मध्यप्रदेश में पंचवर्षीय योजनायें और कार्यक्रम

हाल की योजनायें

प्रदेश मे 1 अगस्त से आपकी सरकार आपके द्वार योजना

  • प्रदेश के नागरिकों विशेष रूप से ग्रामीण रहवासियों की समस्याओं के निराकरण और विकास के सुझावों पर अमल के लिये 1 अगस्त 2019 से आपकी सरकार आपके द्वार की शुरूआत की गई है।
  • इसके अंतर्गत जिला स्तर पर कलेक्टर प्रत्येक तीन माह के लिये ग्राम भ्रमण और शिविर निर्धारित कर हर माह दो भ्रमण कार्यक्रम और शिविर लगवायेंगे, जिसकी जानकारी जिले के सभी जन-प्रतिनिधियों को दी जायेगी।
  • शिविर के लिये विकासखण्ड मुख्यालय या विकासखण्ड के ऐसे गाँव का चयन किया जायेगा, जहाँ साप्ताहिक बाजार या हाट लगता हो।
  • राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी विभागों, विभागाध्यक्षों, कमिश्नरों, कलेक्टरों को इस बारे में विस्तृत निर्देश भेजे हैं।
  • आपकी सरकार आपके द्वार के प्रथम भाग में चयनित विकासखण्ड के एक गाँव का चयन कर आम जनता से सीधे संबंध वाले विभागों के सभी जिला अधिकारी एक ही वाहन में ग्राम तक पहुँचकर शासकीय योजनाओं का जायजा लेंगे।
  • भ्रमण वाले गाँव का नाम गोपनीय रहेगा। भ्रमण में गाँव की सभी संस्थाओं का निरीक्षण किया जायेगा। इन संस्थाओं में स्कूल, आँगनवाड़ी केन्द्र, राशन की दुकान, अस्पताल, ग्राम पंचायत का दफ्तर शामिल हैं।
  • जिले के मंत्रियों और विधायकों से सम्पर्क कर शिविरों की रूपरेखा तिथिवार तय की जायेगी। कलेक्टर शिविर की सभी व्यवस्थाएँ करेंगे।
  • प्रत्येक मंत्री और विधायक एक माह में कम से कम दो विकासखण्ड शिविरों में मौजूद रहेंगे।
  • आमजन से अधिक संबंध वाले, राजस्व, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वन, ऊर्जा, आदिम जाति कल्याण, अनुसूचित जाति कल्याण, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, किसान-कल्याण और कृषि विकास, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, स्कूल शिक्षा, जल-संसाधन, लोक स्वास्थ्य पत्रिकी, सहकारिता और खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभागों काजला स्तर के अधिकारी शिविरों में आवश्यक रूप से हिस्सा लेंगे।
  • शिविर में आने वाले आवेदक समस्याओं का तत्काल निराकरण प्राप्त करेगे। जिन आवेदनों का तुरंत निराकरण संभव नहीं होगा, उसके संबंध आवेदक को सूचित किया जायेगा। एक समय-सीमा में निराकरण का कार्य किया जायेगा।
  • शिविर पूर्ण हो जाने पर राज्य सरकार को विस्तृत प्रतिवेदन भेजा जायेगा।

प्रदेश मे आदिवासी बुनकरों के लिये वन-धन योजना लागू

  • प्रदेश के आदिवासी बुनकरों के आर्थिक उत्थान के लिये वन-धन योजना लागू की गई है।
  • आदिवासी बुनकरों को समाज में प्रतिष्ठित व्यवसायी के रूप में स्थापित करना योजना का उद्देश्य है।
  • वन-धन योजना का ट्रायफेड के प्रबंध संचालक श्री प्रवीर कृष्ण ने जुलाई 2019 में बड़वानी जिले में शुभारंभ किया।
  • वन-धन योजना में पहले चरण में बड़वानी जिले के 500 आदिवासी बुनकरों को चन्देरी, महेश्वरी और बाग प्रिन्ट के विशेषज्ञों द्वारा छमाही निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जायेगा।
  • प्रशिक्षण के बाद आदिवासी बनकरों को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का उत्पादन शुरू करने के लिये ग्रांट राशि भी उपलब्ध करवाई जायेगी। ट्रायफेड द्वारा बुनकरों के उत्पाद को देश-विदेश में बिक्री के लिये सहयोग – प्रदान किया जायेगा।

आदिवासी संस्कृति के देव-स्थानों के संरक्षण की योजना स्वीकृत

  • मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की अध्यक्षता में मंत्रालय में 27 मई 2019 को हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में आदिवासी संस्कृति के देव-स्थानों के संरक्षण एवं देव-दर्शन की योजना को मंजूरी दी गई।
  • योजना में देवी-देवता, ग्राम देवी-देवता एवं समुदाय के देवी-देवता विभिन्न आदिवासी समुदायों में गौंड जनजाति और उनकी उप जातियों, कोरकू, मवासी,भील जनजाति के ऐसे पारम्परिक देवठान/थानक आदिवासी, जो आदिवासी बस्तियों/टोलों/मोहल्लों में स्थित है, उनका निर्माण एवं जीर्णोद्धार कर संरक्षण किया जाएगा।
  • योजना को वर्ष 2019-20 से 2021-22 तक संचालित करने के लिए वित्तीय आकार स्वरूप 40 करोड़ रूपये की स्वीकृति की गई।

युवा स्वाभिमान योजना

  • राज्य सरकार द्वारा फरवरी 2019 से प्रदेश के शहरी युवा बेराजगारों को प्रशिक्षण एवं रोजगार के माध्यम से स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री युवा स्वाभिमान योजना आरंभ की गई है।
  • योजना के जरिये वर्ष 2019 की स्थिति में प्रदेश में युवाओं की संभावित संख्या 6.50 लाख को आने वाले समय में आत्म-निर्भर बनाने के लिये व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण दिया जायेगा। योजना में जीवन-यापन की तात्कालिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए वर्ष में 100 दिन तक का रोजगार देना शामिल है।
  • योजना में पात्रता के लिए युवा नगरीय निकायों में निवासरत हो तथा उसकी आयु 21-30 वर्ष होनी चाहिए। परिवार की समस्त स्त्रोतों से वार्षिक आय 2 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। पात्र युवक-युवती को जो कार्य सौंपा जाएगा, उस संबंध में पहले 10 दिन में निकाय द्वारा उस कार्य का प्रशिक्षण दिया जायेगा।
  • योजना में पात्र युवाओं को एक वर्ष में 100 दिनों के लिए, 4000 रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड पर नगरीय निकायों में अस्थाई-रोजगार दिया जाएगा। स्टाइपेंड प्रत्येक माह के अंत में युवक-युवती के बैंक खाते में किया जाएगा। कार्य की अवधि एक माह से कम होने पर समानुपातिक दर से भुगतान किया जाएगा।
  • युवाओं को 90 दिनों तक 4 घंटे नगरीय निकाय द्वारा आवंटित विहित कार्य में नियोजन एवं 4 घंटे कौशल एवं तकनीकी विकास का प्रशिक्षण दिया जायेगा।
  • इसमें न्यूनतम उपस्थिति होने पर ही अभ्यर्थी को कार्य के समानुपातिक भुगतान की अर्हता होगी। भुगतान की समस्त सूचनाएँ अभ्यर्थी को एस.एम.एस.आदि से सतत प्रेषित की जायेंगी। कार्य में 33% एवं प्रशिक्षण में 70% न्यूनतम उपस्थिति होने पर ही अभ्यर्थी स्टाइपेंड भुगतान के लिए पात्र होगा।
  • योजना के क्रियान्वयन के लिए संबंधित नगरीय निकाय (नगर निगम, नगर पलिका, नगर परिषद) नोडल एजेन्सी के रूप में कार्य करेगा। नगरीय निकाय में पंजीयन के दौरान प्रत्येक पात्र युवा से दो विकल्प लिए जाएंगे। पहला निकाय द्वारा चिन्हांकित कार्यों में से कार्य के विकल्प, जैसे-सम्पत्ति कर की वसूली, जल कर की वसूली, सम्पत्ति कर के लिए सर्वे, निर्माण कार्यों में श्रमिक के रूप में कार्य आदि। दूसरा कौशल प्रशिक्षण के लिए क्षेत्र का चयन जिसमें कॅरियर बनाने की रुचि हो।
  • अभ्यर्थी वेबसाइट www.yuvaswabhimaan.mp.gov.in पर जाकर योजना का लाभ लेने के लिए पंजीयन करा सकते हैं। पंजीयन में अभ्यर्थी को अपनी पसंद के तीन नगरीय निकाय, तीन कार्य एवं तीन कौशल प्रशिक्षण ट्रेड प्राथमिकता क्रम में चयन के विकल्प उपलब्ध होंगे।

इंदिरा गृह ज्योति योजना

  • प्रदेश में घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के लिये इंदिरा गृह ज्योति योजना प्रारंभ की गई। वर्तमान में लागू सरल बिजली स्कीम को इसमें समाहित किया जायेगा।
  • योजना में उपभोक्ताओं को 100 यूनिट तक की खपत पर अधिकतम 100 रुपये का बिल दिया जायेगा। अंतर की राशि राज्य शासन द्वारा वितरण कम्पनियों को सबसिडी के रूप में दी जायेगी।
  • हितग्राही उपभोक्ताओं द्वारा किसी माह में 100 यूनिट से अधिक बिजली खपत पर, मात्र अधिक यूनिटों के लिये टेरिफ में निर्धारित दर के अनुसार बिल दिये जायेंगे। अनुसूचित-जाति और अनुसूचित जनजाति के गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे घरेलू सरल उपभोक्ताओं को इंदिरा गृह ज्योति योजना का लाभ मिलेगा तथा वर्तमान में प्राप्त होने वाली ऊर्जा और ईंधन प्रभार की छूट भी जारी रहेगी।
  • यह योजना मार्च 2019 की बिलिंग साइकल से लागू होगी।

दाल वितरण योजना का शुभारंभ

  • खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने ग्वालियर में म.प्र. खाद्य सुरक्षा दाल वितरण योजना का प्रदेशव्यापी शुभारंभ करते हुए कहा की राज्य सरकार ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत गरीब परिवारों को प्रोटीनयुक्त दाल प्रदाय के वचन-पत्र में किये गये वादे को आज पूरा कर दिया।
  • उन्होंने बताया कि 24 हजार 170 राशन दुकानों के माध्यम से एक करोड़ 17 लाख पात्र परिवारों को प्रति माह 4 किलोग्राम के मान से दाल प्रदाय की जाएगी।
  • मंत्री श्री तोमर ने कहा कि म.प्र. खाद्य सुरक्षा दाल वितरण योजना में शासकीय उचित मूल्य की राशन दुकानों से एक किलो प्रति व्यक्ति और 4 किलो प्रति परिवार के हिसाब से दाल प्रदाय की जाएगी। उन्होंने कहा कि चने की दाल 27 रुपए प्रति किलो और मसूर की दाल 24 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रदाय की जायेगी।

इंदिरा किसान ज्योति योजना

  • प्रदेश के 10 हॉर्स पॉवर तक के कृषि उपभोक्ताओं के विद्युत बिल की राशि को आधा करने के संबंध में इंदिरा किसान ज्योति योजना लागी जायेगी ।
  • योजना अप्रैल-2019 से लागू होगी। योजना में प्रदेश के 10 हॉर्स पॉवर से अधिक के फ्लेट रेट स्थायी कृषि पम्प कनेक्शनों को वर्तमान में लिये जा रहे 1400 रुपये प्रति हॉर्स-पॉवर प्रतिवर्ष की दर से एवं 10 हॉर्स-पॉवर तक के स्थायी कृषि पम्प कनेक्शनों को 700 रुपये प्रति हॉर्स पॉवर प्रतिवर्ष की दर से विद्युत प्रदाय की जायेगी। अंतर की राशि राज्य शासन द्वारा वितरण कम्पनी को सबसिडी के रूप में दी जायेगी।
  • योजना में 10 हॉर्स-पॉवर तक के मीटरयुक्त स्थायी और अस्थायी कृषि पम्प उपभोक्ताओं द्वारा वर्तमान में देय ऊर्जा प्रभार की दर में 50 प्रतिशत की रियायत देते हुए निर्धारित दर से अंतर की राशि का भुगतान राज्य शासन द्वारा वितरण कम्पनी को अतिरिक्त सबसिडी के रूप में किया जायेगा।

आयुष्मान मध्यप्रदेश निरामयम का शुभारंभ

  • मध्यप्रदेश में 23 सितम्बर 2018 से आयुष्मान भारत योजना का लाभ सवा करोड़ से अधिक लोगों को मिलने लगा है। प्रदेश में यह योजना आयुष्मान मध्यप्रदेश निरामयम’ के नाम से लागू की जा रही है।
  • विधानसभा भवन में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य और केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचन्द गेहलोत की अध्यक्षता वाले राज्य स्तरीय समारोह में 23 सितम्बर 2018, से आयुष्मान मध्यप्रदेश निरामयम’ योजना शुरू की गयी।
  • योजना का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच निर्धन वर्ग के लोगों तक सुलभ बनाने के साथ स्वास्थ्य सुरक्षा कवच उपलब्ध कराना है।
  • योजना में प्रदेश के एक करोड़ 37 लाख लोगों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक की कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिलने लगेगी। यह संख्या संबल योजना के हितग्राहियों की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ भी जायेगी।
  • इस योजना में लगभग सभी बीमारियाँ शामिल की गई हैं। करीब 1400 बीमारियों का निर्धारित पैकेज के अनुसार इलाज होगा। स्वास्थ्य सुरक्षा कवच कैशलेस है। इसमें शासन द्वारा उपचार का पैसा इलाज करने वाले अस्पताल को सीधे भुगतान किया जायेगा। उपचार के बाद 10 दिन का फालोअप भी पैकेज भी शामिल रहेगा।
  • प्रदेश में लगभग ढाई सौ निजी एवं शासकीय अस्पतालों को योजना में चिन्हित किया जा चुका है। योजना में काम करने वाले चिकित्सकों और पैरा-मेडिकल स्टाफ को अतिरिक्त भत्ता देय होगा।
  • नागरिकों की सुविधा के लिये चिन्हित चिकित्सालयों में आयुष्मान मित्र नियुक्त किये जा रहे हैं, जो मरीज और उसके परिजनों को योजना की प्रक्रिया और कागजी कार्यवाही शीघ्र पूर्ण करने में मदद करेंगे।
  • इन अस्पतालों में आयुष्मान भारत कियोस्क भी स्थापित किये गये है।
  • प्रदेश के सभी जिलों में योजना के सुचारू क्रियान्वयन के लिये कलेक्टर की अध्यक्षता में क्रियान्वयन इकाइयों का गठन किया गया है।

प्रदेश में 1 जुलाई से सरल बिजली और मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी स्कीम लागू

  • मुख्य मंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की पहल पर मुख्यमंत्री जन-कल्याण सिंबल) योजना-2018 में पंजीकृत श्रमिकों को बिजली बिलों में राहत देने के लिये एक जुलाई, 2018 से व्यापक स्तर पर सरल बिजली बिल स्कीम एवं मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी स्कीम को लागू किया गया है।
  • योजना से लाखों पंजीकृत अमिकों और बीपीएल श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली के मामले में बहुत बड़ी राहत मिलेगी।
  • जहाँ इस योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों को प्रति माह बिजली बिल मात्र 200 रुपये का भुगतान करना होगा । इससे ज्यादा राशि का बिल आने पर उसकी पूर्ति राज्य शासन द्वारा सब्सिडी देकर की जायेगी।
  • सरल बिजली बिल स्कीम का लाभ 88 लाख पंजीकृत श्रमिकों को मिलेगा । वहीं मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी स्कीम से 77 लाख पंजीकृत श्रमिक और बीपीएल श्रेणी के उपभोक्ता लाभांवित होंगे।
  • सरल बिजली बिल स्कीम में शामिल होने के लिये कोई अंतिम तिथि नहीं होगी । वितरण केन्दों में हितग्राहियों को लाभ देने की कार्रवाई निरंतर जारी रहेगी जहां मीटर स्थापित होंगे, वहां उनमें अंकित खपत के आधार पर बिल की राशि की गणना की जायेगी।
  • पात्रताधारी परिवारों को बिना कनेक्शन प्रभार लिये (निःशुल्क) बिजली कनेक्शन की सुविधा दी जायेगी।
  • राज्य शासन वार्षिक सब्सिडी के रूप में एक हजार करोड़ रुपये उपलब्ध करायेगा।
  • एयर कंडीशनर (ए.सी.), हीटर, एक हजार वॉट से अधिक के उपभोक्ता योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे।
  • ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में स्कीम के तहत सुविधा केवल बल्ब, पंखा और टी.वी. चलाने पर ही मिलेगी । एक हजार वॉट में 4 बल्ब, 2 पंखे एक टीवी एक कूलर चल सकेगे।
  • मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी स्कीम के तहत जून 2018 की स्थिति में बिजली बिल की बकाया पूरी राशि माफ की जायेगी। इसमें मूल बकाया राशि एवं सरचार्ज भी शामिल रहेगा।
  • शासन द्वारा इस योजना के लिये लगभग 1806 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जायेगी । योजना का लाभ 77 लाख पंजीकृत श्रमिकों और बीपीएल उपभोक्ताओं को मिलेगा।

प्रदेश में योग स्वास्थ्य केन्द्र योजना का शुभारंभ

  • आयुष विभाग द्वारा प्रदेश के 32 आयुष चिकित्सालयों में नागरिकों को योग का लाभ पहुँचाने के लिये राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत 23 जिला आयुष चिकित्सालय और 9 आयूष महाविद्यालय संबद्ध चिकित्सालयों में योग स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना की गई है।
  • चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 21 जून, 2018 को प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जालम सिंह पटेल, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री श्री शरद जैन और आयुष विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती शिखा दुबे ने जबलपुर में हुए राज्य स्तरीय कार्यक्रम में योग स्वास्थ्य केन्द्र योजना का शुभारंभ किया 
  • आधुनिक युग में जीवनशैली परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले शारीरिक एवं मानसिक रोगों से बचाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने में योग स्वास्थ्य केन्द्र सहायक सिद्ध होंगे । इन केन्द्रों में नागरिकों को योग का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।

विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिये “हम छू लेंगे आसमाँ” योजना का शुभारंभ

  • मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 मई, 2018 को भोपाल में मॉडल स्कूल, टी.टी. नगर में विद्यार्थियों को भविष्य में विभिन्न कॅरियर और अकादमिक विकल्पों के बारे में जानकारी देने के लिये बनाई गई योजना ‘हम छू लेंगे आसमाँ’ का शुभारंभ किया।
  • राज्य सरकार द्वारा विद्यार्थियों के कॅरियर मार्गदशन के लिए ‘हम छू लेंगे आसमाँ’ योजना आरंभ की गई है।
  • इस योजना में 12वीं कक्षा में उत्तीर्ण विद्यार्थियों की भविष्य में विभिन्न कैरियर्स तथा अकादमिक विकल्पों के बारे में आधुनिक तकनीक एवं काउंसिलंग विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाएगा।
  • साथ ही 11वीं एवं 12वीं परीक्षा में अनुत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को भी कौशल विकास, स्वरोजगार एवं रोजगार के विभिन्न विकल्पों से अवगत कराया जाएगा।
  • हम छू लेंगे आसमां योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभागों द्वारा प्रत्येक जिले में काउंसलर की नियुक्ति की जाएगी।
  • अतिरिक्त आवश्यकता होने पर कलेक्टर अपने स्तर पर काउंसलर्स की नियुक्ति कर सकेंगे।
  • प्रत्येक जिले में दो और दो से अधिक काउंसलिंग सेंटर जिला स्तरीय क्रियान्वयन समिति द्वारा स्थापित किए जाएंगे।
  • काउंसलिंग सेंटर्स स्थापित करते समय सैद्धांतिक कक्षा और आईटी लैब की गणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि ऑफलाइन एवं ऑनलाइनए दोनों प्रकार से काउंसलिंग हो सके।
  • ‘हम छू लेंगे आसमां’ योजना का क्रियान्वयन स्कूल, तकनीकी और उच्च शिक्षा विभाग मिलकर कर रहे हैं।

कृषक समृद्धि योजना का शुभारंभ

  • मख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 अप्रैल, 2018 को बालाघाट के वारासिवनी में कृषक समृद्धि योजना का शुभारंभ किया।
  • इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों की फसल को कम दाम पर नहीं बिकने दिया जायेगा किसानों को उनके कृषि उत्पाद की रमित कीमत दिलवाई जायेगी । यदि बाजार में किसानों की फसलों के दाम कर होंगे, तो नुकसान की भरपाई राज्य सरकार करेगी ।
  • श्री चौहान ने इस मौके पर मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना में 72 हजार किसानों के बैंक खातों में ऑनलाइन क्लिक कर 57 करोड़ का प्रोत्साहन राशि ट्रांसफर की।

चरण-पादुका योजना का शुभारंभ

  • 19 अप्रैल, 2018 को मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में चरण-पादुका योजना का शुभारंभ सीधी जिले के तमसार से किया । इस योजना से सीधी जिले के 62  हजार परिवार लाभान्वित है
  • सीधी जिले के लुरघुटी समिति की तेन्दुपत्ता संग्राहक उर्मिला बैगा और पार्वती के पैरों में अब छाले नहीं पड़ेंगे । उनको जंगल में साफ और ठण्डा पानी पीने के लिए नहीं भटकना पड़ेगा । मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इन संग्राहकों को अपने हाथों से चप्पल पहनाई और साड़ी तथा पानी की बॉटल भेंट की।
  • किसी भी देश या प्रदेश के विकास का आधार उचित नियोजन है । मध्यप्रदेश में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से प्रदेश के विकास को गति दी गई।
  • मध्यप्रदेश में अब तक 11 पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण व क्रियान्वयन किया गया है।
  • मध्यप्रदेश की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना 2007-2012 में क्रियान्वित की गई।
  • वर्तमान में 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) क्रियान्वित की जा रही है। योजनाओं के निर्माण के लिए मध्यप्रदेश में 24 अक्टूबर, 1972 को मध्यप्रदेश राज्य योजना मण्डल का गठन किया गया ।
  • प्रदेश की प्रथम पंचवर्षीय योजना 1951-1956 में संचालित की गई। इसका मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था में कृषि आधार को सुदृढ़ करना था ।
  • द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61) में उद्योगों को प्राथमिकता दी गई।
  • मध्यप्रदेश में नियोजन का वास्तविक प्रारंभ तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66) से माना जाता है।
  • तीसरी योजना में सर्वाधिक महत्व सिंचाई को दिया गया ।
  • 1969-74 में संचालित चतुर्थ पंचवर्षीय योजना का मुख्य लक्ष्य विकास कार्यक्रम को स्थायी गति प्रदान करना था।
  • पाँचवीं योजना (1974-79) में कृषि विकास पर ध्यान केन्द्रित किया गया ।
  • छठी योजना-1980-85 में भी कृषि व सम्बद्ध क्षेत्र पर अधिक जोर दिया गया।
  • सातवीं योजना (1985-90) का सर्वाधिक व्यय भी कृषि व सिंचाई पर किया गया।
  • आठवीं योजना (1992-97) में ग्रामीण विकास पर जोर दिया गया।
  • नवीयोजना (1997-2002) में सर्वांगीण विकास को लक्ष्य बनाया गया।
  • दसवीं पचवर्षीय योजना (2002-2007) में समग्र विकास को लक्ष्य बनाया गया।
  • ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012) में समावेशी विकास का लक्ष्य अपनाया गया।

म.प्र. की बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017)

  • राज्य की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए मध्य प्रदेश की बारहवीं पंचवर्षीय योजना का आकार 201862.00 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है, जो ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना से 131533 करोड़ रुपए ज्यादा है।

12वीं योजना के मुख्य बिन्दु

  • वर्ष 2012-2017 की अवधि वाली प्रदेश की 12वीं पंचवर्षीय योजना की विकास दर 12 प्रतिशत रखी गई है।
  • गरीबी रेखा के स्तर को वर्ष 2009-10 के 36.7% के स्तर को 15 % तक लाना।
  • कृषि एवं संवर्गीय क्षेत्र में 9%, उद्योग क्षेत्र में 12% तथा सेवा क्षेत्र में 13.75% के साथ 12वीं पंचवर्षीय योजना में 12% की वृद्धि दर प्राप्त करना ।  12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक साक्षरता दर 100% एवं साक्षरता में लिंग भेद को शून्य प्रतिशत तक लाना ।
  • समाज के कमजोर वर्गों का सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक उत्थान करना।
  • सामाजिक आर्थिक विकास तथा महिलाओं का निर्णय में भागीदारी सुनिश्चित कर महिलाओं को मजबूत बनाना ।
  • वर्ष 2016-17 तक बीच में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों का प्रतिशत 5 से कम करना एवं प्राथमिक शिक्षा में लिंग असमानता को खत्म करना।
  • 0-6 वर्ष के आयु समूह का लिंगानुपात 950 प्रति हजार करना ।
  • मातृत्व मृत्यु दर को 125, शिशु मृत्यु दर को 35 तथा कुल प्रजनन दर को 201 करते हुए इसे राष्ट्रीय स्तर पर लाना।
  • सूचना और संचार तकनीक का विकास करना ।
  • जल संसाधन की क्षमता विकसित कर तथा इसका सही इस्तेमाल कर  सिंचाई की वर्तमान क्षमता में 9.60 लाख हेक्टेयर की वृद्धि करना ।
  • सभी गाँवों की बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए ऊर्जा के स्तरीय अधोसंरचना का विकास करना तथा ऊर्जा कमी वाले राज्य से ऊर्जा आधिक्य वाले राज्य में परिवर्तित करना।
  • जनसंख्या वृद्धि दर को वर्ष 2017 तक 1.62 प्रतिशत तक लाना ।

मध्यप्रदेश की अन्य कल्याणकारी योजनाएँ

  • दीनदयाल समर्थ योजना (2004):– 25 सितम्बर, 2004 से प्रारंभ इस योजना का उद्देश्य समाज के तहत् निःशक्त बच्चों के निःशुल्क शैक्षणिक सामग्री तथा छात्रवृत्ति एवं रोजगार के लिए व्यावसायिक परिसर में 1 प्रतिशत आरक्षण तथा सरकारी नौकरी में 6 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जायेगी।
  • गोकल ग्राम प्रकल्प योजनाः– यह योजना एक वर्ष में चनिन्दा गाँवों का चयन करके उनका समन्वित विकास करने के उद्देश्य से इस योजना का प्रारंभ 25 सितम्बर, 2004 को किया गया । इसके तहत चयनित गाँव में सारी आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करायी जायेंगी।
  • अन्त्योदय उपचार योजना :– 25 सितम्बर, 2004 से प्रारंभ इस योजना में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा गरीबी रेखा के नीचे निवास करने वाले लोगों को राज्य शासन द्वारा उपचार की व्यवस्था की जायेगी । इसके लिये राज्य सरकार एक वर्ष में प्रत्येक परिवार पर 60 हजार तक खर्च करेगी।
  • औपचारिकेत्तर शिक्षा योजना :– सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं के कारण नियमित रूप से स्कूल जाने में असमर्थ बालक-बालिकाओं के लिये 1975 से प्रारंभ इस योजना के अंतर्गत उनकी सुविधानुसार औपचारिकेत्तर शिक्षा केन्द्रो में शिक्षा प्रदान की जाती है । इस तरह के 36 हजार शिक्षा केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं।
  • ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड :– 1986 से प्रारंभ इस योजना में प्रत्येक प्राथमिक शाला में दो शिक्षक (जिसमें एक महिला होगी), स्कूल भवन हेतु पक्के कमरे, बरामदा, फर्नीचर एवं शैक्षणिक उपकरण उपलब्ध कराये जाते हैं।
  • पढ़ो-कमाओ योजना :– अध्ययन के साथ-साथ बालक-बालिकाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के उद्देश्य से 1978 से प्रारंभ इस योजना में उनको हस्त कला,फर्नीचर एवं स्कूली गणवेश निर्माण के लिए शिक्षित किया जाता है।
  • राजीव गाँधी प्राथमिक शिक्षा मिशन – इसका प्रारंभ 20 अगस्त, 1994 से शिक्षा के लोक व्यापीकरण के उद्देश्य से किया गया है। इसके अंतर्गत 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों को विभिन्न शिक्षा केन्द्रों के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है। इसके अंतर्गत ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड, प्राथमिक तकनीकी शिक्षा मिशन, शिक्षा ग्यारण्टी योजना तथा शिक्षा पढ़ना-बढ़ना योजना को सम्मिलित किया गया।
  • शिक्षा ग्यारण्टी योजनाः-1 जनवरी, 1997 से प्रारंभ इस योजना में आदिवासी क्षेत्रों में 25 बच्चे, सामान्य गाँवों में 40 बच्चे होने पर उनके आस-पास 1 किमी के दायरे में कोई स्कूल न होने की स्थिति में 90 दिन के अंतर से स्कूल खोला जाता है।
  • कल्पवृक्ष योजना– इस योजना में रेशम के कीड़े पालने वाले व्यक्तियों को बेहतर रेशम कीट उपलब्ध कराये जाते हैं।
  • पढ़ना-बढ़ना आंदोलन- 1999 से प्रारंभ इस योजना में 15 वर्ष आयु समूह के 20 से 30 व्यक्ति मिलकर स्वयं एक गुरुजी को नियुक्त कर शिक्षा ग्रहण करते हैं । शासन द्वारा गुरुजी को प्रशिक्षण किताबें एवं प्रति व्यक्ति ₹ 100 वार्षिक दर से दक्षिणा दी जाती है । ‘
  • गाँव की बेटी योजना :– 2005 से प्रारंभ की गई इस योजना के अंतर्गत किसी गाँव की किसी एक प्रतिभावान बालिका जिसने 12वीं कक्षा में प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण की हो,को निःशुल्क उच्च शिक्षा तथा ₹ 500 प्रतिमाह की दर से छात्रवृत्ति दी जाती है।
  • कन्या साक्षरता प्रोत्साहन योजना– जनवरी, 2006 की sc/ST छात्राओं को उच्च शिक्षा हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रारंभ की गयी इस योजना में 9 वीं कक्षा में प्रवेश लेने वाली छात्रा को ₹ 1000 व 11वीं कक्षा में प्रवेश लेने वाली छात्रा को ₹ 2000 प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
  • दीनदयाल रोजगार योजना-इसका प्रारंभ शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 25 सितम्बर, 2004 को किया गया।
  • झुग्गी बस्तियों के लिए अयोध्या योजना :- ग्रामीण विकास के लिए संचालित गोकुल ग्राम विकल्प की तर्ज पर शहरी झुग्गी बस्तियों में अच्छी सड़कें, नालियाँ, बिजली, साफ-सफाई, स्वच्छ पेयजल आदि की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से योजना का प्रारंभ 25 सितंबर, 2004 को किया गया।
  • पंच ‘ज’ कार्यक्रम – ग्रामीण संसाधनों का आंकलन एवं उनके दोहन के लिए 25 मई, 2004 को इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके तहत 5 चीजों, जल, जंगल,जमीन, जानवर, जन के विकास एवं उनके उपयोग के लिए विशेष कार्यक्रम चलाये गये।
  • मध्यप्रदेश ग्रामीण रोजगार ग्यारंटी योजना- 2 फरवरी, 2006 से मध्यप्रदेश के 18 जिलों में प्रारंभ हुई केन्द्र सरकार की इस योजना के अंतर्गत एक वर्ष में प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को 100 दिन का रोजगार तथा ₹ 60 प्रतिदिन की दर से मजदूरी देने का प्रावधान किया गया । 1 अप्रैल, 2008 से सम्पूर्ण देश में लागू।
  • शंखनाद योजना – आदिवासी क्षेत्रों में विशेषतः जनजातियों के स्कूलों के माध्यम से शिक्षा का प्रसार इस योजना का उद्देश्य है ।
  • आयुष्मति योजना- प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की अत्यधिक गरीब महिलाओं की स्वास्थ्य रक्षा इस योजना का उद्देश्य है।
  • जबाली योजना- वेश्यावृत्ति एवं अन्य निम्नस्तरीय व्यवसायों में लिप्त महिलाओं को इस योजना के अंतर्गत सम्मानजनक व्यवसाय आरंभ कराने हेतु सरकार द्वारा मदद प्रदान की जाती है।
  • स्टांप वेंडर– इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बेरोजगार युवाओं को ₹ 35 हजार तक का ऋण देकर तहसील न्यायालय के समक्ष न्यायालयीन उपयोग की सामग्री विक्रय हेतु उपलब्ध करायी जाती है।
  • स्वावलम्बन योजना- अनुसूचित जाति एवं जनजाति के रोजगारहीन व्यक्तियों को व्यवसाय आरंभ करने के लिए ऋण, दुकानों, कॉम्पलेक्स एवं कार्यशील पूँजी उपलब्ध करायी जाती है।
  • पवनपुत्र योजना– अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बेरोजगार यवाओं को स्वयं का व्यवसाय प्राप्त करवाने की दृष्टि से उन्हें रिक्शा एवं टेम्पो दिये जाते हैं।
  • मधुवन योजना-अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्तियों को सामुदायिक आधार पर आधुनिक डेयरी की स्थापना एवं पशुधन विकास के लिए सरकार द्वारा ऋण एवं अन्य आवश्यक प्रबंध किये जाते हैं।
  • ग्राम्य योजना-ग्रामीण क्षेत्र महिलाओं का व्यावसायिक कार्य आरंभ करवाने की दृष्टि से इस योजना के अंतर्गत व्यापारिक ज्ञान व ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
  • जीवनधारा योजना– प्रदेश के अत्यधिक गरीब व्यक्तियों को जिनके पास आय के कोई साधन न हों, इस योजना के अंतर्गत निःशुल्क अनाज प्रदान किया जाता है।
  • वसुंधरा योजना-जनजाति के भूमिहीन कृषकों को भूमि खरीदने हेतु 10 वर्ष की अवधि के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिया जाता है । इसके अलावा सिंचाई विभाग द्वारा कृषि औजारों की एक मिनी किट भी प्रदान की जाती है।
  • नवजीवन योजना– गाँव छोड़कर शहर जाने वाले ग्रामीणों को उनके रोजगार हेतु ग्रामों में ही सुविधा उपलब्ध कराने के लिए यह योजना आरंभ की गई है । ग्रामीणों को गाँवों में ही नाममात्र के शुल्क पर विकसित आवासीय भूखण्ड उपलब्ध कराए जाते हैं । इन भूखण्डों में सभी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है ?
  • जल-जीवन योजना- अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कृषकों को इस योजना के अंतर्गत सामूहिक सिंचाई हेतु 75 प्रतिशत तक अनुदान स्वीकृत।
  • धनवंतरी योजना- अनुसूचित जाति एवं जनजाति के एलोपैथिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सकों को बेरोजगारी से बचाने के लिए इनके निवास स्थान (गाँव) में ही चिकित्सालय खोलने के लिए अथवा निजी प्रेक्टिस – आरंभ करने के लिए सहायता प्रदान करना |
  • न्याय निकेतन– अनुसूचित जाति एवं जनजाति के वकीलों की सहायता हेतु उन्हें न्यायालय के समीप ही कक्ष बनाकर किराए से प्रदान किये जाते  है।
  • सहारा योजना-अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कुछ रोगी,विकलांग, विधवा, परित्यक्ता व निराश्रित वृद्ध की सहायता हेतु इस योजना का संचालन किया जाता है, सामूहिक रूप से ऐसे व्यक्तियों के लिए लघु उद्योग पशुपालन योजना को प्रारंभ करने के लिए इन्हें मिलने वाले ऋण के अलावा इन्हें 25 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जाता है।
  • लाड़ली लक्ष्मी योजना- मध्यप्रदेश सरकार ने कन्याओं के लिए 1 अप्रैल, 2007 से नई लाड़ली लक्ष्मी योजना प्रारंभ की है। इसका लाभ दो बच्चों तक सीमित है।
  • मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना – 26 अप्रैल, 2008 को प्रारंभ की गई इस योजना के तहत निर्धनता रेखा से नीचे परिवारों को ₹ 3 किलो गेहूं व र 4.50 किलो चावल उपलब्ध कराया जायेगा।
  • माता की रसोई – सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा गरीब परिवारों को समुदाय की ओर से सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में शहडोल जिले के कुदराटोला गाँव ने ‘माता की रसोई’ कार्यक्रम की शुरूआत कर एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है । यहाँ की ग्राम सभा ने ऐसे बेसहारा और निःशक्त लोगों की पहचान की है, जो अपने भोजन का इंतजाम नहीं कर पाते । वे सुबह 10 बजे और शाम छह बजे माता की रसोई में भोजन कर सकते हैं।
  • राम रोटी योजनाः- 02,नवम्बर 2010 से भोपाल में प्रारंभ की गई इस योजना में रेन बसेरों में ₹ 5 में भरपेट भोजन व ₹ 2 में चादर-कम्बल उपलब्ध।
  • एकलव्य शिक्षा विकास योजना – म.प्र. राज्य लघु वनोपज संघ ने तेंदपत्ता संग्राहकों एवं उनके परिवारों के कल्याण को दृष्टिगत रख 15 नवम्बर, 2010 से एकलव्य शिक्षा विकास योजना शुरू की है। जिसके तहत 60 प्रतिशत अंक या प्रावीण्य सूची में नाम होने पर 9 वीं व 10वीं के छात्रों को ₹12 हजार, 11वीं व 12वीं को ₹ 15 हजार, गैर तकनीकी स्नातक को ₹20 हजार तथा व्यावसायिक कोर्स के विद्यार्थियों को ₹50 हजार सालाना की छात्रवृत्ति दी जावेगी।
  • मख्यमंत्री निकाह योजना – मध्यप्रदेश में अब मुस्लिम कन्याओं के विवाह ‘मुख्यमंत्री निकाह योजना के अंतर्गत होंगे । प्रदेश में हिन्दू कन्याओं के विवाह मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की तर्ज पर ही यह योजना बनाई है । इसके साथ ही पुत्री के माता-पिता को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए पेंशन, एक मुश्त राशि उपलब्ध कराने सहित लाड़ली लक्ष्मी योजना की तरह बचत पत्र देने जैसे सभी उपायों पर उच्च स्तरीय विचार किया जा रहा है।
  • जंगल सराय परियोजना – मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा जंगल सराय (वाईल्टरनेस कैम्प) परियोजना के तहत वन क्षेत्र से प्रकृति प्रेमियों को जोड़ने के लिए कैम्पिंग की व्यवस्था 1 नवम्बर, 2011 से शुरू की है । परियोजना के अंतर्गत वन विश्राम गृहों/निरीक्षण कुटीर के आरक्षण की सुविधा स्थानीय वन विभाग के कार्यालयों के साथ-साथ एम.पी. ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन रिजर्वेशन सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। जंगल सराय परियोजना बोर्ड की महत्वांकाक्षी परियोजना है । यह देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में लागू की जा रही है। इसमें चयनित वन विश्राम गृह / निरीक्षण कुटीर के खानसामा । चौकीदारों को विशेष प्रशिक्षण होटल प्रबंधन, भोपाल में दिलाया गया है ।
  • मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना- हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के मुफ्त इलाज के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 14 जुलाई, 2011 से मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना लागू की गई है, जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने बैरागढ़ के एक निजी अस्पताल से किया । इस योजना के तहत 15 साल तक के बच्चों का मुफ्त इलाज किया जावेगा।
  • एक मुश्त समझौता योजना- प्रदेश के 50 से ज्यादा नागरिक सहकारी बैंकों का डूबा पैसा हासिल करने के लिए सहकारिता विभाग ने एकमुश्त समझौता योजना लागू कर दी है | 1 सितबंर, 2012 से लागू हुई इस  योजना में हितग्राही को मार्च 2009 तक के कर्ज पूरे ब्याज के सहित चुकाने होंगे, लेकिन इसके बाद साधारण ब्याज लगाया जाएगा । इसमें भी 50 फीसदी की छूट दी जाएगी।
  • पुलिस स्वास्थ्य सुरक्षा योजना- राज्य सरकार पुलिस स्वास्थ्य सुरक्षा योजना शुरू करने जा रही है । योजना के तहत पुलिसकर्मी के वेतन में से ₹ 50 काटे जाएंगे, लेकिन उन्हें एक साल में ₹ 8 लाख तक का इलाज कराने की पात्रता रहेगी । इसके लिए प्रदेश के 15 शहरों में 30 व प्रदेश के बाहर 31 अस्पतालों का चयन किया गया है। पुलिसकर्मियों के अलावा उनकी पत्नी व बच्चे भी योजना में शामिल रहेंगे । यह योजना आंध्रप्रदेश में चल रही है  गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता के अनुसार योजना को प्रदेश के स्थापना दिवस 1 नवंबर, 2013 से लागू किया गया |
  • मुख्यमंत्री कल्याण योजना को मंजूरी – मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में भोपाल में 31 जनवरी, 2012 को सम्पन्न मंत्रिपरिषद् की बैठक में शहरी गरीबों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय हुए मुख्यमंत्री (पथ पर विक्रय करने वाले) शहरी गरीबों के लिए कल्याण योजना 2012 को मंजूरी दी गई है । इस योजना से पथ पर विक्रय करन वाले गरीब परिवारों की आजीविका का संरक्षण होगा और शहरी वा इसके लिए अधोसंरचना के विकास से उन लोगों को व्यवसाय कर लिए स्थान प्राप्त हो सकेंगे । साथ ही शहरी क्षेत्रों में पथ विक्रेता व्यवसाय का वैधानिक अधिकार मिल जाएगा।
  • मध्यप्रदेश में युवा स्वरोजगार योजना का शुभारंभ- मध्यप्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना की शुरुआत 1 अप्रैल, 2013 को की । योजना का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के लिए स्वयं का उद्योग सेवा. गतसाय स्थापित करने हेतु बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराना है । ख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना की घोषणा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री नवराजसिंह चौहान ने युवा पंचायत में की । योजना के तहत् राज्य सरकार 25 लाख रुपये तक का उद्योग या व्यवसाय स्थापित करने के लिए बैंक गारन्टी और 5 वर्ष तक 5 प्रतिशत की ऋण सब्सिडी देगी। साथ ही योजना के तहत बैंकों को एक महीने के भीतर ऋण के मामले निपटाने होंगे। इस योजना का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश है।
  • नर्मदा-मालवा-गंभीर लिंक परियोजना को मंजूरी-मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नदी जोड़ो अभियान को बढ़ावा देने तथा नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना की सफलता के बाद एक और परियोजना को मूर्त रूप देने की दिशा में कदम बढ़ाये गये हैं । इसी के चलते 17 जून, 2014 को मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई नर्मदा नियंत्रण मंडल की बैठक में नर्मदा-मालवा, गंभीर लिंक परियोजना (NarmdaMalva Gambhir Link Project-NMGLP) को प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। लगभग 2143 करोड़ 46 लाख रुपये की लागत वाली इस योजना के तहत इंदौर और उज्जैन जिले की सात तहसील के 158 गाँवों में पेयजल के साथ 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी । इंदौर के यशवंत सागर को भी इस परियोजना से बार-बार भरा जा सकेगा । इस योजना की खास बात यह है कि इसके लिए कोई विस्थापन और पुनर्स्थापन की जरुरत नहीं होगी । योजना के अंतर्गत नर्मदा का पानी 416 मीटर की ऊँचाई तक ऊपर उठाया जाएगा। परियोजना से उपलब्ध कुल जल का 12.5 क्यूसेक सिंचाई के लिये, 1.5 क्यूसेक पेयजल के लिए तथा 1 क्यूसेक जल का उपयोग उद्योगों के लिए किया जायेगा।
  • गौरवी केन्द्र का शुभारंभ-मध्यप्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के सम्मान और संरक्षण दिशा में बेटी बचाओ अभियान, मुख्यमंत्री कन्यादान और लाड़ली लक्ष्मी जैसी अभिनव योजनाओं के बाद अब एक और महत्वपूर्ण कदम के तहत् महिला सम्मान व संरक्षण के लिए 16 जून, 2014 को राजधानी भोपाल में देश के पहले एकीकृत संकट समाधान केन्द्र (वन स्टॉप क्राइसिस रिज्यूलेशन सेंटर (ओएससीसी) “गौरवी” केन्द्र का प्रारंभ किया गया । इस प्रथम ‘गौरवी केन्द्र’ का शुभारंभ भोपाल के जयप्रकाश चिकित्सालय में प्रख्यात अभिनेता आमिर खान ने किया । ओएससीसी के तहत स्थापित ‘गौरवी केन्द्र’, मध्य प्रदेश सरकार एवं एक्शन एड (एनजीओ) की संयुक्त कार्य योजना है।
  • नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना-मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नदियों को सदा नीरा बनाये रखने की महत्वाकांक्षी परियोजना नर्मदा-शिप्रा सिंहस्थ लिंकयोजना के लिए किए गए भागीरथी प्रयास के तहत आखिरकार 6 फरवरी 2014 को नर्मदा जयंती के अवसर पर ठीक रात 12 बजे नर्मदा काजल पाइपलाइन से होते हुए शिप्रा के उद्गम स्थल पर बने नर्मदा-शिप्रा संगम स्थल कुंड में मिल गया और इसी के साथ सरकार और जनता की इच्छा भी पूरी होगई। साथ ही सालों से वीरान पड़े शिप्रा उद्गम स्थल पर शिप्रा के रूप में नर्मदा बहने लगी है। नर्मदा की यह धारा शिप्रा के माध्यम सेचंबल होतेहए यमुना और फिर गंगा में मिल जाएगी। इस योजना से आसपास के तीन हजार गांवों कोलाभ प्राप्त होगा। उल्लेखनीय है कि नर्मदाशिप्रा सिंहस्थ लिंक योजना की सैद्धांतिक मंजूरी सितंबर 2012 कोप्रदेश की कैबिनेट बैठक में प्रदान की गई थी। 432 करोड़ रुपए की लागत वाली इस योजना का शिलान्यास पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी ने29 नवंबर 2012 को इंदौर से लगभग 22 किलोमीटर दूर उज्जैनी ग्राम में शिप्रा नदी के उद्गम-स्थल शिप्राटेकरी में कियाथा।
  • स्वागतम् लक्ष्मी योजना -महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा और कल्याण के प्रति, प्रतिबद्ध मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए स्वागतम् लक्ष्मी योजना का शुभारंभ किया है।। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने24 जनवरी 2014 को अन्तरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर राजधानी भोपाल के रविन्द्र भवन में महिला एवं बाल विकास विभाग की इस योजना का शुभारंभ किया। राज्य सरकार की इस योजना के तहत महिलाओं कोअब जन्म सेजीवन के अन्तिम पड़ाव तक सरकार की ओर से सुरक्षा और सुविधाएं| मिल सकेंगी। योजना के शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री श्री चौहान नेकहा कि इस योजना से महिलाओं के उन वर्गों कोमुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जाएगा, जो अब तक लाड़ली लक्ष्मी, लाडो, बेटी बचाओ अभियान जैसे कार्यक्रमों से छूट रही थी। राज्य सरकार की स्वागतम् | लक्ष्मी योजना समग्र उद्देश्य और लक्ष्य समूह के लिए लागूकी जा रही है।। स्वागतम् लक्ष्मी योजना नामक इस कार्यक्रम में माता के गर्भ में पल रही नवजात, विद्यालय एवं महाविद्यालय जानेवाली छात्राएं, घरेलू कामकाज एवं श्रमिक महिलाएं इत्यादि लक्ष्यसमूह शामिल हैं।
  • जनश्रुति योजना-जनकल्याण और प्रदेश के नागरिकों से जुड़ी प्रत्येक समस्याओं के निराकरण के लिए सतत् रूप से प्रयासरत प्रदेश सरकार ने एक और जनहितैषी योजना को प्रारंभ किया है । दरअसल जनता अपनी समस्या आसानी से जिला प्रशासन तक पहुँचाए, इसके लिए मध्यप्रदेश शासन की महत्वाकांक्षी योजना जनश्रुति का शुभारंभ किया गया । प्रदेश के 51 जिलों में प्रारंभ हो रही इस योजना का पहला केन्द्र 16 अक्टूबर. 2014 को जोबट से प्रारंभ कर दिया गया । योजना का उद्देश्य जिले की जनता जिला मुख्यालय पर न जाकर हाट-बाजार के दिन विकासखान मख्यालय पर वीडियो कांफ्रेंसिंग से सीधे कलेक्टर को अपनी समस्या शिकायत दर्ज करवाना है।

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