नमक सत्याग्रह : नमक कर को लक्षित करने में गांधीजी की कार्यनीतिक निपुणता
प्रश्न:दांडी यात्रा के दौरान ब्रिटिश शासन को चुनौती देने के लिए एक प्रतीक के तौर पर नमक का चुनाव वस्तुतः गांधीजी की कार्यनीतिक निपुणता को दर्शाता है, विश्लेषण कीजिए। साथ ही, संक्षेप में, इस यात्रा की कुछ अन्य उल्लेखनीय विशेषताओं पर भी प्रकाश डालिए।
दृष्टिकोण
- संक्षेप में नमक सत्याग्रह पर चर्चा कीजिए।
- विश्लेषण कीजिए कि नमक कर को लक्षित करने में गांधीजी की कार्यनीतिक निपुणता किस प्रकार प्रदर्शित होती है।
- इस यात्रा की कुछ अन्य उल्लेखनीय विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
गांधीजी ने अनुचित नमक कर के विरुद्ध साबरमती आश्रम से दांडी गांव के तटवर्ती क्षेत्रों तक 24 दिन (12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930) लंबी अहिंसक यात्रा की। इस यात्रा ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के आरंभ को प्रदर्शित किया। सविनय अवज्ञा आंदोलन, राष्ट्रीय आंदोलन में जन भागीदारी का एक महत्वपूर्ण चरण था।
भारत में अंग्रेजी नमक के आयात और बिक्री को सक्षम बनाने के लिए भारतीय नमक पर कर लगाया गया था। नमक की आपूर्ति पर नियमों को सुसंगत बनाने के लिए, अंग्रेजों द्वारा इंडियन साल्ट एक्ट, 1882 पारित किया गया। इसने नमक के उत्पादन और बिक्री पर सरकार का एकाधिकार स्थापित किया। नमक का उत्पादन एवं प्रबंधन केवल उच्च करों के साथ आधिकारिक सरकारी नमक डिपो में ही किया जा सकता था।
गांधीजी स्वयं नमक एकाधिकार को चार गुना अभिशाप के रूप में देखते थे क्योंकि:
- यह एक मूल्यवान सुगम ग्रामीण उद्योग से लोगों को वंचित करता है।
- प्रकृति द्वारा प्रचुरता में उत्पन्न संसाधन का अनियंत्रित विनाश सम्मिलित है।
- विनाश के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय व्यय में वृद्धि होती है।
- 1,000 प्रतिशत से अधिक का एक असाधारण कर जो भूख से मरने वाले लोगों से वसूला जाता है।
गांधीजी को उम्मीद थी कि नमक कर को लक्षित कर ब्रिटिश शासन के विरुद्ध व्यापक जन असंतोष को संगठित किया जा सकेगा, और वह ऐसा करने में सफल भी रहे क्योंकि:
- संपूर्ण भारत में आन्दोलन को सक्रिय करने में सफलता प्राप्त हुई: मद्रास राज्य के वेदारणयम में सी. राजगोपालाचारी और केरल के पयानूर में के केलप्पन द्वारा तटवर्ती क्षेत्रों में इसी तरह की यात्रा की गई।
- महिलाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। उदाहरण के लिए, कमलादेवी चट्टोपाध्याय को नमक या शराब कानून तोड़ने पर गिरफ्तार किया गया।
- यात्रा केवल 80 लोगों के साथ आरंभ हुई, लेकिन दांडी पहुंचने तक यात्रा में 50,000 से अधिक लोग शामिल हो गए तथा यात्रा के पश्चात् 60,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
- गांधीजी पहली बार विश्व का ध्यान आकर्षित करने में सक्षम हुए। यूरोपीय और अमेरिकी प्रेस ने दांडी मार्च को व्यापक रूप से कवर किया।
इन असाधारण प्रयासों के बावजूद, ब्रिटिशों द्वारा नमक कर निरस्त नहीं किया गया। फिर भी, इस यात्रा ने गांधीजी की एक जन नेता के रूप में स्वीकार्यता में वृद्धि की, क्योंकि लॉर्ड इरविन को स्वयं उनके साथ इरविन समझौते पर हस्ताक्षर करना पड़ा। इसने भारत के लोगों में एक बड़ा आत्मविश्वास उत्पन्न किया क्योंकि पहली बार ब्रिटिश सरकार द्वारा किसी भारतीय के साथ के समानतापूर्ण व्यवहार किया गया था।
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