मध्यप्रदेश का भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार

मध्यप्रदेश का भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार

  • अपने नाम के अनुरूप मध्यप्रदेश भारत का केन्द्रीय राज्य है।
  • भू-वैज्ञानिक दृष्टि से मध्यप्रदेश सर्वाधिक प्राचीनतम ‘गोंडवाना लैण्ड’ का भाग है।
  • देश का यह हृदय प्रदेश दक्षिण के पठार का भाग है, जिसकी उत्तरी सीमा पर जमुना पार का जलोढ़ मैदान आरम्भ हो जाता है, तो पश्चिम की ओर चम्बल नदी पार करते ही अरावली की श्रेणियाँ मिलती हैं। पूर्व में बघेलखण्ड का पठार है तो दक्षिण में ताप्ती नदी को पार करने पर प्रायद्वीप पठार प्रारम्भ हो जाता है।
  • मध्यप्रदेश की सीमाएँ न तो किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को छूती है और न किसी समुद्री सीमा को अर्थात् यह पूर्णरूप से भू-आवेष्ठित (Land Locked) राज्य है।
  • कर्क रेखा प्रदेश को दो बराबर भागों में बाँटती हुई, नर्मदा नदी के समानांतर गुजरती है।
  • कर्क रेखा प्रदेश के 14 जिलों – उज्जैन, रतलाम, अगर मालवा, राजगढ़, भोपाल, विदिशा, रायसेन, सागर, दमोह, जबलपुर, कटनी, उमरिया, शहडोल एवं अनूपपुर से होकर गुजरती है।
  • भौतिक संरचना की दृष्टि से भारत के पठार का उत्तरी भाग मध्यप्रदेश के अंतर्गत आता है।
  • गोंडवाना शैल समूह को लोअर गोंडवाना, मध्य गोंडवाना तथा अपर गोंडवाना समूह में बाँटा गया है।
  • प्रदेश के पश्चिमी भाग में दक्कन ट्रेप’ की चट्टानें तथा पूर्वी भाग में विंध्य शैल समूह पाया जाता है ।
  • विभाजित मध्यप्रदेश की स्थिति 216′ से 26 30’उत्तरी अक्षांश तथा 749 से 8248′ पूर्वी देशांतर है।
  • मध्यप्रदेश की सीमा पाँच राज्य यथा- उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र को छूती है।
  • राज्य के उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, पश्चिम में गुजरात व राजस्थान तथा दक्षिण में महाराष्ट्र स्थित है ।
  • राज्य की सर्वाधिक सीमा राजस्थान (1600 किमी.) को तथा सबसे कम सीमा गुजरात को छूती है।
  • मध्यप्रदेश की दक्षिणी सीमा ताप्ती तथा उत्तरी सीमा चम्बल नदी द्वारा निर्धारित होती है।
  • राज्य का कुल क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग किलोमीटर है।
  • मध्यप्रदेश भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 9.3% हिस्सा अपने में समाहित किये हुए है।
  • राज्य की पूर्व से पश्चिम की चौड़ाई 870 किमी. है, जबकि उत्तर से दक्षिण की लम्बाई 605 किमी. है।
  • मध्यप्रदेश की सीमा को छूने वाले सर्वाधिक 13 जिले उत्तरप्रदेश के है, जो निम्न हैं- आगरा, इटावा, उरई, झाँसी, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा, जालोर, इलाहाबाद, मिर्जापुर, महोबा, सोनभद्र और चित्रकूट । इस क्रम में दूसरा स्थान राजस्थान का है, जिसके 10 निले (बाँसवाड़ा। प्रतापगढ़, झालावाड़, बारां, सवाई माधोपुर, धौलपुर, को चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, करोली) म.प्र. की सीमा को छूते हैं । इसी तर महाराष्ट्र के 9 जिले (भुसावल, धुले, अमरावती, नागपुर, भण्डारा बुलढाणा, जलगाँव, नंदुरबार, गोंदिया), छत्तीसगढ़ के 7 जिले (सूरजपुर, कोरिया, मंगेली, बिलासपुर, कबीरधाम, बलरामपर राजनांदगाँव) तथा गुजरात के दो जिले (बड़ोदरा व दाहोद) म.प्र. की सीमा को छूते हैं।
  • जिस प्रकार म.प्र. की सीमा को उत्तरप्रदेश के सर्वाधिक 13 जिले स्पर्श करते हैं, उसी प्रकार म.प्र. के भी सर्वाधिक 13 जिले (भिण्ड, मुरैना. दतिया, शिवपुरी, अशोकनगर, सागर, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपर पन्ना, सतना, रीवा व सिंगरौली उत्तरप्रदेश की सीमा को छूते हैं । इसी तरह प्रदेश के 10 जिले (झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, आगर, राजगढ़, गुना, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना) राजस्थान की, 9 जिले (अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट) महाराष्ट्र की, 6 जिले (सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, डिण्डोरी और बालाघाट) छत्तीसगढ़ की तथा 2 जिले (झाबुआ और अलीराजपुर) गुजरात की सीमा को स्पर्श करते हैं।
  • फिजियोग्राफिक मैप ऑफ इण्डिया में मध्यप्रदेश को तीन वृहद् प्रदेशों में बाँटा गया है, जो क्रमशः मध्य उच्च प्रदेश, पूर्वी पठार तथा उत्तरी दक्कन के नाम से पहचाने जाते हैं ।
  • विभाजन से पूर्व मध्यप्रदेश 9 प्राकृतिक भागों में बँटा था, लेकिन विभाजित मध्यप्रदेश में केवल 7 प्राकृतिक भाग हैं।
  • प्रदेश के 7 प्राकृतिक भाग क्रमशः मध्य भारत का पठार, बुंदेलखण्ड का पठार, मालवा का पठार, रीवा-पन्ना का पठार, नर्मदा-सोन की घाटी, सतपुड़ा-मैकल की श्रेणी तथा बघेलखण्ड का पठार है।

मध्य प्रदेश के प्राकृतिक भाग

1. मध्य उच्च प्रदेश

  •  मध्य भारत का पठार
  • बुन्देलखण्ड का पठार 
  • मालवा का पठार
  • रीवा-पन्ना का पठार
  • नर्मदा-सोन का का पठार

2. सतपुड़ा मैकल श्रेणी

3. पूर्वी पठार

  • बघेलखंड का पठार

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