डेटा लोकलाइजेशन की अवधारणा की व्याख्या : श्रीकृष्णा समिति की प्रमुख सिफारिश

प्रश्न: डेटा लोकलाइजेशन की अवधारणा एवं महत्व की व्याख्या कीजिए। साथ ही श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट और ड्राफ्ट पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2018 के सन्दर्भ में क़ानून प्रवर्तन प्रयासों को सुदृढ़ करने में इसकी सीमाओं की चर्चा कीजिए। (250 शब्द)

दृष्टिकोण

  • डेटा लोकलाइजेशन की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
  • इसके महत्व की चर्चा कीजिए।
  • इस संदर्भ में श्रीकृष्णा समिति की प्रमुख सिफारिशों को सूचीबद्ध कीजिए और इनसे होने वाले लाभों को सुझाइए।
  • उत्तर समाप्त करने से पहले इन सिफारिशों से संबंधित महत्वपूर्ण तर्कों को रेखांकित कीजिए।

उत्तर

डेटा लोकलाइजेशन किसी राष्ट्र विशेष की सीमा पर ही सृजित आंकड़ों को वहीं पर भौतिक रूप से मौजूद किसी डिवाइस में संग्रह करने की गतिविधि है। उदाहरण के लिए, रूस, चीन आदि द्वारा लोकलाइजेशन संबंधी आवश्यकताओं को अपनाया गया है, जिसके लिए डेटा को संबंधित देश की सीमाओं में ही संग्रहित किया जाता है।

डेटा लोकलाइजेशन का महत्व:

जहाँ इंटरनेट वैश्विक स्तर पर विस्तारित है वहीं विनियमन स्थानीय है। ऐसी स्थिति में राज्य विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु डेटा लोकलाइजेशन के लिए प्रेरित होते हैं:

  • अपने नागरिकों की गोपनीयता एवं सुरक्षा के संरक्षण हेतु।
  • डेटा तक पहुँच में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की पारम्परिक क्षमताओं में आने वाली कठिनाइयों को समाप्त करके अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करना।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विरुद्ध स्थानीय कानूनों को लागू करना आवश्यक है ताकि क्षेत्राधिकार को लेकर कोई अस्पष्टता न रहे।
  • स्थानीय रूप से संगृहीत किए जाने वाले नागरिकों के स्वास्थ्य या वित्त से सम्बन्धित संवेदनशील डेटा के लिए कॉर्पोरेट उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना।
  • विदेशी खुफिया एजेंसियों द्वारा निगरानी में वृद्धि से डेटा प्रवाह को सुरक्षित करके सीमा-पार सुरक्षा को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करना।
  • वैश्विक रूप से प्रभावशाली शक्तियों से स्थानीय व्यापार वृद्धि की सुरक्षा।

डेटा लोकलाइजेशन के संदर्भ में श्रीकृष्ण समिति ने ड्राफ्ट पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • मॉडल अनुबंध प्रावधानों (जिसमे होने वाली हानि के लिए स्थानान्तरणकर्ता के दायित्व-निर्धारण सहित सभी प्रमुख बाध्यताओं का निरूपण किया गया हो) के माध्यम से महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा को छोड़कर अन्य व्यक्तिगत डेटा के सीमापार स्थानान्तरण की अनुमति।
  • महत्वपूर्ण समझे जाने वाले व्यक्तिगत डेटा के सीमा-पार स्थानान्तरण का पूर्णतया निषेध।
  • अन्य प्रकार के व्यक्तिगत डेटा (गैर-महत्वपूर्ण) की कम से कम एक प्रति को भारत में आवश्यक रूप से संगृहीत करना आवश्यक होगा।

हालांकि समिति कानून प्रवर्तन का हवाला देती है किन्तु फाइबर ऑप्टिक केबल नेटवर्क पर निर्भर होने की परिणामी सुभेद्याताओं को नज़रअंदाज़ कर देती है। तथापि AI के विकास में सहायता करने के साथ विदेशी निगरानी पर प्रतिबन्ध को प्रमुख लाभों के रूप में गिनते समय निम्नलिखित सीमाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए:

  • डेटा की अवस्थिति के आधार पर ही यह निर्धारित नहीं होना चाहिए कि उस डेटा तक किसकी पहुँच हो और किसकी नहीं।इसके फलस्वरूप अव्यावहारिक परिस्थितियाँ उत्पन्न होंगी। उदाहरण के लिए भारतीय डेटा का भारत में पुनः स्थानांतरण करने के लिए अमेरिकी कंपनियों को भारतीय अधिकरणों के साथ जानकारी साझा करने से पहले म्यूचुअल लीगल असिस्टेंट ट्रीटी (MLAT) का पालन करना होगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय या पार-देशीय आतंकवाद, साइबर अपराधर तथा मनी लॉडरिंग में प्रायः गैर-भारतीय व्यक्तियों और खातों को शामिल किया जाता है। हालांकि, लोकलाइजेशन केवल ऐसी घटनाओं की जानकारी प्रदान कर सकता है जो भारत में घटित हुई हों, जहां अपराधी और पीड़ित दोनों ही भारत में उपस्थित हैं।
  • डेटा लोकलाइजेशन को लागू करते समय, समिति को यह भी सुझाव देना चाहिए था कि यह डेटा पुलिस अधिकारियों द्वारा कैसे प्राप्त किया जाएगा।
  • समिति ने कानून प्रवर्तन के लिए डेटा के स्थानीयकरण को आवश्यक माना है किन्तु इस डेटा हेतु किसी भी प्रक्रियात्मक सुरक्षा को स्पष्ट रूप से अस्वीकृत कर दिया है। यह निगरानी संबंधी सुधार के लिए एक और व्यापक कानून बनाने का दायित्व संसद को देता है।
  • स्थानीय रूप से डेटा के संग्रहण एवं संचलन की आवश्यकता घरेलू उद्यमों पर पर्याप्त आर्थिक बोझ डाल सकती है, जो विदेशी बुनियादी ढांचे जैसे क्लाउड कंप्यूटिंग की सहायता से वस्तुएं एवं सेवाएं प्रदान करती है।

हालांकि डेटा लोकलाइजेशन भारतीय नागरिकों और व्यवसायों के हितों की रक्षा में सहायता करता है किन्तु इस पर अत्यधिक बल देने से हमारे व्यापार समझौतों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है जहाँ लोकलाइजेशन का मुद्दा बार-बार उठाया जाता रहा है। इसलिए सभी हितधारकों के लिए लाभ की स्थिति (win-win situation) प्राप्त करने के हेतु एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

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