दिल्ली वायु प्रदूषण (Delhi Air Pollution)

2017 की शीत ऋतु में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में  वायु गुणवत्ता सूचकांक के “गंभीर” स्तर के प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गयी थी।

मुख्य बिंदु

  • नई दिल्ली में PM 2.5 की सांद्रता 1,200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गई थी, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानदंडों से 48 गुणा अधिक थी।
  • इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसे “चिकित्सीय आपात” के रूप में मानते हुए इसे एक दिन में 50 सिगरेट का धूम्रपान करने के समान माना।

स्मॉग के बारे में

  • यह वायुमंडल में निर्मुक्त प्रदूषकों की सूर्य के प्रकाश साथ प्रकाश-रासायनिक अभिक्रिया का परिणाम है।
  • यह विभिन्न कारकों का परिणाम है: उस स्थान की भौगोलिक अवस्थिति, सूर्य का प्रकाश, वायु की मंद गति, ईंट भट्टों का जलना, वाहनों तथा औद्योगिक गतिविधियों द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण इत्यादि।
  • धुंध (Haze): जब प्रदूषण की मात्रा अधिक हो जाती है तब नाइट्रोजन ऑक्साइड और धूल के कण सूर्य के प्रकाश के साथ
    अंतक्रिया करते हैं, परिणामस्वरूप धरातलीय ओजोन का निर्माण होता है तथा यह क्रिया धुंध के निर्माण का कारण बनती है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण:

  • दिल्ली में शीत ऋतु के दौरान, दो प्रकार की पवनें – पहली जो पंजाब में कृषि अवशेष को जलाने से उत्पन्न प्रदूषकों को बहाकर
    लाती है और दूसरी जिसके द्वारा उत्तर प्रदेश से आर्द्रता लायी जाती है, परस्पर टकराती हैं और आबद्ध हो जाती हैं। इसके कारण
    स्मॉग का निर्माण होता है।
  • पंजाब एवं हरियाणा में धान अवशेष को जलाना: इन राज्यों में किसानों द्वारा लगभग 35 मिलियन टन फसल को जला दिया जाता
    है, जिसमें प्रति वर्ष निरंतर वृद्धि हो रही है।
  • दिल्ली में धरातलीय ओजोन और PM 2.5 स्मॉग के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • धूल भरी आंधी: सिस्टम ऑफ़ एयर क्वालिटी एंड वेदर फ़ोरकास्टिंग एंड रिसर्च अर्थात् सफर (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार दिल्ली के शीतकालीन स्मॉग का मुख्य कारण इराक, कुवैत और सऊदी अरब का “मल्टी-डे डस्ट स्टॉर्म” था। ग्रीष्मकाल में भी दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में धूल की एक सघन परत का निर्माण हो गया था जिसका प्रमुख कारण अत्यंत शुष्क मौसमी दशाओं, उच्च तापमान और तीव्र पवनों से जूझ रहे राजस्थान से चलने वाली धूल भरी आँधियाँ थीं।
  • दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वृहत स्तर पर निर्माण गतिविधियाँ वायु में धूल कण का प्रमुख स्रोत है।

 स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • इसके साक्ष्य उपलब्ध हैं कि उच्च प्रदूषण बच्चों के समय-पूर्व जन्म, गर्भवती महिलाओं में गर्भपात और भ्रूण की वृद्धि संबंधी समस्याएं उत्पन्न करता है।
  • अन्य प्रभाव- श्वास संबंधी समस्या, आंख एवं नाक से पानी बहना, आंखों में जलन, खांसी, चक्कर आना, सिरदर्द, सुस्ती, गले में ख़राश, गठिया रोग, हृदयाघात के जोखिम का बढ़ना इत्यादि।
  •  एक अध्ययन के अनुसार यदि दिल्ली के वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय मानक स्तर से कम कर दिया जाता है तो दिल्ली के नागरिकों की जीवन प्रत्याशा छह वर्ष तक बढ़ जाएगी।

 दिल्ली के वायु प्रदूषण से निपटने हेतु उठाए गए कदम

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP):

  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार द्वारा विभिन्न क़दमों को शामिल किया गया है
  • पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सम्पूर्ण देश में 100 चिन्हित अनुपालन  न करने वाले शहरों (non-attainmenmt cities) में आगामी तीन वर्षों में वायु प्रदूषण में 35% तथा आगामी पांच वर्षों में कम से कम 50% तक की कटौती के लक्ष्य की घोषणा की गयी है।
  • किसी अनुपालन न करने वाले शहर की वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों की तुलना में निम्न होती है।

 

केंद्र की “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में वायु प्रदूषण निपटने हेतु कार्ययोजना (Air Action Plan)-

  • यही योग्य बिंदु (इन्फोग्राफिक में प्रदर्शित) हैं। इसने राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के मंत्रालयों द्वारा “सतत एवं समन्वित कार्यवाही” की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
  • अन्य महत्वपूर्ण क़दमों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए प्रति वर्ष सोर्स एट्रीब्यूशन अध्ययनों का आयोजन किया जाना सम्मिलित है। आंकड़ों की कमी प्रदूषण के नियंत्रण उपायों के कार्यान्वयन के समक्ष एक समस्या है।

आलोचनाएँ:

प्रस्तावित कार्ययोजना में विभिन्न स्तरों पर निश्चित उत्तरदायित्वों एवं जवाबदेहिता सहित वर्ष दर वर्ष प्रदूषण के स्तर में एक निश्चित प्रतिशत की निरपेक्ष कमी को दर्शाने वाले स्पष्ट परिभाषित लक्ष्यों का अभाव है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने हेतु राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की कार्य-योजना:

NGT ने वायु प्रदूषणको चार श्रेणियों में विभाजित किया हैं:

 


NGT की योजना निम्नलिखित बिंदुओं में अन्य योजनाओं से भिन्न है:

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के लिए 6 श्रेणियों का निर्माण किया है- ‘गुड (‘उत्तम)’, ‘सैटिस्फैक्ट्री (संतोषजनक)’, ‘मॉडरेटली पॉल्यूटेड (मध्यम प्रदूषित)’, ‘पुअर (ख़राब)’, ‘वेरी पुअर (अत्यंत ख़राब)’, ‘सीवियर (गंभीर)’ तथा ‘अबव सीवियर (अत्यंत गंभीर)। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) के ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) द्वारा प्रदूषणकी पांच श्रेणियां का निर्माण किया गया है। ये श्रेणियां हैं: सीवियर + या इमरजेंसी (अत्यंत गंभीर या आपातकालीन), सीवियर (गंभीर), वेरी पुअर (अत्यंत खराब), मॉडरेट टू पुअर (मध्यम से खराब) और मॉडरेट (मध्यम)।
  • NGT ने तीसरी श्रेणी में ऑड-इवन नीति लागू करने की मांग की है जबकि वर्तमान GRAP आपातकालीन या उच्चतम प्रदूषण स्तरों में ही ऐसे कदम उठाने का प्रावधान करता है। तीसरी श्रेणी के प्रदूषण स्तरों को “क्रिटिकल” बताते हुए NGT ने प्राधिकारियों को विनिर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने व ऑड-इवन योजना आरंभ करने सहित त्वरित कदम उठाने संबंधी निर्देश दिए।
  • जब वायु प्रदूषण, पर्यावरणीय आपात के स्तर तक पहुँच जाए, तब दिल्ली में ताप विद्युत संयंत्रों को बंद कर दिया जाना चाहिए और ऊँची इमारतों से जल का छिड़काव किया जाना चाहिए। डीजल जेनेरटरों के उपयोग पर पूर्णतः। प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। ट्रेलर सहित माल ढुलाई करने वाले ट्रकों एवं भारी वाहनों का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (NCT) में प्रवेश निषिद्ध किया जाए। पर्यावरणीय आपात की अवधि के दौरान केवल दवाइयां, खाद्य सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करने वाले भारी वाहनों को अनुमति प्रदान की जानी चाहिए।

 

दिल्ली सरकार की कार्ययोजना

दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता की तीन पृथक श्रेणियां के अंतर्गत कार्यवाही करने का प्रस्ताव रखा था। इन सूचीबद्ध उपायों को ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के साथ कार्यान्वित किया जाएगा।

GRAP की मुख्य विशेषताएं

  • यह योजना वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ऑड-इवन कार राशनिंग स्कीम तथा निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध आदि जैसे उपायों
    की अनुशंसा करती है। ‘बहुत खराब (very poor)’ वायु गुणवत्ता के दौरान, यह डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश करती है और पार्किंग शुल्क को तीन से चार गुना बढ़ा देती है।
  • इसके अंतर्गत विभिन्न अन्य उपायों को भी सूचीबद्ध किया गया है जैसे-ईंट भट्टियों, स्टोन क्रशर्स व हॉट मिक्स संयंत्रों को बंद करना, सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को बेहतर बनाना, मशीनीकृत सफाई और सड़कों पर जल के छिड़काव की आवृत्ति में वृद्धि करना।

अन्य कदम

  • वाणिज्यिक वाहनों को कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) वाहनों में परिवर्तित करना।
  • वर्ष 2015 में पर्यावरण मंत्रालय ने वायु (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत दिल्ली में सड़कों के किनारे
    और खाली स्थानों पर व्यापक वृक्षारोपण किये जाने के आदेश जारी किए थे।
  • भारत स्टेज-6 के मानदंडों को अप्रैल 2020 के बजाय अप्रैल 2018 से लागू करना।।
  • ईंट के भट्टों को बंद करना तथा पार्किंग शुल्क में बढ़ोत्तरी कर सार्वजनिक वाहन के उपयोग को बढ़ावा देना।
  • राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने राजधानी में कुछ दिनों के लिए निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था।
  • NCR तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में पेटकोक तथा फर्नेस ऑयल को प्रतिबंधित करना , ऑड-इवन नीति को लागू करना तथा पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगाना।

आगे की राह

  • सुदृढ़ एवं विश्वसनीय मौसम पूर्वानुमान प्रणाली: बेहतर मौसम पूर्वानुमानों की गहन आवश्यकता है ताकि एजेंसियों के पास किए जाने वाले उपायों की अग्रिम सूचना मौजूद हो। संपूर्ण विश्व में जहां भी इस प्रकार स्मॉग अलर्ट सिस्टम मौजूद हैं वहां इस परिप्रेक्ष्य में कार्रवाई के लिए एक सुदृढ़ एवं विश्वसनीय मौसम पूर्वानुमान प्रणाली का उपलब्ध होना भी अत्यावश्यक है।
  • व्यापक सड़क परिवहन नीति द्वारा सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। कई अध्ययनों द्वारा ज्ञात हुआ है कि सार्वजनिक परिवहन दिल्ली के 65% से अधिक यात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा करता है परंतु सड़क परिवहन में सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी 5% से भी कम है।

इसके साथ ही निजी वाहनों की खरीद को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। इसमें प्रदूषण करों के समुच्चय, वाहनों को लाइसेंस | देने और पंजीकरण को तर्कसंगत बनाना, कंजेस्शन टैक्स, कार मुक्त क्षेत्रों इत्यादि को कार्यान्वित किया जाना चाहिए।

  • शहरी नियोजन दीर्घकालिक होना चाहिए जिसमें गैर-मोटर चालित परिवहनों जैसे साइकिल एवं पैदल यात्रियों को भी पर्याप्त स्थान प्रदान किया जाना चाहिए।
  • प्रदूषणकारी उद्योगों के लिए दंडात्मक प्रावधानों को भी कठोर और स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए ताकि उत्तरदायित्व को निर्धारित किया जा सके, जिसे वर्तमान योजना में छूट प्रदान की गई है।
  • नौकरशाही बाधाओं को दूर करना: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को बढ़ते वायु प्रदूषण, स्वास्थ्य संकट तथा एक व्यापक योजना के उचित कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप करना चाहिए।
  • वाहनों, विद्युत संयंत्रों तथा उद्योगों में प्रयुक्त किए जाने वाले पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से गैस के उपयोग की ओर स्थानांतरित होने की आवश्यकता है। दूसरा स्थानांतरण प्राकृतिक गैस तथा स्वच्छ ईंधन से विद्युत वाहनों की ओर आवश्यक है तथा विद्युत की अबाध आपूर्ति को सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि जेनरेटरों के प्रयोग पर रोक लगाई जा सके।
  • कचरे को जलाने से रोकने हेतु ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली में परिवर्तन करना।
  • लोगों को निवारक कार्रवाई अपनाने के लिए बेहतर स्वास्थ्य परामर्श प्रदान करना
  • सर्वोत्तम कार्यप्रणाली को अपनाना: दिल्ली, सड़कों पर अनुमत गाड़ियों की संख्या पर सीमा निर्धारित करने के सिंगापुर के उदाहरण का अनुकरण कर सकती है।

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