अवैध आप्रवासन से उत्पन्न चुनौतियों तथा राष्ट्रीय सुरक्षा से इसके संबंध की संक्षिप्त चर्चा

प्रश्न: अवैध आप्रवासन और राष्ट्रीय सुरक्षा के मध्य क्या संबंध है? इस संदर्भ में, असम में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर को तैयार करने की कवायद की समालोचनात्मक चर्चा कीजिए। (250 शब्द)

दृष्टिकोण

  • अवैध आप्रवासन से उत्पन्न चुनौतियों तथा राष्ट्रीय सुरक्षा से इसके संबंध की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) अवैध आप्रवासन की पहचान करने में कैसे सहायता करेगा।
  • NRC के इस प्रयास से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
  • NRC के इस प्रयास के लाभों का भी उल्लेख कीजिए।
  • तर्कसंगत निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

हाल ही में गृह मंत्रालय द्वारा किए गए निरीक्षण के पश्चात् राज्यों को एक सूचना जारी की गयी कि अवैध आप्रवासियों ने न केवल भारतीय नागरिकों के आधिकारों का अतिक्रमण किया है बल्कि इसके कारण गंभीर सुरक्षा चुनौतियाँ भी उत्पन्न हो रही है।

अवैध आप्रवासन तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के मध्य संबंध को निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है:

  • अवैध आप्रवासी एक देश के राष्ट्रीय संसाधनों पर बोझ डाल सकते हैं।
  • अविनियमित अन्तर्वाह सांप्रदायिक संघर्षों, चरमपंथ, तस्करी, अवैध व्यापार, अपराध, तथा अन्य संदिग्ध गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकते हैं। ये अंतर्वाह संप्रभु शासन एवं देश की सुरक्षा के समक्ष बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
  • उदाहरणार्थ वर्ष 2017 में सरकार ने रोहिंग्या को लोगों की संगठित तस्करी, मानव दुर्व्यापार, हवाला कारोबार की लामबंदी के साथ पूर्व में छिद्रिल सीमाओं का लाभ उठाने के लिए दोषी ठहराया था।
  • सरकार का दावा है कि उनमें से अधिकांश पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र जैसे जाली भारतीय पहचान पत्र प्राप्त करने में सफल हो गए थे।
  • गृह मंत्रालय के अनुसार अवैध प्रवासी आतंकवादी संगठनों द्वारा भर्ती किए जाने हेतु अत्यधिक सुभेद्य हैं।

असम में NRC

जारी स्वतंत्रता के समय से ही असम में अन्य प्रांतों और बांग्लादेश से आप्रवासन एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। असम के संशोधित नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, 1 जनवरी, 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच आने वाले लोग पंजीकरण एवं 10 वर्षों तक राज्य में रहने के बाद नागरिकता के लिए पात्र थे जबकि 25 मार्च, 1971 के बाद प्रवेश करने वाले लोगों को निर्वासित किया जाने का प्रावधान था। NRC का उद्देश्य उचित नागरिकों की पहचान करना था और इस प्रकार एक मसौदा सूची प्रकाशित की गई जहां सभी आवेदकों में से 40 लाख आवेदकों को बाहर रखा गया था। यह एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा बन गया है जो अनेक चिंताएं उत्पन्न करता है जैसे:

  • NRC का उपयोग वोट बैंक की राजनीति के रूप में किया जा रहा है, जो समुदायों का ध्रुवीकरण कर सकता है।
  • सामाजिक, आर्थिक सुरक्षा के बिना 40 लाख लोगों को विस्थापित करना अव्यवहारिक है।
  • असम सरकार द्वारा बॉयोमीट्रिक्स डेटा के संग्रह की अनुशंसा निजता के अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है।
  • NRC बांग्लादेश के साथ हमारे राजनयिक संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।
  • यह हमारे पड़ोसी क्षेत्रों में भारत विरोधी भावनाओं को भी बढ़ावा दे सकता है जो सीमा पार आतंकवाद को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • अन्य राज्यों को भय है कि इस प्रकार के प्रयास समुदायों को पृथक करने के साथ ही सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • कई पर्यवेक्षकों ने इस प्रक्रिया में प्रशासनिक गतिरोध को भी उदधृत किया है।
  • केवल पहचान करना, अवैध आप्रवासन से संबंधित मुद्दों का हल नहीं है।

इन मुद्दों के बावजूद NRC के संभावित लाभ हैं:

  • धार्मिक उग्रवाद के खतरे और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जोखिम को रोकने के लिए।
  • संप्रभुता, स्वदेशी समुदायों के हितों और राष्ट्रीय पहचान की रक्षा के लिए।
  • अप्रवासियों के कारण होने वाली आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा से संबंधित नागरिकों की चिंताओं को समाप्त करना।
  • यह छिद्रिल सीमाओं से असम की सुभेद्यता को कम करने के साथ ही यहाँ के लोगों के जन कल्याण के लिए स्थानीय आजीविका को प्रोत्साहित करता है।

इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दे पर भारत को सावधानी अपनानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी अपनी गरिमा एवं आजीविका से वंचित न हो। इसके साथ ही पूर्णतया सीमा सुरक्षा अपनानी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार के मानवीय संकट की संभावना को पूर्णतः समाप्त करने के लिए ऐसे किसी भी अवैध प्रवासन को रोका जा सके।

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