1. निम्नलिखित में से कौन-सा कारक किसी उदार लोकतंत्र में स्वतंत्रता की सर्वोत्तम सुरक्षा को नियत करता है?
(a) एक प्रतिबद्ध न्यायपालिका
(b) शक्तियों का केंद्रीकरण
(c) निर्वाचित सरकार
(d) शक्तियों का पृथक्करण
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (d) शक्तियों का पृथक्करण
- एक प्रतिबद्ध न्यायपालिका (Committed Judiciary) से तात्पर्य है कि जब न्यायपालिका सरकार/सत्तारूढ़ दल की नीतियों के संदर्भ में प्रतिबद्ध हो।
- अतः ऐसी न्यायपालिका सरकार की नीतियों के विरुद्ध जाकर नागरिकों, विशेषकर मत-भिन्नता रखने वाले लोगों की स्वतंत्रता की सुरक्षा नहीं कर सकती।
- शक्तियों का केंद्रीकरण लोकतांत्रिक संरचना में शीर्ष नेताओं के पास ही निर्णयन क्षमता को सकेंद्रित करता है, जिससे तानाशाही प्रवृत्तियों को बल मिलता है और नागरिकों की स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
- निर्वाचित सरकार नागरिकों की प्रतिनिधि होने के कारण स्वतंत्रता की संरक्षक मानी जाती है, परंतु निर्वाचित सरकार की स्थिति में भी अल्पमत नागरिकों की स्वतंत्रता विभिन्न प्रकार से प्रभावित हो सकती है।
- शक्तियों के पृथक्करण से तात्पर्य शासन के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्तियों के स्पष्ट पृथक्करण से है।
- इस स्थिति में शासन के किसी एक अंग द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने पर दूसरे अंग द्वारा उसका निरोध किया जाता है, और इस प्रकार शासन के तीनों अंगों में संतुलन बना रहता है एवं तानाशाही प्रवृत्तियों की समुचित रूप से रोकथाम संभव है।
- अतः शक्तियों का पृथक्करण ही किसी उदार लोकतंत्र में नागरिकों की स्वतंत्रता की सर्वोत्तम सुरक्षा को नियत करता है।
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2. निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?
(a) भारतीय संविधान में मूल अधिकारों को शामिल करने के लिए नेहरू रिपोर्ट (1928) ने समर्थन किया था।
(b) भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने मूल अधिकारों को प्रश्नय दिया था।
(c) अगस्त प्रस्ताव, 1940 ने मूल अधिकार शामिल किए थे।
(d) क्रिप्स मिशन, 1942 ने मूल अधिकारों को प्रश्रय दिया था।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर- (a) भारतीय संविधान में मूल अधिकारों को शामिल करने के लिए नेहरू रिपोर्ट (1928) ने समर्थन किया था।
- भारतीय संविधान में मूल अधिकारों को सम्मिलित करने का समर्थन नेहरू रिपोर्ट (1928) द्वारा किया गया था, अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
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3. निम्नलिखित में से किस व्यक्ति ने मूल अधिकारों को “हमारे लोगों के लिए एक प्रतिज्ञा तथा सभ्य विश्व के साथ किया गया समझौता” कहा था?
(a) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(b) डॉ. भीम राव अंबेडकर
(c) डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(d) डॉ. एस. राधाकृष्णन
[U.P. P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (d) डॉ. एस. राधाकृष्णन
- मूल अधिकारों पर संविधान सभा में हुई बहस में भाग लेते हुए डॉ. एस. राधाकृष्णन ने कहा था, “यह हमारे लोगों के लिए एक प्रतिज्ञा और सभ्य विश्व के साथ किया गया एक समझौता है।”
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4. ‘मौलिक अधिकार’ क्या हैं?
(a) वाद योग्य
(b) अ-वाद योग्य
(c) लचीले
(d) कठोर
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) वाद योग्य
- भारतीय संविधान में सामाजिक-आर्थिक एजेंडे को साकारित करने के लिए वाद योग्य और अ-वाद योग्य दोनों तरह की व्यवस्थाएं समाहित हैं, जिसमें मौलिक अधिकार ‘वाद योग्य’ हैं और नीति-निदेशक तत्व ‘अ-वाद योग्य’ हैं।
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5. अधिकारों को मूल अधिकार कहा जाता है, क्योंकि
i. यह संविधान में उल्लिखित होता है
ii. यह प्रजातांत्रिक होता है
iii. यह लोककल्याणकारी होता है
iv. यह व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक होता है
v. संसद इसके विरुद्ध कानून नहीं
(a) i, ii, iii
(b) i, iii, v
(c) i, iv, v
(d) ii, iii, v
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) i, iv, v
- स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान, स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने अधिकारों के महत्व को समझा था।
- स्वतंत्रता के बाद संविधान निर्माण के दौरान संविधान में अधिकारों का समावेश करने व उन्हें सुरक्षित करने के उद्देश्य से संविधान में उन अधिकारों को सूचीबद्ध किया गया, जिन्हें सुरक्षा देनी थी और उन्हें ‘मौलिक अधिकारों’ की संज्ञा दी गई।
- यह अधिकार अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और इसीलिए उन्हें संविधान में सूचीबद्ध किया गया।
- व्यक्तित्व विकास के लिए ये इतने महत्वपूर्ण हैं कि संविधान स्वयं यह सुनिश्चित करता है कि सरकार भी उनका उल्लंघन न कर सके।
- संविधान में मूल अधिकारों का उल्लेख अधिकारों के महत्व को दर्शाता है। इन अधिकारों के अभाव में व्यक्ति के व्यक्तित्व का सर्वोत्तम विकास संभव नहीं हो पाता।
- संविधान के अनुच्छेद 13 के अंतर्गत यह प्रावधान है कि किसी भी अध्यादेश या अधिनियम के द्वारा अधिकारों को क्षीण या समाप्त नहीं किया जा सकता है।
- प्रजातांत्रिक और लोककल्याणकारी अवधारणा शासन-प्रक्रिया से संबद्ध है न कि अधिकारों से।
- अतः विकल्प (c) सत्य है।
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6. मौलिक अधिकार-
(a) कभी भी निलंबित नहीं किए जा सकते।
(b) प्रधानमंत्री के निर्देशों से निलंबित हो सकते हैं।
(c) राष्ट्रपति की इच्छा पर निलंबित हो सकते हैं।
(d) आपातकालीन स्थिति में निलंबित किए जा सकते हैं।
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2002]
उत्तर- (d) आपातकालीन स्थिति में निलंबित किए जा सकते हैं।
- मौलिक अधिकार नैसर्गिक एवं अप्रतिदेय अधिकार हैं, जो राज्य कृत्य के विरुद्ध एक गारंटी के रूप में हैं।
- इन्हें केवल आपातकालीन स्थिति में ही निलंबित किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 358 एवं 359 में आपात की उद्घोषणा के प्रवर्तन की स्थिति में मूल अधिकारों के निलंबन संबंधी प्रावधानों का वर्णन किया गया है।
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7. भारत में मौलिक अधिकारों के संबंध में निम्न वक्तव्यों पर विचार कीजिए:
1. ये राज्य कृत्य के विरुद्ध एक गारंटी हैं।
2. ये संविधान के भाग III में सूचीबद्ध हैं।
3. सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करते हैं।
4. यह संयुक्त राज्य अमेरिका में अधिकारों के बिल की भांति नहीं
अब नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए:
कूट :
(a) 1 तथा 2 सही हैं
(b) 2 तथा 3 सही हैं
(c) 1, 2 तथा 3 सही हैं
(d) 2, 3 तथा 4 सही है
[U.P.P.C.S. (Pre) 1998]
उत्तर- (c) 1, 2 तथा 3 सही हैं
- भारत में मौलिक अधिकार राज्य कृत्य के विरुद्ध एक गारंटी हैं। इन्हें संविधान के भाग 3 में शामिल किया गया है।
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकार बिल की भांति हैं। जहां तक सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय का प्रश्न है, तो ये संविधान की प्रस्तावना से उद्भूत होते हैं और संविधान के भाग III के मौलिक अधिकार और भाग IV के राज्य की नीति के निदेशक तत्व एक-दूसरे के पूरक के रूप में मिलकर इन्हें सुनिश्चित करते हैं।
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8. भारतीय संविधान में किस अनुच्छेद के अंतर्गत नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं?
(a) अनुच्छेद 112 से 115
(b) अनुच्छेद 12 से 35
(c) अनुच्छेद 222 से 235
(d) इनमें से कोई नहीं
[41th B.P.S.C. (Pre) 1994, 44th B.P.S.C. (Pre) 2000, U.P. Lower Sub. (Mains) 2015]
उत्तर- (b) अनुच्छेद 12 से 35
- भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है।
- वर्तमान में कुल 6 मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।
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9. भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद संवैधानिक प्रावधानों को संघीय संसद/राज्य विधानपालिकाओं द्वारा बनाए गए नियमों/कानूनों पर प्राथमिकता प्रदान करता है?
(a) अनुच्छेद 13
(b) अनुच्छेद 32
(c) अनुच्छेद 245
(d) अनुच्छेद 326
[45th B.P.S.C. (Pre) 2001]
उत्तर- (a) अनुच्छेद 13
- संविधान के अनु. 13 में यह प्रावधान है कि संघ एवं राज्य कोई ऐसा कानून नहीं बनाएंगे, जो भाग 3 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों को छीनता या न्यून करता हो।
- यदि कोई कानून मौलिक अधिकारों के उल्लंघन में बनाया गया, तो वह कानून उल्लंघन की मात्रा तक शून्य होगा।
- अनु. 32- संवैधानिक उपचारों का अधिकार; अनु. 245-केंद्र एवं राज्यों द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार; अनु. 326-लोक सभा एवं विधानसभा का निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होना।
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10. भारतीय संविधान में, समता का अधिकार पांच अनुच्छेदों द्वारा प्रदान किया गया है। ये हैं-
(a) अनुच्छेद 16 से अनुच्छेद 20
(b) अनुच्छेद 15 से अनुच्छेद 19
(c) अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18
(d) अनुच्छेद 13 से अनुच्छेद 17
[I.A.S. (Pre) 2002 U.P. Lower Sub. (Pre) 2015 U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2014]
उत्तर- (c) अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18
- भारतीय संविधान में समता का अधिकार 5 अनुच्छेदों द्वारा अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18 के तहत प्रदान किया गया है। ये हैं-
- अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समता
- अनुच्छेद 15 – धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध
- अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समता
- अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत
- अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत
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11. ‘समानता का अधिकार’ संविधान के निम्न अनुच्छेदों में से किनके अंतर्गत दिया हुआ है?
1. अनु. 13
2. अनु. 14
3. अनु. 15
4. अनु. 16
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
कूट :
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 2, 3 और 4
(d) सभी चारों
[U.P.P.C.S. (Pre) 2009]
उत्तर- (c) 2, 3 और 4
- ‘समानता का अधिकार’ भारतीय संविधान के अनु. 14, 15, 16, 17 एवं 18 के अंतर्गत समाहित हैं।
- अनु. 13 मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियों के मूल अधिकारों के उल्लंघन की मात्रा तक शून्य होने से संबंधित है।
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12. भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों में से कौन विधायन सत्ता पर पूर्ण नियंत्रण लगाता है?
(a) अनुच्छेद 14
(b) अनुच्छेद 15
(c) अनुच्छेद 16
(d) अनुच्छेद 17
[U.P.P.C.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (a) अनुच्छेद 14
- संविधान का अनुच्छेद 14 विधायन सत्ता पर नियंत्रण लगाता है। यह उपबंध कहता है कि किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा।
- प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह नागरिक हो या विदेशी सब पर यह अधिकार लागू होता है।
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13. कानून को लागू करने के मामले में कोई विधान जो किसी कार्यपालक अथवा प्रशासनिक अधिकारी को अनिर्देशित एवं अनियंत्रित विवेकाधिकार देता है, भारत के संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों में से किसका उल्लंघन करता है?
(a) अनुच्छेद 14
(b) अनुच्छेद 28
(c) अनुच्छेद 32
(d) अनुच्छेद 44
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) अनुच्छेद 14
- संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार, ‘राज्य’ भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।
- यह ‘विधि के शासन’ (Rule of Law) का मूल तत्व है, जिसका तात्पर्य है कि सभी के लिए एक कानून और सभी के लिए एक न्यायतंत्रा अतः कानून को लागू करने के मामले में कोई विधान जो किसी कार्यपालक अथवा प्रशासनिक अधिकारी को अनिर्देशित एवं अनियंत्रित विवेकाधिकार देता है, तो वह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत अभिहित ‘विधि के शासन’ का उल्लंघन करता है।
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14. ‘विधि का नियम’ या कानून का अधिराज्य का मतलब क्या है?
(a) सभी के लिए एक कानून और सभी के लिए एक न्यायतंत्र
(b) सभी के लिए एक कानून और सभी के लिए एक राज्य
(c) सभी के लिए एक राज्य और सभी के लिए एक न्यायतंत्र
(d) एक के लिए सभी कानून और सभी के लिए एक न्यायतंत्र
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) सभी के लिए एक कानून और सभी के लिए एक न्यायतंत्र
- ‘विधि का नियम (या शासन)’ या ‘कानून का अधिराज्य’ (Rule of Law) का तात्पर्य है- सभी के लिए एक कानून और सभी के लिए एक न्यायतंत्र।
- विधि के शासन का सामान्य अर्थ यह है कि देश के कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हैं तथा कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।
- साथ ही कानून किसी व्यक्ति के साथ धर्म, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है।
- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के तहत अनुच्छेद 14 में विधि के समक्ष समता एवं विधियों के समान संरक्षण का अधिकार प्रदान किया गया है।
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15. धर्म आदि के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (भारत के संविधान का अनुच्छेद 15) एक मूल अधिकार है, जिसे इसके अधीन वर्गीकृत किया जाएगा-
(a) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
(b) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(c) सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
(d) समता का अधिकार
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर- (d) समता का अधिकार
- अनुच्छेद 15 के अनुसार धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध एक मौलिक अधिकार है, जिसे समता के अधिकार के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है।
- अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18 तक के अधिकार समता के अधिकार में शामिल हैं।
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16. ‘मद्रास राज्य बनाम दोरायराजन’ 1951 के मुकदमे में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के परिणामस्वरूप निम्नलिखित में से किस मौलिक अधिकार को संशोधित किया गया?
(a) विधि के समक्ष समानता का अधिकार
(b) भेदभाव के विरुद्ध अधिकार
(c) अस्पृश्यता के विरुद्ध अधिकार
(d) विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (b) भेदभाव के विरुद्ध अधिकार
- ‘मद्रास राज्य बनाम चम्पकम दोरायराजन’ 1951 के मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के परिणामस्वरूप भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15) को संशोधित किया गया।
- इसमें संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1951 की धारा 2 द्वारा अनुच्छेद 15(4) जोड़ा गया और इसके तहत सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य द्वारा विशेष उपबंध कर सकने हेतु प्रावधान किया गया।
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17. संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत शिक्षण संस्थाओं में, जिसमें गैर-सरकारी व गैर-अनुदान प्राप्त भी सम्मिलित हैं, अन्य पिछड़ों, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति हेतु आरक्षण की सुविधा प्रदान की गई है?
(a) अनुच्छेद 15(4)
(b) अनुच्छेद 15(5)
(c) अनुच्छेद 16(4)
(d) अनुच्छेद 16(5)
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (b) अनुच्छेद 15(5)
- संविधान के अनुच्छेद 15(5) के अंतर्गत शिक्षण संस्थाओं में, जिसमें गैर-सरकारी व गैर-अनुदान प्राप्त भी सम्मिलित हैं, अन्य पिछड़ों, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति हेतु आरक्षण की सुविधा प्रदान की गई है।
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18. संविधान के किन अनुच्छेदों के अनुसार, ओ.बी.सी. (अन्य पिछड़ा वर्ग) को आरक्षण के प्रावधान किए गए हैं?
(a) अनुच्छेद 13(2) तथा 14
(b) अनुच्छेद 14 एवं 15
(c) अनुच्छेद 15(4) तथा 16(4)
(d) अनुच्छेद 17 एवं 18
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (c) अनुच्छेद 15(4) तथा 16(4)
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(4) तथा 16(4) के प्रावधानों के अनुसार, ओ.बी.सी. (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए राज्य की सेवाओं में आरक्षण के प्रावधान किए गए हैं।
- 103वें संविधान संशोधन अधिनियम (2019) द्वारा जोड़े गए अनुच्छेद खंडों 15(6) एवं 16(6) के माध्यम से आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गों के लिए आरक्षण के प्रावधान किए गए हैं।
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19. भारतीय संविधान के निम्नांकित अनुच्छेदों में से कौन-सा एक लोक नियोजन के विषय में भारत के सभी नागरिकों को अवसर की समानता की प्रत्याभूति प्रदान करता है?
(a) अनुच्छेद 15
(b) अनुच्छेद 16 (1) और 16(2)
(c) अनुच्छेद 16(3)
(d) अनुच्छेद 16(3), (4) तथा (5)
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर- (b) अनुच्छेद 16 (1) और 16(2)
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16(1) और 16(2) के तहत राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन के विषय में भारत के सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता की प्रत्याभूति प्रदान की गई है।
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20. भारतीय संविधान में जैसा निहित है, निम्न में से कौन-सा समानता के मौलिक अधिकार में सम्मिलित नहीं है?
(a) कानून के समक्ष समानता
(b) सामाजिक समानता
(c) अवसर की समानता
(d) आर्थिक समानता
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]
उत्तर- (d) आर्थिक समानता
- कानून के समक्ष समानता अनु. 14 के तहत, सामाजिक समानता अनु. 15 के तहत तथा अवसर की समानता अनु. 16 के तहत समानता के मौलिक अधिकार में शामिल हैं, जबकि आर्थिक समानता इसमें शामिल नहीं है।
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21. कथन (A): सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में समान आधार निर्मित करने के उद्देश्य से राज्य असमान लोगों के लिए भिन्न व्यवहार कर सकता है।
कारण (R): समान लोगों में विधि समान होगी और समान रूप से प्रशासित की जाएगी।
उपर्युक्त कथनों के संदर्भ में सही उत्तर चुनिए:
(a) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
(b) (A) गलत है, किंतु (R) सही है।
(c) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (A) का सही स्पष्टीकरण (R) नहीं है।
(d) (A) और (R) दोनों सही हैं और (A) का सही स्पष्टीकरण (R) है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (d) (A) और (R) दोनों सही हैं और (A) का सही स्पष्टीकरण (R) है।
- राज्य, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में समान आधार निर्मित करने के उद्देश्य से असमान लोगों अर्थात गरीबों, पिछड़ों, वंचितों आदि के लिए भिन्न व्यवहार कर सकता है अर्थात उनको विशेष सुविधा प्रदान कर सकता है।
- अनुच्छेद 16 (4) तथा अनुच्छेद 15(4) के तहत राज्य द्वारा ऐसे प्रावधान किए गए हैं।
- हालांकि समान स्तर के लोगों के लिए विधि समान होगी और समान रूप से प्रशासित की जाएगी।
- अनुच्छेद 14 के तहत विधि के समक्ष समता की बात की गई है।
- इस प्रकार स्पष्ट कि कथन (A) और कारण (R) दोनों सत्य हैं तथा (A) का सही स्पष्टीकरण (R) है।
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22. निम्नलिखित में से किसने भारतीय न्यायालय को समान कार्य के लिए समान वेतन का मौलिक अधिकार निगमन करने हेतु सक्षम किया?
(a) संविधान की प्रस्तावना में प्रयुक्त ‘समाजवादी’ शब्द
(b) (a) को संविधान के अनुच्छेद 14 के साथ मिलाकर पढ़ना
(c) (a) को संविधान के अनुच्छेद 16 के साथ मिलाकर पढ़ना
(d) (a), (b), (c) सभी को मिलाकर पढ़ना
[U.P.P.C.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (d) (a), (b), (c) सभी को मिलाकर पढ़ना
- सर्वोच्च न्यायालय ने रणधीर सिंह बनाम भारत संघ वाद (1982) में यह अभिनिर्धारित किया कि अनुच्छेद 14 एवं 16 को संविधान की प्रस्तावना तथा अनुच्छेद 39 (d) के प्रकाश में अर्थान्वियित करते हुए ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ का सिद्धांत इन अनुच्छेदों से निष्कर्षनीय है तथा इसको संगत वर्गीकरण अथवा असंगत वर्गीकरण पर आधारित असमान वेतनमानों के मामले में उचित ढंग से लागू किया जा सकता है।
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23. संविधान के किस प्रावधान द्वारा अस्पृश्यता का उन्मूलन किया गया है?
(a) अनुच्छेद 14
(b) अनुच्छेद 21
(c) अनुच्छेद 17
(d) अनुच्छेद 19
[M.P.P.C.S. (Pre) 1997, U.P.P.C.S. (Mains) 2003]
उत्तर- (c) अनुच्छेद 17
- संविधान के अनुच्छेद 17 द्वारा अस्पृश्यता का उन्मूलन किया गया है। इस अनुच्छेद में कहा गया है कि ‘अस्पृश्यता’ का अंत किया जाता है और उसका किसी भी रूप में आचरण निषिद्ध किया जाता है।
- ‘अस्पृश्यता से उपजी किसी निर्योग्यता को लागू करना अपराध होगा, जो विधि के अनुसार दंडनीय होगा।
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24. अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति को किस अनुच्छेद के अंतर्गत मौलिक, सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक अधिकार दिया गया?
(a) अनुच्छेद 20
(b) अनुच्छेद 19
(c) अनुच्छेद 18
(d) अनुच्छेद 17
[M.P.P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (d) अनुच्छेद 17
- भारतीय संविधान के भाग 3 में वर्णित मौलिक अधिकारों के तहत अनुच्छेद 17 के अंतर्गत अस्पृश्यता का अंत और उसका किसी भी रूप में आचरण निषिद्ध घोषित किया गया है।
- साथ ही अस्पृश्यता से उपजी किसी निर्योग्यता को लागू करना विधि के अनुसार दंडनीय अपराध माना गया है।
- अनुच्छेद 17 ‘समता के मौलिक अधिकार’ से संबंधित है।
- अस्पृश्यता के निषेध से अछूत समझे जाने वाले व्यक्तियों (विशेषकर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति) को एक मौलिक सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक अधिकार दिया गया।
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25. भारत में अस्पृश्यता का निवारण निम्न में से किन उपायों द्वारा किया जा सकता है-
1. कानून बनाकर
2. शिक्षा की उन्नति द्वारा
3. जनजागरण के द्वारा
4. नौकरियों में प्रवेश दिलाकर
(a) 1, 2, 3 सही हैं
(b) 2, 3, 4 सही हैं
(c) 1, 2 सही हैं
(d) 2, 4 सही हैं
[U.P.P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (a) 1, 2, 3 सही हैं
- भारत में अस्पृश्यता का निवारण कानून बनाकर, शिक्षा की उन्नति द्वारा एवं जनजागरण द्वारा किया जा सकता है।
- संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता के अंत का प्रावधान करता है।
- संसद ने सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के द्वारा अस्पृश्यता को दंडनीय अपराध घोषित किया है।
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26. निम्नलिखित दो कथन हैं, जिसमें से एक कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) कहा गया है।
कथन (A): अस्पृश्यता संरचनात्मक हिंसा का सबसे खराब स्वरूप है।
कारण (R): अस्पृश्यता के चलन का आधार धार्मिक स्वीकृति है।
उपरोक्त कथनों पर विचार कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सत्य हैं और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) (A) और (R) दोनों सत्य हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) (A) सत्य है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सत्य है।
[U.P. B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर- (a) (A) और (R) दोनों सत्य हैं और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
- संरचनात्मक हिंसा से तात्पर्य ऐसे सुनियोजित तरीके से है, जिनके जरिए सामाजिक ढांचा, किसी समाज में व्यक्तियों को हानि पहुंचाता है और इन्हें अवसरों से वंचित करता है।
- संरचनात्मक हिंसा आमतौर पर जोहान गालटुंग के अनुसार वर्णित एक शब्द है, जिसे उन्होंने ‘हिंसा, शांति और अनुसंधान’ (1969) नामक लेख में प्रस्तुत किया है।
- संरचनात्मक हिंसा के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं- प्रजातिवाद, नस्लवाद, कामुकता, वर्गीकरण, अस्पृश्यता आदि।
- ‘अस्पृश्यता’ जिसे आम बोलचाल में छुआछूत भी कहा जाता है, जाति-व्यवस्था का एक अत्यंत घृणित पहलू है, जो धार्मिक एवं कर्मकांडीय दृष्टि से शुद्धता एवं अशुद्धता के पैमाने पर सबसे नीची माने जाने वाली जातियों के सदस्यों के विरुद्ध अत्यंत कठोर सामाजिक दंडों का विधान करता है और अस्पृश्यता को इसी कारण धार्मिक स्वीकृति भी प्राप्त हो जाती है।
- अतः कथन (A) एवं (R) दोनों सही है और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
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27. भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों में से कौन भिन्न वर्ग में आता है?
(a) अनुच्छेद 14
(b) अनुच्छेद 15
(c) अनुच्छेद 16
(d) अनुच्छेद 19
[U.P.P.C.S. (Pre) 2000]
उत्तर- (d) अनुच्छेद 19
- दिए गए अनुच्छेदों में अनुच्छेद 19 अन्य से भिन्न वर्ग में आता है।
- यह स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन करता है, जबकि अन्य तीनों अनुच्छेद 14, 15 एवं 16 समता के अधिकार का वर्णन करते हैं।
- एक अन्य दृष्टि से देखें, तो अनुच्छेद 15, 16 एवं 19 केवल नागरिकों के लिए है, जबकि अनुच्छेद 14 सभी के लिए उपलब्ध है।
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28. भारतीय संविधान में ‘स्वतंत्रता का अधिकार’ चार अनुच्छेदों द्वारा प्रदान किया गया है, जो हैं-
(a) अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक
(b) अनुच्छेद 16 से अनुच्छेद 19 तक
(c) अनुच्छेद 17 से अनुच्छेद 20 तक
(d) अनुच्छेद 18 से अनुच्छेद 21 तक
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (a) अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक
- भारतीय संविधान के भाग 3 के तहत अनुच्छेद 19 से 22 तक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है।
- अनुच्छेद 19 में भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समेत 6 प्रकार की स्वतंत्रताएं प्रदान की गई हैं।
- अनुच्छेद 20 में अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण, अनुच्छेद 21 में प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण, अनुच्छेद 21-क के अंतर्गत शिक्षा का अधिकार तथा अनुच्छेद 22 के अंतर्गत कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण प्रदान किया गया है।
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29. भारत के संविधान का निम्नलिखित में से कौन-सा अनुच्छेद प्रेस की स्वतंत्रता से संबंधित है?
(a) अनुच्छेद 19
(b) अनुच्छेद 20
(c) अनुच्छेद 21
(d) अनुच्छेद 22
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर- (a) अनुच्छेद 19
- संविधान में प्रत्यक्ष रूप में प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लेख नहीं है, किंतु अनु. 19(1) (क) (अनु. 19(1)(a)] के अंतर्गत वर्णित ‘वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य’ के अधिकार में न्यायालय द्वारा इसको निहित माना गया है।
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30. उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था अनुसार, निजी भवनों के ऊपर राष्ट्रीय झंडे को फहराना…………. के तहत हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
(a) संविधान का अनुच्छेद 14
(b) संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (a)
(c) संविधान का अनुच्छेद 21
(d) संविधान का अनुच्छेद 25
(e) उपरोक्त में से कोई नहीं/ उपरोक्त में से एक से अधिक
[60th-62nd B.P.S.C. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (a)
- नवीन जिंदल बनाम भारत संघ वाद में दी गई उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के अनुसार, निजी भवनों के ऊपर राष्ट्रीय झंडे को फहराना अभिव्यक्ति का प्रतीक है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1) (a) के तहत हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
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31. स्वतंत्रता के अधिकार के भाग के रूप में निम्नलिखित में से कौन-सा “बिना हथियार के शांतिपूर्ण ढंग से इकट्ठा होने की स्वतंत्रता” के अंतर्गत नहीं आता है?
(a) घेराव अफसर जो अपना कर्तव्य नहीं निभाते
(b) शांतिपूर्वक इकट्ठा होना
(c) एकत्रित जनता, जिनको हथियार नहीं रखना चाहिए
(d) इस अधिकार के अभ्यास पर राज्य कानून बनाकर तर्कपूर्ण प्रतिबंध लगा सकता है।
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) घेराव अफसर जो अपना कर्तव्य नहीं निभाते
- अनुच्छेद 19(1) (ख) में ‘शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन’ की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लेख है। साथ ही अनुच्छेद 19(3) में शांतिपूर्ण व निरायुध सम्मेलन की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रयोग पर भारत की प्रभुता और अखंडता या लोक व्यवस्था के हितों में युक्तियुक्त निर्बंधन अधिरोपित करने वाली विधि बनाने की राज्य को शक्ति दी गई है।
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32. निम्नलिखित में से किस आधार के कारण नागरिक की विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है?
(a) भारत की संप्रभुता
(b) लोक व्यवस्था
(c) न्यायपालिका का अपमान
(d) अवांछनीय आलोचना
(e) उपरोक्त सभी
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (d) अवांछनीय आलोचना
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत नागरिकों की विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भारत की संप्रभुता व अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों से मित्रतापूर्ण संबंधों, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार या सदाचार के हितों में अथवा अदालत की अवमानना, मानहानि या किसी अपराध के उद्दीपन के आधार पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
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33. भारतीय गणराज्य के संविधान का कौन-सा अनुच्छेद व्यक्ति की ‘प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता’ के संरक्षण से संबंधित है?
(a) अनुच्छेद 19
(b) अनुच्छेद 21
(c) अनुच्छेद 20
(d) अनुच्छेद 22
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) अनुच्छेद 21
- भारतीय गणराज्य के संविधान का अनुच्छेद 21 व्यक्ति की प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण (Protection of life and personal liberty) से संबंधित है।
- इस अनुच्छेद के अनुसार, किसी व्यक्ति को, उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।
- अनुच्छेद 19 वाक्- स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण, अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण और अनुच्छेद 22 कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण से संबंधित है।
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34. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में विधि की सम्यक् प्रक्रिया के सिद्धांत को शामिल किया गया है?
(a) 11
(b) 16
(c) 21
(d) 26
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर- (c) 21
- अनुच्छेद 21 में प्रयुक्त ‘विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ पदावली को उसी अर्थ में प्रयुक्त किया गया है, जिस अर्थ में अमेरिकन संविधान में ‘सम्यक् विधि प्रक्रिया’ शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
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35. भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद व्यक्ति के विदेश यात्रा के अधिकार को संरक्षण प्रदान करता है?
(a) 14
(b) 19
(c) 21
(d) कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (c) 21
- सतवंत सिंह बनाम असिस्टेंट पासपोर्ट ऑफिसर, नई दिल्ली (A.I.R. 1967) तथा मेनका गांधी बनाम भारत संघ (A.I.R. 1978) के मामलों में यह अभिनिर्धारित किया गया है कि अनुच्छेद 21 में प्रयुक्त “दैहिक स्वतंत्रता” शब्दावली में संचरण का अर्थात इच्छानुसार कभी भी तथा कहीं भी जाने का अधिकार आता है, जिसमें विदेश भ्रमण भी शामिल है।
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36. निम्नांकित में से किन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है?
(1) आवास का अधिकार
(2) विदेश यात्रा का अधिकार
(3) समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए:
(a) 1 तथा 2
(b) 2 तथा 3
(c) 1 तथा 3
(d) 1, 2 तथा 3
[U.P.P.C.S. (Pre) 1998]
उत्तर- (d) 1, 2 तथा 3
- चमेली सिंह बनाम उ.प्र. राज्य (A.I.R. 1995) वाद में दिए गए निर्णय के अनुसार, आश्रय का अधिकार अनु. 21 के अंतर्गत मूल अधिकार है।
- न्यायालय के अनुसार, इसमें वह घर शामिल है, जहां वह गरिमापूर्ण जीवन जी सके।
- सतवंत सिंह बनाम असिस्टेंट पासपोर्ट ऑफिसर, नई दिल्ली (A.I.R. 1967) तथा मेनका गांधी बनाम भारत संघ (A.I.R. 1978) वादों में दिए गए निर्णयों के अनुसार, विदेश यात्रा का अधिकार अनु. 21 के अंतर्गत मूल अधिकार है। ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ यद्यपि संविधान के अनुच्छेद 39(घ) के तहत राज्य नीति के निदेशक तत्वों का भाग है, तथापि रणधीर सिंह बनाम भारत संघ (A.I.R. 1982) वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्धारित किया कि संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 39 (घ) के आलोक में अनुच्छेद 14 एवं 16 को पढ़ने से ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ का सिद्धांत प्राप्त होता है।
- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपनी कई प्रारंभिक परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों में ‘समान कार्य के लिए समान वेतन को उपर्युक्त उपबंधों के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा परिभाषित या निगमित मौलिक अधिकार माना है।
- अतः इस प्रश्न का समुचित उत्तर विकल्प (d) है।
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37. निम्नलिखित अधिकारों में से कौन-सा अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (d) को अनुच्छेद 21 से मिलाकर पढ़ने पर प्राप्त होता है?
(a) विदेश यात्रा का अधिकार
(b) शरण पाने का अधिकार
(c) एकांतता का अधिकार
(d) सूचना प्राप्त करने का अधिकार
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002, U.P.P.C.S. (Pre) 2003, U.P. P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर- (c) एकांतता का अधिकार
- इन चारों में से किसी भी अधिकार का उल्लेख अलग से अग्रवा स्पष्टतया मूल अधिकारों में से नहीं हुमा है, किंतु उच्चतम न्यायालय ने अपने सृजनात्मक निर्वचन द्वारा इन चारों अधिकारों को मूल अधिकारों में अंतर्निहित माना है।
- विशेषकर अनुच्छेद 21 के प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण (प्रोटेक्शन ऑफ लाइक एंड पर्सनल लिबर्टी) के अधिकार के अंदर इन चारों अधिकारों को भी विभिन्न निर्णयों के द्वारा शामिल माना गया है।
- गोविद बनाम मध्य प्रदेश राज्य बाद (1975) तथा मलक सिंह एवं अन्य बनाम पंजाब एवं हरियाणा वाद (1980) जादि में सर्वोच्च नायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(d) (मारत के राज्य क्षेत्र में सर्वत्र अबाप संवरण का अधिकार) को अनुच्छेद 21 (जीवन कर अधिकार) से मिलाकर पड़ने पर एकांतता या निजता का अधिकार (Right to Privacy) प्राप्त होता है।
- उल्लेखनीय है कि जस्टिस के. एस. पुहास्वामी बनाम भारत संघ वाद (आधार मामले) में भी अगस्त, 2017 में सर्वोच्च न्यायालय की 9- सदस्यीय संविधान पीठ ने निजता के अधिकार (Right to Privacy) को संविधान के अनुच्छेद 21 में अंतर्निहित तथा संविधान के भाग III द्वारा गारंटीकृत स्वतंत्रताओं का भाग मानते हुए इसे स्पष्टतः संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया है।
- उच्चतम न्यायालय ने विकल्यों में दिए गए उपर्युक्त 4 अधिकारों के अतिरिक्त अन्य अनेक अधिकारों को भी अपने विभिन्न निर्णयों में अनुच्छेद 21 के अंतर्गत माना है। इनमें से कुछ प्रमुख ये हैं-
- 1. अच्छे पर्यावरण का अधिकार,
- 2. शीघ्र विचारण का अधिकार,
- 3. विधिक सहायता का अधिकार,
- 4. एकांत कारावास के विरुद्ध अधिकार,
- 5. पैर में उडा-बेड़ी डालने के विरुद्ध अपिकार,
- 6. फॉगी में विलंब के विरुद्ध अधिकार,
- 7. अभिरक्षा में हिंसा के विरुद्ध अधिकार,
- 8. पीने योग्य शुद्ध जल का अधिकार,
- 9. अच्छी सड़कों का अधिकार,
- 10. प्रतिष्ठा का अधिकार,
- 11. एक चिकित्सक द्वारा घायल को चिकित्सकीय सहायता,
- 12. कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न के विरुद्ध अधिकार।
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38. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है?
(a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध
(b) अनुच्छेद 17 एवं भाग IV में दिए राज्य की नीति के निदेशक तत्व
(c) अनुच्छेद 21 एवं भाग III में गारंटी की गई स्वतंत्रताएं
(d) अनुच्छेद 24 एवं संविधान के 44वें संशोधन के अधीन उपबंध
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (c) अनुच्छेद 21 एवं भाग III में गारंटी की गई स्वतंत्रताएं
- उपर्युक्त दिया गया कथन अनुच्छेद 21 एवं भाग III में गारंटी की गई स्वतंत्रताओं के अंतर्गत सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है।
- 24 अगस्त, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय की 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने भी निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा प्रदान किया तथा यह कहा कि निजता का अधिकार जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित है।
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39. भारत के संविधान का कौन-सा अनुच्छेद अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने के किसी व्यक्ति के अधिकार को संरक्षण देता है?
(a) अनुच्छेद 19
(b) अनुच्छेद 21
(c) अनुच्छेद 25
(d) अनुच्छेद 29
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (b) अनुच्छेद 21
- 27 मार्च, 2018 को गैर-सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी बनाम भारत संघ वाद में उच्चतम न्यायालय ने जीवनसाथी चुनने के अधिकार को मूल अधिकार मानते हुए इसे अनुच्छेद 21 में निहित माना था।
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40. निम्नलिखित में से कौन संविधान के अनुच्छेद 21 के दायरे में नहीं आता है?
(a) एक चिकित्सक द्वारा घायल को चिकित्सकीय सहायता
(b) कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न
(c) पानी की गुणवत्ता को दूषित करना
(d) मृत्युदंड
[U.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (d) मृत्युदंड
- जगमोहन सिंह बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने मृत्युदंड को अनुच्छेद 21 का उल्लंघनकारी मानने से इंकार कर दिया था।
- अतः स्पष्ट है कि मृत्युदंड, अनुच्छेद 21 के दायरे में नहीं आता है।
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41. निम्न में से कौन-सा एक अधिकार राष्ट्रीय आपातकाल तक में भी समाप्त या सीमित नहीं किया जा सकता है?
(a) देश के किसी भाग में निवास तथा बसने की स्वतंत्रता का अधिकार
(b) व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा जीवन का अधिकार
(c) भारत के संपूर्ण क्षेत्र में अबाध भ्रमण की स्वतंत्रता का अधिकार
(d) वृत्ति या उपजीविका की स्वतंत्रता का अधिकार
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर- (b) व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा जीवन का अधिकार
- 44वें संविधान संशोधन (1978) के बाद अनु. 21 में प्रदत्त प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार (जीवन का अधिकार) राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में भी सीमित या समाप्त नहीं किया जा सकता है।
- ज्ञातव्य है कि यदि राष्ट्रीय आपातकाल युद्ध या बाह्य आक्रमण के आधार पर घोषित हुआ है, तो सभी मूलाधिकार स्थगित किए जा सकते हैं, परंतु अनु. 21 तथा अनु. 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) को स्थगित नहीं किया जा सकता है।
- दूसरी ओर, यदि सशस्त्र विद्रोह के कारण आपातकाल घोषित हुआ है, तो अनु. 21 एवं 20 के साथ अनु. 19 (वाक् स्वातंत्र्य विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण) भी जीवित रहता है।
- अनुच्छेद 358, अनुच्छेद 19 द्वारा दिए गए मूल अधिकार के निलंबन से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 359, अन्य मूल अधिकारों के निलंबन (अनुच्छेद 20 तथा 21 द्वारा प्रदत्त अधिकारों को छोड़कर) से संबंधित है।
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42. उच्चतम न्यायालय के किस मामले के निर्णय के कारण संविधान के अनुच्छेद 21 के कार्यक्षेत्र का विस्तार कर, शिक्षा के अधिकार को उसमें शामिल किया गया था?
(a) उन्निकृष्णन बनाम आंध्र प्रदेश
(b) गोविंद बनाम मध्य प्रदेश राज्य
(c) परमानंद कटारा बनाम भारत संघ
(d) चमेली सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (a) उन्निकृष्णन बनाम आंध्र प्रदेश
- उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1993 में 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा को अधिकार के रूप में (उन्निकृष्णन और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य व अन्य वाद में) यह कहते हुए संघटित किया ‘इस देश के नागरिक को शिक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त है।
- यह अधिकार अनुच्छेद 21 से निकला है। हालांकि यह एक निरपेक्ष अधिकार नहीं है।
- इसकी विषय-वस्तु और मापदंडों को अनुच्छेद 45 और 41 के आलोक में निर्धारित करना पड़ेगा।’
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43. 6 वर्ष की आयु से 14 वर्ष की आयु के बीच के सभी बच्चों (शिशुओं) को शिक्षा का अधिकार-
(a) राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में सम्मिलित है।
(b) मूल अधिकार है।
(c) सांविधिक अधिकार है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर- (b) मूल अधिकार है।
- 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मूल अधिकार बना दिया गया।
- इसके द्वारा संविधान के भाग-III में नया अनुच्छेद 21-क जोड़ा गया जिसके अनुसार, राज्य 6-14 वर्ष की आयु के सभी बालकों हेतु निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करेगा।
- साथ ही अनुच्छेद 45 के संशोधित निदेशक तत्व के अनुसार, राज्य 6 वर्ष तक की आयु पूर्ण करने तक सभी बच्चों को आरंभिक शिशुत्व देखरेख तथा शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयत्न करेगा।
- इसी अनुक्रम में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 संसद द्वारा पारित किया गया, जो तत्संबंधी संविधान संशोधन के साथ 1 अप्रैल, 2010 से प्रभावी हुआ।
- शिक्षा का अधिकार मानवाधिकार भी है। सूचना का अधिकार भी मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा का भाग है।
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार, सूचना का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1) (क) में उल्लिखित वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में निहित है, हालांकि यह संविधान में उल्लिखित नहीं है।
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44. कथन (A): राज्य 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा।
कारण (R): एक प्रजातांत्रिक समाज में शिक्षा का अधिकार मानवाधिकार के रूप में विकास के अधिकार की व्याख्या के लिए अपरिहार्य है।
उपर्युक्त कथनों के संदर्भ में सही उत्तर चुनिए-
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (A) का सही स्पष्टीकरण (R) है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
(d) (R) सही है, किंतु (A) गलत है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (A) का सही स्पष्टीकरण (R) है।
- संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 21-क के अनुसार, राज्य 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा।
- शिक्षा का अधिकार एक महत्वपूर्ण मानवाधिकार भी है। एक प्रजातांत्रिक समाज में यह मानवाधिकार के रूप में विकास के अधिकार की व्याख्या के लिए अपरिहार्य है।
- व्यक्तित्व के विकास के लिए भी शिक्षा अनिवार्य है।
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45. भारत के संविधान में शोषण के विरुद्ध अधिकार द्वारा निम्नलिखित में से कौन-से परिकल्पित हैं?
1. मानव देह का व्यापार और बंधुआ मजदूरी (बेगारी) का निषेध
2. अस्पृश्यता का उन्मूलन
3. अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा
4. कारखानों और खदानों में बच्चों के नियोजन का निषेध
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) केवल 1 और 4
- भारतीय संविधान के भाग 3 में मौलिक अधिकारों के अंतर्गत अनुच्छेद 23 तथा अनुच्छेद 24 के तहत शोषण के विरुद्ध अधिकार का उल्लेख किया गया है।
- अनुच्छेद 23 के तहत मानव के दुर्व्यापार और बलात्श्रम का प्रतिषेध किया गया है तथा अनुच्छेद 24 के तहत कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध किया गया है।
- अतः कथन । और 4 सही हैं।
- इस प्रकार विकल्प (c) सही उत्तर है।
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46. भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद बच्चों के शोषण के विरुद्ध मौलिक अधिकार से संबंधित है?
(a) अनुच्छेद 17
(b) अनुच्छेद 19
(c) अनुच्छेद 23
(d) अनुच्छेद 24
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017 , U.P.P.C.S. (Pre) 2005, U.P. P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर- (d) अनुच्छेद 24
- संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार, 14 वर्ष से कम आयु के किसी बालक को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोजन में नहीं लगाया जाएगा।
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47. भारत के संविधान का अनुच्छेद 24 जोखिमपूर्ण कार्यों से संबंधित कारखानों में बालकों के नियोजन को निषेध करता है। ऐसा निषेध है-
(a) पूर्ण निषेध
(b) आंशिक निषेध
(c) युक्तियुक्त निषेध
(d) नैतिक निषेध
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) पूर्ण निषेध
- भारत के संविधान का अनुच्छेद 24 जोखिमपूर्ण कार्यों से संबंधित कारखानों में बालकों के नियोजन का पूर्ण निषेध (Absolute prohi- bition) करता है।
- इस अनुच्छेद के अनुसार, चौदह वर्ष से कम आयु के किसी बालक को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोजन में नहीं लगाया जाएगा।
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48. आई.सी.सी.पी.आर. के अनुच्छेद को सुरक्षित किया गया है। द्वारा बाल अधिकार
(a) 35
(b) 24
(c) 21
(d) 23
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (b) 24
- आई.सी.सी.पी.आर (यानी इंटरनेशनल कन्वेनैंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स) के अनुच्छेद 24 द्वारा बाल अधिकार को सुरक्षित किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 24 के द्वारा भी बाल अधिकार का संरक्षण किया गया है।
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49. संविधान का कौन-सा अनुच्छेद दोषसिद्धि के संबंध में अभियुक्तों को दोहरे दंड एवं स्व-अभिशंसन से संरक्षण प्रदान करता है?
(a) अनुच्छेद 19
(b) अनुच्छेद 22
(c) अनुच्छेद 21
(d) अनुच्छेद 20
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर- (d) अनुच्छेद 20
- संविधान के अनुच्छेद 20 (2) के अनुसार, किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जा सकता तथा अनुच्छेद 20 (3) के अनुसार, किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
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50. बंदी बनाए गए व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा किस अनुच्छेद से प्रदत्त है?
(a) अनु. 15
(b) अनु. 17
(c) अनु. 21
(d) अनु. 22
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर- (d) अनु. 22
- संविधान के अनुच्छेद 22 में कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण प्रदान किया गया है।
- इस अनुच्छेद के खंड (1) के अनुसार किसी व्यक्ति को जो गिरफ्तार किया गया है, ऐसी गिरफ्तारी के कारणों से यथाशीघ्र अवगत कराए बिना अभिरक्षा में निरुद्ध नहीं रखा जाएगा या अपनी रुचि के विधि व्यवसायी से परामर्श करने और प्रतिरक्षा कराने के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा।
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51. निम्नलिखित में से कौन सुमेलित नहीं हैं?
(a) अनुच्छेद 22(1) – स्वयं की पसंद के अधिवक्ता द्वारा प्रतिरक्षा का अधिकार।
(b) अनुच्छेद 22(4) – निवारक निरोध का उपबंध करने वाली कोई विधि तीन माह से अधिक निरुद्ध किया जाना प्राधिकृत नहीं करेगी।
(c) अनुच्छेत 22(2) – संसद विधि द्वारा उन परिस्थितियों का निर्धारण कर सकेगी, जिसके अंतर्गत तीन माह से अधिक निरुद्ध किया जा सकेगा।
(d) अनुच्छेद 22(1) – गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के कारणों को यथासंभव शीघ्रातिशीघ्र बताए बिना अभिरक्षा में नहीं रखा जाएगा।
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (c) अनुच्छेत 22(2) – संसद विधि द्वारा उन परिस्थितियों का निर्धारण कर सकेगी, जिसके अंतर्गत तीन माह से अधिक निरुद्ध किया जा सकेगा।
- संविधान के अनुच्छेद 22(2) के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को, जो गिरफ्तार किया गया है और अभिरक्षा में निरुद्ध रखा गया है, गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के न्यायालय तक यात्रा के लिए आवश्यक समय को छोड़कर ऐसी गिरफ्तारी से चौबीस घंटे की अवधि में निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा और ऐसे व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के प्राधिकार के बिना उक्त अवधि से अधिक अवधि के लिए अभिरक्षा में निरुद्ध नहीं रखा जाएगा।
- अनुच्छेद 22(7) में यह प्रावधानित है कि संसद विधि द्वारा उन परिस्थितियों का निर्धारण कर सकेगी, जिसके अंतर्गत तीन माह से अधिक निरुद्ध किया जा सकेगा।
- अन्य प्रश्नगत युग्म्म सुमेलित हैं।
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52. प्रत्यक्ष बंदीकरण अधिनियम के अंतर्गत एक व्यक्ति बिना मुकदमा चलाए बंदी बनाया जा सकता है-
(a) 1 माह के लिए
(b) 3 माह के लिए
(c) 6 माह के लिए
(d) 9 माह के लिए
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2013]
उत्तर- (b) 3 माह के लिए
- प्रत्यक्ष बंदीकरण (निवारक निरोध) अधिनियम के अंतर्गत एक व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए 3 माह के लिए बंदी बनाया जा सकता है।
- अनुच्छेद 22(4) के अनुसार, यदि निरोध 3 माह से अधिक के लिए है, तो वह मामला सलाहकार बोर्ड को निर्दिष्ट किया जाना चाहिए।
- ऐसे व्यक्ति को निरोध में तभी रखा जा सकेगा, जब सलाहकार बोर्ड का यह मत हो कि ऐसे निरोध के लिए पर्याप्त आधार हैं।
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53. प्रिवेन्टिव डिटेन्शन के अंतर्गत एक व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए बंदी बनाकर रखा जा सकता है?
(a) एक माह तक
(b) तीन माह तक
(c) छः माह तक
(d) नौ माह तक
[U.P. P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर- (b) तीन माह तक
- भारत में निवारक निरोध (Preventive Detention) के अंतर्गत एक व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए (बगैर न्यायिक सलाहकार बोर्ड के प्रतिवेदन के) अधिकतम 3 माह तक [संविधान के अनु. 22(4) के अनुसार] बंदी बनाकर रखा जा सकता है।
- हालांकि अनु. 22 (7) के तहत संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के तहत निर्धारित मामलों तथा निर्धारित अधिकतम अवधि के संदर्भ में यह बात लागू नहीं होती है।
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54. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. जब एक कैदी पर्याप्त आधार प्रस्तुत करता है, तो ऐसे कैदी को पैरोल मना नहीं का मामला बन जाता है।
2. कैदी को पैरोल पर छोड़ने के लिए राज्य सरकारों के अपने नियम हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा कौन-से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (b) केवल 2
- पैरोल (Parole) किसी कैदी को दंडादेश के निलंबन के साथ रिहा करने की प्रणाली है।
- यह रिहाई सामान्यतः कैदी के व्यवहार के आधार पर निर्धारित अवधि हेतु सशर्त होती है तथा उसे अधिकारियों के समक्ष आवधिक रूप से रिपोर्ट करना आवश्यक होता है।
- पैरोल (और फरलो, Furlough) की व्यवस्था कारागार प्रणाली को मानवीय बनाने के उद्देश्य से की गई है तथा ये 1894 के कारागार अधिनियम के तहत शासित होते हैं।
- पैरोल कैदी का अधिकार नहीं होता है तथा इसे विशेष कारण या परिस्थिति के आधार (यथा- परिवार में किसी की मृत्यु या रक्त संबंधी के विवाह) पर ही प्रदान किया जाता है।
- कैदी द्वारा पैरोल हेतु पर्याप्त आधार प्रस्तुत करने पर भी सक्षम अधिकारी इसे अस्वीकृत कर सकता है, यदि उसकी राय में कैदी का रिहा होना समाज के हित में न हो या कैदी के रिहा होने पर उसके फरार हो जाने की आशंका हो।
- बहुधा मृत्युदंड प्राप्त कैदी को भी पैरोल पर नहीं छोड़ा जाता है।
- इसके अतिरिक्त, बहु-हत्या दोषी या आतंक रोधी गैरकानूनी गतिविधियां निवारक अधिनियम (UAPA) के तहत सजायाफ्ता कैदी भी पैरोल के पात्र नहीं होते हैं।
- इस प्रकार, कथन 1 गलत है। कथन 2 सही है, क्योंकि ‘कारागार और उनमें निरुद्ध व्यक्ति’ संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य सूची का विषय है और राज्य सरकारों द्वारा कारागार अधिनियम के तहत कैदी को पैरोल पर छोड़ने के लिए अपने नियम बनाए गए हैं।
- पैरोल राज्य कार्यपालिका द्वारा प्रदान की जाती है। जेल अधिकारी इस संदर्भ में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट देते हैं तथा पैरोल प्रदान करने का निर्णय मानवीय आधारों पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा लिया जाता है।
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55. धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के प्रावधान के अंतर्गत सम्मिलित हैं-
(1) धर्म प्रचार करने का अधिकार
(II) सिक्खों को ‘कृपाण’ धारण करने एवं रखने का अधिकार
(III) राज्यों को समाज-सुधारक विधि निर्माण का अधिकार
(IV) धार्मिक निकायों को लोगों का धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) I, II एवं III
(b) II, III एवं IV
(c) III एवं IV
(d) उक्त सभी
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001]
उत्तर- (a) I, II एवं III
- धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के प्रावधानों के अंतर्गत धर्म प्रचार करने का अधिकार एवं राज्यों को समाज सुधारक विधि निर्माण का अधिकार (अनुच्छेद 25) तथा सिक्खों को कृपाण धारण करने एवं रखने का अधिकार (अनुच्छेद 25 का स्पष्टीकरण-1) शामिल हैं।
- धार्मिक निकायों को लोगों का धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में शामिल नहीं है।
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56. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 में प्रयुक्त ‘हिंदू’ शब्द किसे सम्मिलित नहीं करता?
(a) बौद्धों को
(b) जैनों को
(c) पारसियों को
(d) सिक्खों को
[Uttarakhand P.C.S. (Mains) 2006, U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर- (c) पारसियों को
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 (2) (ख) में प्रयुक्त ‘हिंदू’ शब्द के अंतर्गत बौद्ध, जैन एवं सिख शामिल हैं, जबकि पारसी इसमें सम्मिलित नहीं है।
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57. संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार, धर्म-स्वातंत्र्य का अधिकार किसके अधीन नहीं है?
(a) सार्वजनिक व्यवस्था
(b) स्वास्थ्य
(c) सदाचार
(d) मानववाद
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (d) मानववाद
- संविधान के अनुच्छेद 25(1) के अनुसार, ‘लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य’ के उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान अधिकार होगा।’
- अतः इसमें मानववाद सम्मिलित नहीं है।
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58. निम्नलिखित में से कौन एक सुमेलित नहीं है?
(अ) (ब)
(a) अनुच्छेद 23 – मानव के दुर्व्यापार एवं बलात्श्रम का प्रतिबंध
(b) अनुच्छेद 24 – कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध
(c) अनुच्छेद 26 – धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
(d) अनुच्छेद 29 – शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
[U.P. Lower Sub.(Pre) 2009]
उत्तर- (d) अनुच्छेद 29 – शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
- अल्पसंख्यकों को शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार अनु. 30 से प्राप्त होता है, जबकि अनु. 29 अल्पसंख्यक वर्गों के हितों के संरक्षण से, अनु. 23 मानव के दुर्व्यापार एवं बलात्श्रम के प्रतिबंध से, अनु. 24 कारखानों आदि में बालकों के नियोजन पर प्रतिबंध से, अनु. 26 धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता से और अनु. 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार से संबंधित है, जबकि अनु. 31 संपत्ति का अनिवार्य अर्जन से संबंधित था, जिसको 44वें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा निरसित कर दिया गया है।
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59. भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद अल्पसंख्यकों को अपनी मनपसंद शिक्षण संस्थाओं को स्थापित एवं संचालित करने के अधिकार को संरक्षण प्रदान करता है?
(a) अनुच्छेद 19
(b) अनुच्छेद 26
(c) अनुच्छेद 29
(d) अनुच्छेद 30
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (d) अनुच्छेद 30
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को प्रदान किया गया है।
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60. नीचे दो कथन दिए गए हैं जिनमें एक को कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) कहा गया है।
कथन (A): भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 ‘अल्पसंख्यक वर्ग’ शब्द को परिभाषित नहीं करता है।
कारण (R): संविधान केवल भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग को मान्यता प्रदान करता है।
नीचे दिए गए कूटों में से सही उत्तर चुनिए-
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं परंतु (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, किंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, किंतु (R) सही है।
[U.P. P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (b) (A) और (R) दोनों सही हैं परंतु (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30(1) में कहा गया है कि धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।
- अनुच्छेद 30 (2) के अनुसार, शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्था के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबंध में है।
- स्पष्टतः अनुच्छेद 30 में अल्पसंख्यक वर्ग शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है तथा इसमें भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग को मान्यता प्रदान की गई है।
- अतः प्रश्नगत कथन और कारण दोनों सही हैं, परंतु कारण, कथन की सही व्याख्या नहीं है।
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61. निम्नलिखित में से किसको संविधान द्वारा मौलिक अधिकारों को लागू करने की शक्ति दी गई है?
(a) भारत के सभी न्यायालयों को
(b) संसद को
(c) राष्ट्रपति को
(d) सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों को
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर- (d) सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों को
- वस्तुतः संविधान का अनुच्छेद 13 मूल अधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध न्यायालयों को न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति प्रदान करता है।
- यह शक्ति उच्चतम न्यायालय (अनु. 32 के तहत) तथा उच्च न्यायालयों (अनु. 226 के तहत) को ही प्रदान की गई है।
- अपनी इस शक्ति के अधीन उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय विधानमंडलों द्वारा पारित ऐसे किसी भी अधिनियम को असंवैधानिक घोषित कर सकते हैं, जो संविधान के भाग तीन (मूल अधिकार) में दिए गए किसी भी उपबंध की असंगति में हैं।
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62. मौलिक अधिकारों का संरक्षक है-
(a) न्यायपालिका
(b) कार्यकारिणी
(c) संसद
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर- (a) न्यायपालिका
- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध अनु. 32 के तहत संवैधानिक उपचारों का अधिकार प्रदान किया गया है।
- इसके तहत कोई व्यक्ति मौलिक अधिकारों के हनन की स्थिति में न्यायपालिका की शरण ले सकता है।
- अनु. 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय तथा अनु. 226 के तहत उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में उपचार प्रदान कर सकते हैं।
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63. संविधान के अंतर्गत मूल अधिकारों का संरक्षक कौन है?
(a) संसद
(b) राष्ट्रपति
(c) सर्वोच्च न्यायालय
(d) मंत्रिमंडल
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2004, U.P.P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (c) सर्वोच्च न्यायालय
- सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों का संरक्षक एवं भारत के संविधान का अभिभावक माना जाता है।
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64. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है?
(a) के.एम. मुंशी संविधान का प्रारूप बनाने वाली समिति के एक सदस्य थे।
(b) संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान स्वीकार किया गया।
(c) बलवंत राय मेहता समिति रिपोर्ट, 1957 द्वारा पंचायती राज की संस्तुति की गई।
(d) संविधान के अंतर्गत मूल अधिकारों का संरक्षक भारत का राष्ट्रपति है।
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2013]
उत्तर- (d) संविधान के अंतर्गत मूल अधिकारों का संरक्षक भारत का राष्ट्रपति है।
- मूल अधिकारों की संरक्षक न्यायपालिका है न कि राष्ट्रपति। अन्य प्रश्नगत कथन सही हैं।
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65. निम्नलिखित में से कौन-से अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत प्रवर्तित किए जा सकते हैं?
(a) संवैधानिक अधिकार
(b) मौलिक अधिकार
(c) सांविधिक अधिकार
(d) उपरोक्त सभी
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (b) मौलिक अधिकार
- मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रवर्तित कराए जा सकते हैं।
- यह अनुच्छेद मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए संवैधानिक उपचारों का प्रावधान करता है।
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66. निम्नलिखित में से किस एक अधिकार को डॉ. बी. आर. अम्बेडकर द्वारा संविधान की आत्मा कहा गया है?
(a) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
(b) संपत्ति का अधिकार
(c) समानता का अधिकार
(d) संवैधानिक उपचार का अधिकार
[I.A.S. (Pre) 2002, U.P. P.S.C. (GIC) 2010, U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004,U.P.U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010]
उत्तर- (d) संवैधानिक उपचार का अधिकार
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 अर्थात संवैधानिक उपचारों के अधिकार को ‘संविधान की आत्मा’ कहा है।
- उनका कथन है- “यदि मुझसे पूछा जाए कि संविधान में कौन-सा विशेष अनुच्छेद सबसे महत्वपूर्ण है, जिसके बिना यह संविधान शून्य हो जाएगा, तो मैं इसके सिवाय किसी दूसरे अनुच्छेद का नाम नहीं लूंगा।
- यह संविधान की आत्मा है”।
- यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि संविधान की उद्देशिका को भी संविधान की आत्मा माना गया है।
- संविधान का अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचार का अधिकार प्रदान करता है।
- इसका उद्देश्य मूल अधिकारों के संरक्षण हेतु गारंटी तथा प्रभावी, सुलभ और संज्ञेय उपचारों की व्यवस्था करना है।
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67. भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत भारत का उच्चतम न्यायालय नागरिकों के मूल अधिकारों के प्रवर्तन के लिए विभिन्न ‘रिट’ जारी करने का अधिकार रखता है?
(a) अनुच्छेद 32
(b) अनुच्छेद 33
(c) अनुच्छेद 132
(d) अनुच्छेद 226
[Jharkhand P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (a) अनुच्छेद 32
- भारतीय संविधान के भाग III द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत सांविधानिक उपचारों का अधिकार प्रदान किया गया है।
- इस अनुच्छेद के खंड (2) के तहत भारत के उच्चतम न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए विभिन्न ‘रिट’ (बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार-पृच्छा और उत्प्रेषण) निकालने की शक्ति है।
- अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को अपने राज्यक्षेत्र के संदर्भ में भाग III द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए और किसी अन्य प्रयोजन के लिए विभिन्न ‘रिट’ निकालने का अधिकार है।
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68. निम्नलिखित में से किस एक प्रलेख को किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का महानतम रक्षक माना जाता है?
(a) परमादेश
(b) बंदी प्रत्यक्षीकरण
(c) उत्प्रेषण
(d) प्रतिषेध
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]
उत्तर- (b) बंदी प्रत्यक्षीकरण
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत उच्चतम न्यायालय को मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए पांच प्रकार के रिट (प्रलेख) जारी करने की शक्ति प्राप्त है- (i) बंदी प्रत्यक्षीकरण, (ii) परमादेश, (iii) प्रतिषेध, (iv) उत्प्रेषण और (v) अधिकार-पृच्छा।
- बंदी प्रत्यक्षीकरण प्रलेख को किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का महानतम रक्षक माना जाता है।
- यह उस व्यक्ति के संबंध में न्यायालय द्वारा जारी आदेश है, जिसे दूसरे के द्वारा हिरासत में रखा गया है।
- इसके द्वारा बंदीकरण अधिकारी को आदेश दिया जाता है कि बंदी व्यक्ति को निश्चित समय के अंदर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे।
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69. व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए उच्च न्यायालय निम्नलिखित में से किस रिट को जारी कर सकता है ?
(a) परमादेश
(b) अधिकार-पृच्छा
(c) बंदी प्रत्यक्षीकरण
(d) प्रतिषेध
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]
उत्तर- (c) बंदी प्रत्यक्षीकरण
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अनुसार, उच्च न्यायालय व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) रिट को जारी कर सकता है।
- बंदी प्रत्यक्षीकरण का अर्थ है व्यक्ति को सशरीर उपस्थित करने की मांग। यह उस मामलों में लागू होती है, जहां किसी व्यक्ति के बारे में कहा जाता है कि उसे अवैध रूप से निरुद्ध किया गया है।
- यदि निरोध को अवैध पाया जाता है, तो निरुद्ध व्यक्ति को तत्क्षण आजाद कर दिया जाता है।
- चूंकि 44वें संविधान संशोधन के बाद अनुच्छेद 20 एवं 21 का आपात की घोषणा के काल में भी निलंबन नहीं किया जा सकता, अतः व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वातंत्र्य की सुरक्षा के लिए यह एक अति महत्वपूर्ण रिट हो गई है।
- उल्लेखनीय है कि जहां उच्चतम न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट को केवल मूल अधिकारों के उल्लंघन की दशा में राज्य के विरुद्ध जारी कर सकता है, वहीं उच्च न्यायालय उसे उन व्यक्तियों के खिलाफ भी जारी कर सकता है, जो अवैध या मनमाने ढंग से किसी अन्य व्यक्ति को निरुद्ध करते हैं।
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70. व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के लिए निम्नलिखित में से कौन-सी रिट (writ) याचिका दायर की जा सकती है?
(a) मैन्डमस
(b) को-वारंटो
(c) हैबियस कार्पस
(d) सर्टिओरेरी
[M.P.P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (c) हैबियस कार्पस
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अनुसार, उच्च न्यायालय व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) रिट को जारी कर सकता है।
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71. सुमेलित कीजिए।
A. बंदी प्रत्यक्षीकरण |
(i) पूर्णतया सूचित कीजिए |
B. परमादेश |
(ii) किस अधिकार से |
C. प्रतिषेध |
(iii) हम आदेश देते हैं |
D. उत्प्रेषण |
(iv) हमें शरीर चाहिए |
E. अधिकार पृच्छा |
(v) अधीनस्थ न्यायालय का लेख |
A, B, C, D, E
(a) ii, iv, v, iii, i
(b) iv, iii, v, ii, i
(c) iv, iii, v, i, ii
(d) iv, v, iii, i, ii
(e) iii, ii, i, v, iv
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (c) iv, iii, v, i, ii
- सही सुमेलित हैं-
बंदी प्रत्यक्षीकरण – हमें शरीर चाहिए
परमादेश – हम आदेश देते हैं
प्रतिषेध – अधीनस्थ न्यायालय का लेख
उत्प्रेषण – पूर्णतया सूचित कीजिए
अधिकार पृच्छा – किस अधिकार से
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72. निम्नांकित में से कौन-सा सही सुमेलित नहीं है?
(a) बंदी प्रत्यक्षीकरण – ‘टू हैव दि बॉडी ऑफ’
(b) परमादेश – ‘वी कमाण्ड’
(c) प्रतिषेध – ‘टू बी सर्टिफाइड’
(d) अधिकार पृच्छा – ‘बाई व्हाट अथॉरिटी’
[U.P. P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (c) प्रतिषेध – ‘टू बी सर्टिफाइड’
- ‘टू बी सर्टिफाइड’ उत्प्रेषण रिट के लिए प्रयुक्त शब्दार्थ है, न कि प्रतिषेध रिट के लिए। शेष युग्म सही सुमेलित हैं।
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73. निम्नलिखित सवैधानिक उपचारों में से किसे ‘पोस्टमार्टम’ भी कहा जाता है?
(a) प्रतिषेध
(b) परमादेश
(c) उत्प्रेषण
(d) अधिकार-पृच्छा
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
[65th B.P.S.C. (Pre) 2019]
उत्तर- (e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
- उत्प्रेषण रिट में उच्च और उच्चतम न्यायालय अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा दिए गए किसी निर्णय की पुनः परीक्षा (Re-examination) करते है।
- यह कार्य एक तरह का पोस्टमार्टम ही है।
- इसके अतिरिक्त जब न्यायालय को लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर नियुक्त हो गया है, जिस पर उसका कोई कानूनी हक नहीं है, तब न्यायालय अधिकार पृच्छा आदेश के द्वारा उसे उस पद पर कार्य करने से रोक देता है।
- इस रिट में भी पोस्टमार्टम का भाव निहित है। अतः इसका उपयुक्त उत्तर (c) होना चाहिए।
- जबकि आयोग ने विकल्प (d) को ही सही माना है।
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74. एक ऐसी याचिका जो न्यायपालिका द्वारा जारी की जाती है तथा जिसमें कार्यपालिका से कहा जाता है कि वह, ऐसा कार्य करे जो उसे प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत करना चाहिए था, उस रिट (याचिका) को कहा जाता है
(a) हैबियस कार्पस
(b) मैंडमस
(c) प्रोहिबिशन
(d) को-वारण्टो
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001]
उत्तर- (b) मैंडमस
- मैंडमस (परमादेश) का आशय है- हम आदेश देते हैं। इस प्रकार इस याचिका (रिट) द्वारा कार्यपालिका से उस कार्य को करने के लिए कहा जाता है, जो उसे प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत (अपने दायित्व के निर्वहन हेतु) करना चाहिए।
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75. सूची-1 (भारतीय संविधान का अनुच्छेद) को सूची-II (प्रावधान) के साथ सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
सूची-1 (भारतीय संविधान का अनुच्छेद) |
सूची-II (प्रावधान) |
A. अनुच्छेद 16(2) |
1. किसी भी व्यक्ति को कानून के प्राधिकार के सिवाय उसकी संपत्ति से वंचित नहीं |
B. अनुच्छेद 29(2) |
2. किसी भी व्यक्ति के साथ उसके वंश, धर्म अथवा जाति के आधार पर सार्वजनिक नियुक्ति के मामले में भेदभाव नहीं |
C. अनुच्छेद 30 (1) |
3. सभी अल्पसंख्यकों को, चाहे वे धर्म के आधार पर हों या भाषा के आधार पर, अपनी पसंद की शैक्षिक संस्थाएं स्थापित करने और उन्हें संचालित करने का मौलिक अधिकार होगा। |
D. अनुच्छेद 31 (1) |
4. किसी भी नागरिक को धर्म, वंश, जाति, भाषा या इनमें से किसी भी आधार पर राज्य द्वारा संपोषित अथवा राज्य से सहायता प्राप्त करने वाली किसी भी शैक्षिक संस्था में प्रवेश से वंचित नहीं जाएगा। |
कूटः
(a) A-2, B-4, C-3, D-1
(b) A-3, B-1, C-2, D-4
(c) A-2, B-1, C-3, D-4
(d) A-2, B-4, C-2, D-1
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर- (a) A-2, B-4, C-3, D-1
- अनुच्छेद 16 (2): किसी भी व्यक्ति के साथ केवल उसके धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, उद्भव, जन्मस्थान, निवास या इनमें से किसी के आधार पर सार्वजनिक नियुक्ति के मामले में भेदभाव नहीं किया जा सकता।
- अनुच्छेद 29 (2): किसी भी नागरिक को धर्म, वंश, जाति, भाषा या इनमें से किसी भी आधार पर राज्य द्वारा संपोषित अथवा राज्य से सहायता प्राप्त करने वाली किसी भी शैक्षिक संस्था में प्रवेश से वंचित नहीं किया जाएगा।
- अनुच्छेद 30 (1): सभी अल्पसंख्यकों को, चाहे वे धर्म के आधार पर हों या भाषा के आधार पर, अपनी पसंद की शैक्षिक संस्थाएं स्थापित करने और उन्हें संचालित करने का मौलिक अधिकार होगा।
- अनुच्छेद 31 (1): किसी भी व्यक्ति को कानून के प्राधिकार के सिवाय उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा।
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76. निम्न में से कौन सही सुमेलित नहीं है?
मौलिक अधिकार अनुच्छेद
(a) अस्पृश्यता का अंत – अनु. 17
(b) गिरफ्तारी एवं निरोध के विरुद्ध संरक्षण – अनु. 23
(c) धर्म की स्वतंत्रता – अनु. 25
(d) अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण – अनु. 29
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) (Re-Exam) 2016]
उत्तर- (b) गिरफ्तारी एवं निरोध के विरुद्ध संरक्षण – अनु. 23
- सही सुमेलित हैं-
मौलिक अधिकार अनुच्छेद
अस्पृश्यता का अंत अनु. 17
कुछ दशाओं में गिरफ्तारी एवं निरोध से संरक्षण अनु. 22
धर्म की स्वतंत्रता अनु. 25
अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण अनु. 29
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77. सूची-1 को सूची-II से मेल कीजिए और नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए-
सूची-1 |
सूची-II |
A. उपाधियों का निषेध |
1. अनुच्छेद 29 |
B. धार्मिक मामलों के प्रबंध की स्वतंत्रता |
2. अनुच्छेद 21 क |
C. अल्पसंख्यकों की भाषा का संरक्षण |
3. अनुच्छेद 18 |
D. शिक्षा का अधिकार |
4. अनुच्छेद 26 |
कूट :
A, B, C, D
(a) 3, 2, 1, 4
(b) 4, 3, 2, 1
(c) 2, 3, 4, 1
(d) 3, 4, 1, 2
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2016, U.P. B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर- (d) 3, 4, 1, 2
- सही सुमेलन इस प्रकार है-
सूची-1 |
सूची-II |
उपाधियों का निषेध |
अनुच्छेद 18 |
धार्मिक मामलों के प्रबंध की स्वतंत्रता |
अनुच्छेद 26 |
अल्पसंख्यकों की भाषा का संरक्षण |
अनुच्छेद 29 |
शिक्षा का अधिकार |
अनुच्छेद 21क |
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78. सुमेलित कीजिए:
सूची-1 |
सूची-II |
A. मौलिक कर्तव्य |
1. मिनर्वा मिल केस |
B. संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है |
2. संविधान का अनुच्छेद 23 |
C. मूल ढांचे का सिद्धांत |
3. संविधान का 42वां संशोधन |
D. इंसानों के अनैतिक व्यापार का निषेध |
4. केशवानंद भारती केस |
कूट :
A, B, C, D
(a) 3, 4, 1, 2
(b) 4, 3, 2, 1
(c) 2, 1, 4, 3
(d) 1, 2, 3, 4
[U.P.P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर- (a) 3, 4, 1, 2
- सही सुमेलन इस प्रकार है-
मौलिक कर्तव्य – संविधान का 42वां संशोधन
संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है – केशवानंद भारती केस
मूल ढांचे का सिद्धांत – मिनर्वा मिल केस
इंसानों के अनैतिक व्यापार का निषेध – संविधान का अनुच्छेद 23
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79. किस वाद ने संसद को मौलिक अधिकारों में संशोधन का अधिकार दिया?
(a) केशवानंद भारती वाद
(b) राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी वाद
(c) गोलकनाथ वाद
(d) सज्जन कुमार वाद
[M.P.P.C.S. (Pre) 1991]
उत्तर- (a) केशवानंद भारती वाद
- उच्चतम न्यायालय ने सर्वप्रथम वर्ष 1951 में शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ वाद तथा तत्पश्चात वर्ष 1965 में सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य के वाद में अभिनिर्धारित किया कि संसद संविधान द्वारा प्रदत्त मूलाधिकारों में संशोधन कर सकती है।
- तदनंतर वर्ष 1967 में गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य वाद में उच्चतम न्यायालय ने शंकरी प्रसाद एवं सज्जन कुमार वाद के विपरीत संसद द्वारा मूलाधिकारों में संशोधन पर रोक लगाने का निर्णय दिया।
- चूंकि वर्तमान में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद के निर्णय के आधार पर संसद को मूलाधिकारों में संशोधन की शक्ति (सीमित) प्राप्त है, अतः विकल्प (a) को अभीष्ट उत्तर के रूप में चिह्नित किया गया है।
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य, 1973 के वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि संसद की संविधान संशोधन शक्ति विस्तृत है किंतु असीमित नहीं और वह मूल अधिकारों का संशोधन तो कर सकती है, किंतु वह संविधान के आधारभूत तत्वों को परिवर्तित नहीं कर सकती।
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80. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान की मूल संरचना सिद्धांत (बुनियादी ढांचा सिद्धांत) का प्रतिपादन निम्नलिखित में से किस मुकदमे में किया है?
(a) गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
(b) सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य
(c) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
(d) शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2013]
उत्तर- (c) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के वाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान की मूल संरचना (बुनियादी ढांचा) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया था, जिसका अनुमोदन मिनर्वा मिल्स (1980) के वाद में भी किया गया।
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81. मूल अधिकारों से संबंधित निम्नांकित निर्णयों का सही कालानुक्रम चुनिए :
(A) गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
(B) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
(C) मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ
(D) ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) (D), (B), (C), (A)
(b) (A), (B), (C), (D)
(c) (D), (A), (B), (C)
(d) (D), (C), (B), (A)
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (c) (D), (A), (B), (C)
- मूल अधिकारों से संबंधित निर्णयों का सही कालानुक्रम इस प्रकार है-
(D) ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950)
(A) गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
(B) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
(C) मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980)
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82. भारत में संपत्ति के अधिकार की क्या स्थिति है?
(a) यह विधिक अधिकार है, जो केवल नागरिकों को प्राप्त है।
(b) यह विधिक अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति को प्राप्त है।
(c) यह मूल अधिकार है, जो केवल नागरिकों को प्राप्त है।
(d) यह न तो मूल अधिकार है, न ही विधिक अधिकार।
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (b) यह विधिक अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति को प्राप्त है।
- 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के भाग 12 (वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद) के अध्याय 4 (संपत्ति का अधिकार) के रूप में अंतःस्थापित किया गया है।
- इसके अनुच्छेद 300-क (विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना) के अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।
- अतः यह स्पष्ट है कि वर्तमान में भारत में संपत्ति का अधिकार एक विधिक या कानूनी अधिकार है, जो किसी भी व्यक्ति (नागरिक या गैर-नागरिक) को प्राप्त है।
- उल्लेखनीय है कि नई एनसीईआरटी के अद्यतन संस्करण में संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार के रूप में उल्लिखित किया गया है।
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83. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. अनुच्छेद 301 संपत्ति के अधिकार से संबद्ध है
2. संपत्ति का अधिकार एक विधिक अधिकार है, किंतु यह मूल अधिकार नहीं
3. भारत के संविधान में अनुच्छेद 300-क को उस समय केंद्र में कांग्रेस सरकार द्वारा 44 वें संविधान संशोधन से अंतःस्थापित किया गया था।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही हैं?
(a) केवल 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2005]
उत्तर- (a) केवल 2
- अनुच्छेद 301 व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता से संबंधित है न कि संपत्ति के अधिकार से।
- अतः कथन-1 गलत है। 44वें संशोधन (1978) के पश्चात संपत्ति का अधिकार एक विधिक अधिकार है न कि मूल अधिकार। इस संशोधन द्वारा संपत्ति का अधिकार भाग 12 के अनुच्छेद 300-क में विधिक अधिकार के रूप में प्रतिस्थापित किया गया है।
- अतः कथन-2 सत्य है। भारतीय संविधान का 44वां संशोधन (1978) तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार द्वारा किया गया था, अतः कथन-3 गलत है।
- इस प्रकार विकल्प (a) सही उत्तर होगा।
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84. निम्नलिखित में से किसके द्वारा संपत्ति के मूल अधिकार का लोप किया गया?
(a) संविधान (चालीसवां संशोधन) अधिनियम द्वारा
(b) संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम द्वारा
(c) संविधान (चौवालीसवां संशोधन) अधिनियम द्वारा
(d) संविधान (छियालीसवां संशोधन) अधिनियम द्वारा
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Mains) 2010]
उत्तर- (c) संविधान (चौवालीसवां संशोधन) अधिनियम द्वारा
- संविधान के 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 (20-6-1979 से प्रभावी) द्वारा संपत्ति के मूल अधिकार का लोप किया गया तथा इसे विधिक या कानूनी अधिकार का दर्जा दिया गया।
- तत्समय मोरारजी देसाई जनता पार्टी शासन में प्रधानमंत्री थे।
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85. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त छः मूल अधिकारों में से नहीं है?
(a) समानता का अधिकार
(b) विरोध का अधिकार
(c) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(d) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
[U.P.P.C.S. (Mains) 2015]
उत्तर- (b) विरोध का अधिकार
- भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त 6 मूल अधिकारों के अंतर्गत विरोध का अधिकार शामिल नहीं है।
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86. भारतीय संविधान निम्न में से कौन-सा अधिकार प्रदान नहीं करता है?
(a) समान आवास का अधिकार
(b) समानता का अधिकार
(c) धर्म पालन करने का अधिकार
(d) स्वतंत्रता का अधिकार
[M.P. P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर- (a) समान आवास का अधिकार
- भारतीय संविधान द्वारा समानता का अधिकार (अनु. 14-18), धर्म पालन करने का अधिकार (अनु. 25-28) तथा स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 19-22) तो प्रदान किया गया है, परंतु समान आवास के अधिकार का इसमें उल्लेख नहीं है।
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87. निम्नलिखित में से कौन-सा मूल अधिकार भारतीय संविधान में नागरिकों को नहीं दिया गया है?
(a) देश के किसी भी भाग में बसने का अधिकार
(b) लिंग समानता का अधिकार
(c) सूचना का अधिकार
(d) शोषण के विरुद्ध अधिकार
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2003]
उत्तर- (c) सूचना का अधिकार
- सूचना का अधिकार मूल अधिकार के रूप में भारतीय संविधान में नागरिकों को प्रत्यक्षतः नहीं दिया गया है।
- यह एक विधिक अधिकार है, जिसे सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत नागरिकों को प्रदान किया गया है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णयों में इसे वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार [अनुच्छेद 19 (1) (क)] में सन्निहित माना है, अतः इसे मूल अधिकार माना जाता है तथापि इसका संविधान में लिखित रूप से उल्लेख नहीं है।
- प्रश्नगत अन्य तीनों अधिकार भारतीय संविधान के तहत मूल अधिकारों में शामिल हैं।
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88. निम्नलिखित वक्तव्यों पर ध्यान दीजिए –
किसी को राष्ट्रगीत गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता क्योंकि-
1. इससे वाक् स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य के अधिकार का उल्लंघन होगा
2. इससे अंतःकरण की और धर्म के अबाध रूप से आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होगा
3. राष्ट्रगीत गाने के लिए किसी को बाध्य करने वाला कोई विधिक उपबंध नहीं
इन वक्तव्यों में से-
(a) 1 और 2 सही है
(b) 2 और 3 सही हैं
(c) 1, 2 और 3 सही हैं
(d) कोई भी सही नहीं हैं
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर- (c) 1, 2 और 3 सही हैं
- ‘बिजोई इमैनुअल बनाम केरल राज्य’ (A.I.R. 1986) के वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि किसी को भी राष्ट्रगीत गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, यदि उसका धार्मिक विश्वास ऐसा करने की अनुमति नहीं देता है।
- राष्ट्रगीत गाने के लिए बाध्य करना वाक् स्वातंत्र्य का उल्लंघन होगा।
- न्यायालय ने निर्णय दिया कि ऐसा कानून नहीं है, जिसके अधीन उन्हें राष्ट्रगीत गाने के लिए बाध्य किया जा सके।
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89. उन मौलिक अधिकारों का चयन करें, जो भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं, परंतु गैर-नागरिकों को नहीं –
1. भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
II. कानून के समक्ष समता
III. अल्पसंख्यकों के अधिकार
IV. जीवन और स्वतंत्रता का संरक्षण
(a) I और III
(b) I और IV
(c) II और IV
(d) II और III
(e) उपरोक्त में से कोई नहीं/ उपरोक्त में से एक से अधिक
[60th-62nd B.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (a) I और III
- भारतीय संविधान के भाग 3 में वर्णित मौलिक अधिकारों के तहत अनुच्छेद 19- भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा अनुच्छेद 29- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण मात्र भारतीय नागरिकों को प्राप्त है, यह गैर- नागरिकों (विदेशी) को प्राप्त नहीं हैं, जबकि अनुच्छेद 14- कानून के समक्ष समानता का अधिकार और अनुच्छेद 21-जीवन और स्वतंत्रता का संरक्षण भारतीय नागरिकों तथा विदेशियों सभी व्यक्तियों को प्राप्त हैं।
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90. निम्नलिखित में से कौन-सा मूल अधिकार विदेशी नागरिकों को प्राप्त नहीं है?
(a) विधि के समक्ष समानता
(b) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
(c) प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार
(d) शोषण के विरुद्ध अधिकार
[U.P.P.C.S. (Pre) 2007, U.P. P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]
उत्तर- (b) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
- भारत में कुछ मूलाधिकार नागरिकों और विदेशियों दोनों को समान रूप से उपलब्ध हैं, जो इस प्रकार हैं-
- 1. विधि के समक्ष समता (अनु. 14)
- 2. अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (अनु. 20)
- 3. प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण (अनु. 21)
- 4. शिक्षा का अधिकार (अनु. 21 क)
- 5. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनु. 23 और 24)
- 6. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 25, 26, 27 और 28)
- अतः स्पष्ट है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 19) भारत में विदेशी नागरिकों को प्राप्त नहीं है, अपितु केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
- इसलिए विकल्प (b) सही उत्तर है।
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91. भारतीय संविधान के अंतर्गत निम्नलिखित अधिकारों में से कौन-सा एक अधिकार सभी व्यक्तियों को प्राप्त है?
(a) विधि के समान संरक्षण का अधिकार
(b) भेदभाव के विरुद्ध अधिकार
(c) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
(d) सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार
[U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर- (a) विधि के समान संरक्षण का अधिकार
- भारतीय संविधान के अंतर्गत अनु. 14 के तहत प्रदत्त विधि के समान संरक्षण का अधिकार भारत में नागरिकों सहित सभी व्यक्तियों को प्राप्त है, जबकि प्रश्नगत अन्य तीनों अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है।
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92. निम्नांकित अधिकारों में से कौन-से अधिकार भारत में सभी व्यक्तियों को उपलब्ध नहीं हैं?
1. विधि के समक्ष समानता
2. भेदभाव के विरुद्ध अधिकार
3. देश भर में स्वतंत्र भ्रमण की स्वतंत्रता
4. चुनाव लड़ने का अधिकार
नीचे दिए गए कूट का उपयोग कर अपना उत्तर दीजिए
कूट :
(a) 1,3, 4
(b) 1, 2,4
(c) 1, 2, 3
(d) 2, 3, 4
[U.P.P.C.S. (Mains) 2002]
उत्तर- (d) 2, 3, 4
- संविधान के अनु. 14 में उल्लिखित विधि के समक्ष समानता का मौलिक अधिकार भारत में नागरिकों सहित सभी व्यक्तियों को उपलब्ध है, जबकि प्रश्नगत अन्य तीनों अधिकार मात्र भारतीय नागरिकों को ही उपलब्ध हैं।
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93. भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त निम्न में से कौन-सा अधिकार गैर- नागरिकों को भी उपलब्ध है?
(a) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
(b) देश के किसी भाग में घूमने एवं बसने का अधिकार
(c) संपत्ति अर्जित करने का अधिकार
(d) संवैधानिक निराकरण का अधिकार
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2011 53-55th B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर- (d) संवैधानिक निराकरण का अधिकार
- भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त संवैधानिक निराकरण या संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनु. 32) गैर-नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों के संदर्भ में उन्हें उपलब्ध है।
- अन्य तीनों अधिकार केवल देश के नागरिकों को ही उपलब्ध हैं।
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94. भारत में रहने वाला ब्रिटिश नागरिक दावा नहीं कर सकता-
(a) व्यापार और व्यवसाय की स्वतंत्रता के अधिकार का
(b) विधि के समक्ष समता के अधिकार का
(c) जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के अधिकार का
(d) धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (a) व्यापार और व्यवसाय की स्वतंत्रता के अधिकार का
- भारत में रहने वाला ब्रिटिश नागरिक व्यापार और व्यवसाय की स्वतंत्रता के अधिकार [अनुच्छेद 19 (1) (छ)] का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि यह अधिकार केवल भारत के नागरिकों को प्राप्त है।
- ज्ञातव्य है कि अनुच्छेद 19 (वाक्-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण) का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
- प्रश्नगत अन्य तीनों अधिकार सभी व्यक्तियों (नागरिकों एवं गैर-नागरिकों) को प्राप्त हैं।
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95. भारत के किसी धार्मिक संप्रदाय / समुदाय को यदि राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा दिया जाता है, तो वह किस/किन विशेष लाभ लाभों का हकदार हो जाता है?
1. यह संप्रदाय समुदाय विशेष शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और संचालन कर सकता है।
2. भारत के राष्ट्रपति स्वयंमेव इस संप्रदाय / समुदाय के एक प्रतिनिधि को लोक सभा में मनोनीत कर देते हैं।
3. यह संप्रदाय / समुदाय प्रधानमंत्री के 15 प्वाइंट कार्यक्रम के लाभ प्राप्त कर सकता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा कौन-से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S (Pre) 2011]
उत्तर- (c) केवल 1 और 3
- भारतीय संविधान में मूल अधिकारों के तहत अनु. 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार दिया गया है।
- वर्ष 2006 से केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक वर्गों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री का 15-सूत्री कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।
- भारत में किसी धार्मिक संप्रदाय / समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा प्राप्त होने पर उपर्युक्त दो लाभ प्राप्त हो जाते हैं।
- परंतु लोक सभा में राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 331 के तहत, मनोनयन केवल एंग्लो-इंडियन समुदाय से दो सदस्यों का किया जा सकता था (यह प्रावधान भी 104 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 से निष्प्रभावी हो गया है)। इस प्रकार उचित विकल्प (c) है।
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96. बंधुआ मजदूर (उन्मूलन) अधिनियम संसद ने पारित किया था-
(a) 1971 में
(b) 1976 में
(c) 1979 में
(d) 1981 में
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001, U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010]
उत्तर- (b) 1976 में
- बंधुआ मजदूरी प्रथा (उन्मूलन) अध्यादेश 25 अक्टूबर, 1975 को जारी किया गया तथा इसी तिथि से प्रभावी हुआ।
- इसका स्थान बाद में बंधुआ मजदूरी प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 ने ले लिया, जिसका उद्देश्य (अनुच्छेद 23 के परिप्रेक्ष्य में) केवल बंधुआ श्रमिकों को मुक्त करना ही नहीं, अपितु उनके पुनर्वास की व्यवस्था भी करना है।
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97. जोखिम भरे उद्योगों में बाल श्रम का उपयोग निषिद्ध किया गया है
(a) भारत के संविधान द्वारा
(b) 10 दिसंबर, 1996 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय द्वारा
(c) संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा
(d) उपर्युक्त सभी के द्वारा
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2002, U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2003]
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी के द्वारा
- जोखिम भरे उद्योगों में बाल श्रम का उपयोग सर्वत्र निषिद्ध है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 द्वारा भी इसे निषिद्ध किया गया है।
- एम.सी. मेहता बनाम तमिलनाडु राज्य (A.I.R 1996) के निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को जोखिमपूर्ण बाल श्रम से निषिद्ध किया है।
- संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा भी इसे निषिद्ध किया गया है।
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98. पूर्ति कीजिए: ‘______ बिना कर्तव्य के उसी प्रकार है, जैसे मनुष्य बिना परछाई के।’
(a) विश्वास
(b) अधिकार
(c) नैतिकता
(d) कार्य
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (b) अधिकार
- अर्नेस्ट बार्कर का कथन है कि ‘अधिकार बिना कर्तव्य के उसी प्रकार है, जैसे मनुष्य बिना परछाई के’।
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99. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा अधिकारों और कर्तव्यों के बीच सही संबंध है?
(a) अधिकार कर्तव्यों के साथ सह-संबंधित हैं।
(b) अधिकार व्यक्तिगत हैं, अतः समाज और कर्तव्यों से स्वतंत्र है।
(c) नागरिक के व्यक्तित्व के विकास के लिए अधिकार, न कि कर्तव्य महत्वपूर्ण हैं।
(d) राज्य के स्थायित्व के लिए कर्तव्य, न कि अधिकार महत्वपूर्ण हैं।
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) अधिकार कर्तव्यों के साथ सह-संबंधित हैं।
- भारत के संदर्भ में अधिकार और कर्तव्य एक ही वस्तु के दो चरण हैं।
- मानव व्यक्तित्व के विकास के लिए अधिकार महत्वपूर्ण होते हैं।
- ये किसी व्यक्ति को स्वतंत्र कार्य करने हेतु पर्याप्त क्षेत्र उपलब्ध कराते हैं और इस तरह आत्म-विकास का आधार निर्मित करते हैं।
- यद्यपि लोकतांत्रिक व्यवस्था में अधिकारों की विशेष महत्ता है, लेकिन कर्तव्यों की अनुपस्थिति में ये अर्थहीन होते हैं।
- एक व्यक्ति के पास अधिकार हैं, तो उसे अच्छे कार्यों में अपना योगदान देना चाहिए। व्यक्ति को असामाजिक कार्यों को करने का अधिकार नहीं है।
- व्यक्ति के अधिकार, समाज पर उसके दावे को प्रदर्शित करते हैं, जबकि कर्तव्यों से व्यक्ति पर समाज के दावे का संकेत मिलता है।
- अतः भारत के संदर्भ में अधिकार, कर्तव्यों के साथ सह-संबंधित हैं।
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100. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही है?
(a) अधिकार नागरिकों के विरुद्ध राज्य के दावे हैं।
(b) अधिकार वे विशेषाधिकार हैं, जो किसी राज्य के संविधान में समाविष्ट हैं।
(c) अधिकार राज्य के विरुद्ध नागरिकों के दावे हैं।
(d) अधिकार अधिकांश लोगों के विरुद्ध कुछ नागरिकों के विशेषाधिकार हैं।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) अधिकार राज्य के विरुद्ध नागरिकों के दावे हैं।
- अधिकार मानव व्यक्तित्व के समग्र विकास की अनिवार्य अपेक्षाएं हैं।
- इनके अभाव में मानव का बौद्धिक, नैतिक, आध्यात्मिक तथा लौकिक उत्थान बाधित हो जाएगा एवं मानव जीवन पशुवत हो जाएगा।
- अधिकार, राज्य शक्ति पर सीमाएं हैं। यह राज्य कार्यवाही (State action) के विरुद्ध प्रत्याभूति (Guarantee) है।
- अतः अधिकार राज्य के विरुद्ध नागरिकों के दावे हैं।
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101. ‘सेवा के अधिकार’ की अवधारणा प्रारंभ हुई-
(a) संयुक्त राज्य अमेरिका में
(b) स्विट्जरलैंड में
(c) ग्रेट ब्रिटेन में
(d) चीन में
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (c) ग्रेट ब्रिटेन में
- सेवा के अधिकार की अवधारणा वर्ष 1991 में ग्रेट ब्रिटेन (यूनाइटेड किंगडम) में प्रारंभ हुई।
- इसका तात्पर्य उस अधिकार से है, जिसके तहत राज्य एक निश्चित अवधि के अंदर लोक सेवाएं देने की गारंटी देता है। इसे ‘सिटिजन चार्टर’ भी कहा जाता है।
- भारत में केंद्रीय स्तर पर ऐसा कानून बनाने का प्रयास ‘द राइट ऑफ सिटिजन फॉर टाइम बाउंड डिलिवरी ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज एंड रिड्रेसल ऑफ देयर ग्रीवान्सेज बिल, 2011 के माध्यम से किया गया, किंतु वह पारित नहीं हो सका।
- हालांकि मध्य प्रदेश ‘सेवा का अधिकार अधिनियम’ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना।
- इसने यह कानून 25 सितंबर, 2010 को लागू किया। दूसरा स्थान बिहार राज्य का है, जहां यह कानून 15 अगस्त, 2011 को लागू किया गया।
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