सिविल सेवकों के अनिवार्य नैतिक व्यवहार : संस्थान में प्रभावी नैतिक मानक के कार्यान्वयन में निहित चिंता

प्रश्न:  नैतिक मानकों को बनाए रखने के प्रति सिविल सेवकों का एक विशेष दायित्व क्यों होता है? सिविल सेवाओं में एक प्रभावी नैतिक मानक के कार्यान्वयन हेतु चिंताओं के प्रमुख क्षेत्र क्या हैं ? इस संदर्भ में, इस चिंताओं को दूर करने हेतु उपाय सुझाइए।

दृष्टिकोण

  • सिविल सेवकों के अनिवार्य नैतिक व्यवहार के कारणों को प्रस्तुत कीजिए।
  • संस्थान में प्रभावी नैतिक मानक के कार्यान्वयन में निहित चिंताओं के बारे में लिखिए।
  • इसके लिए कुछ उपाय सुझाएं और एक संतुलित दृष्टिकोण के साथ निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

नैतिक मानकों को बनाए रखने के प्रति सिविल सेवकों का एक विशेष दायित्व होता है, क्योंकि वे आम जनता द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सौंपे गए संसाधनों के प्रबंधन के लिए उत्तरदायी होते हैं। उन्हें ऐसे मामले सौंपे जाते हैं जो किसी समुदाय के जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करते हैं। परिणामस्वरूप सिविल सेवकों को निष्पक्ष, गैर-तरफदारीपूर्ण एवं दक्षतापूर्ण तरीके से कार्य करना चाहिए ताकि सिविल सेवकों की निर्णय-निर्माण प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा में समुदाय के विश्वास और भरोसे को स्थापित किया जा सके।

एक स्थायी संस्था के रूप में, सिविल सेवाओं की संस्था द्वारा व्यावसायिकता, अनुक्रियाशीलता, सहानुभूति और सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता के उच्च मानकों को बनाए रखना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, अपने चुने हुए प्रतिनिधियों में प्रदर्शित होने वाली, लोगों की आकांक्षाओं को बनाए रखने के लिए, सिविल सेवकों को उत्तरोत्तर राजनीतिक सरकारों की गैर-निष्पक्ष तरीके से सेवा सेवा करनी चाहिए। उनके निर्णयों और कार्यवाहियों में तत्कालीन सरकार की नीतियाँ प्रतिबिंबित होनी चाहिए। हालांकि उच्च नैतिक मानकों को सुनिश्चित करने के लिए आचार संहिता और अन्य संस्थागत उपाय विद्यमान हैं, फिर भी इस संबंध में चिंताएं बनी हुई हैं:

  • पुरस्कार और दंड व्यवस्था का अप्रभावी अनुप्रयोग 
  • अनुकरणीय नेतृत्व की कमी
  • आचार संहिता के क्रियान्वयन में असंगतता – इसका सैद्धांतिक रूप से पालन किया जाता है किन्तु इसकी मूल भावना का पालन नहीं किया जाता। किसी के पद के प्रभावस्वरूप अर्जित मौद्रिक लाभ सामान्य बात हैं।
  • इच्छाशक्ति और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रोत्साहित करने वाली अभिवृत्ति की कमी।
  • प्रतिकूल कार्य संस्कृति के साथ-साथ अनुचित सामाजिक दबाव
  • टालमटोल और उदारता की प्रवृत्ति का प्रसार

उपर्युक्त मुद्दों को हल करने के लिए, निम्नलिखित विशिष्ट रणनीतियों का पालन करने की आवश्यकता है:

  • सिविल सेवकों के लिए आचार संहिता की विषय वस्तु और तर्काधार को संशोधित करना।
  • परीक्षा, प्रशिक्षण और करियर के बीच के चरणों में शासन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के उपायों का समावेश।
  • इस प्रकार के प्रभावी कानून जो सिविल सेवकों द्वारा लिए जाने वाले आधिकारिक निर्णयों के कारणों को उल्लिखित करना अनिवार्य बनाते हो।
  • अधिकारियों के गलत कार्यों के ‘सार्वजनिक हित में प्रकटीकरण’ हेतु एक सशक्त विसिल ब्लोअर संरक्षण व्यवस्था।
  • सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं (उदाहरण के लिए वित्तीय प्रबंधन, निविदा, भर्ती और पदोन्नति, बर्खास्तगी और अनुशासन) की सत्यनिष्ठा के जोखिमों की पहचान करने के लिए नैतिक लेखा परीक्षा।
  • प्रभावी बाह्य और आंतरिक शिकायत एवं निवारण प्रक्रियाएं।

उपर्युक्त आवश्यकताओं के अतिरिक्त, आचार संहिता देश के भीतर चल रहे सामाजिक-राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के अनुसार स्थापित की जानी चाहिए। हालांकि सिविल सेवकों द्वारा देश के कानून और समाज की मूल भावना को प्रभावी संरक्षण सुनिश्चित करने हेतु अभी एक लम्बा सफ़र तय किया जाना शेष है।

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