“जनांकिकीय लाभांश वर्तमान एवं भविष्य की एक गम्भीर चुनौती है।” उत्तर प्रदेश के विशेष सन्दर्भ में इस कथन पर टिप्पणी करें।
उत्तर की संरचनाः
भूमिका
- संक्षेप में जनांकिकीय लाभांश के अर्थ को स्पष्ट करें और उत्तर प्रदेश की स्थिति को बताएं।
मुख्य भाग
- जनांकिकीय लाभांश से संभावित लाभों को संक्षेप में स्पष्ट करें।
- बताएं कि वर्तमान तथा भविष्य में जनांकिकीय लाभांश किस प्रकार चूनौती उत्पन्न करेगा।
निष्कर्ष
- सरकार द्वारा जनांकिकीय लाभांश के लिए प्रारंभ की गयी योजनाओं का उल्लेख करते हुए आगे की राह बताएं।
उत्तर
भूमिकाः
जनांकिकीय लाभांश का तात्पर्य है जनसंख्या में काम न करने वाले पराश्रित लोगों की तुलना में कार्यशील जनसंख्या अधिक होना। आय की दृष्टि से, कार्यशील जनसंख्या मोटे तौर पर 15 से 64 वर्ष तक की आयु की होती है।
जनगणना-2011 के अनुसार उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 20 करोड़ है। इस जनसंख्या की औसत आयु 20 वर्ष है। इससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश की आबादी में युवाओं की जनसंख्या बहुत बड़ी है जो जनांकिकीय लाभांश की स्थिति है।
मुख्य भाग:
जनांकिकीय लाभांश से संभावित लाभ
- पराश्रित की तुलना में कार्यशील जनसंख्या अधिक होने से संवृद्धि एवं समृद्धि की दृष्टि से अप्रत्याशित लाभ की संभावना होगी।
- कार्यशील आयु वर्ग अपना भरण-पोषण तो करता ही है साथ ही पराश्रितों को सहारा भी देते हैं।
- समाज कल्याण कार्यक्रमों पर सरकार को कम खर्च करना पड़ेगा। इससे राजकोषीय संतुलन बनेगा।
- आर्थिक क्षेत्रों में श्रम-बल की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
- युवाओं की अधिक कार्यक्षमता का लाभ उत्पादकता में वृद्धि करेगा।
वर्तमान की चुनौती
- बड़ी संख्या में युवा आबादी अप्रशिक्षित है।
- जनसंख्या वृद्धि दर की तुलना में रोजगार वृद्धि दर का कम है।
- बेरोजगारी की स्थिति में युवाओं का गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त होने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे कानून एवं व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होती है।
- उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या में 32.9% लोगों को ही रोजगार प्राप्त है शेष 67.1% आश्रित हैं (जनगणना-2011)। इसमें भी 59.0% कृषि एवं कृषि से संबंधित कार्यों में लगे हैं।
- मानव संसाधन की क्षति संभावित है।
भविष्य की चुनौती
- भविष्य में ‘रैपिड एजिंग’ (वृद्धों की संख्या में वृद्धि) की समस्या उत्पन्न होगी। जो जनांकिकीय संक्रमण की अंतिम अवस्था होती है।
- जनांकिकीय लाभांश का लाभ लिए बगैर पराश्रित जनसंख्या का बोझ अर्थव्यवस्था पर बढ़ेगा।
- समाज कल्याण कार्यक्रमों पर अधिक व्यय करना पड़ेगा।
- आर्थिक विकास की गति मंद पड़ जाएगी।
समस्या समाधान के प्रयास और आगे की राह
- वर्ष 2014 में कौशल विकास कार्यक्रमों को गति प्रदान करने के लिए कौशल एवं उद्यमिता विकास मंत्रालय का गठन प्रदेश सरकार द्वारा किया गया।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को प्रदेश में लागू किया गया है।
- कानपुर में एक राष्ट्रीय कौशल विकास संस्थान की स्थापना। अन्य कई क्षेत्रीय केन्द्रों की स्थापना की जाएगी।
- बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय में इन्क्यूवेशन सेंटर की स्थापना की गयी है। इसके साथ ही निम्नलिखित प्रयास भी आवश्यक हैं
- वर्तमान शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन लाकर रोजगारोन्मुख बनाया जाए।
- श्रम-प्रधान क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दिया जाए।
- लघु एवं मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन के साथ ही कृषि आधारित उद्योगों के विकास हेतु वित्तीय और नीतिगत किए जाएं।
- युवाओं को स्वरोजगार एवं उद्यमिता हेतु प्रेरणा व सहयोग आवश्यक होगा।