मध्यप्रदेश में नदियाँ

मध्यप्रदेश में  नदियाँ

  • मध्यप्रदेश को ‘नदियों का मायका’ कहा जाता है। ।
  • मध्यप्रदेश में लगभग 207 छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं ।
  • मध्यप्रदेश की गंगा बेतवा नदी को कहा जाता है।
  • मालवा की गंगा क्षिप्रा को कहा जाता है।
  • मध्यप्रदेश की नर्मदा नदी भारत की पाँचवीं बड़ी नदी है।
  • नर्मदा नदी भारत के उत्तरी तथा दक्षिणी भागों के बीच विभाजक रेखा का काम करती है।
  • वर्ष 2009 में सिंध नदी पर बना पुल प्रदेश का सबसे लंबा नदी पुल है, जिसकी लंबाई 2500 मीटर (2.5 किलोमीटर) है। जबकि इससे पहले प्रदेश का सबसे लंबा पुल तवा नदी पुल था, जिसकी लंबाई 1322 मीटर है |
  • वर्धा तथा बेनगंगा का संगम स्थल ‘प्राणहेता के नाम से जाना जाता है।
  • मध्यप्रदेश की चार बड़ी नदियों में नर्मदा, चंबल, सोन तथा ताप्ती का नाम आता है।
  • किसी भी देश या राज्य की जीवन रेखा नदियाँ होती हैं।
  • विश्व में सर्वाधक नदियाँ भारत में प्रवाहित होती हैं।
  • भारत में सर्वाधिक नदियाँ मध्यप्रदेश में प्रवाहित होती हैं।
  • मध्यप्रदेश में प्रवाहित होने वाली नदियाँ “प्रायद्वीपीय” नदियाँ हैं। ‘
  • मध्यप्रदेश के अमरकंटक से 3 किमी. के अंतर से दो नदियाँ नर्मदा व सोन का उद्गम होता है।
  • मध्यप्रदेश की सोन नदी को स्वर्ण नदी भी कहा जाता है।
  • चंबल नदी का प्राचीन नाम “चर्मावती” है ।
  • चंबल नदी अपने किनारे पर बड़े-बड़े खड्ड निर्मित करती है, जो दस्युओं (डाकुओं) के लिए आश्रयस्थली का कार्य करते हैं।
  • बेतवा प्रदेश की पाँचवीं बड़ी नदी है।
  • मध्यप्रदेश की नर्मदा तथा ताप्ती नदी डेल्टा नहीं बनाती है।
  • बेनगंगा दक्षिण की ओर बहने वाली नदी है।
  • मध्यप्रदेश में उत्तर की ओर बहने वाली नदियों में चंबल, सोन, केन व बेतवा शामिल है।
  • पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में नर्मदा व ताप्ती मुख्य है।
  • मध्यप्रदेश का सबसे ऊँचा जलप्रपात चचाई जलप्रपात है।
  • वाल्मिकी रामायण के बालकाण्ड में सोन नदी को सुभागधी कहा गया है ।
  • महाभारत में कहा गया कि राजा रंतिदेव द्वारा अतिथियों के सत्कार के लिए बलिदान की गई गायों के चर्म से जो खून बहा, उससे ही चर्मावती का उद्गम हुआ।
  • मेघदूत में कालिदास ने चर्मावती का उल्लेख किया है।
  • पद्म पुराण में भी स्वयं भगवान शिव ने वेत्रवती की पवित्रता प्रतिपादित की है।
  • वेत्रवती का उल्लेख साहित्यिक कृतियों में भी किया गया है। बाणभट्ट ने ‘कादंबरी’ में और कालिदास ने ‘मेघदूत’ में इसका वर्णन किया है । बेतवा बुंदेलखण्ड की जीवन रेखा तो है ही, वह यहाँ के सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों का केन्द्र भी रही है।
  • महाकवि केशवदास के लिये बेतवा का तट आकर्षण का प्रधान केन्द्र था। रसिक प्रिया’ में उन्होंने इसकी महिमा का गान किया है।
  • महाभारत में कहा गया है कि ताप्ती सूर्य भगवान की पुत्री है।
  • केन का एक प्राचीन नाम दिर्णावती भी था।
  • टोंस नदी पुराणों में तमसा नाम से विख्यात् है ।
  • तमसा का उल्लेख मार्कण्डेय, मत्स्य, वाल्मिकी रामायण, वामन व वायु पुराणों में भी हुआ है।
  • बैनगंगा का उल्लेख भी महाभारत तथा अनेक पुराणों में मिलता है।
  • पुराणों में इसे बेवा, वैया, दिदि नामों से संबोधित किया गया है।

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