भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य का संक्षिप्त परिचय : भारत की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी महत्वाकांक्षायें

प्रश्न: भारत की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी महत्वाकांक्षाओं को साकार करने एवं साथ ही हमारे नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स) का विकास करने हेतु एक मिशन मोड दृष्टिकोण को अपनाना महत्वपूर्ण होगा। विश्लेषण कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए। 
  • तत्पश्चात सरकार द्वारा अभिप्रेत(intended) विद्युत वाहन लक्ष्य को प्रेरित करने वाले कारणों का उल्लेख कीजिए।
  • ऊर्जा भंडारण की आवश्यकता का संक्षिप्त विवरण दीजिए और कुछ चुनौतियों पर चर्चा करते हुए संक्षिप्त समाधान प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट के लक्ष्य को निर्धारित कर जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इसी संदर्भ में नवंबर 2017 तक कुल 62 GW नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है।

हालांकि, नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में, परिवहन क्षेत्र सबसे बड़ी बाधा रहा है। यह 80% से अधिक जीवाश्म ईंधन का उपयोग करता है तथा इसमें उपस्थित ऊर्जा अक्षम डिजाइन, निम्न स्तरीय वाहन रखरखाव व्यवस्था इत्यादि के व्यापक प्रचलन ने ऊर्जा संरक्षण को जटिल बना दिया है।

भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के अपने अभिप्रेत लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयास के क्रम में 2030 तक 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की बिक्री का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसको कार्यान्वित करने हेतु सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए 1 अप्रैल, 2015 को फेम इंडिया योजना को अधिसूचित किया गया।

नीति आयोग के अनुसार, 2017 से 2020 के मध्य भारत की संचयी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरी आवश्यकताएं कम से कम 120 GWh होंगी। इसी प्रकार 2021से 2025 के मध्य यह आवश्यकता 970 GWh और फिर 2026 से 2030 के मध्य कम से कम 2410 GWh हो जाएगी।

ऐसे में ऊर्जा भंडारण प्रणालियों की स्थापना से नेटवर्क ऑपरेटरों को सौर एवं पवन संसाधनों के उतार-चढ़ाव को कम करने में सहायता प्राप्त होगी तथा पारेषण प्रणाली पर दबाव को भी कम किया जा सकेगा। इससे आवृत्ति विनियमन और अन्य ग्रिड सेवाओं के माध्यम से वहनीय विद्युत प्रदान करने तथा राजस्व के नए स्रोतों का सृजन करने में भी सहायता प्राप्त होगी।

इस प्रकार वाहन-विद्युतीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा समेकन एवं रोजगार के अवसरों में वृद्धि से संबंधित सरकार के लक्ष्यों को सहायता प्रदान करने हेतु ऊर्जा भंडारण प्रणाली के विकास हेतु मिशन मोड दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। साथ ही यह स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक संक्रमण को भी गति प्रदान करेगा। इस सन्दर्भ में हाल ही में, 10 मेगावाट की भारत की प्रथम उपयोगिता-स्तर (utility-scale) की ऊर्जा भंडारण प्रणाली का निर्माण प्रारंभ किया गया है।

किन्तु इसके साथ ही पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित चुनौतियों से निपटने की भी आवश्यकता है:

  •  निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए, सुस्पष्ट इलेक्ट्रिक वाहन नीति की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त टैरिफ नीति में अधिक स्पष्टता एवं समन्वय भी आवश्यक है।
  • भारत में लिथियम-आयन बैटरी के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों के छोटे भंडार विद्यमान हैं और इसके साथ ही वर्तमान में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी का कोई बड़ा उत्पादक भी नहीं है। इसके अतिरिक्त क्षमताओं और योग्यताओं दोनों के लिए अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं का भी अभाव है।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए निरंतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना भी एक चुनौती है।
  • एक सुदृढ़ व कुशल ग्रिड सिस्टम एवं वितरण प्रणाली की स्थापना के साथ-साथ चार्जिंग स्टेशनों को छोटे शहरों में स्थापित करना ।
  • भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की तीव्र वृद्धि और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों की धीमी वृद्धि दोनों के मध्य विषमता व्याप्त होना।

वस्तुतः नीतिगत समस्या को दूर कर तथा निजी निवेश को प्रोत्साहित कर इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है। भारत को ब्राइन से लिथियम निकालने के लिए वाष्पीकरण पूल का निर्माण करना चाहिए और प्रयुक्त बैटरियों से खनिजों के निष्कर्षण हेतु R&D में निवेश करना चाहिए। इसे मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

समग्रतः भारत को 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बैटरी विनिर्माण क्षेत्र से संबंधित सभी प्रमुख हितधारकों को समन्वित करने की आवश्यकता है ताकि प्रौद्योगिकी मार्गों के निर्धारण, निवेश रणनीतियों एवं समय के समेकन तथा मार्गदर्शक नीतियों को सुनिश्चित किया जा सके।

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