कुछ गैर-परम्परागत एवं गैर-सैन्य समस्याएँ उत्तर प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों को बढ़ा देती हैं। इन समस्याओं की पहचान कर उससे निपटने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों का वर्णन करें।

उत्तर की संरचनाः

भूमिका:

  • उत्तर प्रदेश में आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों को संक्षेप में बताएँ।

मुख्य भाग:

  • गैर-परम्परागत और गैर-सैन्य समस्याओं को स्पष्ट करें।
  • विभिन्न समस्याओं का उल्लेख करते हुए बताएं कि किस प्रकार इससे आंतरिक सुरक्षा की समस्या उत्पन्न होती
  • उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों को बताएँ।

निष्कर्ष:

  • आंतरिक सुरक्षा के संदर्भ में बहुआयामी और दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकताओं को बताएँ।

उत्तर

भूमिकाः

आंतरिक सुरक्षा, उत्तर प्रदेश के संतुलित आर्थिक विकास और स्थिरता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। प्रदेश में साम्प्रदायिक हिंसा, वामपंथी उग्रवाद, संगठित अपराध, नेपाल सीमा से मादक पदार्थ और नकली भारतीय मुद्र की तश्करी इत्यादि विभिन्न सुरक्षात्मक चुनौतियाँ विद्यमान रहीं हैं।

मुख्य भागः

हाल के वर्षों में गैर-परम्परागत और गैर-सैन्य समस्याओं ने आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों को बढ़ा दिया है। इन समस्याओं में निम्नलिखित प्रमुख हैं

  • स्वायत्त संगठनः प्रदेश में स्वायत्त संगठनों द्वारा प्रवर्तित विधि एवं व्यवस्था को चुनौती दी जा रही है। वर्ष 2016 में, मथुरा जिले के “जवाहर बाग” में “स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह” संगठन के सदस्यों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई। इसमें 2 पुलिस कर्मियों सहित 100 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गयी थी।
  • मॉब लिंचिंगः भीड़ द्वारा दण्ड की घटना प्रदेश में आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बनी है। वर्ष 2015 में दादरी की घटना इस संदर्भ में उल्लेखनीय है। जिसमें गौवंश की रक्षा के लिए भीड़ द्वारा सम्प्रदाय विशेष के व्यक्ति की हत्या कर दी गयी।
  • प्रतिष्ठा हत्या (Honour Killing): प्रदेश में विजातीय समुदाय के साथ वैवाहिक सम्बन्ध बनाने पर संबंधित समाज के सदस्यों द्वारा दम्पत्ति की हत्या की घटना बढ़ी है। जनवरी 2017 से दिसम्बर 2017 तक 50 घटनाएँ प्रदेश में दर्ज की गयी।
  • प्रादेशिक विषमताः प्रदेश में बुन्देलखण्ड क्षेत्र आर्थिक वंचना से ग्रसित है। इस समस्या के कारण डकैती, चोरी और अन्य आपराधिक गतिविधियाँ इस क्षेत्र में अधिक हैं।
  • गरीबी और बेरोजगारीः यद्यपि गरीबी और बेरोजगारी का प्रत्यक्ष सम्बन्ध आंतरिक सुरक्षा से नहीं है लेकिन इस स्थिति में आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आपराधिक कृत्य, जैसे-चोरी, अपहरण, अवैध वसूली इत्यादि, प्रभावित व्यक्तियों द्वारा किए जाते हैं। प्रदेश की एक-तिहाई आबादी गरीबी रेखा के नीचे है।
  • सामाजिक स्तरीकरणः प्रदेश के जाति आधारित सामाजिक व्यवस्था में विभिन्न जातियों के बीच मतभेद बढते जा रहे हैं। इसके कारण कई स्थितियों में जातीय हिंसा की समस्या उत्पन्न हुई है। सहारनपुर क्षेत्र और पश्चिमै उत्तर प्रदेश इस समस्या से अधिक प्रभावित है।
  • पितृसत्तात्मक समाजः प्रदेश में महिलाओं के विरूद्ध बढ़ते अपराध प्रभुत्ववादी पुरूष मानसिकता से संबंधित रही है। प्रदेश के नगरीय क्षेत्र सहित मेरठ, आगरा तथा मथुरा में महिलाओं के प्रति अपराधों में वृद्धि पायी गयी है।

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास

  • अपराधियों के विरूद्ध “गुण्डा एक्ट” के तहत कार्यवाही। 
  • पुलिस के आधुनिकीकरण एवं सुदृढीकरण हेतु 03 सदस्यीय आयोग के गठन की घोषणा। 
  • लगभग 60,000 पुलिस बलों की भर्ती की घोषणा। 
  • महिलाओं के विरूद्ध अपराध और छेड़छाड़ को रोकने के लिए “ऑपरेशन मंजनू” का क्रियान्वयन।
  • खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत न्यूनतम कीमत पर गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया है।
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत 6 से 14 वर्ष आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।
  • महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक परिवार को 100 दिन रोजगार प्रदान करने का कानूनी लक्ष्य स्वीकार किया गया है।
  • आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत राज्य के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों को प्रतिवर्ष 5 लाख रूपये का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य के कमजोर वर्गों को समस्त आवास विहीन परिवारों को 2022 तक आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बजट 2018-19 में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में क्रमशः 3000 करोड़ रूपए एवं 4500 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है।
  • इसके अतिरिक्त विभिन्न योजनाओं की रियल टाइम निगरानी, सामाजिक लेखांकन तथा उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण कानून (यूपीकोका), 2018 के तहत पुलिस व्यवस्था को मजबूत कर उपर्युक्त समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।

निष्कर्षः

प्रदेश में आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों के समाधान हेतु बहुआयामी और सतत प्रयासों की आवश्यकता है। इसके लिए एक ओर पुलिस और सहायक बलों की संख्या व क्षमता में सुधार आवश्यक है वहीं विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का निदान भी अपरिहार्य है।

 

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