केस स्टडीज : राष्ट्रीय स्तर के दो खिलाडियों द्वारा अनुचित टिप्पणियाँ

प्रश्न: राष्ट्रीय स्तर के दो खिलाडियों, जो अपनी टीम के अभिन्न हिस्से हैं, ने एक टॉक शो में कुछ टिप्पणियाँ कीं, जिन्हें नारी-द्वेषी (मिसोजिनिस्टिक) और जातिवादी माना गया। इससे एक बहुत बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया और उन्हें लंबित रखते हुए टीम से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया। इन घटनाओं के आलोक में, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(a) क्या आप मानते हैं कि जहाँ तक सार्वजनिक महत्व के विषयों पर अपने विचारों को व्यक्त करने की बात है, सार्वजनिक हस्तियों पर अतिरिक्त उत्तरदायित्व होता है? कारण बताएं।

(b) आपके अनुसार, क्या कारण है कि कुछ प्रमुख सार्वजनिक हस्तियाँ इस प्रकार की नारी-द्वेषी (मिसोजिनिस्टिक) टिप्पणियाँ करती हैं और यहाँ तक कि बिना किसी परिणाम के बच निकलते हैं?

(c) इस आचरण की जांच-पड़ताल करने वाले प्रभारी व्यक्ति के रूप में, इसका परीक्षण करने के लिए आप किन कारकों पर विचार करेंगे और आप इस विशिष्ट प्रकरण में क्या दंड, यदि कोई हो, निर्धारित करेंगे?

उत्तर

किसी भी देश के खिलाडी (sportsperson) सामान्यतः वहां के लोगों हेतु आदर्श होते हैं क्योंकि वे अपने देश का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करते हैं एवं खेल के उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करते हैं। इस प्रतिनिधित्व और जनसामान्य पर उनके आचरण का वृहत प्रभाव होने के कारण उनके द्वारा खेल के क्षेत्र से बाहर भी एक अतिरिक्त उत्तरदायित्वपूर्ण आचरण का निर्वहन किया जाता है। प्रदत्त मामले में यह देखा गया कि इन राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों द्वारा अनुचित टिप्पणियाँ की गयीं। अतः उन्हें टीम से निलंबित करते हुए उनकी जांच प्रारंभ कर दी गई।

दिए गए मामले में सम्मिलित हितधारक: 

  • स्वयं खिलाड़ी, जिन्होंने अभद्र कृत्य द्वारा अपने करियर एवं प्रसिद्धि के समक्ष खतरा उत्पन्न किया। 
  • उनके परिवार, जिन्हें मानसिक आघात एवं मानहानि से ग्रस्त होना पड़ा। 
  • समाज, विशेषकर महिलाएं, जिनके संबंध में टिप्पणी की गई। 
  • संबंधित खेल के प्रशंसक। 
  • संबंधित खेल से जुड़े प्रबंधन/प्रशासनिक निकाय।

(a) सार्वजनिक महत्व के मामलों में प्रसिद्ध हस्तियों को जिम्मेदारीपूर्वक आचरण क्यों करना चाहिए:

  • प्रसिद्ध हस्तियों जैसे कि फिल्म जगत के विख्यात व्यक्तियों, खिलाड़ियों, राजनेताओं इत्यादि की जनसामान्य पर एक छाप होती है और व्यापक प्रभाव होता है। यह उन्हें प्राप्त एक प्रभावी शक्ति है और शक्ति के साथ उत्तरदायित्व का भी निर्वहन करना पड़ता है।
  • वे अधिकांश व्यक्तियों विशेषकर बच्चों के रोल मॉडल (आदर्श) होते हैं। अतः उनके द्वारा किये जाने वाले कार्य उनका अनुसरण करने वालों के भविष्य का निर्धारण और परिणामस्वरूप राष्ट्र के भविष्य के मार्ग को भी निर्धारित कर सकते हैं।
  • वे राष्ट्रीय टीम हेतु खेलते हुए राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। अतः उन्हें सावधानीपूर्वक व्यवहार करना चाहिए तथा इस प्रकार की अभद्र टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

(b) प्रमुख हस्तियों द्वारा अभद्र टिप्पणी करने हेतु उत्तरदायी कारण:

  • पालन-पोषण के दौरान अपनायी गई समाजीकरण की प्रक्रिया अर्थात एक व्यक्ति पर परिवार, शिक्षकों और समाज का प्रभाव। व्यक्ति जिन विचारों को समाज से ग्रहण करता है, वे उसके आचरण में परिलक्षित होते हैं।
  • संवेदनशीलता का अभाव, जो बिना किसी संघर्ष के प्रसिद्धि एवं सफलता प्राप्त किए जाने के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकता है।
  • स्कूलों में मूल्य-आधारित शिक्षा का अभाव।
  • सहानुभूति एवं महिलाओं के प्रति सम्मान का अभाव।
  • कम आयु से ही पुरुष टीमों में खेलने से ये खिलाड़ी सह-शैक्षिक परिवेश से वंचित हो जाते हैं और इस प्रकार उनमें लैंगिक संवेदनशीलता का अभाव होना एक सामान्य लक्षण होता है।
  • लोकप्रिय संस्कृति जैसे फिल्मों का युवा खिलाड़ियों पर प्रभाव।

इस प्रकार की अभद्र टिप्पणी करने के बावजूद, सामान्यतः प्रमुख हस्तियों द्वारा स्वयं को सुरक्षित कर लिया जाता हैं क्योंकि:

  • संभावित परेशानी एवं विरोध से स्वयं को बचाने हेतु शक्ति और वर्चस्व का उपयोग किया जाता है। उदाहरणार्थ: पब्लिक रिलेशन टीम की सहायता से ऐसे मुद्दों को शीघ्रता से दबा देना तथा उन्हें मीडिया से दूर करना।
  • इस प्रकार का व्यवहार समाज की सहनशीलता एवं समझ के अभाव के लिए क्षमा किये जाने की आम प्रवृत्ति के कारण विकसित हो जाता है।
  • अभद्र टिप्पणी करने वाले ऐसे पुरुषों को दंडित करने के लिए सुदृढ़ कानूनी तंत्र का अभाव है।
  • प्रायः पितृसत्तात्मक समाज द्वारा इस प्रकार की टिप्पणियों के प्रति अपेक्षित रूप से नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की जाती है और इन्हें केवल आकस्मिक टिप्पणी के रूप में वर्गीकृत कर दिया जाता है, क्योंकि इनसे किसी व्यक्ति विशेष की अधिक हानि नहीं होती है।

(c) वे कारक जिन पर ऐसे आचरण की जांच करते समय विचार किया जाना चाहिए:

  • वैधता– क्या इस प्रकार का आचरण एक विशिष्ट विधि या आचार संहिता के तहत दंडनीय है?
  • उत्तरदायित्व: खेल एवं राष्ट्र के प्रतिनिधियों के रूप में, खिलाड़ियों द्वारा आचरण के किन न्यूनतम मानकों की पूर्ति की अपेक्षा की जाती है तथा किस प्रकार का आचरण पूर्ण रूप से अस्वीकार्य है।
  • टीम पर प्रभाव: टीम के अन्य खिलाड़ियों को उनके आचरण एवं उत्तरदायित्व के संबंध में आवश्यक संदेश प्रसारित करने की आवश्यकता।
  • सामाजिक कारक- खेल प्रशासन में समाज के विश्वास को बनाए रखने के लिए, उसे इस मामले से निपटने में बोर्ड द्वारा दिखायी जाने वाली गंभीरता एवं संवेदनशीलता के सम्बन्ध में आवश्यक रूप से सूचित किया जाना चाहिए।
  • व्यक्तिगत कारक- इसमें मामले से संबंधित खिलाड़ियों के महत्व, आयु, अतीत में किया गया आचरण, अनुशासन रिकॉर्ड इत्यादि शामिल हैं।
  • कप्तान, कोच और टीम के अन्य प्रमुख हितधारकों के मत।

एक खिलाड़ी (पुरुष या महिला), चाहे वह अपने क्षेत्र में कितना ही उत्कृष्ट क्यों न हो, परन्तु अपनी टीम, खेल तथा समाज से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है। टीम के लिए उसका महत्व उसके लापरवाहीपूर्ण व्यवहार का बहाना या क्षमा का कारण नहीं हो सकता। मेरे अनुसार, उपर्युक्त कारकों पर विचार करने के पश्चात संबंधित खिलाड़ियों को उनके इस प्रकार के अभद्र आचरण के लिए दंडित किया जाना चाहिए। उन्हें केवल चेतावनी देकर छोड़ देने से समाज के समक्ष एक नकारात्मक उदाहरण स्थापित होगा। यदि इस प्रकार के आचरण या सार्वजनिक स्तर पर दिए गए किसी वक्तव्य हेतु कोई विधिक अवरोध विद्यमान नहीं है, तब भी इतने उच्च एवं प्रभावपूर्ण स्तर पर उत्तरदायित्व की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, दंड न दिया जाना अन्य खिलाड़ियों को भी बिना किसी अवरोध के इस प्रकार के आचरण को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करेगा।

दंड का उद्देश्य उन्हें चेतावनी देना एवं उनमें सुधारना लाना है, न कि उनके करियर को क्षति पहुंचाना। इस मामले में दिया जाने वाला दंड किसी धोखाधड़ी के मामले (जैसे गेंद से छेड़छाड़) के समान अत्यधिक कठोर नहीं होना चाहिए। हालांकि दंड यह सुनिश्चित करने हेतु पर्याप्त होना चाहिए कि वे इससे सीख प्राप्त करें तथा भविष्य में इस प्रकार के आचरण को अपनाने से बचें। साथ ही, ऐसे मुद्दों से बेहतर ढंग से निपटने तथा महिलाओं के प्रति सहानुभूति विकसित करने हेतु युवा खिलाड़ियों को लिंगसंवेदीकरण संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।

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