मप्रभा |
पद्मा |
समेट सिखर |
लाल |
7 |
सुपार्श्वनाथ |
स्वस्तिक |
समेट सिखर |
स्वर्ण |
8 |
चन्द्रप्रभा |
वर्धमान चाँद |
चंद्रपुरी |
सफ़ेद |
9 |
पुष्पदंत |
मगरमच्छ |
काकंदी |
सफ़ेद |
10 |
शीतलनाथ |
श्रीवत्स |
भद्रक पुरी |
स्वर्ण |
11 |
श्रेयांसनाथ |
गैंडा |
समेट सिखर |
स्वर्ण |
12 |
वासुपूज्य |
भैंस |
चंपापुरी |
लाल |
13 |
विमलनाथ |
सूअर |
काम्पिल्य |
स्वर्ण |
14 |
अनंतनाथ |
फाल्कन |
अयोध्या |
स्वर्ण |
15 |
धर्मनाथ |
वज्र |
रत्नपुरी |
स्वर्ण |
16 |
शांतिनाथ |
मृग या हिरण |
हस्तिनापुर |
स्वर्ण |
17 |
कुंथुनाथ |
बकरी |
हस्तिनापुर |
स्वर्ण |
18 |
अरनाथ |
नंद्यावर्त या मछली |
हस्तिनापुर |
स्वर्ण |
19 |
मल्लीनाथ |
कलशा |
मिथिला |
नीला |
20 |
मुनिसुव्रत |
कछुआ |
कुशाग्रनगर |
काला |
21 |
नमिनाथ |
नीला कमल |
मिथिला |
स्वर्ण |
22 |
नेमिनाथ |
शंखा |
द्वारिका |
काला |
23 |
पार्श्वनाथ |
साँप |
काशी |
नीला |
24 |
महावीर |
शेर |
क्षत्रियकुंड |
स्वर्ण |
7.महावीर स्वामी का जन्म कहां हुआ था ?
(a) कुंडग्राम में
(b) पाटलिपुत्र में
(c) मगध में
(d) वैशाली में
[42nd B.P.S.C. (Pre) 1997, 47th B.P.S.C. (Pre) 2005, 53rl to 55B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर- (a) कुंडग्राम में
- महावीर स्वामी का जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व वैशाली के निकट कुंडग्राम में हुआ था।
- उनकी मां त्रिशला थीं, जो लिच्छवी गणराज्य के प्रमुख की बहन थीं और उनके पिता सिद्धार्थ थे, जो ज्ञात्रिक क्षत्रियों के नेता थे।
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8.जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर जी का मोक्ष स्थान कहाँ स्थित है ?
(a) मनेर
(b) राजगीर
(c) पावापुरी
(d) जालन फोर्ट
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[63rd B.P.S.C. (Pre) 2017]
उत्तर-(c) पावापुरी
- महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व में वैशाली के निकट कुंडग्राम क्षेत्र में हुआ था।
- महावीर की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में 468 ईसा पूर्व में पावा (पटना के पास पावापुरी) में हुई।
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9. तीर्थकर शब्द संबंधित है-
(a) बौद्ध
(b) ईसाई
(c) हिंदू
(d) जैन
[U.P.P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (d) जैन
- तीर्थंकर जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- 24 तीर्थंकरों को समय के साथ अपने ज्ञान और शिक्षाओं को साझा करने के लिए जाना जाता है।
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10. निम्नलिखित में से कौन एक जैन तीर्थंकर नहीं था ?
(a) चंद्रप्रभु
(b) नाथमुनि
(c) नेमि
(d) संभव
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]
उत्तर-(b) नाथमुनि
- नाथमुनि (823 सीई – 951 सीई), जिन्हें श्री रंगनाथमुनि के नाम से भी जाना जाता है, एक वैष्णव धर्मशास्त्री थे जिन्होंने नालयिर दिव्य प्रबंधम का संग्रह और संकलन किया था।
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11. प्रभासगिरि जिनका तीर्थ स्थल है. वे हैं –
(a) बौद्ध
(b) जैन
(c) शेव
(d) वैष्णव
[U.P.P.C.S. (SpL) (Pre) 2008]
उत्तर-(b) जैन
- प्रभासगिरि उत्तर प्रदेश के कौशांबी में जैनियों के लिए एक पवित्र स्थान है।
- यह छठे जैन तीर्थंकर पद्मप्रभा से जुड़ा है।
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12. जैन धर्म में पूर्ण ज्ञान के लिए क्या शब्द है?
(a) जिन
(b) रत्न
(c) कैवल्य
(d) निर्वाण
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर-(c) कैवल्य
- जैन धर्म में कैवल्य शब्द का अर्थ ‘संपूर्ण ज्ञान’ है।
- महावीर स्वामी को यह ज्ञान जृंभिक गांव के पास, रिजुपालिका नदी के पास, एक साल वृक्ष के नीचे, 12 वर्षों की गहन साधना के बाद प्राप्त हुआ।
- इसलिए उन्हें केवलिन के नाम से जाना जाता है।
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13.त्रिरत्न सिद्धांत सम्यक् धारण, सम्यक चरित्र एवं सम्यक् ज्ञान जिस धर्म की महिमा है, वह है-
(a) बौद्ध धर्म
(b) ईसाई धर्म
(c) जैन धर्म
(d) इनमें से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Pre) 2004]
उत्तर-(c) जैन धर्म
- जैन दर्शन में, पीड़ा से मुक्ति के लिए तीन चीजों को आवश्यक माना जाता है: सही विश्वास, कर्म और ज्ञान।
- जैन धर्म में इन तीन चीजों को ‘त्रिरत्न’ कहा जाता है।
- बंधन और अशुभ शकुनों के प्रभाव से मुक्ति को संवर तत्व कहा जाता है।
- कर्मों का नाश ही निर्जरा तत्व है।
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14. कौन-सा दर्शन त्रिरत्न को मानता है?
(a) बौद्ध दर्शन
(b) न्याय दर्शन
(c) योग दर्शन
(d) जैन दर्शन
(c) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (d) जैन दर्शन
- जैन नैतिक आचार संहिता में समाधि मरण, सल्लेखना और संन्यास मरण नामक अंतिम व्रत शामिल है।
- जैन साधु और आम लोग जब बुढ़ापे, किसी असाध्य बीमारी या मृत्यु निकट होने के कारण अपने जीवन के अंत तक पहुँचते हैं, तो धीरे-धीरे अपने भोजन और पेय का सेवन कम करके इस व्रत का पालन करते हैं।
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15. अणुव्रत सिद्धांत का प्रतिपादन किया था-
(a) महायान बौद्ध संप्रदाय ने
(b) हीनयान बौद्ध संप्रदाय ने
(c) जैन धर्म ने
(d) लोकायत शाखा ने
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(c) जैन धर्म ने
- जैन धर्म में, भिक्षु अपनी आत्मा के उत्थान के लिए दृढ़ संकल्पित हैं और इसलिए वे सांसारिक सुखों को त्याग देते हैं और पांच मुख्य व्रतों का पालन करते हैं जिन्हें महाव्रत कहा जाता है: अहिंसा, सत्यता, ब्रह्मचर्य, चोरी न करना और अपरिग्रह।
- सामान्य व्यक्ति के लिए इनका पालन करना कठिन होता है, इसलिए वे अणुव्रत (‘छोटी प्रतिज्ञा’) लेते हैं जो महाव्रतों के छोटे संस्करण हैं।
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16. स्याद्वाद सिद्धांत है-
(a) लोकायत धर्म का
(b) शैव धर्म का
(c) जैन धर्म का
(d) वैष्णव धर्म का
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर-(c) जैन धर्म का
- महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें आध्यात्मिक नेता थे।
- उन्होंने वेदों की उन मान्यताओं और उनसे जुड़े रीति-रिवाजों को अस्वीकार कर दिया जिन्हें वे गलत मानते थे।
- इसके स्थान पर उन्होंने “अनेकांतवाद” या “स्याद्वाद” नामक मध्यम मार्ग अपनाया।
- स्याद्वाद को “सप्तभंगी नय” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि ज्ञान पूर्ण नहीं है।
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17. निम्नलिखित में से कौन-कौन से सिद्धांत जैन धर्म से संबंधित हैं?
(i) अनेकांतवाद
(ii) सर्वस्तिवाद
(iii) शून्यवाद
(iv) स्याद्वाद
नीचे दिए गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) (i) एवं (iv)
(b) (ii) एवं (iv)
(c) (i), (ii) एवं (iii)
(d) (ii) एवं (iii)
[R.A.S./R.T.S (Pre) 2021]
उत्तर- (a) (i) एवं (iv)
- महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें नेता थे जो वेदों और उनकी परंपराओं से असहमत थे।
- उन्होंने बीच का रास्ता चुना जिसे ‘अनेकांतवाद’ या ‘स्याद्वाद’ कहा जाता है जिसका अर्थ है कि ज्ञान सापेक्ष है।
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18. जैन दर्शन के अनुसार, सृष्टि की रचना एवं पालन-पोषण
(a) सार्वभौमिक विधान से हुआ है।
(b) सार्वभौमिक सत्य से हुआ है।
(c) सार्वभौमिक आस्था से हुआ है।
(d) सार्वभौमिक आत्मा से हुआ
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (a) सार्वभौमिक विधान से हुआ है।
- जैन धर्म के अनुसार ब्रह्माण्ड का मौलिक सत्य स्वरूप एक सार्वभौमिक नियम का पालन करता है।
- ब्रह्मांड में हर चीज़ शाश्वत है और समय के साथ अपने गुणों को खोए बिना बदलती रहती है।
- जैन धर्म का मानना है कि ब्रह्मांड अनंत है और इसे बनाने या प्रबंधित करने के लिए किसी उच्च शक्ति की सहायता की आवश्यकता नहीं है; यह प्रकृति के अपने नियमों द्वारा नियंत्रित होता है।
|
19. अनेकांतवाद निम्नलिखित में से किसका क्रोड सिद्धांत एवं दर्शन है?
(a) बौद्ध मत
(b) जैन मत
(c) सिख मत
(d) वैष्णव मत
[I.A.S. (Pre) 2009, Jharkhand P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर-(b) जैन मत
- अनेकांतवाद जैन धर्म का क्रोड सिद्धांत एवं दर्शन है। इसे सप्तभंगी सिद्धांत भी कहते हैं।
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20. निम्नलिखित में से कौन-सा धर्म ‘विश्व विनाशकारी प्रलय’ की अवधारणा में विश्वास नहीं करता?
(a) बौद्ध धर्म
(b) जैन धर्म
(c) हिंदू धर्म
(d) इस्लाम
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर-(b) जैन धर्म
- जैन मान्यता के अनुसार सार्वभौमिक नियम ही ब्रह्मांड का सच्चा स्वरूप है।
- ब्रह्मांड में सब कुछ शाश्वत है और क्रमिक परिवर्तनों से गुजरता है।
- जैनियों का मानना है कि ब्रह्मांड कभी शुरू या समाप्त नहीं हुआ, और इसे बनाने या नियंत्रित करने के लिए किसी सर्वशक्तिमान प्राणी की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह अपने स्वयं के नियमों का पालन करता है।
|
21. जैन धर्म का आधारभूत बिंदु है-
(a) कर्म
(b) निष्ठा
(c) अहिंसा
(d) विराग
[U.P.P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर-(c) अहिंसा
- जैन धर्म अहिंसा पर जोर देने के लिए जाना जाता है।
- यह सिद्धांत किसी भी अन्य मान्यता, नियम या रीति-रिवाज से अधिक महत्वपूर्ण है।
- जैन धर्म के मूल मूल्य हैं अहिंसा, अनेक दृष्टिकोणों को स्वीकार करना और आवश्यकता से अधिक न लेना
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22. यापनीय किसका एक संप्रदाय था ?
(a) बौद्ध धर्म का
(b) जैन धर्म का
(c) शैव धर्म का
(d) वैष्णव धर्म का
[U.P.P.C.S (Pre) 2010]
उत्तर-(b) जैन धर्म का
- यापनिया जैन धर्म का एक हिस्सा था जिसकी शुरुआत दिगंबरों से मानी जाती है।
- उन्होंने कुछ श्वेतांबर मान्यताओं का भी अभ्यास किया।
- वे अपने मंदिरों में बिना कपड़ों के तीर्थंकरों की मूर्तियों की पूजा करते थे।
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23. भारत की धार्मिक प्रथाओं के संदर्भ में स्थानकवासी संप्रदाय का संबंध किससे है ?
(a) बौद्ध मत
(b) जैन मत
(c) वैष्णव मत
(d) शैव मत
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(b) जैन मत
- स्थानकवासी श्वेतांबर जैन धर्म की एक शाखा है जिसकी शुरुआत 1653 ई. में हुई थी
- इसका गठन लोनकाशा द्वारा स्थापित ‘लोनका’ नाम से जाने जाने वाले एक पुराने सुधारवादी समूह से हुआ था।
- इस संप्रदाय का मानना है कि आध्यात्मिक विकास हासिल करने और निर्वाण तक पहुंचने के लिए मूर्तियां आवश्यक नहीं हैं।
- स्थानकवासियों में मंदिर नहीं हैं, बल्कि केवल स्थानक हैं, जो प्रार्थना-कक्ष की तरह हैं।
|
24. निम्नलिखित में से कौन सबसे पूर्वकालिक जैन ग्रंथ कहलाता है?
(a) बारह अंग
(b) बारह उपांग
(c) चौदह पूर्व
(d) चौदह उपपूर्व
[41- B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर-(c) चौदह पूर्व
- चौदह पूर्व एक प्राचीन जैन ग्रंथ है जिसे सभी तीर्थंकरों द्वारा पढ़ाया गया था।
- अंतिम नंद शासक के समय संभूतविजय और भद्रबाहु संघ के नेता थे।
- ये दोनों आखिरी लोग थे जो महावीर द्वारा दिए गए 14 पूर्व ग्रंथों के बारे में जानते थे।
|
25. प्रारंभिक जैन साहित्य निम्नलिखित में से किस भाषा में लिखे गए ?
(a) अर्धमागधी
(b) पालि
(c) प्राकृत
(d) संस्कृत
[U.P.P.C.S. (Mains) 2006]
उत्तर- (a) अर्धमागधी
- जैन धार्मिक ग्रंथ मूल रूप से अर्ध-मागधी नामक प्राकृत भाषा की एक बोली में लिखे गए थे।
- इन्हें छठी शताब्दी में गुजरात के वल्लभी नामक स्थान पर एक साथ रखा गया था।
|
26. निम्नलिखित में से कौन-सा स्थल पार्श्वनाथ से संबद्ध होने के कारण जैन सिद्ध क्षेत्र माना जाता है ?
(a) चम्पा
(b) पावा
(c) सम्मेद शिखर
(d) ऊर्जयंत
[U.P.P.C.S. (Pre) 2002 U.P. Lower Sub. (Pre) 2002]
उत्तर-(c) सम्मेद शिखर
- पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें आध्यात्मिक नेता थे।
- उनका जन्म 850 ईसा पूर्व में वाराणसी के राजा अश्वसेन और रानी वामा के घर हुआ था और वह इक्ष्वाकु वंश का हिस्सा थे।
- वह वाराणसी के राजकुमार के रूप में रहते थे, लेकिन जब वह 30 वर्ष के थे तो उन्होंने भिक्षु बनने का फैसला किया।
- आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने से पहले उन्होंने 84 दिनों तक ध्यान किया।
- उनका निधन सम्मेद शिखर में हुआ, जो अब जैनियों का तीर्थ स्थल माना जाता है।
|
27. निम्नलिखित में से कौन-सा आरंभिक जैन साहित्य का भाग नहीं है?
(a) थेरीगाथा
(b) आचारांग सूत्र
(c) सूत्रकृतांग
(d) बृहत्कल्पसूत्र
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर- (a) थेरीगाथा
- थेरीगाथा एक बौद्ध पवित्र पुस्तक है जिसमें प्रारंभिक बौद्ध भिक्षुणियों (भिक्षुनिस) की कहानियाँ शामिल हैं।
- उनकी कहानियाँ सच्चाई और सुंदरता के साथ बताई गई हैं, और दिखाती हैं कि वे कितनी उल्लेखनीय महिलाएँ थीं।
- जैन धर्मग्रंथों में भी ऐसी ही कहानियाँ शामिल हैं।
|
28. जैन संप्रदाय में प्रथम विभाजन के समय श्वेतांबर संप्रदाय के संस्थापक थे-
(a) स्थूलभद्र
(b) भद्रबाहु
(c) कालकाचार्य
(d) देवर्धि-क्षमा श्रमण
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999)]
उत्तर- (a) स्थूलभद्र
- भगवान महावीर के जाने के लगभग 150 वर्ष बाद, भोजन की कमी के कारण 12 वर्षों तक अकाल पड़ा।
- इससे जैन भिक्षुओं के लिए अपनी आचार संहिता का पालन करना कठिन हो गया।
- परिणामस्वरूप, भद्रबाहुस्वामी ने अपने कुछ अनुयायियों के साथ दक्षिण की ओर जाने का निर्णय लिया।
- जो लोग पीछे रह गए उन्हें जो सीखा था उसे याद रखने में कठिनाई हुई और उन्होंने सफेद कपड़े पहने।
- जो लोग भद्रबाहुस्वामी के साथ दक्षिण की ओर चले गए, उन्होंने कोई भी कपड़ा नहीं पहनना चुना और उन्हें दिगंबर कहा गया, जबकि जो लोग उत्तर में रुके थे, वे सफेद कपड़े पहनने के कारण श्वेतांबर कहलाए।
|
29. भगवान महावीर का प्रथम शिष्य था-
(a) जमालि
(b) योसुद
(c) विपिन
(d) प्रभाष
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर- (a) जमालि
- जमाली, जो महावीर के दामाद थे, यात्रा के दौरान उनसे मिलने वाले पहले लोगों में से एक थे।
- वे दोनों क्षत्रिय-कुंडग्राम में मिले, जो महावीर का जन्मस्थान था।
- जमाली और योद्धा जाति के पांच सौ अन्य सदस्यों ने भगवान महावीर के साथ प्रतिज्ञा की, जिससे जमाली पहला शिष्य बन गया।
|
30. किस जैन सभा में अंतिम रूप से श्वेतांबर आगम का संपादन हुआ ?
(a) वैशाली में
(b) वल्लभी में
(c) पावा में
(d) पाटलिपुत्र में
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर- (d) पाटलिपुत्र में
- चंद्रगुप्त मौर्य के शासन में, श्वेतांबर आगम को संपादित करने के लिए पहली जैन परिषद आयोजित की गई थी।
- चूंकि पुराने जैन ग्रंथ नष्ट हो गए थे, इसलिए चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में एक और जैन परिषद की स्थापना की गई थी, जिसमें भद्रबाहु के अनुयायी शामिल नहीं हुए थे।
|
31.जैन साहित्य से संबंधित निम्नलिखित कथनों को पढ़िए तथा सटीक विकल्प को चुनिए-
कथन I श्वेतांबर धर्मसूत्र में 12 अंग शामिल हैं।
कथन II श्वेतांबर परंपरा के अनुसार इन अंगों का संकलन वल्लभी में आयोजित एक धर्मसभा में किया गया था।
(a) कथन एवं कथन II दोनों ही सही हैं।
(b) कथन I गलत है, लेकिन कथन II सही है।
(c) कथन I एवं कथन II दोनों ही गलत हैं।
(d) कथन सही है, लेकिन कम्पन II गलत है।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2020)]
उत्तर- (d) कथन I सही है, लेकिन कम्पन II गलत है।
- जैन धर्म की श्वेतांबर परंपरा के बारह मुख्य भाग हैं, जिन्हें अंग के नाम से जाना जाता है, जिन्हें महावीर की शिक्षाओं के आधार पर 310 ईसा पूर्व के आसपास पाटलिपुत्र में एक सभा में संकलित किया गया था।
|
32. निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
1. वर्द्धमान महावीर की माता, लिच्छवी के मुख्य चेटक की पुत्री थी
2. गौतम बुद्ध की माता कोलिय राजवंश की राजकुमारी थीं।
3. 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ बनारस से थे।
इन कथनों में कौन-सा/से सही है/ है ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 2 तथा 3
(d) 1,2 तथा 3
[I.A.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(c) 2 तथा 3
- महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार में वैशाली के पास एक गाँव कुंडग्राम में हुआ था।
- उनका वास्तविक नाम वर्धमान था।
- उनके पिता, सिद्धार्थ, वैशाली लोगों के ज्ञात्रिक क्षत्रिय वंश के नेता थे, और उनकी माँ, त्रिशला, लिच्छवी के राजा चेटक की बहन थीं।
- महावीर का संबंध मगध के शासक बिम्बिसार से भी था, जिसने चेटक की बेटी चेल्लाना से विवाह किया था।
|
33.प्राचीन जैन धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही है ?
(a) स्थूलबाहु के नेतृत्व में दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार हुआ।
(b) ‘पाटलिपुत्र’ में हुई परिषद के पश्चात जो जैन धर्म के लोग भद्रबाहु के नेतृत्व में रहे, वे श्वेतांबर कहलाए।
(c) प्रथम शतक ई.पू. में जैन धर्म को कलिंग के राजा खारवेल का समर्थन मिला।
(d) बौद्धों के विपरीत जैन धर्म की प्रारंभिक अवस्था में, जैन धर्म के लोग चित्रों का पूजन करते थे।
[I.A.S. (Pre) 2004]
उत्तर-(c) प्रथम शतक ई.पू. में जैन धर्म को कलिंग के राजा खारवेल का समर्थन मिला।
- विकल्प (सी) सही उत्तर है।
- भद्रबाहुस्वामी ने दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रसार किया और जैन धर्म का पालन करने वाले लोग दिगंबर कहलाये।
- कलिंग राजा खारवेल जैन धर्म के अनुयायी थे और उन्होंने जैन धर्म को सहायता प्रदान की थी
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34. निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन जैन सिद्धांत के अनुरूप है । हैं?
1. कर्म को विनष्ट करने का सुनिश्चित मार्ग तपश्चर्या है।
2. प्रत्येक वस्तु में, चाहे वह सूक्ष्मतम कण हो, आत्मा होती है।
3. कर्म आत्मा का विनाशक है और अवश्य इसका अंत करना चाहिए।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए ।
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (d) 1, 2 और 3
- जैन धर्म सिखाता है कि हर एक चीज़, यहाँ तक कि सबसे छोटे कण में भी एक आत्मा होती है।
- उनका मानना है कि कर्म का नियम हर किसी और हर चीज पर लागू होता है।
- यह कानून कहता है कि हम जो भी कार्य करते हैं – सोचना, बोलना या करना – उसका एक प्रभाव होगा, जो फिर किसी अन्य कार्य के लिए कारण के रूप में काम करेगा।
- कारण और प्रभाव की इस श्रृंखला को कर्म के नाम से जाना जाता है।
- किसी भी समय किसी आत्मा की स्थिति उसके द्वारा पूरे समय में संचित किये गये कर्मों से निर्धारित होती है।
- कर्म में न केवल पुनर्जन्म का चक्र शामिल होता है, बल्कि इसे एक अदृश्य शक्ति भी माना जाता है जो आत्मा में उसके प्राकृतिक, स्पष्ट गुणों को ढकने के लिए घुसपैठ करती है।
- कर्म के अनुसार, एक आत्मा का पुनर्जन्म अस्तित्व के विभिन्न चरणों में होगा, जैसे स्वर्ग या नरक, या मनुष्य या जानवर के रूप में।
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35. “समाधि मरण किस दर्शन से संबंधित है ?
(a) बौद्ध दर्शन
(b) जैन दर्शन
(c) योग दर्शन
(d) लोकायत दर्शन
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर-(b) जैन दर्शन
- जैन नैतिक आचार संहिता में समाधि मरण, सल्लेखना और संन्यास मरण नामक अंतिम व्रत शामिल है।
- जैन साधु और आम लोग जब बुढ़ापे, किसी असाध्य बीमारी या मृत्यु निकट होने के कारण अपने जीवन के अंत तक पहुँचते हैं, तो धीरे-धीरे अपने भोजन और पेय का सेवन कम करके इस व्रत का पालन करते हैं।
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36.निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –
1. दक्षिण भारत के इक्ष्वाकु शासक बौद्धमत के विरोधात्मक थे।
2. पूर्वी भारत के पाल शासक बौद्धमत के समर्थक थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा /से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों 1 और 2
(d) न ही और 2
[I.A.S. (Pre) 2006]
उत्तर-(b) केवल 2
- तीसरी और चौथी शताब्दी में इक्ष्वाकु वंश ने दक्षिणी भारत पर शासन किया।
- वे वैदिक धर्म का पालन करते थे, लेकिन बौद्ध धर्म का भी समर्थन करते थे।
- पाल राजवंश के दौरान, बंगाल बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया क्योंकि पालों ने इसका समर्थन किया था।
- इसलिए, कथन (I) गलत है और कथन (II) सही है।
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37. आजीवक संप्रदाय के संस्थापक थे-
(a) आनंद
(b) राहुलभद्र
(c) मक्खलिगोसाल
(d) उपालि
[39- B.P.S.C. (Pre) 1994, U.P.P.C.S. (Pre) 1996]
उत्तर-(c) मक्खलिगोसाल
- मक्खलि गोशाल महावीर के अनुयायी थे, लेकिन बाद में वे असहमत थे और गोशाल ने आजीवक नामक अपना धर्म शुरू किया।
- इस धर्म का मानना था कि दुनिया में जो कुछ भी होता है वह भाग्य द्वारा निर्धारित होता है।
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38. बराबर की गुफाओं का उपयोग किसने आश्रयगृह के रूप में किया ?
(a) आजीवकों ने
(b) थारूओं ने
(c) जैनों ने
(d) तांत्रिकों ने
[40th B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर- (a) आजीवकों ने
- पहाड़ों को काटकर उनमें घर बनाने की प्रथा अशोक और उनके पोते दशरथ के समय में सिद्ध हुई थी।
- बराबर और नागार्जुनी की पहाड़ियों को काटकर आजीवक अनुयायियों के लिए घर बनाए गए।
- बाराबर गुफाओं के भीतर ‘सुदामा की गुफा’ और ‘कर्ण चौपड़’, जो अशोक काल के दौरान बनाई गई थीं, प्रसिद्ध थीं।
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39. उत्तर प्रदेश में बौद्ध एवं जैनियों दोनों की प्रसिद्ध तीर्थस्थली है-
(a) सारनाथ
(b) कौशाम्बी
(c) कुशीनगर
(d) देवीपाटन
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2007 , U.P.U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]
उत्तर-(b) कौशाम्बी
- कौशांबी जिला 4 अप्रैल 1997 को प्रयागराज से अलग हो गया और यह प्रयागराज के दक्षिण-पश्चिम से 33 मील दूर है।
- वैदिक और जैन साहित्य में इसका उल्लेख कई बार किया गया है।
- पुराणों में कहा गया है कि निकक्षु, जो परीक्षित की पंक्ति में छठे थे, ने अपनी राजधानी हस्तिनापुर से कौशांबी स्थानांतरित कर दी क्योंकि हस्तिनापुर बाढ़, टिड्डियों के आक्रमण और कुरु परिवार के भीतर उथल-पुथल से क्षतिग्रस्त हो गया था।
- जैन स्रोतों के अनुसार, कौशांबी का नाम शहर में कुशंब के पेड़ों की प्रचुरता के कारण रखा गया था।
- यह जैनियों और बौद्धों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है।
- महात्मा बुद्ध ने यहां कई उपदेश दिए और कई शिष्य बनाए।
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40. निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही नहीं है?
(a) श्रवणबेलगोला स्थित गोमतेश्वर की प्रतिमा जैनियों के अंतिम तीर्थकर को दर्शाती है।
(b) भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ अरुणाचल प्रदेश में है।
(c) खजुराहो के मंदिर चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए।
(d) होयसलेश्वर मंदिर शिव को समर्पित है।
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर- (a) श्रवणबेलगोला स्थित गोमतेश्वर की प्रतिमा जैनियों के अंतिम तीर्थकर को दर्शाती है।
- श्रवणबेलगोला कर्नाटक का एक शहर है, जो गोम्मटेश्वर बाहुबली प्रतिमा का घर है, जो जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण पवित्र स्थल है।
- महावीर स्वामी जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर थे, इसलिए विकल्प (ए) गलत है।
- अरुणाचल प्रदेश में तवांग मठ भारत का सबसे बड़ा मठ है।
- खजुराहो स्मारक चंदेला राजपूत राजवंश के दौरान बनाए गए थे।
- होयसेलेश्वर मंदिर हिंदू भगवान शिव को समर्पित है।
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41. महान धार्मिक घटना, महामस्तकाभिषेक, निम्नलिखित में से किससे संबंधित है और किसके लिए की जाती है ?
(a) बाहुबली
(b) बुद्ध
(c) महावीर
(d) नटराज
[I.A.S. (Pre) 2009]
उत्तर- (a) बाहुबली
- महामस्तकाभिषेक भगवान बाहुबली से जुड़ा एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है।
- यह समारोह हर 12 साल में कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में होगा।
- यहां भगवान/संत गोमतेश्वर बाहुबली की 57 फुट की विशाल प्रतिमा है।
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42.सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
सूची-I |
सूची -II |
(आचार्य) |
(सिद्धांत) |
A. लकुलीश |
1. आजीवक |
B. नागार्जुन |
2. शून्यवाद |
C. भद्रबाहु |
3. पाशुपत |
D. गोसाल |
4. जैन |
कूट :
A B C D
(a) 2 3 4 1
(b) 3 2 4 1
(c) 1 2 3 4
(d) 3 1 4 2
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2017]
उत्तर-(b) 3 2 4 1
सूची-I का सूची -II से सुमेलन इस प्रकार है-
सूची-I |
सूची -II |
(आचार्य) |
(सिद्धांत) |
लकुलीश |
पाशुपत |
नागार्जुन |
शून्यवाद |
भद्रबाहु |
जैन |
गोसाल |
आजीवक |
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