कॉर्पोरेट गवर्नेस (कॉर्पोरेट शासन) : हितधारकों के प्रति समतापूर्ण व्यवहार

प्रश्न: चर्चा कीजिए कि किस प्रकार प्रभावी कॉर्पोरेट गवर्नेस सभी हितधारकों के साथ न्यायसंगत व्यवहार सुनिश्चित कर सकती है।

दृष्टिकोण

  • कॉर्पोरेट गवर्नेस (कॉर्पोरेट शासन) का संक्षिप्त परिचय दीजिए। एक कंपनी में विभिन्न हितधारकों और उनके हितों को भी रेखांकित कीजिए।
  • प्रभावी कॉर्पोरेट गवर्नेस सभी हितधारकों के प्रति समतापूर्ण व्यवहार को सुनिश्चित कर सकती है, इस संबंध में अपने तर्क प्रस्तुत कीजिए।
  • उपयुक्त निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

कॉर्पोरेट गवर्नेस (कॉर्पोरेट शासन) नियमों, प्रक्रियाओं और रीतियों का एक फ्रेमवर्क है जो किसी कंपनी के मार्गदर्शन, निर्देशन, नियंत्रण और प्रबंधन में सहायक है। यह लक्ष्यों और उद्देश्यों को इस प्रकार प्राप्त करने में सहायता करता है जिससे कंपनी की साख में वृद्धि हो तथा अंततः सभी हितधारकों का दीर्घकालिक लाभ भी सुनिश्चित हो। इस प्रकार, यह किसी कंपनी के आतंरिक तथा बाह्य हितधारकों के हितों के मध्य संतुलन स्थापित करने का एक कार्य है।

हितधारक और उनके हित

आतंरिक हितधारक बाह्य हितधारक
  • शेयरधारक- शेयरधारकों के मूल्य और संपदा में वृद्धि करना
  • शीर्ष प्रबंधन- विकास तथा पहचान।
  • कर्मचारी- एक स्वस्थ कार्य परिवेश का सृजन करना समान कार्य हेतु समान वेतन इत्यादि।
  • ग्राहक– गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की समयबद्ध आपूर्ति के द्वारा ग्राहक की संतुष्टि में वृद्धि करना।
  • आपूर्तिकर्ता- वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति हेतु समयबद्ध भुगतान।
  • वित्त प्रदाता- मूलधन की सुरक्षा तथा ब्याज का भुगतान।
  • सरकार- विधिक नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना
  • समुदाय- रोज़गार सृजन तथा पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव।

 

कॉर्पोरेट गवर्नेस में सम्मिलित सभी पक्षकारों का कंपनी के निष्पादन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हित निहित होता है। प्रभावी कॉर्पोरेट गवर्नेस सभी हितधारकों के साथ समतापूर्ण व्यवहार सुनिश्चित कर सकता है क्योंकि यह विभिन्न हितधारकों से व्यवहार करते समय निष्पक्षता को सुनिश्चित करता है। इससे सभी पक्षकारों के हितों से समझौता किए बिना निम्नलिखित प्रकार से उनके अधिकारों को प्रोत्साहन और संरक्षण प्राप्त होता है:

  • कंपनी में समावेशीकरण को प्रोत्साहित करते हुए निर्णय लेने की प्रक्रिया में विभिन्न हितधारकों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करना।
  • किसी कंपनी के परिचालन में हित संघर्षों की रोकथाम तथा निष्पक्षता के सृजन हेतु स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति।
  • शीर्ष प्रबंधन को उनके कृत्यों एवं आचरण हेतु उत्तरदायी बनाकर जवाबदेही की भावना को प्रोत्साहित करना।
  • इस प्रकार निर्णय प्रक्रिया में स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगाना। कंपनी की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ाना तथा हितधारकों को कंपनी की गतिविधियों के विषय में सूचित करना।
  • वित्त प्रदाताओं एवं शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए लेखांकन तथा लेखा परीक्षण की प्रक्रिया में मुद्दों का अग्रसक्रिय प्रकटीकरण।
  • बेहतर व्यावसायिक कार्यप्रणाली विकसित करने हेतु सरकारी नियमों और विनियमों का स्वेच्छा से अनुपालन।  इससे कंपनी के सामाजिक उत्तरदायित्व की पूर्ति सुनिश्चित होती है।

मौलिक रूप से, बेहतर कॉर्पोरेट गवर्नेस के लिए विदित एक कंपनी में हितधारक उच्च विश्वास प्रदर्शित करते हैं। यह हितधारकों विशेषतः विदेशी संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करती है तथा इसका कंपनी के मूल्य (साख) पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके विपरीत आतंरिक नियंत्रण में अवरोध उत्पन्न करना, लेखा-परीक्षक के समक्ष तथ्यों को अनुचित रीति से प्रस्तुत करना आदि क्रियाकलापों के माध्यम से इन नियमों का उचित तरीके से पालन नहीं किया जाता है तो इसके सभी हितधारकों के लिए प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं। अतीत में कई संगठन यथा- एनरॉन, सत्यम, कैडबरी आदि गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे, जिससे हितधारकों के धन की क्षति, कानूनों का ख़राब अनुपालन, श्रमिकों और कर्मचारियों का शोषण, ऋण डिफ़ॉल्ट और अशोध्य ऋण संबंधी परिणाम उत्पन्न हुए।

ऐसे जोखिमों के आलोक में, डिजिटल समाधानों को अपनाए जाने से सभी हितधारकों के प्रति समतापूर्ण व्यवहार सुनिश्चित करने हेतु कंपनियों को एक सुदृढ़ कॉर्पोरेट गवर्नेस को लागू करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।

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