भारत में सूक्ष्म सिंचाई : प्रोत्साहन हेतु सरकार द्वारा उठाए गए उपाय

प्रश्न: एक जल-संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, भारत में सूक्ष्म सिंचाई की पैठ उप-इष्टतम (सब-ऑप्टीमल) बनी हुई है। इसके पीछे उत्तरदायी कारणों की चर्चा कीजिए। साथ ही, सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहन देने हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को भी सूचीबद्ध कीजिए।

दृष्टिकोण

  •  भारत में सूक्ष्म सिंचाई के विस्तार का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  • सूक्ष्म सिंचाई के कम विस्तार के कारण स्पष्ट कीजिए।
  • सूक्ष्म सिंचाई के प्रोत्साहन हेतु सरकार द्वारा उठाए गए उपायों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

  • FICCI और इरीगेशन एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, 2015 तक 69.5 मिलियन हेक्टेयर भूमि की क्षमता के विपरीत केवल 7.73 मिलियन हेक्टेयर भूमि को सूक्ष्म-सिंचाई के तहत कवर किया गया था।
  • भारत के कुल सूक्ष्म सिंचाई कवर में छह राज्यों अर्थात् राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और हरियाणा का हिस्सा 82% से अधिक है।
  • इस प्रकार, सूक्ष्म सिंचाई का विस्तार, विशेषतः भारत जैसी जल-संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था में अत्यंत कम और क्षमता से अत्यधिक कम है।

सूक्ष्म सिंचाई के कम विस्तार के कारणों में सम्मिलित हैं:

  • बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए प्रारंभिक उच्च लागत की आवश्यकता होती है।
  • कृषकों के पास इसके उपयोग का सीमित ज्ञान है और तकनीकी ज्ञान का अभाव है। वे सूक्ष्म सिंचाई के लाभों से अनभिज्ञ हैं।
  • सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित करने हेतु प्रेदत्त सरकारी सब्सिडी से सम्बंधित नीतियों का अप्रभावी क्रियान्वयन।
  • उपकरणों के बाधारहित संचालन के लिए नियमित निगरानी की आवश्यकता होती है, क्योंकि ये उपकरण कृतकों, कीड़ों आदि से क्षति के प्रति संवेदनशील होते हैं।
  • सूक्ष्म सिंचाई में जल वितरण के लिए वितरण लाइनों में दबाव की आवश्यकता होती है, चाहे जल का स्रोत सतही हो या भूमिगत। ऐसे में, भारत के ऊर्जा संकट के कारण फसलों की सिंचाई का समय और आपूर्ति दोनों प्रभावित होती है।

सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहन देने हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम हैं: 

  • नाबार्ड के अंतर्गत 5000 करोड़ रूपये की निधि के साथ एक समर्पित सूक्ष्म सिंचाई कोष का सृजन किया गया है।
  • ‘हर खेत को पानी’ आदर्श वाक्य के साथ प्रारंभ की गई प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY), 2015 सम्पूर्ण सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला, जिसमें जल स्रोत, वितरण नेटवर्क और खेत स्तर के अनुप्रयोग शामिल हैं, के लिए एन्ड-टू-एन्ड समाधान उपलब्ध कराएगी।
  • PMKSY ‘जल संचय’ और ‘जल सिंचन’ परियोजनाओं के माध्यम से ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप (प्रति बूंद अधिक फसल)’ को सुनिश्चित करने हेतु सूक्ष्म स्तर पर वर्षा जल का उपयोग करके सुरक्षात्मक सिंचाई के सृजन पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
  • अन्य कदमों में प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रिंट मीडिया के माध्यम से जागरूकता, लघु फिल्में, रेडियो और टीवी वार्ता, कार्यशालाओं का आयोजन, सेमिनार और इंटरैक्टिव मीटिंग्स, प्रदर्शनियों, मेलों और कृषक मेलों इत्यादि के माध्यम से प्रचार करना सम्मिलित है।

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