1.गुप्त वंश ने ………… अवधि में शासन किया।
(a) 319 – 500 ई.
(b) 319 – 324 ई.
(c) 325 – 375 ई.
(d) 566 – 597 ई.
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर- (a) 319-500 ई.
- गुप्त राजवंश 275 से 550 ई. तक सत्ता में था।
- इसका गठन राजा श्रीगुप्त ने 275 ई. के आसपास किया था, लेकिन चंद्रगुप्त प्रथम 319 और 335 ई. के बीच राजवंश का पहला शक्तिशाली शासक था।
- उनके महत्व को प्रदर्शित करने के लिए उन्हें ‘महाराजाधिराज’ की उपाधि दी गई, जिससे विकल्प (a) सबसे सटीक उत्तर बन गया।
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2. निम्नलिखित शासकों में से किस एक ने चार अश्वमेधों का संपादन किया था?
(a) पुष्यमित्र शुंग
(b) प्रवरसेन प्रथम
(c) समुद्रगुप्त
(d) चंद्रगुप्त द्वितीय
[U.P.P.C.S. (Mains) 2003, U.P.P.C.S. (Mains) 2011]
उत्तर- (b) प्रवरसेन प्रथम
- वाकाटक के राजा प्रवरसेन-प्रथम ने चार अश्वमेध और कई अन्य वैदिक यज्ञ आयोजित किये।
- उनके उत्तराधिकारी प्रवरसेन-द्वितीय साहित्य के महान प्रेमी थे और उन्होंने ‘सेतुबंद’ नामक कृति लिखी थी।
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3. भारत का नेपोलियन’ किसे कहा जाता है ?
(a) चंद्रगुप्त मौर्य:
(b) चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य
(c) अशोक महान
(d) समुद्रगुप्त
[U.P.P.C.S. (Pre) 1990, Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2005, U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]
उत्तर- (d) समुद्रगुप्त
- इतिहासकार एवी स्मिथ ने ‘अर्ली हिस्ट्री ऑफ इंडिया’ नामक पुस्तक लिखी और गुप्त वंश के शासक समुद्रगुप्त (335-375 ई.) को उनकी प्रभावशाली सैन्य विजयों के कारण ‘भारत का नेपोलियन’ उपनाम दिया।
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4. निम्नलिखित में से किस गुप्त राजा का एक अन्य नाम देवगुप्त था ?
(a) समुद्रगुप्त
(c) कुमारगुप्त
(b) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर- (b) चंद्रगुप्त द्वितीय
- गुप्त शासक चंद्रगुप्त-द्वितीय को देवगुप्त के नाम से भी जाना जाता है।
- इसकी खोज सांची और वाकाटक में मिले शिलालेखों से हुई थी।
- उनके अन्य नाम देवराज और देवश्री हैं।
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5. प्रथम गुप्त शासक जिसने ‘परम भागवत’ की उपाधि धारण की, वह था-
(a) चंद्रगुप्त प्रथम
(b) समुद्रगुप्त
(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) श्रीगुप्त
[U.P.P.C.S. (Pre) 2009]
उत्तर- (b) समुद्रगुप्त
- नालंदा और गया से समुद्रगुप्त के तांबे पर लिखे एक लेख में बताया गया है कि कैसे समुद्रगुप्त को “परम भागवत” के रूप में जाना जाता था।
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6. इलाहाबाद स्तंभ अभिलेख निम्नलिखित में से किस एक से संबद्ध है ?
(a) महापद्मनंद
(b) चंद्रगुप्त मौर्य
(c) अशोक
(d) समुद्रगुप्त
[I.A.S. (Pre) 2006]
उत्तर- (c & d) अशोक & समुद्रगुप्त
- इलाहाबाद का अशोक स्तंभ शिलालेख समुद्रगुप्त (335-375 ई.) से जुड़ा है।
- इसे हरिसेना द्वारा अच्छी संस्कृत में लिखी गई शास्त्रीय गुप्त काल के एक बहुत ही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक रिकॉर्ड के रूप में देखा जाता है।
- इसे ‘प्रयाग प्रशस्ति’ के नाम से भी जाना जाता है।
- यह शिलालेख समुद्रगुप्त की प्रशंसा करता है और उनके शासन के राजनीतिक और सैन्य कारनामों, जैसे कि उनकी दक्षिण यात्रा, के बारे में बात करता है।
- इसका निर्माण अशोक ने करवाया था और शुरुआत में यह कौशांबी में स्थित था, फिर अकबर द्वारा इसे इलाहाबाद ले जाया गया।
- जहाँगीर और बीरबल का भी उल्लेख है।
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7. समुद्रगुप्त के ‘प्रयाग प्रशस्ति’ में कोसल के शासक का क्या नाम था ?
(a) शिवगुप्त
(b) सोमेश्वर देव
(c) महेंद्र
(d) महिपाल
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(c) महेंद्र
- प्रयाग प्रशस्ति की 19वीं और 20वीं पंक्तियों में दक्षिणापथ के बारह राज्यों तथा उनके राजाओं के नाम मिलते हैं।
- प्रयाग प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि कोशल (कोसल) का राजा महेंद्र था।
- दक्षिणापथ के राज्यों को समुद्रगुप्त ने पहले जीता किंतु फिर ग्रहणमोक्षानुग्रह’ नीति के तहत कृपा कर उन्हें स्वतंत्र कर दिया।
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8. समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति वाले स्तंभ पर निम्नलिखित में से किसका लेख मिलता है ?
(a) जहांगीर
(b) शाहजहां
(c) औरंगजेब
(d) दारा शिकोह
[U.P.R.O/A.R.O. (Pre) 2016]
उत्तर- (a) जहांगीर
- प्रयाग प्रशस्ति इलाहाबाद के स्तंभ का नाम है, जिसे अशोक ने बनवाया था।
- इसमें 4 शिलालेख हैं, जिनमें अशोक की पत्नी करुवाकी का एक संदेश, हरिसेना द्वारा संस्कृत और ब्राह्मी में लिखा गया एक संदेश और सम्राट जहांगीर का फारसी में एक संदेश शामिल है।
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9. ‘पृथिव्या प्रथम वीर’ उपाधि थी-
(a) समुद्रगुप्त की
(b) राजेंद्र प्रथम की
(c) अमोघवर्ष की
(d) गौतमीपुत्र शातकर्णी की
[U.P.P.C.S (Pre) 2016]
उत्तर- (a) समुद्रगुप्त की
- तेज राम शर्मा की पुस्तक ‘ए पॉलिटिकल हिस्ट्रीज़ ऑफ़ द इंपीरियल गुप्ताज़’ में, वह समुद्रगुप्त द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ समारोह के बारे में बात करते हैं।
- इसके बाद, उन्हें ‘पृथिव्याम प्रतिरथ’ की उपाधि मिली, जिसका अर्थ है पृथ्वी पर बिना किसी प्रतिद्वंद्वी के सबसे बहादुर व्यक्ति।
- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने इस प्रश्न को मूल्यांकन से हटा दिया है।
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10.निम्नलिखित कथन पढ़िए-
1. हरिषेण समुद्रगुप्त के दरबार का प्रसिद्ध कवि था।
2. उसने ‘देवीचंद्रगुप्तम’ महाकाव्य की रचना की।
3. वह ‘प्रयाग प्रशस्ति’ का भी रचयिता था।
सही उत्तर चुनिए-
(a) 1, 2 एवं 3 सही हैं
(b) 1 एवं 2 सही हैं
(c) 2 एवं 3 सही हैं
(d) 1 एवं 3 सही हैं
(e) केवल 1 सही है
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (d) 1 एवं 3 सही हैं
- इलाहाबाद (प्रयागराज) स्तंभ पर समुद्रगुप्त के संधिविग्रहिक एवं कवि हरिषेण ने संस्कृत भाषा में प्रशंसात्मक वर्णन प्रस्तुत किया है, जिसे ‘प्रयाग प्रशस्ति” कहा गया है।
- इसमें समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख है।
- ‘देवीचंद्रगुप्तम’ नाटक की रचना विशाखदत्त ने की है।
- इससे गुप्तवंशी शासक रामगुप्त के विषय में सूचनाएं प्राप्त होती हैं।
- अतः स्पष्ट है कि कथन 1 और 3 सत्य हैं, जबकि कथन 2 असत्य है।
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11. सूची-1 को सूची-II से सुमेलित कीजिए। नीचे दिए कूटों में सही उत्तर का चयन कीजिए।
सूची-I |
सूची-II |
(दक्षिण भारत के समुद्रगुप्त के समकालीन नरेश) |
(उनके राज्य) |
A. धनंजय |
1. अवमुक्त |
B. नीलराज |
2. कांची |
C. उग्रसेन |
3. कुस्तलपुर |
D. विष्णुगोप |
4. पालक्का |
कूट :
A B C D
(a) 1 2 3 4
(b) 2 1 4 3
(c) 3 1 4 2
(d) 4 3 2 1
[U.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (c) 3 1 4 2
- सूची-I का सूची -II से सही सुमेलन है –
सूची-I (दक्षिण भारत के समुद्रगुप्त के समकालीन नरेश) |
सूची-II (उनके राज्य) |
धनंजय |
कुस्तलपुर |
नीलराज |
अवमुक्त |
उग्रसेन |
पालक्का |
विष्णुगोप |
कांची |
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12.दिल्ली की कुव्यत-उल-इस्लाम मस्जिद के प्रांगण में उन्नत प्रसिद्ध लौह स्तंभ किसकी स्मृति में-
(a) अशोक
(b) चंद्र
(c) हर्ष
(d) अनंगपाल
[U.P. P.C.S. (Pre) 2002]
उत्तर- (b) चंद्र
- दिल्ली में पाया गया महरौली लौह स्तंभ, अब कुतुब मीनार के पास स्थित है।
- ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 410 ईस्वी में गुप्त वंश के चंद्रगुप्त द्वितीय के लिए किया गया था, जो भगवान विष्णु को समर्पित थे।
- स्तंभ के शीर्ष पर श्रद्धांजलि स्वरूप भगवान विष्णु का प्रतीक गरुड़ उत्कीर्ण है।
|
13. किस गुप्त शासक ने अपने बड़े भाई की हत्या कर सत्ता प्राप्त की ?
(a) श्रीगुप्त
(b) समुद्रगुप्त
(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) स्कंदगुप्त
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
[67th B.PS.C. (Pre) (Re. Exam) 2022]
उत्तर- (c) चंद्रगुप्त द्वितीय
- समुद्रगुप्त के पश्चात उसका पुत्र रामगुप्त शासक बनता है लेकिन शक के आक्रमण का सक्षम विरोध न करने के कारण उसके भाई चंद्रगुप्त द्वितीय ने रामगुप्त की हत्या कर उसकी पत्नी घुव देवी से विवाह कर लिया तथा शकों के विरुद्ध विजय प्राप्त की।
|
14. कौन-सा राजवंश हूणों के आक्रमण से अत्यंत विचलित हुआ?
(a) मौर्य
(b) कुषाण
(c) गुप्त
(d) शुंग
[U.P.P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (c) गुप्त
- जिस समय स्कंदगुप्त सत्ता में था, हूणों ने भारत पर कब्ज़ा करने की कोशिश की लेकिन असफल रहे।
- यह आक्रमण एक छापे की तरह था और वास्तव में इसका भारत पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन इसने गुप्त साम्राज्य को कमजोर करने में योगदान दिया।
- स्कंदगुप्त की मृत्यु के बाद, हूण 5वीं और 6वीं शताब्दी में उत्तर-पश्चिम के कुछ हिस्सों पर कब्ज़ा करने में सक्षम हुए।
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15. किस अभिलेख से ज्ञात होता है कि स्कंदगुप्त ने हूणों को पराजित किया था?
(a) मितरी स्तंभ-लेख
(b) इलाहाबाद स्तंभ-लेख
(c) मंदसौर अभिलेख
(d) उदयगिरि अभिलेख
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2014]
उत्तर- (a) मितरी स्तंभ-लेख
- भितरी स्तंभ शिलालेख उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर जिले के सैदपुर तहसील के भिटारी में स्थित है।
- इसमें स्कंदगुप्त और हूणों के बीच युद्ध की कहानी बताई गई है।
- स्कंदगुप्त के शासनकाल के दौरान हूणों द्वारा भारत पर यह पहला आक्रमण था, और वे उससे हार गए थे।
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16. गुप्त साम्राज्य के पतन के विभिन्न कारण थे। निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कारण नहीं था ?
(a) हूण आक्रमण
(b) प्रशासन का सामंतीय ढांचा
(c) उत्तरवर्ती गुप्तों का बौद्ध धर्म स्वीकार करना
(d) अरब आक्रमण
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (d) अरब आक्रमण
- अरब आक्रमण से पहले गुप्त साम्राज्य का पतन हो गया।
- गुप्त वंश समाप्त होने के बाद अरबों ने बाद के समय में भारत पर आक्रमण किया।
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17. ‘शक- विजेता’ किसे जाना जाता है ?
(a) चंद्रगुप्त प्रथम
(b) समुद्रगुप्त
(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) कुमारगुप्त
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010]
उत्तर-(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
- चंद्रगुप्त-द्वितीय ‘विक्रमादित्य’, जो गुप्त शासक थे, को ‘शक विजेता’ के रूप में जाना जाता है।
- ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने 5वीं शताब्दी की शुरुआत में अंतिम शक राजा रुद्रसिम्हा-तृतीय को हराया और शक शक्ति पर नियंत्रण कर लिया।
- इस युद्ध को जीतने के बाद उन्होंने ‘सकरी’ की उपाधि धारण की।
|
18. रजत सिक्के जारी करने वाला प्रथम गुप्त शासक था-
(a ) चंद्रगुप्त प्रथम
(b) समुद्रगुप्त
(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
(d) कुमारगुप्त
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl) (Mains) 2010]
उत्तर-(c) चंद्रगुप्त द्वितीय
- गुप्त साम्राज्य के शासक चंद्रगुप्त- II को ‘विक्रमादित्य’ और ‘शक विजेता’ उपनाम दिया गया था क्योंकि उन्होंने 5वीं शताब्दी की शुरुआत में अंतिम शक राजा रुद्रसिम्हा- III को हराया था।
- इस विजय के बाद उसने ‘सकरी’ की उपाधि धारण की और चाँदी के सिक्के जारी किये जिन्हें रूपक कहा जाता है
|
19. चंद्रगुप्त-11 के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा /से कथन सही है/हैं?
1. शक विजय के संदर्भ में सबसे सबल प्रमाण इस नरेश की रजत मुद्राएं हैं।
2. इन मुद्राओं की तौल लगभग 33 ग्रेन हुआ करती थी।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए
कूट :
(a) 1 तथा 2 दोनों
(b) केवल 1
(c) न तो न ही 2
(d) केवल 2
[U.P.P.C.S. (Pre) 2022]
उत्तर- (a) 1 तथा 2 दोनों
- शक विजय के उपरांत चंद्रगुप्त II ने शकों के अनुकरण पर पहली बार रजत मुद्राओं को प्रचलित किया था।
- इन मुद्राओं का वजन सामान्यतः 30 से 33 ग्रेन तक होता था।
- अतः प्रश्नगत दोनों कथन सही है।
|
20.प्रसिद्ध चीनी यात्री फाल्यान ने किसके शासनकाल में भारत की यात्रा की ?
(a) चंद्रगुप्त I
(b) चंद्रगुप्त II
(c) रामगुप्त
(d) श्रीगुप्त
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं। उपर्युक्त में से एक से अधिक
[63 B.P.S.C. (Pre) 2017]
उत्तर-(b) चंद्रगुप्त II
- जब चन्द्रगुप्त-द्वितीय शासन कर रहा था (375 ई. और 415 ई. के बीच) फ़ाहियान भारत गया।
|
21. निम्नलिखित में से कौन सही सुमेलित नहीं है ?
(a) कुमारगुप्त I – मंदसौर अभिलेख
(b) पतिक – तक्षशिला अभिलेख
(c) प्रभावती गुप्ता – उदयगिरि गुहा अभिलेख
(d) समुद्रगुप्त – एरण अभिलेख
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर-(c) प्रभावती गुप्ता – उदयगिरि गुहा अभिलेख
- सही सुमेलन इस प्रकार है –
- कुमारगुप्त I – मंदसौर अभिलेख
- पतिक – तक्षशिला अभिलेख
- चंद्रगुप्त द्वितीय – उदयगिरि गुहा अभिलेख
- समुद्रगुप्त – एरण अभिलेख
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22.निम्न में से कौन-सा अभिलेख विश्व के प्रथम विज्ञापन के तौर पर जाना जाता है?
(a) दशपुर अभिलेख
(b) सोहगरा अभिलेख
(c) सुपिया अभिलेख
(d) एरण अभिलेख
[M.P.P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) दशपुर अभिलेख
- दशपुर अभिलेख विश्व के प्रथम विज्ञापन के तौर पर जाना जाता है।
- इसे मंदसौर अभिलेख के नाम से भी जाना जाता है।
- यह गुप्त सम्राट कुमारगुप्त द्वितीय के शासनकाल का एक प्रसिद्ध अभिलेख है।
- इसमें तत्कालीन लाट देश के रेशम व्यापारियों का दशपुर में आकर बस जाने का वर्णन है।
|
23. मंदसौर- प्रशस्ति किस शासक की उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत करता है?
(a) स्कंदगुप्त
(b) चंद्रगुप्त-II
(c) रामगुप्त
(d) कुमारगुप्त-I
[U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2021]
उत्तर- (d) कुमारगुप्त-I
- कुमारगुप्त-I का समकालीन वत्सभट्ट एक स्थानीय कवि था।
- उसने मालवा में मंदसौर प्रशस्ति की रचना की थी।
- मंदसौर प्रशस्ति कुमारगुप्त की उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत करती है।
- इस प्रशस्ति में तंतुवाय श्रेणी संगठन का वर्णन किया गया है, वहीं साथ ही सूर्य मंदिर के वर्णन से उस नगर में प्रचलित सूर्योपासना की धार्मिक भावना को तथा मालवा में प्रचलित शिखरयुक्त प्राचीन मंदिरों की वास्तुगत विशेषताओं का भी निरूपण किया गया है।
|
24. रेशम बुनकरों की श्रेणी की जानकारी निम्नलिखित किस शिलालेख से मिलती है ?
(a) दशपुर शिलालेख
(b) प्रयाग प्रशस्ति
(c) एरण शिलालेख
(d) हाथीगुम्फा शिलालेख
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (a) दशपुर शिलालेख
- मंदसौर को दासोर या दशपुर के नाम से भी जाना जाता है।
- दशपुर में, सोडानी गांव में छठी शताब्दी के प्रारंभ के संस्कृत शिलालेख पाए गए थे।
- इन शिलालेखों में हूणों के राजा मिहिरकुल पर औलिकरा राजवंश के राजा यशोधर्मन की जीत का वर्णन है।
- मंदसौर शिलालेख में कवि वात्य भट्टी द्वारा प्रशंसित बंधुवर्मा, गुप्त राजा कुमारगुप्त-प्रथम का जागीरदार था।
- उनके शासनकाल के दौरान, दशपुर में रेशम बुनकरों द्वारा सूर्य को समर्पित एक मंदिर बनाया गया था और बाद में उसी गिल्ड द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया था।
|
25.सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:
सूची-I |
सूची-II |
(शासक) |
(रनिया) |
A. चंद्रगुप्त |
1. दत्तादेवी |
B. समुद्रगुप्त |
2. कुबेरनागा |
C. चंद्रगुप्त द्वितीय |
3. कुमारदेवी |
D. कुमारगुप्त प्रथम |
4. अनन्तदेवी |
कूट :
A B C D
(a) 3 1 2 4
(b) 2 1 3 4
(c) 1 2 3 4
(d) 4 3 2 1
[U.P.B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर- (a) 3 1 2 4
- सही सुमेलन हैं –
सूची-I (शासक) |
सूची-II (रानियां) |
चंद्रगुप्त |
कुमारदेवी |
समुद्रगुप्त |
दत्तादेवी |
चंद्रगुप्त द्वितीय |
कुबेरनागा |
कुमारगुप्त प्रथम |
अनन्तदेवी |
|
26. ईसा की तीसरी शताब्दी से, जबकि हूण आक्रमण से रोमन साम्राज्य समाप्त हो गया, भारतीय व्यापारी अधिकाधिक निर्भर हो गए-
(a) अफ्रीकी व्यापार पर
(b) पश्चिमी यूरोपीय व्यापार पर
(c) दक्षिण-पूर्व एशियाई व्यापार पर
(d) मध्य-पूर्वी व्यापार पर
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर-(c) दक्षिण-पूर्व एशियाई व्यापार पर
- जब तीसरी शताब्दी ईस्वी में हूणों ने रोमन साम्राज्य पर विजय प्राप्त की, तो भारतीय व्यापारियों ने दक्षिण पूर्व एशिया के साथ व्यापार पर अधिक भरोसा करना शुरू कर दिया।
|
27. गुप्तकाल में उत्तर भारतीय व्यापार निम्नलिखित में से किस एक पत्तन से संचालित होता था ?
(a) ताम्रलिप्ति
(b) महौच
(c) कल्याण
(d) कॉम्बे
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014, I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (a) ताम्रलिप्ति
- गुप्त काल के दौरान, बंगाल में ताम्रलिप्ति का बंदरगाह दक्षिण पूर्व एशिया, चीन, लंका, जावा, सुमात्रा और उत्तरी भारत के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
- पश्चिमी तट पर भृगु कच्छ (भरूच) के बंदरगाह का उपयोग गुप्त शासकों द्वारा पश्चिमी देशों के साथ व्यापार करने के लिए भी किया जाता था।
|
28.भारत ने दक्षिण-पूर्वी एशिया के साथ अपने आरंभिक सांस्कृतिक संपर्क तथा व्यापारिक संबंध बंगाल की खाड़ी के पार बना रखे थे। निम्नलिखित में से कौन-सी बंगाल की खाड़ी के इस उत्कृष्ट आरंभिक समुद्री इतिहास की सबसे विश्वसनीय व्याख्या / व्याख्याएं हो सकती है/हैं?
(a) प्राचीन काल तथा मध्य काल में भारत के पास दूसरों की तुलना में अति उत्तम पोत निर्माण तकनीकी उपलब्ध थी
(b) इस उद्देश्य के लिए दक्षिण भारतीय शासकों ने व्यापारियों, ब्राह्मण पुजारियों और बौद्ध भिक्षुओं को सदा संरक्षण दिया
(c) बंगाल की खाड़ी में चलने वाली मानसूनी हवाओं ने समुद्री यात्राओं को सुगम बना दिया था
(d) इस संबंध में (a) तथा (b) दोनों विश्वसनीय व्याख्याएं हैं
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर-(c) बंगाल की खाड़ी में चलने वाली मानसूनी हवाओं ने समुद्री यात्राओं को सुगम बना दिया था
- बंगाल की खाड़ी की हवाओं के कारण भारत के दक्षिण पूर्व एशिया के साथ मजबूत सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध थे।
- इससे दोनों स्थानों के बीच यात्रा करना आसान हो गया, जिससे उनका व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ा।
- इसलिए, विकल्प (c) सही उत्तर है।
|
29.प्राचीन भारत में देश की अर्थव्यवस्था में अत्यन्त त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली ‘श्रेणी’ संगठन के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
1. प्रत्येक श्रेणी राज्य के एक केंद्रीय प्राधिकरण के साथ पंजीकृत होती थी और प्रशासनिक स्तर पर राजा उनका प्रमुख होता था।
2. श्रेणी’ ही वेतन, काम करने के नियमों, मानकों और कीमतों को सुनिश्चित करती थी।
3. श्रेणी का अपने सदस्यों पर न्यायिक अधिकार होता था।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(c) केवल 2 और 3
- पुराने भारत की अर्थव्यवस्था में गिल्ड अत्यंत महत्वपूर्ण थे।
- ये समूह व्यापारियों द्वारा अपने व्यापार को व्यवस्थित तरीके से प्रबंधित करने के लिए बनाए गए थे।
- गिल्डों के पास अपने सदस्यों को नियंत्रित करने और वेतन, काम के नियम, मानक और कीमतें निर्धारित करने की शक्ति थी।
- प्रत्येक श्रेणी का एक नेता होता था जिसे राज्य द्वारा नहीं चुना जाता था।
- वे स्थानीय सरकारों की देखरेख के लिए भी आवश्यक थे।
|
30.गुप्तकाल में गुजरात, बंगाल, दक्कन एवं तमिल राष्ट्र में स्थित केंद्र किससे संबंधित थे?
(a) वस्त्र उत्पादन
(b) बहुमूल्य मणि एवं रत्न
(c) हस्तशिल्प
(d) अफीम खेती
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2010]
उत्तर- (a) वस्त्र उत्पादन
- गुप्त काल के दौरान, गुजरात, बंगाल, दक्कन और तमिलनाडु अपने वस्त्र उत्पादन के लिए जाने जाते थे।
- यह विकल्प (a) को सही विकल्प बनाता है।
- उस समय कपड़ा निर्माण एक प्रमुख उद्योग था।
|
31.विशाखदत्त के प्राचीन भारतीय नाटक मुद्राराक्षस की विषय-वस्तु है-
(a) प्राचीन हिंदू जनश्रुति के देवताओं और राक्षसों के बीच संघर्ष के बारे में
(b) एक आर्य राजकुमार और एक कबीली महिला की प्रेम कथा के बारे में
(c) दो आर्य कबीलों के बीच सत्ता के संघर्ष की कथा के बारे में
(d) चंद्रगुप्त मौर्य के समय में राजदरबार की दुरभिसंधियों के बारे में
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर- (d) चंद्रगुप्त मौर्य के समय में राजदरबार की दुरभिसंधियों के बारे में
- डॉ. केपी जयसवाल का मानना था कि विशाखदत्त और चंद्रगुप्त एक ही समय में जीवित थे।
- उनका नाटक “मुद्राराक्षस” चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बात करता है।
|
32.प्राचीनकाल में किस वर्ण को ‘सार्थवाह’ भी कहा जाता था ?
(a) ब्राह्मण
(b) क्षत्रिय
(c) वैश्य
(d) शूद्र
[M.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(c) वैश्य
- व्यापार संघों के नेता, जिन्हें सार्थवाह या श्रेनिप्रमुख कहा जाता था, व्यापार करने का सही तरीका निर्धारित करते थे और इसे समय और श्रेनिधर्म कहा जाता था।
- यही कारण है कि सार्थवाह को वैश्य से जोड़ा जाता है।
|
33. निम्नलिखित में से कौन गुप्तकाल में अपनी आयुर्विज्ञान विषयक रचना के लिए जाना जाता है ?
(a) सौमिल्ल
(b) शूद्रक
(c) शौनक
(d) सुश्रुत
[LA.S. (Pre) 1996, U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2002]
उत्तर- (d) सुश्रुत
- सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है और वे काशी में रहते थे।
- ऐसा माना जाता है कि वह लगभग 600 ईसा पूर्व रहते थे।
- शौनक ऋग्वेद के ऋषि थे, शूद्रक गुप्त काल के नाटककार थे, और सॉमिल गुप्त काल के नाटककार थे जिनकी कालिदास ने प्रशंसा की थी।
- ये सभी लोग गुप्त काल में चिकित्सा का कार्य नहीं करते थे।
- बिहार लोक सेवा आयोग का उत्तर गलत था क्योंकि गुप्त काल 275 ईस्वी में शुरू हुआ था, जो सुश्रुत के समय (600 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व) के लगभग 1000 वर्ष बाद है।
- अतः यह कहना सही नहीं है कि सुश्रुत गुप्त काल का हिस्सा थे।
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34. इनमें से कौन गुप्तकाल में औषधि के क्षेत्र में अपने कार्य के लिए जाने जाते हैं ?
(a) सुश्रुत
(b) सौमिल्ल
(c) शूद्रक
(d) शौनक
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[65th B.P.S.C. (Pre) 2019]
उत्तर- (e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
- सुश्रुत को शल्य चिकित्सा के जनक के रूप में जाना जाता है और माना जाता है कि उनका काल लगभग 600 ईसा पूर्व था।
- वह काशी के रहने वाले थे।
- शौनक ऋग्वेद के ऋषि थे, शूद्रक गुप्त काल के नाटककार थे, और सॉमिल गुप्त काल के नाटककार थे जिन्हें कालिदास ने याद किया था।
- गुप्त काल में इनमें से किसी भी व्यक्ति ने चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य नहीं किया।
- बिहार लोक सेवा आयोग ने शुरू में सोचा था कि सही उत्तर विकल्प (a) है, जो गलत है क्योंकि गुप्त काल 275 ईस्वी के आसपास शुरू हुआ था, जो सुश्रुत काल से 1000 साल बाद है।
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35. निम्नलिखित में से किसका प्राचीन भारत के आयुर्वेद शास्त्र से संबंध नहीं है?
(a) धन्वंतरि
(b) भास्कराचार्य
(c) चरक
(d) सुश्रुत
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (b) भास्कराचार्य
- धन्वंतरि चंद्रगुप्त द्वितीय के नौ सलाहकारों में से एक थे और आयुर्वेद के विशेषज्ञ थे।
- चरक और सुश्रुत आयुर्वेद के ज्ञान के लिए भी जाने जाते थे।
- चरक ने ‘चरक संहिता’ लिखी और कनिष्क के चिकित्सक थे।
- भास्कराचार्य एक महान खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे और उन्होंने ग्रंथों की रचना की थी।
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36. लीलावती के लेखक थे-
(a) महावीराचार्य
(b) हेमचंद्राचार्य
(c) भाष्कराचार्य
(d) कालकाचार्य
[U.P. G.I.C. प्रवक्ता, 2017]
उत्तर-(c) भाष्कराचार्य
- ‘लीलावती’ की रचना प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री भाष्कराचार्य ने की थी।
- यह गणित विषय का महत्वपूर्ण ग्रंथ है और संस्कृत भाषा में काव्यात्मक शैली में श्लोकबद्ध है।
- वस्तुतः लीलावती भाष्कराचार्य द्वारा रचित ग्रंथ सिद्धांत शिरोमणि का एक भाग है।
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37.प्राचीन कालीन भारत में हुई वैज्ञानिक प्रगति के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?
1. प्रथम शती ईस्वी में विभिन्न प्रकार के विशिष्ट शल्य औजारों का उपयोग आम था।
2. तीसरी शती ईस्वी के आरंभ में मानव शरीर के आंतरिक अंगों का प्रत्यारोपण शुरू हो चुका था।
3. पांचवीं शती ईस्वी में कोण के ज्या का सिद्धांत ज्ञात था ।
4. सातवीं शती ईस्वी में चक्रीय चतुर्भुज का सिद्धांत ज्ञात था ।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 1 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(c) केवल 1 3 और 4
- पुराने समय को उनकी वैज्ञानिक प्रगति के लिए याद किया जाता है।
- पहली शताब्दी ईस्वी में, लोगों के पास शल्य चिकित्सा उपकरणों तक पहुंच थी, लेकिन वे अभी तक मानव अंगों का प्रत्यारोपण नहीं कर सके थे।
- गुप्तकाल में गणित का विकास हुआ।
- ‘सूर्य सिद्धांत’ और ‘आर्यभटीय’ के लेखन के अनुसार, उस समय लोग साइन, कोसाइन और व्युत्क्रम साइन की गणना करना जानते थे।
- ब्रह्मगुप्त ने 700 ई. में चक्रीय चतुर्भुज के बारे में लिखा।
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38. भारतीय यात्रा में फाह्यान ने एक अस्पताल का उल्लेख किया है, यह स्थित था-
(a) उज्जैन
(b) कौशांबी
(c) ताम्रलिप्ति
(d) पाटलिपुत्र
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2019]
उत्तर- (d) पाटलिपुत्र
- फाह्यान ने पाटलिपुत्र (राजधानी) में एक अस्पताल के बारे में बात की।
- दयालु लोगों ने इसे निधि देने के लिए धन दिया।
- वहां गरीब और बीमार लोगों का इलाज किया जाता था, डॉक्टर उनकी देखभाल करते थे और उन्हें आवश्यकतानुसार भोजन और दवाएँ देते थे।
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39. चंद्रगुप्त के नौ रत्नों में से निम्न में से कौन फलित ज्योतिष से संबंधित था?
(a) वररुचि
(b) शंकु
(c) क्षपणक
(d) अमर सिंह
[U.P. Lower Sub. (Spl) (Pre) 2008]
उत्तर-(c) क्षपणक
- चंद्रगुप्त द्वितीय के नौ विशेष सलाहकार थे जिन्हें नौ रत्नों के नाम से जाना जाता था, वे थे –
- कालिदास (एक कवि)
- धन्वंतरि (एक डॉक्टर)
- वराहमिहिर (एक खगोलशास्त्री)
- अमर सिंह (एक कोशकार)
- शंकू (वास्तुकार)
- क्षपणक (ज्योतिषी)
- वररुचि (व्याकरणकर्ता)
- वेताल भट्ट (जादूगर)
- घट कर्परा (राजनयिक)
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40. इनमें से किसने पहली बार यह व्याख्या की थी कि पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण प्रतिदिन सूर्योदय एवं सूर्यास्त होता है ?
(a) आर्यभट्ट
(c) ब्रह्मगुप्त
(b) भास्कर
(d) वराहमिहिर
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[64th B.P.S.C. (Pre) 2018]
उत्तर- (a) आर्यभट्ट
- आर्यभट्ट गुप्तकाल के प्रसिद्ध गणितज्ञ थे।
- इनकी प्रमुख कृति ‘आर्यभट्टीय है।
- इन्होंने गणित के विविध नियमों का प्रतिपादन किया तथा सर्वप्रथम यह खोज की कि पृथ्वी अपनी धुरी के चारों ओर परिभ्रमण करती है।
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41. अधोलिखित में कौन गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्रा है ?
(a) कौड़ी
(b) दीनार
(c) निष्क
(d) पण
[U.P.P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर-(b) दीनार
- गुप्त शासकों ने सोने के सिक्के चलवाये जिन्हें दीनार कहा जाता था।
- फ़ाहियान ने बताया कि लोग इन सिक्कों का उपयोग रोजमर्रा के लेन-देन के लिए करते थे।
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42. गुप्तकालीन रजत मुद्राओं को नाम दिया गया था-
(a) कार्यापण
(b) दीनार
(c) रूपक
(d) निष्क
[I.A.S. (Pre) 1996, U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2002]
उत्तर-(c) रूपक
- गुप्त शासक द्वारा जारी किये गये सिक्के “रूपक” के नाम से जाने जाते थे।
- ये सिक्के बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उड़ीसा में पाए गए हैं।
- सबसे अधिक सिक्के राजस्थान के भरतपुर में मिले हैं।
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43. निम्नलिखित में से किस गुप्त शासक ने सर्वप्रथम सिक्के जारी किए?
(a) चंद्रगुप्त प्रथम ने
(b) घटोत्कच ने
(c) समुद्रगुप्त ने
(d) श्रीगुप्त ने
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010 U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (a) चंद्रगुप्त प्रथम ने
- चंद्रगुप्त सिक्के बनाने वाला पहला गुप्त शासक था।
- इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि चंद्रगुप्त से पहले आए घटोकच और श्रीगुप्त ने सिक्के बनाए थे।
- समुद्रगुप्त ने भी विभिन्न प्रकार के सिक्के चलवाये, परन्तु यह चन्द्रगुप्त-प्रथम के बाद हुआ।
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44. गुप्तकाल में लिखित संस्कृत नाटकों में स्त्री और शूद्र बोलते थे-
(a) संस्कृत
(b) प्राकृत
(c) पाली
(d) शौरसेनी
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(b) प्राकृत
- गुप्त काल के दौरान लिखे गए संस्कृत नाटकों में, विभिन्न सामाजिक वर्गों के लोग अलग-अलग भाषाएँ बोलते थे।
- महिलाएँ और निम्न वर्ग के लोग प्राकृत भाषा बोलते थे, जबकि उच्च वर्ग के लोग संस्कृत बोलते थे।
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45. सती प्रथा का प्रथम अभिलेखीय साक्ष्य प्राप्त हुआ है-
(a) एरण से
(b) जूनागढ़ से
(c) मंदसौर से
(d) सांची से
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर- (a) एरण से
- एरण से 510 ई. का एक पुराना शिलालेख मिला है जिसमें सती प्रथा का उल्लेख है।
- यह गोपराज नामक महिला युद्धसेनापति और उसकी पत्नी के संबंध में था
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46. गुप्त संवत् की स्थापना किसने की?
(a) चंद्रगुप्त I
(b) श्रीगुप्त
(c) चंद्रगुप्त II
(d) घटोत्कच
[M.P. P.C.S. (Pre) 1991]
उत्तर- (a) चंद्रगुप्त I
- चंद्रगुप्त-प्रथम ने 319 ई. में गुप्त संवत कैलेंडर शुरू किया।
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47.सूची-I का सूची-II से मिलान कीजिए तथा नीचे दिए गए कूटों का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
सूची-I |
सूची-II |
(सम्राट) |
(विरुद) |
A. अशोक |
1. परक्रमांक |
B. समुद्रगुप्त |
2. प्रियदर्सिन |
C. चंद्रगुप्त II |
3. क्रमादित्य |
D. स्कंदगुप्त |
4. विक्रमादित्य |
कूट :
A B C D
(a) 1 2 3 4
(b) 3 2 1 4
(c) 2 1 4 3
(d) 4 3 2 1
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]
उत्तर- (c) 2 1 4 3
- सही सुमेलन निम्नवत है –
सूची-I सम्राट |
सूची-II विरुद |
अशोक |
प्रियदर्सिन (प्रियदर्शी) |
समुद्रगुप्त |
परक्रमांक |
चंद्रगुप्त II |
विक्रमादित्य |
स्कंदगुप्त |
क्रमादित्य |
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48. नगरों का क्रमिक पतन किस काल की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी?
(a) गुप्तकाल
(b) प्रतिहार युग
(c) राष्ट्रकूट
(d) सातवाहन युग
[40th B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर- (a) गुप्तकाल
- गुप्त काल के दौरान नगरों की जनसंख्या धीरे-धीरे कम होने लगी।
- कई शहर जो कभी घाटी में फल-फूल रहे थे, उनका तब तक पतन हो चुका था।
- उदाहरण के लिए, उस समय का सबसे बड़ा शहर पाटलिपुत्र, जब ह्वेन-त्सांग ने भारत का दौरा किया तो वह एक छोटा सा गाँव बन गया था।
- मथुरा, सोनपुर और सोहगामा सभी बड़े शहर थे जिनमें गिरावट के संकेत भी दिखे।
- यह इस तथ्य पर प्रकाश डालता है कि गुप्त काल के दौरान नगर पतन एक प्रमुख प्रवृत्ति थी।
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49.किस शासक वंश ने मंदिरों एवं ब्राह्मणों को सबसे अधिक ग्राम अनुदान में दिया था ?
(a) गुप्त वंश
(b) पाल वंश
(c) राष्ट्रकूट
(d) प्रतिहार
[39th B.P.S.C. (Pre) 1994]
उत्तर- (a) गुप्त वंश
- गुप्त वंश के नेता ने पूजा स्थलों और पुजारियों को बहुत सारे शहर दिए।
- इसके अतिरिक्त, गाँव की ज़मीन से अर्जित धन उस व्यक्ति को दिया जाता था जिसके पास उसका स्वामित्व होता था।
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50. प्राचीन भारत में किस वंश का शासनकाल ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है ?
(a) मौर्य
(b) शुग
(c) गुप्त
(d) मगध
[U.P.P.C.S. (Spl) (Pre) 2004]
उत्तर-(c) गुप्त
- प्राचीन भारत में गुप्त काल को स्वर्णिम काल के रूप में देखा जाता है क्योंकि उस समय कला और संस्कृति में बहुत प्रगति हुई थी।
|
51. निम्न में से किस काल में स्त्रियों की पुरुषों से बराबरी थी ?
(a) गुप्तकाल
(c) चोलों में
(b) मौर्यकाल
(d) इनमें से किसी में भी नहीं
[U.P.P.C.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (d) इनमें से किसी में भी नहीं
- वैदिक युग को छोड़कर प्राचीन भारत में महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था।
- गुप्त, मौर्य और चोल युग के दौरान, सबूत बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं अच्छी स्थिति में नहीं थीं।
- इसलिए महिलाओं की स्थिति किसी भी युग में पुरुषों के बराबर नहीं रही।
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52. गुप्त युग में भूमि राजस्व की दर क्या थी?
(a) उपज का चौथा भाग
(b) उपज का छठा भाग
(c) उपज का आठवां भाग
(d) उपज का आधा भाग
[42- B.P.S.C. (Pre) 1997]
उत्तर-(b) उपज का छठा भाग
- गुप्त काल के दौरान, जो लोग शासक की भूमि पर खेती करते थे, उन्हें अपनी फसल का छठा हिस्सा कर के रूप में देना पड़ता था।
- गुप्त अभिलेखों में इस कर को ‘उदरंग’ एवं ‘भग’ कहा गया है।
|
53. धर्मशास्त्रों में भू-राजस्व की दर क्या है?
(a) 1/3
(b) 1/4
(c) 1/6
(d) 1/8
[40 B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर-(c) 1/6
- धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि फसल का 1/6 भाग भूमि कर के रूप में दिया जाना चाहिए।
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54.किस प्रकार की भूमि को ‘अप्रहत’ कहा जाता था ?
(a) बिना जाती हुई जंगली भूमि
(b) सिंचित भूमि
(c) घने जंगल वाली भूमि
(d) जोती हुई भूमि
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक
[60 to 62 B.P.S.C. (Pre) 2016]
उत्तर- (a) बिना जाती हुई जंगली भूमि
- गुप्त काल में वह भूमि जिस पर खेती नहीं की जा सकती थी, ‘अप्राहत’ कहलाती थी।
- यह कराधान प्रणाली का एक भाग था।
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55.भारत के इतिहास के संदर्भ में, “कुल्यावाप” तथा “द्रोणवाप” शब्द क्या निर्दिष्ट करते हैं?
(a) भू-माप
(b) विभिन्न मौद्रिक मूल्यों के सिक्के
(c) नगर की भूमि का वर्गीकरण
(d) धार्मिक अनुष्ठान
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) भू-माप
- गुप्त काल के दौरान, कुल्यवापा और द्रोणवापा दो अलग-अलग प्रकार की भूमि माप थे।
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56.गुप्त साम्राज्य द्वारा निम्न में से किन्हें कर रहित कृषि भूमि प्रदान की जाती थी ?
(a) सैन्य अधिकारियों को
(b) सिविल अधिकारियों को
(c) ब्राह्मणों को
(d) दरबारी विद्वानों को
[M.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(c) ब्राह्मणों को
- गुप्त साम्राज्य ने धार्मिक लोगों (ब्राह्मणों) को भूमि दी, जिन्हें कर नहीं देना पड़ता था।
|
57. प्राचीन भारत में सिंचाई कर को कहते थे-
(a) बिदकभागम
(c) उदरंग
(b) हिरण्य
(d) उपरनिका
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर- (a) बिदकभागम
- पुराने भारत में सिंचाई शुल्क को ‘बिदकभाग’ या ‘उदकभाग’ कहा जाता था।
- मौर्य काल में हिरण्य एक प्रकार का नकद कर था।
- गुप्त अभिलेखों में भूमि पर कर को ‘उदरंग’ कहा जाता था।
- भूमि पर रहने वाले लोगों पर कर।
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58. तीसरी शताब्दी में वारंगल प्रसिद्ध था-
(a) तांबे के बर्तनों के लिए
(b) स्वर्ण आभूषणों के लिए
(c) लोहे के यंत्रों/उपकरणों हेतु
(d) हाथी दांत के काम हेतु
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001]
उत्तर-(c) लोहे के यंत्रों/उपकरणों हेतु
- वारंगल लोहे के औजारों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध था।
- अगरिया लोग वहां रहते थे और लोहा बनाना उनका सामान्य काम था।
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59. प्राचीन भारतीय गुप्त राजवंश के समय के संदर्भ में, नगर घंटाशाला, कदूरा तथा चौल किसलिए विख्यात थे ?
(a) विदेशी व्यापार करने वाले बंदरगाह
(b) शक्तिशाली राज्यों की राजधानिया
(c) उत्कृष्ट प्रस्तर कला तथा स्थापत्य से संबंधित स्थान
(d) बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थस्थल
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) विदेशी व्यापार करने वाले बंदरगाह
- गुप्त काल के दौरान, आंतरिक और बाह्य दोनों व्यापार बहुत सफल थे।
- घंटासला, कडूरा और चौल सभी बंदरगाह थे जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन करते थे।
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60. तोरमाण किस जातीय दल का था?
(a) सिथियन
(b) हूण
(c) यूची
(d) शक
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(b) हूण
- टोर्नेडो भारत पर दूसरे हूण आक्रमण का प्रभारी था।
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61. निम्नलिखित में से किसने हूण शासक मिहिरकुल को पराजित किया था?
(a) बुद्धगुप्त
(c) शशांक
(b) यशोधर्मन
(d) प्रभाकरवर्धन
[U.P.P.C.S (Mains) 2016]
उत्तर-(b) यशोधर्मन
- मिहिरकुला एशियाई हूण लोगों का हिस्सा था और हेफ्थलाइट्स के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक था।
- ग्वालियर शिलालेख से उनके शासनकाल का पता चलता है जिसमें ग्वालियर भी शामिल था।
- 528 ई. में मिहिरकुल को औलिकरा राजा यशोधर्मन ने हराया था।
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62. चीनी तीर्थयात्री जिसने छठी शताब्दी में भारत दर्शन किया-
(a) युआन च्वांग
(b) फाहियान
(c) सुंग युन
(d) इत्सिंग
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(c) सुंग युन
- 518 ई. में सुंग युन नाम के एक चीनी यात्री ने भारत की यात्रा की और बुद्ध की शिक्षाओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में तीन साल बिताए।
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63. चीनी यात्री सुंग युन’ ने भारत की यात्रा की थी-
(a) 515 ई. से 520 ई.
(b) 525 ई. से 529 ई.
(c) 545 ई. से 552 ई.
(d) 592 ई. से 597 ई.
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[60 to 62 B.P.S.C. (Pre) 2016]
उत्तर-(a) 515 ई. से 520 ई.
- सुंग्युन, एक चीनी आगंतुक, 518 से 521 ईस्वी तक भारत आया था।
- अपने तीन साल के प्रवास के दौरान, उन्होंने बुद्ध की शिक्षाओं के लेख एकत्र किये।
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64.निम्नलिखित कथनों को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
1. गुप्त सम्राट स्वयं के लिए दैवीय अधिकारों का दावा करते थे।
2. उनका प्रशासन नितांत केंद्रीकृत था।
3. उन्होंने भूमिदान की परंपरा को विस्तारित किया।
उत्तर निम्न कूटों के आधार पर दीजिए-
(a) 1, 2 एवं 3 सही है।
(b) 1 एवं 2 सही हैं।
(c) 1 एवं 3 सही हैं।
(d) 2 एवं 3 सही हैं।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर-(c) 1 एवं 3 सही हैं।
- गुप्त साम्राज्य में एक राजतंत्र था, जो मानता था कि वे मौर्यों से भिन्न स्रोत से थे।
- वे अपनी परंपरा के हिस्से के रूप में भूमि देने की प्रथा रखते थे।
- सरकार बहुत केंद्रीकृत नहीं थी, बल्कि संघीय व्यवस्था थी।
- इसलिए, विकल्प 1 और 3 सही हैं।
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65.गुप्त काल के दौरान भारत में बलात् श्रम (विष्टि) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
(a) इसे राज्य के लिए आय का एक स्रोत, जनता द्वारा दिया जाने चाला एक प्रकार का कर माना जाता था।
(b) यह गुप्त साम्राज्य के मध्य प्रदेश तथा काठियावाड क्षेत्रों में पूर्णतः अविद्यमान था।
(c) बलात् श्रमिक साप्ताहिक मजदूरी का हकदार होता था।
(d) मजदूर के ज्येष्ठ पुत्र को बलात् श्रमिक के रूप में भेज दिया जाता था।
[I.A.S (Pre) 2019]
उत्तर- (a) इसे राज्य के लिए आय का एक स्रोत, जनता द्वारा दिया जाने चाला एक प्रकार का कर माना जाता था।
- विष्टि एक प्रकार का श्रम था जिसकी आवश्यकता सरकार, राज्यपाल या स्थानीय नेता को होती थी।
- इसका उल्लेख गुप्तकालीन ताम्रलेखों में करों का वर्णन करने के लिए किया गया है।
- जूनागढ़ के एक शिलालेख से पता चलता है कि इसका उपयोग गुजरात और मालवा में किया जाता था।
- यह भुगतान किया गया श्रम नहीं था, बल्कि इसके बजाय कर का एक रूप था।
- प्राचीन भारत में मजदूरी का अस्तित्व था, लेकिन इसे विष्टि नहीं कहा जाता था।
- यह केवल बड़े बेटे से ही नहीं, किसी से भी पूछा जा सकता है।
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66. कहा जाता है कि शतरंज का खेल उद्भूत (originate) हुआ था-
(a) चीन में
(b) ईरान में
(c) इंडोनेशिया में
(d) भारत में
[U.P. Lower Sub. (Spl) (Pre) 2004]
उत्तर- (d) भारत में
- भारत में शतरंज की शुरुआत गुप्त काल में हुई और इसे ‘चतुरंग’ कहा जाता था।
- यह भारत से ईरान और फिर यूरोप तक फैल गया।
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67. शूद्रक द्वारा लिखी हुई प्राचीन भारतीय पुस्तक ‘मृच्छकटिकम्’ का विषय था-
(a) एक धनी व्यापारी और एक गणिका की पुत्री की प्रेम गाथा
(b) चंद्रगुप्त II की पश्चिम भारत के शक क्षत्रपों पर विजय
(c) समुद्रगुप्त के सैन्य अभियान तथा शौर्यपूर्ण कार्य
(d) गुप्त राजवंश के एक राजा तथा कामरूप की राजकुमारी की प्रेम गाथा
[I.A.S. (Pre) 2003]
उत्तर- (a) एक धनी व्यापारी और एक गणिका की पुत्री की प्रेम गाथा
- सुद्रका की द लिटिल क्ले कार्ट एक अमीर व्यापारी और एक वेश्या की बेटी के रोमांस की कहानी है।
- यह इस बारे में भी बात करता है कि गुप्त युग के दौरान समाज कैसे बदल गया और उज्जैन में कुछ शूद्र अधिकारियों का उल्लेख है।
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68. प्राचीन सांख्य दर्शन में किसका महत्वपूर्ण योगदान है ?
(a) कपिल
(b) गौतम
(c) नागार्जुन
(d) चार्वाक
[M.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (a) कपिल
- सांख्य दर्शन भारत की सबसे पुरानी दार्शनिक प्रणालियों में से एक है।
- इसकी रचना महर्षि कपिल ने की थी, जिन्हें सांख्य दर्शन के ‘शिक्षक’ के रूप में जाना जाता है।
- उन्होंने ‘सांख्य सूत्र’ और तत्वसमास की रचना की।
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69.भारत में दार्शनिक विचार के इतिहास के संबंध में, सांख्य संप्रदाय से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. सांख्य पुनर्जन्म या आत्मा के आवागमन के सिद्धांत को स्वीकार नहीं करता है।
2. सांख्य की मान्यता है कि आत्म-ज्ञान ही मोक्ष की ओर ले जाता है न कि कोई बाह्य प्रभाव अथवा कारक ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(b) केवल 2
- सांख्य विद्यालय भारत के छह प्रमुख दर्शनों का हिस्सा है।
- इसका मानना है कि पुनर्जन्म होता है और अज्ञानता ही दुख का कारण है।
- इसमें कहा गया है कि ज्ञान ही दुख से मुक्ति का एकमात्र रास्ता है, कोई बाहरी मदद नहीं।
- इसलिए, विकल्प (बी) सही उत्तर है।
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70.निम्नलिखित कथनों को पढ़िए तथा सही विकल्प को चुनिए-
कथन 1: कपिल सांख्य पद्धति के सबसे पुराने प्रणेता हैं।
कथन II कपिल यह बताते हैं कि किसी व्यक्ति का जीवन प्रकृति की शक्तियों द्वारा गढ़ा जाता है, किसी देवी सत्ता द्वारा नहीं।
(a) कथन एवं I कथन II दोनों ही सही हैं।
(b) कथन I गलत है, लेकिन कथन II सही है।
(c) कथन I एवं कथन | दोनों ही गलत हैं।
(d) कथन I सही है, लेकिन कथन II गलत है।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) कथन I एवं कथन II दोनों ही सही हैं।
- कपिल मुनि सांख्य दर्शन को पढ़ाने वाले पहले व्यक्ति थे।
- यह दर्शन बताता है कि हमारा जीवन प्राकृतिक दुनिया से प्रभावित होता है, किसी भगवान या दिव्य प्राणी से नहीं।
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71.योग दर्शन के प्रतिपादक है-
(a) पतंजलि
(b) गौतम
(c) जैमिनी
(d) शंकराचार्य
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997, U.P. Lower Sub. (Spl) (Pre) 2002, U.P. Lower Sub. (Spl) (Pre) 2003, U.P.P.C.S. (Pre) 2007]
उत्तर- (a) पतंजलि
- महर्षि पतंजलि को ‘योग दर्शन’ के निर्माता के रूप में देखा जाता है।
- भारतीय संस्कृति में योग का एक लंबा इतिहास है। इसका उल्लेख उपनिषद, महाभारत, भगवद गीता, जैन और बुद्ध जैसे ग्रंथों में मिलता है।
- पतंजलि ने योग का एक संरचित दार्शनिक सिद्धांत प्रदान किया, इसलिए इसे ‘पतंजलि दर्शन’ के नाम से जाना जाता है।
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72. निम्नलिखित में से कौन एक अष्टांग योग’ का अंश नहीं है?
(a) अनुस्मृति
(b) प्रत्याहार
(c) ध्यान
(d) धारणा
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) अनुस्मृति
- अष्टांग योग आठ आध्यात्मिक अभ्यासों वाला एक प्रकार का योग है।
- इनमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि शामिल हैं।
- अनुस्मृति अष्टांग योग का हिस्सा नहीं है।
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73.महामाप्य के लेखक ‘पतंजलि’ समसामयिक थे-
(a) चंद्रगुप्त मौर्य के
(b) अशोक के
(c) पुष्यमित्र शुंग के
(d) चंद्रगुप्त प्रथम के
[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर-(c) पुष्यमित्र शुंग के
- पतंजलि और पुष्यमित्र शुंग एक ही समय अवधि (184-148 ईसा पूर्व) के दौरान रहते थे।
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74.नव्य-न्याय संप्रदाय (स्कूल) के संस्थापक कौन थे ?
(a) रघुनाथ शिरोमणि
(b) गंगेश
(c) श्रीधर
(d) उदयन
[U.P.P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(b & d) गंगेश & उदयन
- मिथिला के विद्वान उदयन और गंगेश ने नव्य-न्याय विद्यालय के निर्माण में क्रांति ला दी।
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75. ‘जब तक जीवित रहो, सुख से जीवित रहो, चाहे इसके लिए ऋण ही लेना पड़े, क्योंकि शरीर के भस्मीभूत हो जाने पर पुनरागमन नहीं हो सकता।’ पुनर्जन्म का निषेध करने वाली यह उक्ति किसकी है?
(a) कापालिक संप्रदाय वालों की
(b) नागार्जुन के शून्यवाद वालों
(c) आजीविकों की
(d) चार्वाकों की
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (d) चार्वाकों की
- चार्वाक का मानना था कि जीवित रहते हुए अच्छा जीवन जीना सबसे महत्वपूर्ण बात है।
- उन्होंने कहा कि पैसे उधार लेना ठीक है अगर इससे आपको जीवन का आनंद लेने में मदद मिलती है क्योंकि एक बार जब आप मर जाते हैं, तो वापस नहीं आते।
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76. केवल प्रत्यक्ष प्रमाण को कौन स्वीकार करता है?
(a) जैन
(c) बौद्ध
(b) चार्वाक
(d) सांख्य
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(b) चार्वाक
- भारतीय दर्शन में विभिन्न संप्रदायों में प्रमाणों की संख्या के विषय में पर्याप्त मतभेद हैं।
- बौद्ध और वैशेषिक संप्रदाय प्रत्यक्ष तथा अनुमान केवल दो प्रमाणों को स्वीकार करते हैं।
- जैन, सांख्य, योग और विशिष्टाद्वैत दर्शन इन दोनों के साथ शब्द प्रमाण को भी जोड़ देते हैं।
- न्याय दार्शनिक प्रत्यक्ष, अनुमान, शब्द और उपमान चार प्रमाणों को स्वीकार करते हैं।
- प्रभाकर मीमांसा में इन चारों प्रमाणों के साथ अर्थापत्ति को भी जोड़ दिया जाता है।
- भट्ट-मीमांसा और अद्वैत वेदांत दर्शन में इन प्रमाणों के साथ अनुपलब्धि को भी प्रमाण मान लिया जाता है।
- इन सबके विपरीत चार्वाक दर्शन केवल प्रत्यक्ष को प्रमाण मानता है और अन्य प्रमाणों का निषेध करता है।
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77. अधोलिखित में से कौन एक चार्वाक के अनुसार है ?
(a) धर्म
(b) अर्थ
(c) काम
(d) मोदा
(e) भक्ति
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(c) काम
- चार्वाक, जिसे लोकायत के नाम से भी जाना जाता है, एक पुरानी भारतीय भौतिकवाद विचारधारा है।
- उनका मानना था कि ज्ञान प्रत्यक्ष अनुभव, अवलोकन और तर्क के प्रयोग से आता है।
- उन्होंने वेदों, अनुष्ठानों या किसी भी अलौकिक चीज़ को स्वीकार नहीं किया।
- अजिता केसकम्बली को चार्वाक के मूल नेता के रूप में जाना जाता है।
- उनके अनुसार सुख का आनंद लेना चाहिए और जितना हो सके दुःख से बचना चाहिए।
- वे सुख को नकारने या दर्द के डर से संयमित जीवन जीने में विश्वास नहीं करते थे।
- सर्वसिद्धांत संग्रह भी चार्वाक के सुखवादी दृष्टिकोण का समर्थन करता है कि जीवन का आनंद लेने का सबसे अच्छा तरीका अच्छा भोजन, सुंदर संगति, अच्छे कपड़े और अन्य विलासिता है।
- उन्होंने सोचा कि मृत्यु जीवन का अंत है और उच्चतर अवस्था के लिए प्रयास करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
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78.चार्वाक दार्शनिक प्रणाली-
(a) लोकायत प्रणाली भी कहलाती थी।
(b) आस्तिक प्रणाली भी कहलाती थी।
(c) मीमांसा प्रणाली भी कहलाती थी।
(d) वैशेषिक प्रणाली भी कहलाती थी।
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) लोकायत प्रणाली भी कहलाती थी।
- चार्वाक दर्शन एक भौतिकवादी दर्शन है, जिसे लोकायत’ के नाम से भी जाना जाता है।
- इस दर्शन के प्रणेता ‘चार्वाक’ हैं।
- यह नास्तिक विचारधारा पर आधारित दर्शन है।
- यह दर्शन मात्र प्रत्यक्ष प्रमाण को स्वीकार करता है।
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79.न्याय दर्शन को प्रचारित किया था-
(a) चार्वाक ने
(b) गौतम ने
(c) कपिल ने
(d) जैमिनी ने
[U.P.P.C.S. (Pre) 2005, U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर-(b) गौतम ने
- गौतम, जिन्हें अक्षपाद के नाम से भी जाना जाता है, ने न्याय दर्शन विकसित किया, जो तर्क और निर्णय लेने पर आधारित है।
- यह दर्शन 16 विभिन्न सामग्रियों या तत्वों को पहचानता है और इसके लिए मुख्य पाठ गौतम द्वारा लिखित न्याय सूत्र कहा जाता है।
- अन्य दर्शन, जैसे सांख्य दर्शन और पूर्व मीमांसा।
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80. न्याय दर्शन के प्रवर्तक थे-
(a) गौतम
(b) कपिल
(c) कणाद
(d) जैमिनी
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर- (a) गौतम
- न्याय दर्शन – गौतम
- सांख्य दर्शन – कपिल
- वैशेषिक – कणाद
- पूर्व मीमांसा – जैमिनी
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81.सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूची के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
सूची-I |
सूची-II |
(दर्शन) |
(मोक्ष प्राप्त करने के तरीके) |
A. न्याय दर्शन |
1. वास्तविक ज्ञान का अभिग्रहण |
B. मीमांसा दर्शन |
2. आत्मज्ञान |
C. सांख्य दर्शन |
3. वैदिक अनुष्ठान करना |
D. वेदांत दर्शन |
4. तार्किक चिंतन |
कूट:
A B C D
(a) 2 4 1 3
(b) 4 3 1 2
(c) 1 4 2 3
(d) 3 4 1 2
[U.P.B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर- (b) 4 3 1 2
- सही सुमेलन इस प्रकार है –
सूची-I (दर्शन) |
सूची-II (मोक्ष प्राप्त करने के तरीके) |
A. न्याय दर्शन |
तार्किक चिंतन |
B. मीमांसा दर्शन |
वैदिक अनुष्ठान करना |
C. सांख्य दर्शन |
वास्तविक ज्ञान का अभिग्रहण |
D. वेदांत दर्शन |
आत्मज्ञान |
- षड्दर्शन एवं उनके प्रवर्तक निम्नलिखित है-
दर्शन |
प्रवर्तक |
न्याय दर्शन |
गौतम |
पूर्व मीमांसा दर्शन |
जैमिनी |
सांख्य दर्शन |
कपिल मुनि |
वेदांत दर्शन / उत्तर मीमांसा |
बादरायण |
वैशेषिक दर्शन |
उलूक कणाद मुनि |
योग दर्शन |
पतंजलि |
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82. कर्म का सिद्धांत संबंधित है-
(a) न्याय से
(b) मीमांसा से
(c) वेदांत से
(d) वैशेषिक से
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर-(b) मीमांसा से
- कर्म मीमांसा दर्शन का एक भाग है।
- इसे कर्म मीमांसा, पूर्व मीमांसा या धर्म मीमांसा के नाम से भी जाना जाता है।
- मीमांसा के आचार्य कामारी भट्ट को पूर्व मीमांसा और वेदांत के बीच संबंध के रूप में देखा जाता है।
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83. निम्न में से किस दर्शन का मत है कि वेद शाश्वत सत्य हैं?
(a) सांख्य
(b) वैशेषिक
(c) मीमांसा
(d) न्याय
(e) योग
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(c) मीमांसा
- ‘मीमांसा’ दर्शन का मानना है कि वेद शाश्वत सत्य हैं।
- ‘पूर्व मीमांसा’ ‘कर्म कांड’ और ‘उत्तर मीमांसा’ के बारे में है।
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84. अपूर्व का सिद्धांत संबंधित है-
(a) चार्वाक से
(b) जैन से
(c) बौद्ध से
(d) मीमांसा से
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (d) मीमांसा से
- अपूर्व का सिद्धांत मीमांसा दर्शन से संबंधित है।
- मीमांसा दर्शन में एक अदृश्य शक्ति की कल्पना की गई है, जो कर्म तथा उसके परिणाम के बीच एक अलौकिक कड़ी है।
- वह इसे ‘अपूर्व कहता है। अपूर्व का शाब्दिक अर्थ है कोई नई वस्तु जो पहले नहीं जानी गई अथवा वह जो पहले नहीं था।
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85. निम्न में से किस भारतीय दर्शन ने परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया ?
(a) योग
(b) न्याय
(c) सांख्य
(d) वैशेषिक
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre) 2020]
उत्तर- (d) वैशेषिक
- महर्षि कणाद को परमाणुओं के विचार के साथ आने के लिए जाना जाता है।
- वह एक वैज्ञानिक और दार्शनिक थे, जिन्होंने वैशेषिक स्कूल ऑफ इंडियन फिलॉसफी की शुरुआत की, जहां उन्होंने संस्कृत भाषा में दर्शन और भौतिकी के रूप में परमाणुओं पर अपने विचार व्यक्त किए।
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86. निम्न में से किसे भारतीय परमाणुवाद का जनक कहा जाता है ?
(a) महर्षि कपिल
(b) महर्षि गौतम
(c) महर्षि कणाद
(d) महर्षि पतंजलि
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(c) महर्षि कणाद
- महर्षि कणाद भारतीय दर्शन के वैशेषिक संप्रदाय के संस्थापक थे।
- उन्होंने परमाणुओं के सिद्धांत का निर्माण किया और उन्हें भारतीय परमाणुवाद के निर्माता के रूप में जाना जाता है।
- इस सिद्धांत में कहा गया कि भौतिक वस्तुएँ परमाणुओं से बनी होती हैं।
- वैशेषिक स्कूल भारत में भौतिकी की शुरुआत थी।
- कणाद ने सबसे पहले यह पता लगाया कि परमाणु किसी भी पदार्थ का सबसे छोटा टुकड़ा है।
- परमाणुओं को मानव आँख से नहीं देखा जा सकता है और उन्हें आगे तोड़ा नहीं जा सकता है।
- इस विचारधारा का ध्यान पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश जैसे भौतिक तत्वों की चर्चा पर केंद्रित था, और वे संयुक्त होने पर नई वस्तुओं का निर्माण कैसे कर सकते थे।
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87. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा एक भारतीय पदर्शन का भाग नहीं है?
(a) मीमांसा और वेदांत
(b) न्याय और वैशेषिक
(c) लोकायत और कापालिक,
(d) सांख्य और योग
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(c) लोकायत और कापालिक,
- हिंदू दर्शन भारत में उत्पन्न हुई मान्यताओं और शिक्षाओं के एक समूह पर आधारित है।
- मुख्य हिंदू दर्शन सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत नामक 6 प्रणालियों से बना है।
- लोकायत और कापालिक इन 6 प्रणालियों का हिस्सा नहीं हैं।
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88. लोकायत दर्शन किसको कहा जाता है ?
(a) जैन
(b) बौद्ध
(c) चार्वाक
(d) सांख्य
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2019]
उत्तर-(c) चार्वाक
- चार्वाक दर्शन को ही लोकायत दर्शन के नाम से जाना जाता है।
- यह भौतिकवादी दर्शन है, जो भौतिक या सांसारिक सुख को अधिक महत्व देता है।
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89. अद्वैत दर्शन के संस्थापक हैं-
(a) शंकराचार्य
(b) रामानुजाचार्य
(c) मध्वाचार्य
(d) महात्मा बुद्ध
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (a) शंकराचार्य
- आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य अद्वैत वेदांत की व्याख्या करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे।
- उन्होंने पूर्ववर्ती विचारकों के विचारों को एक साथ रखा।
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90, ‘प्रच्छन्न-बौद्ध’ किसे कहा जाता है?
(a) शंकर
(b) कपिल
(c) रामानुज
(d) पतंजलि
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre), 2019]
उत्तर- (a) शंकर
- शंकर या शंकराचार्य अद्वैत दर्शन के प्रणेता तथा हिंदू धर्म के प्रख्यात दार्शनिक थे।
- बौद्ध धर्म की कई सकल्पनाओं को अपने दर्शन में शामिल करने के कारण उन्हें प्रच्छन्न-बौद्ध की संज्ञा दी जाती है।
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91. निम्नलिखित में से अद्वैत वेदांत के अनुसार, किसके द्वारा मुक्ति प्राप्त की जा सकती है ?
(a) ज्ञान
(b) कर्म
(c) भक्ति
(d) योग
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) ज्ञान
- अद्वैत वेदांत कहता है कि ज्ञान प्राप्त करके व्यक्ति को मुक्त किया जा सकता है।
- यह सही मान्यताओं और आत्मा और ब्रह्म के बीच संबंध को समझने पर केंद्रित है जो स्वतंत्रता की ओर ले जाता है।
|
92. विशिष्ट अद्वैत सिद्धांत के संस्थापक कौन थे?
(a) रामानुजाचार्य
(c) श्रीकंठाचार्य
(b) वल्लभाचार्य
(d) मध्वाचार्य
[I.A.S. (Pre) 2021, Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) रामानुजाचार्य
- भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में रामानुजाचार्य का स्थान महत्वपूर्ण है।
- ये सगुण ईश्वर में विश्वास करते थे तथा मक्ति को मोक्ष प्राप्ति का साधन मानते थे।
- इन्होंने विशिष्ट अद्वैत (विशिष्टाद्वैत सिद्धांत का प्रतिपादन किया था।
- रामानुजाचार्य का विशिष्ट अद्वैत दर्शन शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन के विरोध में एक प्रतिक्रिया है।
- शंकराचार्य ने ब्रह्म को सत्य तथा जगत को मिथ्या बताया है, जबकि रामानुजाचार्य के अनुसार जीव आनंदमय, स्वयं प्रकाशमान तथा वैशिष्ट्यपूर्ण है और जगत मिथ्या न होकर सत्य सृष्टि है।
- मनुष्य भक्ति के द्वारा ईश्वर में तल्लीन हो सकता है।
- अत: विकल्प (1) सत्य है।
- जबकि वल्लभाचार्य ने ‘शुद्ध अद्वैतवाद’ तथा मध्वाचार्य ने द्वैतवाद दार्शनिक मत का प्रतिपादन किया है।
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93. निम्न में से किसका संबंध ‘वेदांत दर्शन’ के साथ नहीं है?
(a) शंकराचार्य
(b) अभिनव गुप्त
(c) रामानुज
(d) माधव
[M.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर-(b) अभिनव गुप्त
- अभिनव गुप्त वेदांत दर्शन से संबंधित नहीं हैं।
- वेदांत दर्शन का हिंदू धर्म और उसकी परंपराओं पर बहुत बड़ा प्रभाव रहा है।
- वेदांत के तीन महत्वपूर्ण विद्वान, शंकराचार्य (8वीं शताब्दी से), रामानुज (11वीं शताब्दी से), और माधव (13वीं शताब्दी से) ने दर्शन की विभिन्न व्याख्याएँ प्रस्तुत कीं।
|
94. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए एवं नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर चुनिए-
सूची-I |
सूची-II |
(संवत्सर) |
(किस समय से गणना) |
A. विक्रम संवत्सर |
1. 3102 ई.पू. |
B. शक संवत्सर |
2.320 ईस्वी |
C. गुप्त संवत्सर |
3. 78 ईस्वी |
D. कलि संवत्सर |
4. 58 ई.पू. |
|
5. 248 ईस्वी |
कूट :
A B C D
(a) 2 4 5 1
(b) 1 3 2 4
(c) 4 5 2 3
(d) 4 3 2 1
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(d) 4 3 2 1
- विक्रमादित्य ने 57 या 58 ईसा पूर्व में विक्रम युग की शुरुआत करके शक पर अपनी जीत का जश्न मनाया।
- कनिष्क ने 78 ई. में शक संवत प्रारम्भ किया।
- चंद्रगुप्त-1 ने 319-320 ई. में गुप्त युग की शुरुआत की।
- ऐसा माना जाता है कि कलि युग की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व में हुई थी।
|
95. निम्न कथनों पर विचार कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए :
1. विक्रम संवत् 58 ई.पू. से आरंभ हुआ।
2. शक संवत् सन् 78 ई. से आरंभ हुआ।
3. गुप्तकाल सन् 319 ई. से आरंभ हुआ।
4. भारत में मुसलमान शासन का युग सन् 1192 ई. से शुरू हुआ।
कूट:
(a) 1 एवं 2
(c) 1, 2 एवं 3
(b) 3 एवं 4
(d) 1, 2, 3 एवं 4
[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (d) 1, 2, 3 एवं 4
- विक्रम संवत 57 या 58 ईसा पूर्व में शुरू हुआ और शक संवत 78 ईस्वी में शुरू हुआ।
- गुप्त वंश की शुरुआत श्रीगुप्त ने की थी, लेकिन चंद्रगुप्त-प्रथम के शासन को गुप्त साम्राज्य की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
- 8वीं शताब्दी में मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध क्षेत्र पर अधिकार कर लिया, लेकिन भारत में मुस्लिम शासन आधिकारिक तौर पर 1192 ई. में तराइन की लड़ाई में गोरी की जीत के बाद शुरू हुआ।
- सभी कथन सही हैं.
|
96. गधैया था-
(a) सिक्का
(b) भूमि कर
(c) व्यापार कर
(d) सैन्य अधिकारी
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) सिक्का
- गया एक प्रकार का रजत सिक्का था।
- इस सिक्के को ससैनियन सिक्कों के अनुकरणों पर चलाया गया था।
- पूर्व मध्यकाल के दौरान आठवीं नौवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी के मध्य ये सिक्के मुख्यतः पश्चिमी भारत में प्रचलन में थे।
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97. पुलकेशिन 1 का बादामी शिलालेख शक वर्ष 465 का दिनांकित है। यदि इसे विक्रम संवत् में दिनांकित करना हो, तो वर्ष होगा-
(a) 601
(b) 300
(c) 330
(d) 407
[I.A.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (a) 601
- विक्रम संवत की शुरुआत 57 या 58 ईसा पूर्व में हुई थी और शक संवत की शुरुआत 78 ईस्वी में हुई थी।
- श्रीगुप्त गुप्त वंश के संस्थापक थे, लेकिन चंद्रगुप्त-प्रथम के शासनकाल को गुप्त साम्राज्य की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
- 8वीं सदी की शुरुआत में मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया।
- भारत में मुस्लिम शासन का समय 1192 ई. में तराइन के युद्ध में गौरी की जीत के बाद शुरू हुआ।
- प्रश्न में उल्लिखित सभी कथन सही हैं।
|
98. मालव संवत् इस नाम से भी जाना जाता है-
(a) कलचुरि संवत्
(b) कृत संवत्
(c) शक संवत्
(d) गुप्त संवत्
[M.P.P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) कृत संवत्
- विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध सम्राट माने जाते हैं, जिन्होंने 57 ई.पू. में विक्रम संवत् अथवा विक्रम कलेंडर की स्थापना की।
- विक्रम संवत् को कृत संवत् और मालव संवत् के रूप में भी जाना जाता था।
- भारत में ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ शक संवत् और विक्रम संवत् का प्रयोग भी किया जाता है।
|
99. एक चालुक्य अभिलेख के तिथि अंकन में शक संवत् का वर्ष 556 दिया हुआ है। इसका तुल्य वर्ष है-
(a) 478 ई.
(b) 499 ई.
(c) 613 ई.
(d) 634 ई.
[U.P.P.C.S. (Mains) 2002]
उत्तर- (d) 634 ई.
- शक संवत की स्थापना महान राजा कनिष्क ने 78 ई. में की थी।
- इस युग का उपयोग अतीत की घटनाओं और शिलालेखों की तारीखें निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
- उदाहरण के लिए, चालुक्य शिलालेख, जो 556 ई. का है, 634 ई. के बराबर है
- जब शक संवत को ध्यान में रखा जाता है।
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100. पुराणों के अनुसार, चंद्रवंशीय शासकों का मूल स्थान था-
(a) काशी
(b) अयोध्या
(c) प्रतिष्ठानपुर
(d) श्रावस्ती
[U.P.P.C.S. (Pre) 2009]
उत्तर-(c) प्रतिष्ठानपुर
- पुराण कहते हैं कि चंद्रवंशी (या सोमवंशी) क्षत्रिय जाति के तीन प्रमुख राजवंशों (अन्य दो सूर्यवंश और अग्निवंश) में से एक थे।
- चंद्रवंशी शासकों का मुख्य स्थान प्रयाग था, परंतु प्रलय के पश्चात द्वापर युग में चंद्रवंशीय संवारन ने प्रतिष्ठानपुर (वर्तमान झूसी, इलाहाबाद) में राजधानी की स्थापना की थी।
|
101. मौखरि शासकों की राजधानी ………. थी।
(a) थानेश्वर
(b) कन्नौज
(c) पुरुषपुर
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर-(b) कन्नौज
- मौखरि राजवंश गुप्त परिवार की एक शाखा थी, जो मूल रूप से गया का था।
- मौखरि के शासकों ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया और मुख्य शासक हरि वर्मा, आदित्य वर्मा, ईशान वर्मा, सर्व वर्मा और ग्रह वर्मा थे।
|
102. निम्नलिखित युग्मों में से कौन एक सही सुमेलित नहीं
(a) सर्ववर्मन – गया ताम्र पत्र
(b) ईश्वरवर्मन – जौनपुर प्रस्तर अभिलेख
(c) ईशानवर्मन – हरहा पाषाण अभिलेख
(d) जीवित गुप्त II – देव बर्माक अभिलेख
[U.P. P.C.S. (Pre) 2022]
उत्तर- (a) सर्ववर्मन – गया ताम्र पत्र
- सर्ववर्मन का ताम्र पत्र अभिलेख असीरगढ़ से प्राप्त हुआ है, न कि गया से अतः विकल्प (2) सही सुमेलित नहीं है।
|
103. गुप्त वंश के पतन से लेकर आरंभिक सातवीं शताब्दी में हर्षवर्धन के उत्थान तक उत्तर भारत में निम्नलिखित में से किन राज्यों का शासन था ?
1. मगध के गुप्त
2. मालवा के परमार
3. थानेसर के पुष्यभूति
4. कन्नौज के मौखरि
5. देवगिरि के यादव
6. वल्लभी के मैत्रक
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) 1, 2 और 5
(b) 1, 3, 4 और 6
(c) 2, 3 और 4
(d) 5 और 6
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) 1, 3, 4 और 6
- बाद के गुप्तों ने 7वीं शताब्दी की शुरुआत में मगध (अब बिहार) पर कब्ज़ा कर लिया।
- परमारों ने भारत के पश्चिमी और मध्य भागों पर शासन नहीं किया, जबकि थानेसर (वर्तमान हरियाणा) के पुष्यभूतियों ने 6वीं और 7वीं शताब्दी तक शासन किया।
- मौखरी वंश उत्तर प्रदेश और मगध के कुछ हिस्सों का प्रभारी था जब तक कि 606 ईस्वी में बाद के गुप्तों ने फिर से सत्ता नहीं संभाली।
- देवगिरि के यादवों ने भारत के पश्चिमी भागों में 1187 से 1317 ई. तक शासन किया, और वल्लभी के मैत्रकों ने 5वीं शताब्दी के अंत से 8वीं शताब्दी के अंत तक वर्तमान गुजरात के पश्चिमी और उत्तरी भागों पर शासन किया।
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104. वर्धन राजवंश की स्थापना किसने की ?
(a) पुष्यभूति
(b) राज्यवर्धन
(c) आदित्यवर्धन
(d) प्रभाकरवर्धन
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक
[67th B.P.S.C. (Pre) (Re. Exam) 2022]
उत्तर- (a) पुष्यभूति
- बाणभट्ट की रचना हर्षचरित के अनुसार वर्धन वंश की स्थापना पुष्यभूति नामक व्यक्ति ने थानेश्वर / स्थानेश्वर में की थी।
- हर्षवर्धन इस वंश का सबसे महान शासक था।
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105. हर्ष के समय की सूचनाएं किसकी पुस्तकों में निहित है ?
(a) हरिषेण
(b) कल्हण
(c) कालिदास
(d) इनमें से किसी में नहीं
[U.P.P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर-(b) कल्हण
- हम हर्ष के बारे में दो स्रोतों से जानते हैं: हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट ने हर्षचरित लिखा और कल्हण ने राजतरंगिणी लिखी।
- कालिदास और हरिसेन की पुस्तकें हमें हर्ष के बारे में कुछ नहीं बतातीं।
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106. ‘हर्षचरित’ नामक पुस्तक किसने लिखी ?
(a) आर्यभट्ट
(b) बाणभट्ट
(c) विष्णुगुप्त
(d) परिमलगुप्त
[47 B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर-(b) बाणभट्ट
- प्रसिद्ध लेखक बाणभट्ट ने “हर्षचरित्र” ग्रन्थ लिखा।
- यह वर्धन वंश के बारे में जानकारी का मुख्य स्रोत है।
- कहानी में वर्तमान शासक और उनसे पहले उनके परिवार के सदस्यों के जीवन के बारे में विवरण शामिल हैं।
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107. हर्ष के साम्राज्य की राजधानी थी-
(a) कन्नौज
(c) प्रयोग
(b) पाटलिपुत्र
(d) थानेश्वर
[U.P.P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (a) कन्नौज
- चीनी रिपोर्टों से पता चला कि हर्ष और उसकी बहन राज्यश्री दोनों ने कन्नौज पर शासन किया।
- राज्यश्री को कन्नौज का उचित प्रबंधन करने में मदद करने के लिए हर्ष ने अपनी शक्ति का मुख्य आधार थानेसर से कन्नौज स्थानांतरित कर दिया।
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108. सम्राट हर्षवर्धन ने दो महान धार्मिक सम्मेलनों का आयोजन किया था-
(a) कन्नौज तथा प्रयाग में
(b) प्रयाग तथा थानेश्वर में
(c) थानेश्वर तथा बल्लभी में
(d) वल्लभी तथा प्रयाग में
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001]
उत्तर- (a) कन्नौज तथा प्रयाग में
- हर्ष ने अन्य धर्मों की तुलना में महायान की महानता दिखाने के लिए कन्नौज में विभिन्न धर्मों और संप्रदायों की एक बड़ी सभा आयोजित की।
- चीनी अभिलेख कहते हैं कि 20 देशों के शासक अपने बुद्धिमान ब्राह्मणों, श्रमादों और दरबारियों के साथ आये थे।
- बैठक के नेता ह्वेन त्सांग थे।
- हर्ष के शासन के प्रत्येक पांचवें वर्ष प्रयाग के संगम क्षेत्र में एक विशेष सभा होती थी, जिसे ‘महामोक्ष परिषद’ कहा जाता था।
- ह्वेन त्सांग छठे स्थान पर भी गया, जिसमें विभिन्न देशों के 18 शासक थे।
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109. नर्मदा नदी पर सम्राट हर्ष के दक्षिणवर्ती अग्रगमन को रोका-
(a) पुलकेशिन 1 ने
(b) पुलकेशिन II ने
(c) विक्रमादित्य | ने
(d) विक्रमादित्य II ने
[I.A.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(b) पुलकेशिन II ने
- सम्राट हर्ष दक्षिण की ओर अपनी यात्रा जारी रखने में सक्षम नहीं थे जब उन्हें चालुक्य साम्राज्य के राजा पुलकेशिन द्वितीय ने रोक दिया, जिन्होंने उन्हें हराया था।
- इसे पुलकेशिन द्वितीय के ऐहोल शिलालेख और ह्वेन त्सांग के अभिलेखों में देखा जा सकता है।
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110.चालुक्य शासक पुलकेशिन की हर्ष पर विजय का वर्ष था-
(a) 612 ई.
(c) 622 ई.
(b) 618 ई.
(d) 634 ई.
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(b) 618 ई.
- हर्ष दक्षिण की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहा था लेकिन चालुक्य राजा पुलकेशिन ने उसे नर्मदा नदी पर रोक दिया।
- पुलकेशिन ने आधुनिक कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों पर शासन किया और उसकी राजधानी बादामी में थी।
- ऐसा माना जाता है कि हर्ष और पुलकेशिन के बीच युद्ध 630 और 634 ईस्वी के बीच हुआ था।
- 2016 में, भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने सबूत पाया कि लड़ाई 618 ईस्वी में हुई होगी।
- झारखंड प्रांतीय सेवा आयोग ने इसे सही उत्तर माना।
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111. कवि बाण, निवासी था-
(a) पाटलिपुत्र का
(c) भोजपुर का
(b) थानेश्वर का
(d) उपर्युक्त में कोई नहीं
[41 B.P.S.C. (Pre) 1996]
उत्तर- (d) उपर्युक्त में कोई नहीं
- कवि बाणभट्ट का जन्म औरंगाबाद जिले (अब बिहार राज्य में) में सोन नदी के किनारे स्थित एक गाँव पृथ्वीकुटा में हुआ था।
- उनके माता-पिता चित्रभानु और राजदेवी थे।
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112. ह्वेनसांग किसके शासनकाल में भारत आया था ?
(a) चंद्रगुप्त II
(b) सम्राट हर्ष
(c) चंद्रगुप्त मौर्य
(d) चंद्रगुप्त I
[U.P.P.C.S. (Pre) 1990, U.P. P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर-(b) सम्राट हर्ष
- हर्ष के समय को ह्वेन-त्सांग के आगमन से चिह्नित किया गया था, जिनकी बुद्ध से जुड़े स्थानों का पता लगाने और भारत में पाए जाने वाले बौद्ध धर्मग्रंथों को सीखने की इच्छा थी।
- उन्होंने 629 ई. में चीन की राजधानी चांगआन छोड़ दिया और अपनी यात्रा के बारे में ‘सेई-यू-केई’ नामक पुस्तक लिखी।
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113.भारत की यात्रा करने वाले चीनी यात्री युआन च्वांग (ह्वेनसांग) ने तत्कालीन भारत की सामान्य दशाओं और संस्कृति का वर्णन किया है। इस संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा /से कथन सही है/हैं?
1. सड़क और नदी -मार्ग लूटमार से पूरी तरह सुरक्षित थे।
2. जहां तक अपराधों के लिए दंड का प्रश्न है, अग्नि, जल व विष द्वारा सत्यपरीक्षा किया जाना ही किसी भी व्यक्ति की निर्दोषिता अथवा दोष के निर्णय के साधन थे।
3. व्यापारियों को नौघाटों और नौकाओं पर शुल्क देना पड़ता था।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(b) केवल 2 और 3
- ह्वेन त्सांग ने भारत में समय बिताया और लगभग हर क्षेत्र की यात्रा की।
- उन्होंने लिखा कि सड़कें और नदियाँ पूरी तरह से सुरक्षित नहीं थीं और उन्हें कई बार लूटा गया था।
- तो, कथन 1 गलत है।
- ह्वेन त्सांग ने कहा कि अपराधियों के लिए सज़ा बहुत सख्त थी।
- कोई दोषी है या नहीं, यह तय करने के लिए आग, पानी और जहर का परीक्षण किया जाता था।
- उनके रिकॉर्ड से पता चला कि व्यापार मार्गों, नदियों, उत्पादों और वस्तुओं पर कर लगाए गए थे।
- इससे सरकार को काफी धन प्राप्त हुआ। अतः, कथन 2 और 3 सत्य हैं।
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114. हर्ष के दरबार में ब्रेनसांग को एक दूत के रूप में किसने भेजा था ?
(a) ताई सुँग
(b) तुंग-कुआन
(c) कू येन-वू
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Pre) 2007]
उत्तर- (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- ह्वेन-त्सांग ताई-सुंगा के साथ ही रहते थे।
- ताई-सुंगा ने अपने लोगों को पश्चिम की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी, लेकिन ह्वेन-त्सांग फिर भी 629 ईस्वी में रेशम मार्ग से भारत आए।
- 13 साल बाद, जब वह चीन लौटे, तो सम्राट बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें अपना आध्यात्मिक सलाहकार बनने के लिए कहा।
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115. ह्वेनसांग की भारत में यात्रा के समय सूती कपड़ों के उत्पादन के लिए सबसे प्रसिद्ध नगर था
(a) वाराणसी
(b) मथुरा
(c) पाटलिपुत्र
(d) कांची
[41 B.P.S.C. (Pre) 1996]
उत्तर-(b) मथुरा
- चीन के यात्री ह्वेन-त्सांग ने हर्ष के समय में भारत का दौरा किया था।
- उन्होंने कहा कि मथुरा सूती कपड़े के उत्पादन के लिए जाना जाता है।
- थानेसर अपनी व्यापारिक गतिविधियों के कारण समृद्ध था।
- उज्जयिनी और कन्नौज भी आर्थिक रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे।
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116. कौशेय’ शब्द का प्रयोग किया गया है-
(a) कपास के लिए
(b) सन के लिए
(c) रेशम के लिए
(d) ऊन के लिए
[U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2008]
उत्तर-(c) रेशम के लिए
- गुप्त साम्राज्य के समय और उसके बाद, रेशम का वर्णन करने के लिए ‘कौशेय’ शब्द का प्रयोग किया जाता था।
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117. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने किस विश्वविद्यालय में अध्ययन किया था ?
(a) तक्षशिला
(b) विक्रमशिला
(c) मगध
(d) नालंदा
[U.P.P.C.S. (Pre) 1995, 46th B.P.S.C. (Pre) 2003]
उत्तर- (d) नालंदा
- चीन से एक यात्री ह्वेन त्सांग, हर्ष के शासनकाल के दौरान भारत आया और 637 में नालंदा विश्वविद्यालय गया।
- उस समय विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य शीलभद्र थे।
- ह्वेन त्सांग ने डेढ़ साल तक योगशास्त्र का अध्ययन किया और विश्वविद्यालय की अपनी दूसरी यात्रा के दौरान भाषण भी दिया।
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118. आज भी भारत में ट्रेनसांग को याद करने का मुख्य कारण है-
(a) हर्ष के प्रति सम्मान
(b) नालंदा में अध्ययन
(c) बौद्ध धर्म में आस्था
(d) सी-यू-की की रचना
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (d) सी-यू-की की रचना
- ह्वेन त्सांग ने अपनी यात्राओं के आधार पर ‘सेई-यू-केई’ नामक पुस्तक लिखी।
- इस पुस्तक के लिए उन्हें याद किया जाता है क्योंकि इसमें प्राचीन भारत के बारे में बहुत सारी जानकारी है।
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119. चीनी यात्री जिसने भीनमाल की यात्रा की थी-
(a) फाह्यान
(b) सुगयुन
(c) ह्वेनसांग
(d) इत्सिंग
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2007]
उत्तर-(c) ह्वेनसांग
- ह्वेन त्सांग एक चीनी बौद्ध थे जिन्होंने हर्ष के शासन के दौरान भारत का दौरा किया था।
- वे भीनमाल भी गये उनके लिखित कार्य को ‘सेई-यू-केई’ कहा जाता है।
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120. चीनी यात्री इत्सिंग ने बिहार का भ्रमण किया, लगभग-
(a) 405 ई. में
(b) 635 ई. में
(c) 637 ई. में
(d) उपर्युक्त में कोई नहीं
[40 B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर- (d) उपर्युक्त में कोई नहीं
- 671 या 672 ई. में, इत्सिंग और 37 अन्य बौद्ध पश्चिम में बौद्ध स्थलों का दौरा करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने चीन का कैंटन शहर छोड़ दिया।
- जबकि उनके साथी घर लौट आए, इत्सिंग समुद्र के रास्ते भारत की ओर बढ़ते रहे।
- अपनी यात्रा के बाद वह 693-94 ई. में सुमात्रा के रास्ते चीन लौट आये।
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121. निम्नलिखित में से कौन-सा उपवाक्य, उत्तर-हर्ष-कालीन खोतों में प्रायः उल्लिखित ‘हुंडी’ के स्वरूप की परिभाषा बताता है ?
(a) राजा द्वारा अपने अधीनस्थों को दिया गया परामर्श
(b) प्रतिदिन का लेखा-जोखा अंकित करने वाली बही
(c) विनिमय-पत्र
(d) सामन्त द्वारा अपने अधीनस्थों को दिया गया आदेश
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(c) विनिमय-पत्र
- हर्ष काल के बाद हुंडी को एक प्रकार के विनिमय समझौते के रूप में देखा जाने लगा।
- भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, हुंडी वित्तीय उपकरण हैं जो भारत में विकसित किए गए थे और व्यापार और क्रेडिट लेनदेन के लिए उपयोग किए जाते थे।
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122. चीनी लेखक भारत का उल्लेख किस नाम से करते हैं?
(a) फो-क्यो की
(b) यिन-तु
(c) सी-यू-की
(d) सिकिया-पोनो
[U.P. P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(b) यिन-तु
- अतीत में चीनी लेखक भारत के बारे में ‘यिन-तू’ या ‘थियान-तू’ के नाम से बात करते थे, जो कि हिंदू या सिंधु कहने का एक अलग तरीका है।
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123. नालंदा विश्वविद्यालय के विनाश का कारण था-
(a) मुसलमान
(c) सीथियन्स
(b) कुषाण
(d) मुगल
[43 B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर-(a) मुसलमान
- नालंदा विश्वविद्यालय तिब्बत, चीन, ग्रीस और फारस जैसे विभिन्न स्थानों से कई विद्वानों और छात्रों को लाया।
- दुर्भाग्य से 12वीं शताब्दी के अंत में बख्तियार खिलजी की सेना ने इसे नष्ट कर दिया।
- इसे आखिरी, विनाशकारी घटना के रूप में देखा गया जिसके कारण भारत में बौद्ध धर्म का पतन हुआ।
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124. भारत में सबसे प्राचीन विहार है-
(a) नालंदा
(b) उदंतपुरी
(c) विक्रमशिला
(d) भाजा
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (a) नालंदा
- नालन्दा बिहार में स्थित सबसे पुराना मठ है।
- यह छठी शताब्दी ईसा पूर्व में बुद्ध और महावीर के समय से चला आ रहा है।
- ऐसा कुछ भी नहीं मिला है जिससे पता चले कि यह स्थल 5वीं शताब्दी ईस्वी में गुप्त काल से पहले था।
- कुमारगुप्त नालन्दा मठ को धन देने वाले पहले व्यक्ति थे।
- बाद में, बुद्ध गुप्ता, तथागत गुप्ता और बालादित्य ने भी मठ में योगदान दिया।
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125. गुप्तोत्तर युग में प्रमुख व्यापारिक केंद्र था-
(a) कन्नौज
(b) उज्जैन
(c) घार
(d) देवगिरी
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (a) कन्नौज
- गुप्त काल के बाद मुख्य व्यापारिक क्षेत्र उज्जैन से निकलकर कन्नौज चला गया।
- गुप्त काल के दौरान, उज्जैन महत्वपूर्ण हो गया था क्योंकि चंद्रगुप्त-द्वितीय ने इसे अपनी दूसरी राजधानी बनाया था।
- बाद में हर्ष ने थानेश्वर के स्थान पर कन्नौज को राजधानी चुना।
- कन्नौज गंगा और जमुना नदियों के तट पर स्थित था, जिससे यह व्यापार के लिए एक लोकप्रिय क्षेत्र और तीन साम्राज्यों: पाल और प्रतिहार के लिए शक्ति का केंद्र बन गया।
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126. कथन (A) : सामंतवाद का विकास गुप्तोत्तर काल की कृपक संरचना की प्रमुख विशेषता थी।
कारण (R) इस काल में भू-स्वामी मध्यस्थ वर्ग एवं आश्रित कृषक वर्ग अस्तित्व में आया।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004]
उत्तर- (a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
- विकल्प (ए) सही उत्तर है क्योंकि कथन और दिया गया कारण दोनों सत्य हैं और कारण कथन को सही ढंग से समझाता है।
|
127.निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(1) चीनी तीर्थयात्री फाह्यान ने कनिष्क द्वारा आयोजित की गई चतुर्थ महान बौद्ध परिषद में भाग लिया।
(2) चीनी तीर्थयात्री ह्वेनसांग, हर्ष से मिला और उसे बौद्ध धर्म का प्रतिरोधी पाया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों 1 और 2
(d) न ही 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2004]
उत्तर- (d) न ही 1 और न ही 2
- चीनी यात्री फा-हिएन ने 399 और 414 ईस्वी के बीच चंद्रगुप्त-द्वितीय के समय में भारत का दौरा किया।
- फिर, 629 ई. में, एक और चीनी यात्री ह्वेन-त्सांग, तांग शासकों की राजधानी चांगान से भारत आया।
- ह्वेन-त्सांग से मिलने से पहले ही हर्ष को बौद्ध धर्म में रुचि थी, और उनकी मुलाकात के बाद, वह बौद्ध बन गए और महायान को शाही समर्थन दिया।
|
128. निम्नलिखित में से कौन सही सुमेलित नहीं है?
(विदेशी यात्री) |
( भारत भ्रमण वर्ष ) |
(a) फाह्यान |
399 से 414 ई. |
(b) ह्वेनसांग |
629 से 645 ई. |
(c) इत्सिंग |
679 से 695 ई. |
(d) अल-मसूदी |
957 ई |
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2021]
उत्तर- (d) अल-मसूदी – 957 ई
- फाह्यान के भारत भ्रमण का काल केवल 10 वर्ष (402 ई. से 412 ई.) तक रहा, जबकि उसकी चीन से कुल यात्रा की अवधि 399 ई. से 414 ई. तक रही है।
- हेनसांग का भारत भ्रमण 629 ई. से 645 ई. रहा है, इत्सिंग का भारत भ्रमण 671 ई. से 695 ई. था, जबकि अल मसूदी ने 915-16 ई. में भारत भ्रमण किया था।
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129. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
1. मुल्तान के सूर्य मंदिर का उल्लेख हेनसांग, आबूजईद अलमसूदी तथा अलबरूनी ने किया है।
2. साम्बपुर यात्रोत्सव सूर्य पूजा से संबंधित था।
कूट:
(a) केवल 1 सही हैं
(b) केवल 2 सही है
(c) 1 और 2 दोनों सही है।
(d) न तो न ही 2 सही है
[U.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(c) 1 और 2 दोनों सही है।
- मुल्तान के सूर्य मंदिर का उल्लेख छेनसांग, आबूजईद, अलमसूदी तथा अलबरूनी ने किया है। अतः कथन (1) सही है।
- साम्बपुर यात्रोत्सव सूर्य पूजा से संबंधित है। अतः कथन (2) भी सही है।
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130.भारतीय इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा से सामंती व्यवस्था का / के अनिवार्य तत्व है/हैं?
1. अत्यंत सशक्त केंद्रीय राजनीतिक सत्ता और अत्यंत दुर्बल प्रांतीय अथवा स्थानीय राजनीतिक सत्ता
2. भूमि के नियंत्रण तथा स्वामित्व पर आधारित प्रशासनिक संरचना का उदय
3. सामंत तथा उसके अधिपति के बीच स्वामी दास संबंध का बनना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए ।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2015]
उत्तर-(b) केवल 2 और 3
- सामंती लोग अधिक शक्तिशाली नहीं थे क्योंकि उन्हें राजा की आज्ञा का पालन करना पड़ता था।
- उन्हें कर लेने और शासन करने की अनुमति थी, लेकिन उनके और राजा के बीच संबंध वैसे नहीं थे जैसे यूरोप में थे।
- भारतीय सामंती व्यवस्था अलग थी और इसने नियंत्रण और भूमि स्वामित्व की प्रणाली की शुरुआत को दर्शाया।
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131. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा आठवीं शताब्दी के संत शंकराचार्य के बारे में सही नहीं है ?
(a) उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चार धाम स्थापित किए
(b) उन्होंने बौद्ध तथा जैन धर्मों के विस्तार पर रोक लगाई
(c) उन्होंने प्रयाग को तीर्थराज नाम दिया:
(d) उन्होंने वेदांत का प्रसार किया
[U.P.P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर-(c) उन्होंने प्रयाग को तीर्थराज नाम दिया:
- शंकराचार्य, जिन्हें शंकर के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 8वीं शताब्दी में केरल के एक छोटे से गाँव कलाडी में हुआ था।
- इस दौरान, हिंदू धर्म, जो जैन धर्म और बौद्ध धर्म के आगमन से कमजोर हो गया था, शंकराचार्य के उद्भव के साथ नवीनीकृत हुआ।
- उन्होंने वेदांत की महानता का प्रचार किया और वेदों का अध्ययन और संकलन करने के लिए पूरे भारत की पैदल यात्रा की।
- उनके दर्शन को अद्वैत वेदांत के नाम से जाना जाता है।
- उन्होंने हिंदू धर्म के चार महत्वपूर्ण केंद्र भी स्थापित किए जो दक्षिण में श्रृंगेरी (कर्नाटक), पश्चिम में द्वारका (गुजरात), पूर्व में पुरी (ओडिशा) और उत्तर में ज्योतिर्मठ (जोशीमठ, उत्तराखंड) हैं।
- प्रयाग का उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है और तब इसे प्रयाग या तीर्थराज (तीर्थों का राजा, यानी तीर्थस्थल) के नाम से जाना जाता था।
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132. निम्नलिखित में से कौन-सा ‘चारधाम में सम्मिलित नहीं है?
(a) पुरी
(c) मानसरोवर
(b) द्वारका
(d) रामेश्वरम्
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(c) मानसरोवर
- ‘चारधाम’ भारत में स्थित चार धार्मिक स्थल हैं:
- बद्रीनाथ
- द्वारका
- पुरी
- रामेश्वरम
- ‘छोटे चारधाम’ उत्तराखंड में स्थित चार स्थल हैं:
- गंगोत्री
- यमुनोत्री
- केदारनाथ
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133. निम्नलिखित जोड़ों में कौन जोड़ा सुमेलित नहीं है ?
(a) रविकीर्ति – पुलकेशिन II
(b) भवभूति – कन्नौज के यशोवर्मन
(c) हरिषेण – हर्ष
(d) दंडी – नरसिंह वर्मन
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर-(c) हरिषेण – हर्ष
- हरिषेण वह व्यक्ति था जिसने प्रयाग प्रशस्ति को तैयार किया था और वह समुद्रगुप्त का सहायक था।
- बाणभट्ट शासक हर्ष के काव्य के रचयिता थे।
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134.सूची-1 तथा सूची-II को सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
सूची-I |
सूची-II |
(दरबारी कवि) |
(राजा) |
A. अमीर खुसरो |
1. चंद्रगुप्त II |
B. कालिदास |
2. समुद्रगुप्त |
C. हरिषेण |
3. हर्षवर्धन |
D. बाणभट्ट |
4. अलाउद्दीन खिलजी |
कूट:
A B C D
(a) 1 2 3 4
(b) 4 1 2 3
(c) 4 3 2 1
(d) 2 4 1 3
[U.P.P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर-(b) 4 1 2 3
- अमीर खुसरो अलाउद्दीन खिलजी के दरबार के कवि थे।
- कालिदास चंद्रगुप्त द्वितीय के कवि थे और उनके दरबार के नौ महत्वपूर्ण लोगों में से एक थे।
- हरिषेण समुद्रगुप्त का वफादार सहायक था।
- बाणभट्ट हर्षवर्धन का कवि था।
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135. सही जोड़े बनाइए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए –
A. भोज |
1. उज्जैन |
B. दुर्गावती |
2. विदिशा |
C. समुद्रगुप्त |
3. धार |
D. अशोक |
4. गोंडवाना |
कूट:
A B C D
(a) 4 3 2 1
(b) 3 4 1 2
(c) 4 3 1 2
(d) 3 4 2 1
[M.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर-(d) 3 4 2 1
- सही सुमेलन इस प्रकार है –
भोज |
धार |
दुर्गावती |
गोंडवाना |
समुद्रगुप्त |
विदिशा |
अशोक |
उज्जैन |
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136. भारत के इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए-
(प्रसिद्ध स्थल) |
(वर्तमान राज्य) |
1. नीलसा |
मध्य प्रदेश |
2. द्वारसमुद्र |
महाराष्ट्र |
3. गिरिनगर |
गुजरात |
4. स्थानेश्वर |
उत्तर प्रदेश |
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 1 और 4
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 2 और 4
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) केवल 1 और 3
- भिलसा मध्य प्रदेश के विदिशा में एक जगह है जहां पुरातात्विक स्थल हैं।
- होयसल राजवंश, जिसका आधुनिक कर्नाटक क्षेत्र पर नियंत्रण था, की राजधानी द्वारसमुद्र कहलाती थी।
- गिरिनार गुजरात के जूनागढ़ में स्थित एक पर्वत श्रृंखला है।
- स्थानेश्वर (थानेस्वर) सरस्वती नदी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध शहर और हिंदू तीर्थस्थल है।
|