केस स्टडीज : सामाजिक-आर्थिक और नैतिक मुद्दों का परीक्षण

प्रश्न :एक अंतर्राष्ट्रीय शीतल पेय कंपनी के पास एक सिग्नेचर शीतल पेय है जिसे वह विश्व भर में बेचती है। भारत में, उस शीतल पेय का यह संस्करण भारतीय खाद्य और स्वास्थ्य विनियमों का पालन करता है, लेकिन यह यूरोपीय बाजार जहां कानून सख्त है, वहां बेचे जाने वाले पेय की तुलना में कम स्वास्थ्यप्रद और कम सुरक्षित है। एक प्रतिष्ठित स्वास्थ्य पत्रिका के एक ताजा अध्ययन ने यह संकेत दिया है कि यह उत्पाद आने वाले वर्षों में गंभीर जन स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। सरकार ने इस मुद्दे पर गौर करने और इस मामले पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आपकी अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की है। अपने सुझाव देने में आप किन कारकों पर विचार करेंगे? विशेष रूप से, विभिन्न हितधारकों की पहचान कीजिए एवं इस प्रकरण में शामिल विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और नैतिक मुद्दों का परीक्षण कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • प्रस्तुत प्रकरण (केस स्टडी) का एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • इसमें निहित नैतिक मूल्यों को रेखांकित कीजिए।
  • इस प्रकरण में शामिल विभिन्न हितधारकों की पहचान कीजिए।
  • इस प्रकरण में समाहित विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
  • सुझाव देने के दौरान विचार किए जाने वाले विभिन्न कारकों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर:

उपर्युक्त प्रकरण दो नैतिक प्रश्नों पर चर्चा करती है, यथा- भारत में विहित कम कठोर कानून और विनियम तथा भारतीय बाजार में अपेक्षाकृत निम्न गुणवत्तायुक्त उत्पादों को बेचने हेतु शीतल पेय कंपनी का प्रयोजन व इच्छा। अनेक बहु-राष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) ने भारत जैसे विकासशील देशों में अपने उत्पादों को बेचने में दोहरे मानकों को प्रदर्शित किया है।

निहित नैतिक मूल्य: 

  • न्याय का सिद्धांत 
  • राष्ट्रीय कानूनों और विनियमों का अनुपालन
  • आत्मसंयम
  • MNCs हेतु आचरण संहिता
  • भेदभाव और समानता का उल्लंघन
  • कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व
  • मानव जीवन की शुचिता 
  • सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, उत्तरदायित्व इत्यादि जैसे मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना का अभाव

विभिन्न हितधारक: 

  • शीतल पेय कंपनी: कंपनी की प्रतिष्ठा और ख्याति तथा इसके ब्रांड के समक्ष संकट उत्पन्न हो सकता है। यदि रिपोर्ट नकारात्मक लोकप्रियता हासिल करती है तो कंपनी को क्षति का सामना करना पड़ सकता है।
  • विनियामक निकायों (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण: FSSAI) सहित सरकार: नियमों और विनियमों के निर्माण के समय अंतर्राष्ट्रीय मानकों की पूर्ति और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विद्यमान सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखना संस्थाओं का उत्तरदायित्व है ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य के संबंध में रक्षोपाय किए जा सकें।
  • नागरिक और ग्राहक: ये सर्वप्रमुख हितधारक हैं जो उत्पाद का उपभोग कर प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं। उपभोक्ताओं को इस संबंध में जागरूक होना चाहिए कि बाजार उनके समक्ष क्या प्रस्तुत कर रहा है तथा उन्हें भ्रामक विज्ञापनों से सावधान रहना चाहिए।

इनके अतिरिक्त अनेक अन्य लोग/निकाय हैं जो रिपोर्ट के निष्कर्षों या अनुशंसाओं से प्रभावित हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं – ब्रांड एंबेसडर, नागरिक समाज, मीडिया तथा वैज्ञानिक अनुसंधानकर्ता।

प्रकरण में समाहित विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और नैतिक मुद्दे:

  • इस संदर्भ में मानकों को शिथिल पाया गया है तथा ये उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को संकटग्रस्त करने की संभावना से भी युक्त
  • MNCs द्वारा निर्धन देशों का किया गया शोषण।
  • लोगों के स्वास्थ्य की बजाय लाभ को अत्यधिक प्राथमिकता प्रदान किया जाना।
  • जानकार लोगों द्वारा अनभिज्ञ व्यक्तियों का शोषण।
  • सभी के लिए स्वास्थ्य का अधिकार और न्याय के सिद्धांत का अनुसरण नहीं किया जा रहा है।
  • सरकार केवल उच्च रोजगार सृजित करने और कॉर्पोरेट लाभ को बनाए रखने तथा जन स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय मुद्दों की उपेक्षा करने वाले कमजोर कानूनों का चयन कर रही है।

निर्णय निर्माण करने वाले निकायों में सत्यनिष्ठा, संवेदना और समानुभूति का अभाव है जो अंतत: व्यवस्था और विदेशी कंपनियों में लोगों के विश्वास को समाप्त कर रहा है।

सुझाव देने के दौरान विचार किए जाने वाले कारक:

  • विधि का शासन: यदि कंपनी सभी नियमों और विनियमों का पालन करती है तो उसके कार्यों में व्यवधान उत्पन्न नहीं किए जाने चाहिए बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने वाले कानून निर्मित करने के लक्ष्य निर्धारित किए जाने चाहिए।
  • रिपोर्ट की प्रामाणिकता: यह समझने की आवश्यकता है कि रिपोर्ट पूर्वाग्रह से ग्रसित तो नहीं है तथा यह प्रतिस्पर्धी समूहों के हितों की पूर्ति तो नहीं कर रही है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएं: अंतर्राष्ट्रीय कानूनों में सख्त प्रावधानों के पीछे उत्तरदायी कारणों और अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्कृष्ट प्रथाओं को समझना।
  • FSSAI द्वारा स्पष्टीकरण: यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि गुणवत्ता के संदर्भ में FSSAI के मानक निम्न क्यों हैं।
  • देश में उत्पाद की मांग: उपभोक्ता बाजार में इसकी आवश्यकता और उपलब्धता, उपभोग के प्रतिरूप आदि पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • स्थानीय अर्थव्यस्था पर प्रभाव: उत्पादन पर पूर्णतया प्रतिबंध जैसे अंतिम निर्णय के मामले में रोजगार सृजन प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकता है।
  • पूर्ववर्ती मामले: विश्व बाजार में कंपनी की प्रतिष्ठा को जानना भी महत्वपूर्ण है। क्या भारत या अन्य देशों में समान अपराध हेतु यह विवाद में रह चुकी है?
  • साक्षरता और जागरूकता: समिति द्वारा दिए गए किसी भी सुझाव को इस संदर्भ में ध्यान में रखना चाहिए कि क्या लोग उत्पाद का प्रयोग करने के प्रतिप्रभावों को समाविष्ट करने में सक्षम होंगे या नहीं। यदि इस मामले में लगाए गए आरोप गलत हैं तो लोगों का शैक्षणिक स्तर यह निर्धारित करेगा कि निर्णय के संदर्भ में लोगों में जागरूकता का प्रसार कैसे किया जाए।

विश्व बाजार में एक गहन प्रतिस्पर्धा विद्यमान है। कंपनियां समान्यतया केवल लाभ प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य और पर्यावरणीय सरोकारों को क्षीण करती हैं। इस समय यह सुनिश्चित करना सरकार का उत्तरदायित्व हो जाता है कि लाभ प्राप्ति की प्राथमिकता द्वारा लोगों के हितों को क्षति न पहुंचाई जाए। व्यवसाय करने में नैतिकता को बनाए रखने हेतु यह महत्वपूर्ण है कि साधन और साध्य दोनों न्यायोचित बने रहें

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