दार्शनिकों के उद्धरण : स्वयं की गलतियों की संवीक्षा और उन्हें स्वीकार करने के सकारात्मक निहितार्थ

प्रश्न: नीचे नैतिक विचारकों /दार्शनिकों के दो उद्धरण दिए गए है। इनमें से प्रत्येक के लिए स्पष्ट कीजिए कि वर्तमान संदर्भ में आपके लिए इसके क्या मायने हैं।

  1. लोग जिस प्रकार दूसरों की गलतियों की संवीक्षा करते हैं, यदि उसी प्रकार अपनी गलतियों की भी संवीक्षा करें, तो मानव जाति सभी बुराइयों से मुक्त हो जाएगी।

दृष्टिकोण

  • एक संक्षिप्त व्याख्या के साथ उत्तर आरंभ कीजिए। 
  • लोगों द्वारा दूसरों के कार्यों में गलतियां खोजने के पीछे निहित कारणों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • स्वयं की गलतियों की संवीक्षा और उन्हें स्वीकार करने के सकारात्मक निहितार्थों की चर्चा कीजिए।
  • निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

तिरुवल्लुवर द्वारा सुझाव दिया गया कि यदि मनुष्य दूसरों में गलतियों को खोजने के बजाय अपनी स्वयं की गलतियों की संवीक्षा करे, तो मानव जाति सभी बुराइयों से मुक्त हो जाएगी। अपनी गलतियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय दूसरों की गलतियों पर ध्यान देना, हमें अहंकार, दोषारोपण और द्वेष जैसी बुराईयों के प्रति सुभेद्य बना देता है।

दूसरों में गलतियाँ खोजना मानव प्रवृत्ति की सामान्य विशेषता है। उदाहरण के लिए, लोग भ्रष्टाचार के लिए सरकार को दोष देते हैं, जबकि स्वयं रिश्वत लेने में सहभागी होते हैं या शिकायतों के पंजीकरण से बचते हैं। इसी तरह, महिलाएं लैंगिक पूर्वाग्रह की शिकायत करती हैं जबकि उनमें से कुछ इसी कार्य में सक्रिय दोषी भी होती हैं। यह आंशिक रूप से हमारी अहंकार प्रेरित प्रकृति के कारण होता है। स्वयं की गलती खोजना, एक सभ्य व्यक्ति के रूप में हमारी बेहतर आत्म-छवि को चुनौती देता है। यह हमारी गलतियों के प्रति पूर्णतः अनभिज्ञ होने के कारण भी हो सकता है, जो इन्हें स्वीकार करना बहुत जटिल बना देता है, जबकि दूसरों पर दोषारोपण करने से हम स्वयं में गलतियां निकालने से बच सकते हैं।

वर्तमान संदर्भ में, जहां एक बटन के क्लिक पर सूचनाएं उपलब्ध है, लोग अपनी गलतियों को नजरअंदाज करते हैं और एक विवेकपूर्ण चिंतन करने पर कम समय देते हैं। शीघ्र निर्णय लेने के इस युग में स्वयं के आत्मविश्लेषण के लिए कम समय बच पाता है। वर्तमान में अंतर्वैयक्तिक संघर्ष में यह विशेष रूप से प्रभावी है। अपनी स्वयं की बुराइयों या कमजोरियों को छिपाना सामर्थ्य की एक विशेषता मानी जाती है, हालांकि उनकी उपेक्षा करना और उनके प्रति अज्ञानी बना रहना हानिकारक होता है। चूंकि एक व्यक्ति स्वयं का सर्वश्रेष्ठ मूल्यांकनकर्ता होता है, इनकी अवहेलना करने से समग्र रूप से समाज के लिए इष्टतम परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं और इसके परिणामस्वरूप सामाजिक बुराइयों का सृजन होता है। यद्यपि समाज की सभी बुराइयां आत्म-मूल्यांकन की कमी से सृजित नहीं होती, फिर भी इस कारण से संघर्ष निश्चित रूप से उत्पन्न हो जाते हैं।

अपने स्वयं की गलतियों की संवीक्षा का व्यक्तिगत और समाज दोनों के लिए अनेक लाभ हैं। व्यक्तिगत रूप से, यह हमें बेहतर निर्णय लेने में सहायता करता है क्योंकि आत्म-औचित्य (self-justifications) वास्तविकता को समाप्त कर देता हैं, वैकल्पिक जगत का निर्माण करता है तथा हमारी बेहतर चयन क्षमता को कम कर देता है। यह आरंभ में ही छोटी गलतियों का समाधान करके इन्हें बड़ी गलतियों में परिवर्तित होने से रोकता है। यह दूसरों के प्रति सम्मान को उत्पन्न करता है और लोगों के मध्य संबंधों को मजबूत बनाता है।

ऐसे लोग अपने बच्चों को अच्छी आदतें सिखाएंगे और साथ ही वयस्कों को भी प्रभावित कर सकते है। उदाहरणस्वरूप, गौतम बुद्ध, अशोक, महात्मा गांधी जैसे महान नेताओं ने विश्व को अपने व्यक्तिगत कार्यों से प्रभावित किया। यदि विनम्रता, सच्चाई, ईमानदारी जैसे गुणों को व्यक्तिगत स्तर पर अपनाया जाता हैं, तो यह अंत में सभी बुराइयों से मुक्त एक बेहतर समाज और शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण करेगा। गांधीजी ने उनकी टिप्पणी में इसी प्रकार के दर्शन की पुष्टि की थी – “वह परिवर्तन स्वयं बनें जिसे आप विश्व में देखना चाहते हैं।”

 ii. साहस प्राथमिक मानवीय गुण है क्योंकि यह वह गुण है जो अन्य गुणों को सुनिश्चित करता है।

दृष्टिकोण

  • साहस को परिभाषित कीजिए और एक महत्वपूर्ण मानवीय सद्गुण के रूप में इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  • उदाहरण सहित चर्चा कीजिए की कैसे साहस अन्य मानवीय गुणों के लिए एक पूर्व आवश्यक शर्त है।
  • संतुलित निष्कर्ष के साथ उत्तर समाप्त दीजिए।

उत्तर

साहस वह सद्गुण है जो किसी व्यक्ति को खतरे, कठिनाई या संदेह की स्थिति में भय को कम करने में सक्षम बनाता है। जैसा कि नेल्सन मंडेला ने कहा, “साहस भय की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि इसके ऊपर विजय है।”

साहस अन्य गुणों की गारंटी प्रदान करता है:

  • साहस लोगों को उनके कृत्यों के लिए कठिन परिणामों का सामना करने में सक्षम बनाता है। उदाहरण के लिए एडवर्ड स्नोडेन जैसे व्हिसल ब्लोअर प्रायः सूचनाओं के प्रकटीकरण के लिए भारी कीमत चुकाते हैं।
  • साहस के बिना नेतृत्व जैसे गुण को प्रदर्शित करना कठिन होता है जो अनिश्चितता के मध्य भविष्य के लिए रोडमैप निर्माण करने हेतु अपरिहार्य होता है। उदाहरण के लिए यह “साहस” ही है जिसने महात्मा गांधी को दमनकारी औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध अहिंसा के गुण को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाया।
  • यह लोगों को दृढ़ निर्णय लेने और उन कृत्यों को करने का प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करता है जिन्हें उन्होंने पहले नहीं किया है। उदाहरण के लिए स्पेसएक्स जैसे अनूठे और अव्यवहारिक प्रतीत होने वाले व्यावसायिक रूप से अलाभकारी योजना में निवेश करने हेतु साहस की आवश्यकता होती है।
  • साहस के बिना विभिन्न व्यक्तिगत, सामाजिक और पेशेवर कार्य असंभव हैं। सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक उत्तरदायित्व, गैर-तरफदारी और सच्चाई को स्थापित करने हेतु यह सामाजिक सुधारों या निडर निर्णय लेने के लिए एक संघर्ष हो सकता है।

हालांकि, यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि साहस, कारण द्वारा परिभाषित सीमाओं के भीतर होना चाहिए (जैसे अपराधियों के संदर्भ में कानून-लागू करने वाले कर्मियों द्वारा दिखाया गया साहस)। इसके अतिरिक्त, जीवन दैनिक अवसरों और साहसी कृत्यों के उदाहरण प्रस्तुत करता है (उदाहरण के लिए अन्याय का विरोध करना, सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता जैसे उचित कार्यों का सक्रिय रूप से समर्थन करना आदि) जो साहस के विचारों से दूर चरम या नाटकीय शारीरिक वीरता के रूप में है।

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