हिटलर और स्टालिन : तानाशाही शैली के मध्य के अंतर

प्रश्न: हिटलर और स्टालिन की प्रतिद्वंदी तानाशाही के बीच समानताएं, उनके बीच अंतरों की तुलना में कहीं अधिक विस्मयकारी थी। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • हिटलर और स्टालिन के अधीन शासन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  • दोनों नेताओं की तानाशाही शैली के मध्य के अंतर को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। 
  • उनकी तानाशाही शैली के साथ-साथ राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोणों में विद्यमान उल्लेखनीय समानताओं पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

हिटलर और स्टालिन दोनों की शासन पद्धति प्रकृति में सत्तावादी थी। जर्मनी में, हिटलर के नेतृत्व में एकल पार्टी वाला नाजीवादी एवं तानाशाही शासन था, जबकि USSR में, स्टालिन के नेतृत्व में चुनावी जनादेश के अभाव में एकल पार्टी कम्युनिस्ट तानाशाही शासन था। उनके शासन पद्धति में अंतर के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • वैचारिक झुकाव: हिटलर का जर्मन नस्ल की सर्वोच्चता की धारणा पर आधारित चरम राष्ट्रवाद और नाजीवादी विचारधारा पर विश्वास था। दूसरी ओर, स्टालिन कम्युनिस्ट विचारधारा और लेनिन के व्यावहारिक समाजवाद का अनुयायी था।
  • जनादेश: हिटलर को बैलेट बॉक्स मैंडेट के आधार पर चांसलर के रूप में नियुक्त किया गया। वर्ष 1939 तक, एक नई व्यवस्था की भावना और विदेश में सफलता के साथ, हिटलर ने भारी लोकप्रियता प्राप्त कर ली थी। स्टालिन को इस तरह के लोकप्रिय समर्थन प्राप्त नहीं हुआ। उसने आतंक और पार्टी सत्तावाद से शासन स्थापित किया।
  • महिलाओं और परिवार के संबंध में विचार: हिटलर ने महिलाओं को परिवार, नस्ल और राष्ट्र के सहायक के रूप में देखा। उसके अनुसार उन्हें घर पर रहना चाहिए तथा एक अच्छी मां बनने के साथ-साथ चर्च भी आना चाहिए। वे राष्ट्र के लिए सुजननिकी (नस्ल विशेष के नागरिक उत्पन्न करने) संबंधी उसकी योजना का एक भाग मात्र थीं। स्टालिन के लिए, महिलाएं, कार्यबल की समान भागीदार और सर्वहारा वर्ग का भाग थीं।

हालांकि, उपर्युक्त वैचारिक मतभेदों के अतिरिक्त, दोनों के मध्य उनके तरीकों, लक्ष्यों और नीतियों के संबंध में उल्लेखनीय समानताएं विद्यमान थीं :

  • राजनीतिक विपक्ष का दमन: स्टालिन के शासन के दौरान, राजनीतिक दलों की समाप्ति सामान्य घटना थी तथा राजनीतिक विरोधियों को प्रायः गिरफ्तार, प्रताड़ित किया जाता था अथवा गुलाग (श्रम-कारावास वाली सोवियत संस्था) में भेज दिया जाता था। इसी तरह, हिटलर ने जर्मनी में नाजी पार्टी को एकमात्र राजनीतिक दल घोषित किया। अन्य सभी दलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया और उनके नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
  • सामाजिक परिवर्तन: उनके शासन से अभिजात वर्ग का उदय हुआ। कम्युनिस्ट पार्टी के कुलीन वर्ग सोवियत संघ में नए अभिजात वर्ग के रूप में उभरे, वहीं नाजी पार्टी के सदस्य जर्मनी में कुलीन वर्ग का भाग बन गए।
  • धार्मिक और जातीय नीतियां: स्टालिन ने USSR में मुस्लिम धर्म और उप-राष्ट्रीय नृजातीयता पर उसी तरह से आक्रमण किया, जिस तरह से हिटलर ने यहूदियों और गैर-आर्यों पर आक्रमण किया था।
  • व्यक्तित्व के प्रति निष्ठा: दोनों ने ‘व्यक्ति पूजा की संस्कृति‘ की स्थापना की। दोनों ने इसे बढ़ावा देने के लिए प्रचार और भय के आतंक की एक श्रृंखला का उपयोग किया। उन्हें नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाली प्रत्येक चीज पर सेंसरशिप आरोपित कर दी थी।
  • संस्कृति: सांस्कृतिक जीवन, कला एवं साहित्य, शिक्षा, परिवार प्रणाली आदि पर प्रभुत्व स्थापित करने का व्यापक प्रयास किया गया।
  • आतंक और सामूहिक उत्पीड़न का शासन: दोनों ने निर्मम हिंसा और क्रूर आंतरिक दमन का उपयोग किया। स्टालिन ने लोगों को साइबेरिया में गुलाग में रहने के लिए भेज दिया था और कृत्रिम अकाल की स्थितियां उत्पन्न करके तातार लोगों (तुर्की भाषाई लोग) को भूखा रखने तक में संकोच नहीं किया।  इसी तरह, जर्मनी में, हजारों यहूदियों, कम्युनिस्टों, जिप्सी, समलैंगिकों, शराबियों और वेश्याओं को गिरफ्तार किया गया और नाजी विरोधी लेखन जैसे छोटे ‘अपराधों’ के लिए यातना-शिविरों में भेजा गया।
  • इस प्रकार, वैचारिक और लक्षणात्मक विकास तक सीमित मतभेदों के अतिरिक्त उनकी तानाशाही शैली, कार्यान्वयन पद्धति के साथ-साथ राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोणों में एक उल्लेखनीय समानता विद्यमान थीं।

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