फ्री स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन (FSOC) : ग्रामीण भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने में इस तकनीक की क्षमताओं पर चर्चा
प्रश्न: फ्री स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन (FSOC) प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते हैं? भारत में ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ने में इसकी क्षमताओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
दृष्टिकोण
- परिचय में, फ्री स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन (FSOC) को परिभाषित कीजिए।
- ग्रामीण भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने में इस तकनीक की क्षमताओं पर चर्चा कीजिए।
- संभावित चुनौतियों और उपायों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर
फ्री स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन (FSOC), एक लाइन ऑफ साइट (LOS) ऑप्टिकल कम्युनिकेशन प्रौद्योगिकी है। इसके अंतर्गत फ्री स्पेस में प्रकाश के संचरण द्वारा डेटा का संप्रेषण किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप ऑप्टिकल कनेक्टिविटी स्थापित होती है। इसकी कार्यप्रणाली ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) नेटवर्क के समान होती है, किन्तु इनके मध्य अंतर यह है कि इसमें ऑप्टिकल बीम्स को ग्लास फाइबर के स्थान पर वायु, बाह्य अंतरिक्ष अथवा निर्वात के माध्यम से भेजा जाता है। यह प्रौद्योगिकी उन स्थानों पर उपयोगी होती है जहां उच्च लागत या अन्य कारकों के कारण भौतिक संपर्क (फिजिकल कनेक्शन) स्थापित करना अव्यावहारिक होता है।
भारत में ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के लिए संभावनाः
- यह हाई बैंडविड्थ प्रदान करता है और इसके लिए किसी प्रकार के स्पेक्ट्रम लाइसेंस की आवश्कता नहीं होती है, जिससे आंतरिक क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं प्रदान करना आसान होता है।
- इसे कम आरंभिक निवेश की आवश्यकता होती है और यह एक फ्लेक्सिबल नेटवर्क है जो ब्रॉडबैंड की तुलना में उच्च गति प्रदान करता है।
- लेजर बीम के अत्यंत संकीर्ण होने के कारण किसी क्षेत्र विशेष में असीमित संख्या में FSO लिंक्स की स्थापना की जा सकती है।
- लाइन ऑफ साइट ऑपरेशन के कारण यह एक सुरक्षित प्रणाली है, अत: किसी प्रकार के सुरक्षा उन्नयन की आवश्यकता नहीं होती हैं।
- इलेक्ट्रोमैग्नेटिक व रेडियो मैग्नेटिक व्यवधान FSO लिंक में ट्रांसमिशन को प्रभावित नहीं कर सकते हैं।
चुनौतियाँ:
- FSO में ट्रांसमिशन, माध्यम पर निर्भर होता है और इस प्रकार वर्षा, कुहरा और धुंध जैसे वायुमंडलीय कारक डेटा के ट्रांसमिशन को प्रभावित कर सकते हैं।
- उड़ते हुए पक्षी और वृक्ष इत्यादि भौतिक अवरोध लाइन ऑफ़ साइट में उपस्थित सिंगल बीम के ट्रांसमिशन को अवरुद्ध कर सकते हैं। इस प्रणाली के लिए उच्च विद्युत उपभोग की आवश्यकता है जिसकी उपलब्धता ग्रामीण भारत में कठिन है।
- ट्रांसमिटेड ऑप्टिकल सिग्नल विभिन्न कारकों से प्रभावित होता है। इनमें मिसअलाइनमेंट एरर, जियोमेट्रिक लॉस तथा पार्श्व प्रकाश स्रोतों से उत्पन्न व्यवधान के कारण क्षीणकारी क्षतियाँ (attenuation losses) सम्मिलित हैं।
FSO संचार प्रणाली और उसके अनुप्रयोग इसे भारत में ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी बनाते हैं, किन्तु माध्यम के कारण उत्पन्न अटेनुएशन को कम करने के लिए प्रणाली की स्थापना से पूर्व अतिरिक्त सावधानी और माध्यम के पूर्व-अध्ययन की आवश्यकता है।
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