फ़ासीवाद तथा नाजीवाद
प्रश्न: फ़ासीवाद तथा नाजीवाद दोनों अस्थिर यूरोप में उभरे, जिन्होनें न केवल और अधिक अस्थिरता उत्पन्न की, अपितु इनके परिणामस्वरूप महाद्वीप लगभग नष्ट हो गया। व्याख्या कीजिए।
दृष्टिकोण:
- फ़ासीवाद और नाजीवाद को संक्षेप में परिभाषित कीजिए।
- चर्चा कीजिए कि इनका विकास यूरोप में विद्यमान अस्थिरता से किस प्रकार संबंधित था।
- इनके परिणामस्वरूप यूरोप में उत्पन्न अस्थिरता और विनाश की स्थिति का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
फ़ासीवाद उग्र-अधिकारवादी राष्ट्रवाद का एक रूप है। फ़ासीवाद मुख्य रूप से यूरोप में 20वीं सदी के प्रारम्भ में स्थापित हुआ। तानाशाही शक्ति, विपक्ष का बलपूर्वक दमन तथा उद्योग और वाणिज्य पर नियंत्रण इसके प्रमुख लक्षण हैं। प्रथम फासीवादी आन्दोलन प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इटली में हुआ था। इसके बाद ऐसे आन्दोलन यूरोप के अन्य देशों तक विस्तृत हुए। उदारवाद, मार्क्सवाद तथा अराजकतावाद के विपरीत फासीवाद को सामान्यतया पारंपरिक दक्षिण-पंथी एवं वामपंथी श्रेणी के अंतर्गत चरम दक्षिण-पंथ (far-right) में रखा जाता है। नाजीवाद, जर्मनी में यहूदियों के प्रति अत्यधिक घृणा के साथ फ़ासीवाद का चरम एवं हिंसक रूप था।
इटली में फ़ासीवाद तथा जर्मनी में नाज़ीवाद के विकास के मुख्य कारणों में से एक यूरोप में विद्यमान अस्थिरता थी। जैसे कि
- राजनीतिक अस्थिरता: प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात इटली और जर्मनी सहित अनेक यूरोपीय देशों में निर्बल, अस्थिर और अनिश्चित गठबंधन सरकारों का उद्भव, सरकार के संसदीय स्वरुप की विश्वसनीयता के पतन का कारण बना।
- आर्थिक अस्थिरता: प्रथम विश्व युद्ध में भागीदार देशों द्वारा अत्यधिक व्यय किया गया था। इटली पर ऋण का बोझ अत्यधिक बढ़ गया था, जबकि जर्मनी को वर्साय की संधि के तहत आरोपित युद्ध क्षतिपूर्ति के लिए भुगतान करना पड़ रहा था। इसके अतिरिक्त महामंदी (Great Depression) द्वारा गंभीर आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न हुई, जो यूरोप में फासीवाद और नाज़ीवाद के विकास में सहायक सिद्ध हुई।
- सामाजिक अस्थिरता: जर्मनी और इटली के नागरिकों ने युद्ध अपराध, वर्साय की संधि और भागीदार मित्र राष्ट्रों के विश्वासघात के कारण हुए उनके अपमान का अंत करने और पूर्व प्रतिष्ठा को वापस लाने हेतु फासीवादी नेताओं का आश्रय लेना प्रारम्भ किया।
- साम्यवाद का भय: यूरोपीय देशों में राजनीतिक अस्थिरता, साम्यवादी हिंसा और हड़तालों ने रूस की भाँति साम्यवादी क्रांति और अधिग्रहण के भय में अत्यधिक वृद्धि कर दी थी। इस प्रकार कुलीनों, भूस्वामियों, उद्योगपतियों, सेना इत्यादि ने फ़ासी/नाज़ी दलों को अपना समर्थन प्रदान किया।
अन्य तथ्य:
- राष्ट्र संघ की प्रभाव-शून्यता के कारण, फ़ासीवाद के विकास को रोकने के लिए एक सशक्त वैश्विक शक्ति का अभाव था।
- प्रथम विश्व युद्ध के नेताओं पर लोगों का विश्वास समाप्त हो जाने से यूरोप में नेतृत्व शून्यता की स्थिति उत्पन्न हुई तथा हिटलर और मुसोलिनी को नए नेताओं के रूप में देखा गया।
यद्यपि, फ़ासीवाद और नाज़ीवाद के विकास ने केवल और अधिक अस्थिरता को जन्म दिया। इस अस्थिरता की अभिव्यक्ति निम्न रूपों में हुई:
- सत्तारूढ़ सरकार के विरुद्ध फासीवादियों द्वारा तख्तापलट (Coup d etat)।
- समाजवादियों तथा साम्यवादियों के विरुद्ध हिंसा।
- फ़ासी/नाज़ी दलों को छोड़कर सभी दलों पर पूर्ण प्रतिबंध।
- एक सर्वाधिकारवादी राज्य की स्थापना।
- युद्ध सैन्यीकरण हेतु अधिक ऋण की आवश्यकता, जिससे और अधिक आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई।
- सहयोग प्राप्ति के लिए अन्य देशों में गृह युद्ध की परिस्थितियों का सृजन करना, उदाहरण के लिए स्पेन का गृह युद्ध।
- अन्य देशों का शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण, उदाहरणार्थ जर्मनी द्वारा चेकस्लोवाकिया का अधिग्रहण। तुष्टीकरण की नीति ने केवल फ़ासी/नाज़ी के बुरे इरादों में सहायता की।
अंततः यह द्वितीय विश्व युद्ध के रूप में यूरोप में विनाश का कारण बना, जहाँ लाखों लोगों की मृत्यु हुई तथा अनेक विस्थापित और घायल हुए।
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