“मुख्यमंत्री राज्य शासन का केन्द्र बिन्दु होता है।” उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में इस कथन की व्याख्या करें।

उत्तर की संरचनाः

भूमिका:

  • संक्षेप में मुख्यमंत्री की संवैधानिक प्रस्थिति और व्यवहारिक स्थिति को स्पष्ट करें।

मुख्य भाग:

  • विभिन्न संदर्भो जैसे मंत्रिमंडल विधानमंडल राज्यपाल तथा केंद्र से संबंध इत्यादि को बताते हुए मुख्यमंत्री की राज्य में केंद्रीय स्थिति को स्पष्ट करें।
  • उत्तर प्रदेश से संबंधित उदाहरणों को साथ में रखें।
  • संक्षेप में मुख्यमंत्री की केंद्रीय स्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों की चर्चा करें।

निष्कर्ष:

  • मुख्यमंत्री की केंद्रीय स्थिति के महत्व एवं लाभ को बताते हुए संक्षिप्त निष्कर्ष दें।

उत्तर

भूमिकाः

भारत में केंद्र और राज्यों में संसदीय प्रणाली पर आधारित सरकार गठित होती है। इस व्यवस्था में राज्य का संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता है जबकि मुख्यमंत्री राज्य शासन का वास्तविक प्रमुख होता है। मुख्यमंत्री के सलाह एवं परामर्श के आधार पर ही राज्य का शासन संचालित होता है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की स्थिति केंद्र के प्रधानमंत्री क समतुल्य है।

मुख्य भागः

राज्य शासन में मुख्यमंत्री की केंद्रीय स्थिति मुख्यमंत्री के कार्य एवं शक्तियों से अभिव्यक्त होती है। मुख्यमंत्री के कार्य एवं शक्तियां विभिन्न संदर्भो में निम्नलिखित हैं

  • मुख्यमंत्री और राज्य विधान मंडल: उत्तर प्रदेश में राज्य विधान मंडल के अंतर्गत विधानसभा और विधान पारषद स्थापित है। विधान सभा के सदस्य प्रत्येक 5 वर्ष पर आम चुनाव जीत कर प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं जबाक विधान परिषद के सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। विधानमंडल का नेतत्व करता होगा। विधानमंडल के सत्रावसन तथा स्थगन का निर्णय मुख्यमंत्री के परामर्श के आधार पर राज्यपाल करते हैं।मुख्यमंत्री विधानसभा के  पटल पर सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों को प्रस्तुत करता है।
  • मत्री परिषद और मुख्यमन्त्रीः मुख्यमत्री राज्य मंत्री परिषद का प्रमुख होता है। राज्यपाल सामान्यता उन्हीं लोगों को जी नियक्त करता है। जिसकी सिफारिश मुख्यमंत्री करते हैं। मंत्रियों के बीच विभागों का वितरण या उनके कार्य एव उत्तरदयित्व में बदलाव मुख्यमंत्री द्वारा किया जाता है। मतभेद की स्थिति में मुख्यमंत्री के परामर्श पर किसी भी मी को राज्यपाल पदच्युत कर सकते हैं। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के इस्तीफे के कारण मंत्रमंडल विघटित हो जाता है।
  • मुख्यमंत्रीऔर राज्यपालः संविधान के अनुच्छेद 163 के अनुसार विवेकाधीन शक्तियों को छोड़कर, राज्यपाल अपने कार्यों का निर्वहन मख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित मंत्रिपरिषद की सलाह से करते हैं। अनुच्छेद 167 के अनुसर मख्यमंत्री राज्यपाल और मंत्री परिषद के बीच संवाद की कड़ी होते हैं। मुख्यमंत्री राज्यपाल को विभिन्न विषयों पर सूचना उपलब्ध करवाते हैं और सामान्य स्थितियों में राज्य प्रशासन की नीतियों का संचालन राज्यपाल मख्यमंत्री के परामर्श से करते हैं।
  • मुख्यमंत्री और केंद्रः संवैधानिक रूप से राज्यपाल केंद्र और राज्य के बीच संवाद की करीब होता है। लेकिन वास्तव में मुख्यमंत्री राज्य शासन का प्रमुख होता है और केंद्र के साथ बेहतर संबंधों का निर्धारण मुख्यमंत्री की क्षमता और योग्यता पर निर्भर करता है। केंद्र में विरोधी दल की सरकार होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में कई अवसरों पर केंद्र और राज्य के बीच अच्छे संबंध रहे हैं जो वास्तव में मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली का परिणाम था।

इस प्रकार विभिन्न संदर्भ में राज्य प्रशासन का केंद्र बिंदु मुख्यमंत्री होता है, लेकिन मुख्यमंत्री की केंद्रीय स्थिति निम्नलिखित कारकों पर निर्भर होती है:

  • यदि अपने राजनीतिक दल में मुख्यमंत्री निर्विवाद नेतृत्वकर्ता होता है तो उसका केंद्रीय नेतृत्व अधिक स्वीकार होता
  • एक ही राजनीतिक दल की केंद्र और राज्य में सरकार मुख्यमंत्री की स्थिति को अधिक मजबूत और प्रभावी बनाते गठबंधन सरकारों में मुख्यमंत्री की स्थिति उसके दल द्वारा प्राप्त किए गए बहुमत पर निर्भर करता है।
  • मुख्यमंत्री का केंद्रीय नेतृत्व उसके व्यक्तित्व पर भी निर्भर करता है।
  • मुख्यमंत्री की लोकप्रियता का प्रभाव इस संदर्भ में निर्णायक होता है।

निष्कर्ष:

इस प्रकार मुख्यमंत्री, राज्य शासन को जन इच्छा के अनुरूप संचालित करता है। मुख्यमंत्री के केंद्रीय नेतृत्व से राज्य शासन भागीदारी और सामंजस्य से सही दिशा में संचालित होता है।

 

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