मध्यप्रदेश में ऊर्जा स्त्रोत
- आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2018-19 के अनुसार वित्तीय बर्ष 2017-18 में कुल विद्युत प्रदाय 66359 मिलियन यूनिट किया गया,जिसमें इंदिरा सागर परियोजना परियोजना से 519 मिलियन यूनिट उत्पादन तथा मध्यप्रदेश विधुत उत्पादन कंपनी द्वारा कुल विधुत प्रदाय 18105 मिलियन यूनिट है ।
- माह नवम्बर, 2018 की स्थिति में राज्य की विद्युत उपलब्ध क्षमता 18660 मेगावाट है।
- किसी भी देश या प्रदेश की उन्नति में उसके ऊर्जा स्रोत (शक्ति स्रोत) मुख्य आधार तत्व माने जाते हैं।
- मध्यप्रदेश में ऊर्जा संसाधनों की दृष्टि से सम्पन्न राज्य है, लेकिन उनके दोहन के मामले में पिछड़ा हुआ है।
- मध्यप्रदेश में 10 दिसम्बर, 1948 को विद्युत प्रदाय अधिनियम लागू किया गया।
- 1 दिसम्बर, 1950 को विद्युत मंडल का गठन किया गया ।
- अप्रैल, 1957 को मध्यप्रदेश राज्य की स्थापित विद्युत क्षमता मात्र 81.5 मेगावाट थी।
- उपलब्ध जानकारी के अनुसार, राज्य में सबसे पहले ग्वालियर में 1905 में 240 के. व्ही. की स्टीम टर्बाइन से विद्युत उत्पादन प्रारंभ हुआ था।
- इदौर में 1906 में सवा दो लाख रुपये की लागत से विद्युत उत्पादन संयंत्र कै निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया था।
- कोल आधारित अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट, सिंगरौली दूसरी यूनिट 28 जनवरी,2014 में प्रारंभ।
- 660 में से 233 यूनिट मध्यप्रदेश को मिलेगी।
- म.प्र. ऊर्जा विकास निगम की स्थापना 1982 में की गई।
प्रदेश में दो प्रकार के ऊर्जा संसाधन हैं । एक परंपरागत ऊर्जा स्रोत तथा दूसरा गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत है।
परंपरागत ऊर्जा स्रोत
- कोयला,
- विद्युत (ताप जल),
- परमाणु ऊर्जा,
- पेट्रोलियम,
- प्राकृतिक गैस
अपरंपरागत ऊर्जा स्रोत
- पवन ऊर्जा,
- सौर ऊर्जा,
- भूतापीय ऊर्जा,
- ज्वारीय ऊर्जा,
- बायोगैस,
- बूडी बायोगैस,
- बायो डीजल