जैविक कृषि क्या है? जैविक कृषि के विकास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की चर्चा करें।
उत्तर की संरचनाः
भूमिका:
- जैविक कृषि अपनाने का कारण संक्षिप्त में बतायें।
मुख्य भाग:
- जैविक कृषि क्या है?
- जैविक कृषि पद्धति का वर्णन संक्षिप्त में करें।
- जैविक कृषि के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों को बतायें।
- जैविक कृषि के विकास में बाधक तत्व को बतायें।
निष्कर्ष:
- जैविक कृषि के विकास के लिए उपाय बताते हुए निष्कर्ष लिखें।
उत्तर
भूमिकाः
मृदा के गिरते स्वास्थ्य एवं खाद्यान्न फसलों में पोषक तत्वों के ह्रास तथा विषाक्तता जैसी समस्या वर्तमान कृषि क्षेत्र की एक प्रमुख समस्या बनकर उभरी है। इस समस्या के समाधान में जैविक खेती एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में प्रस्तुत हुआ है।
मुख्य भागः
- जैविक खेती कृषि की वह पद्धति है जिसमें पर्यावरण को स्वच्छ एवं प्राकृतिक संतुलन को कायम रखते हुए भूमि, जल एवं वायु को प्रदूषित किये बिना दीर्घकालीन व स्थिर उत्पादन प्राप्त किया जाता है।
- इस कृषि पद्धति में भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के लिए फसल चक्र प्रणाली को अपनाया जाता है। जिसके लिए निश्चित समय में दलहनी फसल के बाद गैर-दलहनी तथा गहरी जड़ वाली फसल के बाद उथली जड़ वाली फसल बोयी जाती है। इससे भूमि की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक दशाओं में संतुलन स्थापित होता है तथा पौध रों को पर्याप्त मात्रा में आवश्यक तत्वों की प्राप्ति होती है।
- यह रासायनिक उर्वरकों एवं रासायनिक कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है। जमीन की उर्वरी शक्ति तथा फसलोत्पादन में वृद्धि के लिए हरी खाद का प्रयोग किया जाता है।
- जैविक खेती में जीवांश जैसे गोबर की खाद (नैडप विधि), वर्मी कम्पोस्ट, जैव उर्वरक एवं हरी खाद आदि का प्रयोग किया जाता है। हरी खाद तैयार करने के लिए खेत में सनई, लैंचा, ग्वार, मूंग, उर्द आदि उगायी जाती है।
- जैविक खेती में कीटनाशकों के छिड़काव का उद्देश्य कीड़ों का विनाश करना न होकर उनका आर्थिक स्तर पर नियंत्रण करना है। इसके लिए नीम की पत्ती, बीजों की खली एवं तेल का प्रयोग कीटनाशक के रूप में किया जाता है।
- कीटों से फसलों की सुरक्षा हेतु बायो एजेण्ट्स का प्रयोग किया जाता है। प्रदेश की विभागीय आई.पी.एम प्रयोगशालाओं में ट्राइकोडरमा, ब्यूवेरिया, बैसियाना, सूडो मोनास, मेन्टाराइजियम तथा एन.पी.वी. आदि बायो एजेण्ट्स उत्पादित किये जा रहे हैं। जैविक कृषि पारिस्थितिकी संतुलन बनाये रखते हुए कम लागत में अधिक उत्पादन कर किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है।
जैविक खेती के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास-
- उत्तर प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था. लखनऊ का गठन किया गया है। यह संस्था देश एव प्रदेश मे राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय जैविक मानकों के अनुसार जैविक प्रमाणीकरण सेवाएँ उपलब्ध कराता है।
- राज्य के 33 जिलों में जैविक कृषि क्लस्टर का गठन किया गया है। प्रत्येक क्लस्टर कम से कम 50 एकड़ का होगा।
- राज्य सरकार जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए प्रत्येक जिले में बिक्री केन्द्र खोलेगी।
- राज्य में विद्यमान 17 जैव कल्चर प्रयोगशालाओं में से 10 प्रयोगशालाओं को तरल जैव उर्वरक प्रयोगशाला में परिवर्तन कर तरल जैव उर्वरक उत्पाद में वृद्धि को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसे 75% के अनुदान पर किसानों को वितरित किया जाएगा।
- जैविक कृषि एवं जैव उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है।
- नि:शुल्क मृदा परीक्षण किया जा रहा है।
- किसानों को जैविक कृषि अपनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- राज्य को सिक्किम के तर्ज पर जैविक राज्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
चुनौतियाँ-
- कार्बनिक उत्पाद लम्बे समय तक टिकते नहीं है और जल्द ही खराब हो जाते हैं।
- उत्पादों के संरक्षण के लिए शीतगृहों का अभाव है।
- किसानों में जैविक कृषि से उत्पादन गिरने की शंकाएँ हैं।
- किसानों का नवाचार में रूझान कम है।
निष्कर्षः
कृषि निवेश में वृद्धि तथा फसलों के बुवाई के समय गाँवों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करके किसानों को जैविक कृषि के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे ‘हरित क्रांति’ से ‘सदाबहार क्रांति’ और ‘पोषणयुक्त क्रांति’ तक बहुत तेजी से बढ़ने का हमारा सपना पूरा होगा।